RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
रोहित ने दो उंगलियां मेरी पैंटी की दोनों तरफ डालकर मेरी पैंटी, जो अबतक काफी गीली हो चुकी थी, नीचे की तरफ सरकायी. मैंने भी अपने गांड उठाकर उसका सहयोग किया। अब हम दोनों पूरी तरह से नग्नावस्था में थे. रोहित ने फिरसे मेरे होठोंको अपने होठों में लेकर बड़े प्यारसे मेरी जीभको चूसने लगा.
मैंने भी उसका पूरा सहयोग करते हुए उसके मुँह से लार पीना शुरू किया. अब उसके दोनों बलिष्ठ हाथ मेरे वक्षोंको स्पर्श करने, धीरे से मसलने और मेरे स्तनाग्रोंको छूने लगे।
उसका शिश्न (लंड) उत्तेजनामें आकर और भी सख्त हो रहा था. मुझे भी अब सुख का अनुभव होने लगा और मैं भावनाओंमें बहती चली गयी.
"आह, रोहित, मेरे बूब्स को चाटो और मेरे निप्पल्स को चूसो ना. आह," मेरे हाथ उसके सरके बालोंको सहलाते हुए उसे माथे पर चूमकर मैं बोली.
"आह, ऐसे ही, चूसते रहो मेरे निप्पल्स, आह, कितना अच्छा चूस रहे हो, ओह माय गॉड."
उसने मेरी आँखों में देखा और मुस्कुराया, फिर मेरे निप्पल को अपने होठोंसे और जीभ से प्यार देने लगा.
"रोहित, ओह रोहित, अब मुझे नीचे भी प्यार करो न प्लीज. आह, ओह रोहित.."
मेरे स्तनोंको मसलकर वो मेरे पेटके आसपास चूमने और गीली जीभसे चाटने लगा. मुझे इतना प्लेज़र मिल रहा था की उसके योनि को छूने के पूर्व ही मैं एक बार झड़ चुकी थी. नीचे आते हुए उसने मेरी दोनों जांघें खोलकर अलग की और मेरे चुत को सूंघकर जैसे दीवाना हो गया. योनिपटल को चूमते हुए जैसे ही उसकी जीभ मेरी योनिमें प्रवेश कर गयी, मैं जोर से चीखी.
उसने जान लिया की मुझे अत्याधिक कामसुख मिल रहा हैं. उसने अपना चेहरा उठाकर बड़े प्रेमभावसे मुझे देखा और फिर से मेरी योनि का रस चाटते हुए मुझे स्वर्ग के दर्शन कराने लगा.
अब मैं भी अपने आप को रोक न साली और मेरे मुँह से बस आहें और गर्म साँसे निकलती रही.
"आह, आह, आह, हां चाटो, ओह, वहीँ पर, आह, ओह रोहित, आह चाटो वहीँ पर..और अंदर डालो. आह, आह, आह, रोहित तुम कितने अच्छे हो, आह, माय डार्लिंग, आह, येस येस, ओह्ह.."
अब उससे भी और रहा न गया और उसने उठकर अपना सख्त औज़ार मेरी योनि के द्वार पर रगड़ना शुरू किया.
"ओह, डालो अंदर डालो इसे. ओह माय गॉड, रोहित, डालो न प्लीज."
वो फिर भी मुझे तड़पाता रहा और अपने लौड़े के सुपाडे से सिर्फ मेरी योनि के द्वार पर ऊपर नीचे स्पर्श करता रहा. आजतक मैं लौड़ा अंदर लेने की लिए कभी इतना तरसी नहीं थी.
"रोहित, फक मी प्लीज, फक मी हार्ड, ओह.."
जैसे की वो मेरी तड़प और बढ़ाना चाहता हो और उसने तुरंत पलटी खाकर मुझपर उल्टा आ गया. अब उसका कड़क लौड़ा मेरे होठोंके पास था और उसकी गीली जीभ मेरे चुत के दानेपर धावा बोल रही थी. मैंने उसका लंड मुँहमे लेकर जैसे ही चूसना आरम्भ किया, अब तेज आहें और गर्म साँसे उसके मुँह से निकलने लगी.
"आह, ओह गॉड, ऐसे ही, सुनीता, चुसो, प्लीज, आह.."
कभी चूसना, कभी बहार निकाल कर चाटना और कभी अण्डकोषोंको चूसना चल रहा था और रोहित जैसे सुख के सागर में हिंडोले ले रहा था.
"कितने दिनोंके बाद इतना सुख मिल रहा हैं, आह, मेरा पानी मत निकालो, मुझे तुमको चोदना हैं जान," उसके मुँहसे बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकल रही थी.
मैंने लम्बे चौड़े कड़क लंड को मुँह से निकालकर पलट गयी और उसके बाजू में लेट गयी. मेरे मम्मोंको मसलता हुआ रोहित मेरे ऊपर चढ़ गया और एक ही झटके में अपना लिंग मेरी योनिमें घुसेड़ दिया.
अब वो मुझपर सवार होकर मुझे चोदने लगा और मैं भी अपनी टाँगे खोलकर उसके कड़क लंड को जितना हो सके उतना ज्यादा अंदर लेने लगी.
"आह, आह, यस, चोदो मुझे, हाँ ऐसे ही, यस, ओह गॉड, रोहित, आह चोदो मुझे, यस, फक मि हार्ड."
मेरे उन्नत वक्षोंको और खड़े हुए निप्पल्स को अपने मजबूत हाथोंसे मसलते हुए वो मुझे लगातार चोदे जा रहा था. उसका लौड़ा राज, रूपेश और नीरज के लौडोंके मुक़ाबले में थोड़ा ज्यादा मोटा था, इसलिए मेरी चुत को कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था.
रोहित हाँफते हुए मुझे मिशनरी पोज में चोदता गया और मैं सोचती रही की यह अभीतक झडा कैसे नहीं. बादमें उसीने बताया की जब ड्राइवर मुझे लेने के लिए आया था तब उसने अमेरिका से मंगाई हुई वायग्रा दवाई खाई थी. इसलिए उसका लौड़ा पानी छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.
"सुनीता डार्लिंग, अब मैं तुझे घोड़ी बनाकर पीछेसे चोदता हूँ, आजा अपने हाथों और घुटनोंपर।"
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