RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
"ओह फक मेरे राजा और चोदो मुझे और और.. आह आह, यस, फक में हार्ड राज, चोदो मुझे, यसऽऽ.... ओह, माय गाडऽऽऽ... येसऽऽऽ.."
अब राजका छूटने वाला था इसलिए उसने मुझे अपने लौंडेपर से उठाया और सिक्सटी नाइन की पोज में लिटा दिया. वो मेरी गीली चुत चाटने लगा और मैं मेरे योनि रस से भरा उसका कड़क लंड लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. एक जोरदार आवाज़ के साथ राज मेरे मुँह में स्खलित हो गया.
इस बात को सिर्फ मैं और राज ही जानते थे और मेरी सारिका रूपेश को बताने की हिम्मत नहीं हुई.
राज ने भी कहा, "ये सिर्फ हम दोनोंके बीच ही रहेगा. किसी औरको पता नहीं चलना चाहिए."
दो दिन बाद राजने मुझे बताया की रोहित बिना कंडोम सेक्स ही चाहता हैं. उसके लिए वो टेस्ट करके रिपोर्ट दिखाने को भी तैयार हैं मगर चुदाई कंडोम के बगैर ही होनी चाहिए. शर्त के मुताबिक़ मुझे भी टेस्ट करके रिपोर्ट दिखाना था, ताकि उसे भी विश्वास हो जाए की मैं एकदम सेफ हूँ.
आने वाले दिनोंमें दोनोंके टेस्ट हो गए और दोनोंके के रिपोर्ट्स ठीक ही आये.
शुक्रवार की शाम को एक बड़ी मर्सिडीज़ गाडी नीचे आकर रुकी. मैं पहले से ही तैयार होकर साथमें छोटा सा बैग लेकर घर में बैठी थी. ड्राइवर ऊपर आकर मुझे ले गया.
कार में पीछे रोहित बैठा हुआ था. उसने मेरा हाथ चूमकर मेरा अभिवादन किया.
"हेलो सुनीता।"
"हाय रोहित, कैसे हो आप?"
"मैं तो ठीक हूँ, आप बला की ख़ूबसूरत लग रही हो."
"अरे अब मुझे सिर्फ सुनीता कहके पुकारो, ये आप वाप छोड़ दो."
मैंने मन ही मन सोचा, साला ये हरामी मुझे तीन रात और दो दिन चोदने वाला है और यहाँ आप आप का नाटक कर रहा हैं.
सफर के दौरान हमने यहाँ वहां की बाते की और मैं मुस्कुराते हुए उसपर मेरे हुस्न के तीर चला रही थी. ड्राइवर शीशे में से हमको बारी बारी देख रहा था, इसलिए रोहित ने भी कारमें कुछ नहीं किया.
आधे घंटे के सफर के बाद हम लोग फार्म हाउस पहुँच गए. वहाँ कार के रुकते ही, एक नौकर भागता हुआ आया और द्वार खोल कर हम दोनोंको अंदर ले गया. मेरा और रोहित का सामान भी उसने उठाया और मास्टर बैडरूम में रख दिया. रोहित ने उसे ५०० की नोट पकड़ाई और वो गायब हो गया. मैं अंदर बाथरूम में फ्रेश होकर झीनी से गुलाबी नाइटी पहन कर आयी, तबतक मेजपर वाइन, नमकीन, पकोड़े, फ्रूट्स और ड्राई फ्रूट्स जमाकर नौकरानी चली गयी थी.
रोहित अंदर जाकर एक पतली लुंगी और सफ़ेद कुरता पहनकर आ गया. वैसे दिखने में वो भी ठीक ठाक था, मगर मैं मजबूरी में चुदने जा रही थी, न की मेरी अपनी इच्छा से!
मैंने मुस्कुराकर अंगड़ाई लेते हुए कहा, "अब आगे का क्या प्रोग्राम हैं रोहित?"
उसने मुझे बाहोंमे लिया और मेरे होठोंपर अपने होंठ रख दिए. इसका मतलब साफ़ था की अब दिन रात सिर्फ चुदाई ही चुदाई होने वाली थी.
"सुनीता, मैं कई दिनोंसे प्रेम का प्यासा हूँ. अब मेरी प्यास बुझा दो. मैं चाहता हूँ की तुम्हे भी पूरा सुख मिले," मेरे होंठ चूमते हुए और मेरी जीभ को चूसते हुए उसने कहा.
मैंने अपनी आँखें मूँद ली और उसके जीभ से अपनी जीभ मिला दी. अब उसने मुझे कसके बाहोंमे लिया और उसका कड़क लंड मेरी चुत पर दबने लगा.
"हाँ रोहित, हम दोनों एक दुसरे को जी भर के सुख देंगे।"
एक ही झटके में उसने मुझे उठाया और पलंग पर लिटा दिया. मेरी नाइटी ऊपर हो गयी और मेरी मांसल जाँघे उसकी आँखोने देख ली. मेरे पैरोंको चूमते हुए उसने मेरी जाँघे सहलाना शुरू किया. एक नए मर्द का स्पर्श थोड़ा अजीब, थोड़ा अलग और शायद थोड़ा अच्छा भी लगने लगा था.
मैंने अपनी आँखे बंद की और उसके प्यार का आनंद लेने लगी. अगले दस मिनट तक उसने मेरी जांघोंको स्पर्श और चुम्बनोंसे उत्तेजित कर दिया. अब तक मेरी पैंटी गीली भी हो चुकी थी. मैं जान बूझकर शर्माने का नाटक कर रही थी ताकि उसे लगे की सचमुच मैं आज तक सिर्फ अपने पति राज से ही चुदी हूँ.
उसने अपना कुरता उतार दिया और मैं बालोंसे भरी उसकी चौड़ी छाती को सहलाने और निप्पल रगड़ने लगी. अब मैंने उसे नीचे लिटाया और उसकी छाती को हलके हलके चूमने लगी.
"आह सुनीता, कितना अच्छा लग रहा हैं, आह, ऐसे ही चूमते रहो. आह, डार्लिंग थोड़ा मेरे निप्पल भी चूसो न प्लीज."
मुझे लगा की ये जबरदस्ती सेक्स करवाने वाले बलात्कारी टाइप का आदमी नहीं हैं. ये सच मुच कई महीनोंसे सम्भोग सुख से वंचित हैं. इसे मैं इतना सुख दूँगी के मेरे राज को यह नौकरी शत प्रतिशत मिल जायगी.
"हां रोहित डार्लिंग, " उसे चूमते हुए और निप्पल चूसते हुए मैं बोली.
"ओह, कितना अच्छा चूसती हो तुम. आह, सुनीता, तुम सिर्फ सुन्दर ही नहीं, बहुत प्यारी भी हो. आह."
अब मैंने अपनी नाइटी उतार दी और उसके होंठोंको चूमने लगी. मेरे वक्षोंका स्पर्श होते ही उसका लंड और भी कड़क हो गया. मैं बेतहाशा उसे चूमने लगी और उसके दोनों हाथ अब मेरे कठोर चूचियोंको सहलाने और मसलने लगे.
जैसे ही उसने मेरी पैंटी उतारनी चाही, मैं जान बूझ कर शरमाई और जलती हुई ट्यूबलाइट की तरफ इशारा किया.
उसने झट से अँधेरा कर दिया और फिर मैंने उसकी लुंगी खींचकर उसके सख्त और लम्बे लौड़े को हाथ में लिया.
"आह, ओह माय गॉड, सुनीता, तुम कितनी हॉट और सेक्सी हो, ओह..."
"आह, रोहित, कितना कड़क और बड़ा हैं ये," उसके लंड को चूमते हुए मैंने कहा.
अब मुझे थोड़ी शर्मीली और थोड़ी सेक्सी, ऐसा डबल रोल खेलना जरूरी था ताकि उसे मज़ा भी आये और मेरी चुदक्कड़ सच्चाई का पता भी न चले.
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