RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
मैंने राजको कमरे के अंदर ले जा कर उसे मेरी और रूपेश की चुदाई के बारे में भी बताया.
राज ने भी मुझे बताया, "सुनीता रानी, सारिका के ससुराल में उसे आधी रातको जगाकर मैंने उसकी चुत बड़ी देर तक चाटी। फिर उसे घोड़ी बनाकर घर के पीछे खुले आँगन में हो चोद डाला. यहां तुम रूपेश से लॉज के कमरे में चुद रही थी और वहां गाँव में उसी समय मैं आसमान के नीचे गोरी गोरी सारिका को चोद कर सुख दे रहा था."
मुझे पता भी था की राज को भी उसकी गोरी और सेक्सी साली बड़ी पसंद थी और उसका लंड एक रात भी खाली रहना पसंद नहीं करता था.
"वा, मेरे शेर, तुमने भी एक नया मजा ले ही लिया," मैं बोली.
रूपेश और सारिका से पार्टनर स्वैपिंग शुरू होने से पहले भी जब मेरी माहवारी (पीरियड्स) होते थे तभी भी मैं राज का खड़ा लंड चूसकर उसे पूरा सुख देती थी.
उस रात से फिर हमारा अदलाबदली की चुदाई का कार्यक्रम जारी रहा. मैंने सारिका को मेरे, राज और रूपेश के बीच हुए थ्रीसम की बात भी बता दी और एक दिन उसने भी दोनों लौडो के साथ थ्रीसम का मजा लिया.
अब हम लोग बीच बीच में अलग अलग प्रकार से थ्रीसम करने लगे. कभी दो लौडोंके के साथ एक चुत, तो कभी एक लौड़े के साथ दो चुत । उस रात को चौथा पार्टनर आराम करता था. इतना सब कुछ होने के बावजूद भी हममें से किसी एक को कभी भी ईर्ष्या नहीं हुई.
कभी कभी सारिका अपनी टाँगे खोलकर लेटती और मैं उसकी योनि का दाना चाटते हुए घोड़ी बन जाती. तब रूपेश मुझे पीछे से चोदता और राज अपना लौड़ा सारिका से चुसवाता। ऐसा करके हम थ्रीसम के बाद फोरसम में भी आ गए.
जब एक रात राज सारिका से अपना लौड़ा चूसा रहे थे और मैं घोड़ी बनकर रूपेश से चुद रही थी तब राजने फिरसे नीरज और निकिता की बात छेड़ी. उसने रूपेश और सारिका को हमारे और पडोसी कपल के साथ जो भी हुआ सब विस्तारसे बता दिया.
मेरी चुत में अपना तगड़ा लंड पेलते हुए रूपेश बोला, "हां राज भाई, मुझे भी निकिता बड़ी सुन्दर और सेक्सी लगती हैं. क्या चूचिया हैं साली की. अगर उन दोनोंको भी इस खेल में जोड़ा जाए तो अपने तो वारे न्यारे हो जाएंगे."
राज बोला, "अरे यार, मैं तो कबसे आस लगाए बैठा हूँ, की कब निकिता मान जाए अदलाबदली को. उसके गोर गोर मम्मे पहले चूसूंगा और फिर उन्ही मम्मोंको देर तक चोद कर मेरे लंड को खुश करूंगा. अब तो उसको एक नहीं दो दो लौड़े खाने को मिलेंगे."
फिर मैं भी बोली, "सारिका, तुमने भी तो नीरज को देखा हैं. कितना हैंडसम और सेक्सी हैं. मैं तो उसे पूरा नंगा होके निकिता को चोदते देख चुकी हूँ. उसका लौड़ा भी बड़ा तगड़ा है और वो काफी देर तक चुदाई करने के बाद ही अपना पानी छोड़ता है. जब निकिता मान जायेगी तब हम दोनोंकी भी लाटरी लग जायेगी और इतने मस्त कड़क लौड़े से चुदवाने का मज़ा ही कुछ और आएगा।"
नीरज और निकिता के ख़यालोंमें उस रात हम दोनों बहनोंकी जबरदस्त चुदाई हुई. सुबह यह तय हुआ अब चारों मिलकर नीरज और निकिता को लुभाने के लिए हर कोई पैंतरा आजमाएगा.
अब रूपेश की दूकान भी अच्छी सेट हो गयी, आमदनी भी बढ़िया आने लगी तब हमने फिरसे नीरज और निकिता को भोजन पर बुलाना और साथ में घूमने जाना शुरू कर दिया. अब तो दो की जगह तीन कपल थे, हंसी मज़ाक और मस्ती सभी अच्छे से एन्जॉय करने लगे. निकिता अब राज के साथ साथ रूपेश से भी खुल गयी और नीरज भी सारिका की सुंदरता पर लट्टू होने लगा.
अचानक निकिता को कुछ काम से एक हफ्ते के लिए अपने मैके जाना पड़ा. स्वाभाविक रूप से उसके निकलने के पहले मैंने निकिता से कहा, "निकिता, तुम्हे यह बताने की कोई बात ही नहीं की जब तक तुम वापिस नहीं आती तब तक नीरज शाम का भोजन हमारे साथ ही करेंगे."
"तुम हमेशा से ही उसका ख्याल रखती हो सुनीता, मेरी सबसे अच्छी और प्यारी सहेली," ये कहकर उसने मुझे गले लगाया. हम दोनों एक दुसरे के सामने नंगे होकर अपने अपने पतियोंसे सम्भोग कर चुकी थी, इस कारण हम एकदम करीबी बन गयी थी.
हर शाम को नीरज हमारे साथ ही भोजन करता और दो-तीन घंटोंतक हंसी मजाक चलते रहता. मैं और सारिका अपने पल्लू गिराकर हमारी चूचियोंकी बिजली उसपर गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे. दुसरे ही दिन मैंने नीरज के अगले दिन के लंच के लिए भी डब्बा पैक करके रक्खा और उसे एक अच्छे से प्लास्टिक बैग में रख दिया.
जैसे ही नीरज निकल रहे थे तब मैंने उसके हाथ मैं थैली थमाकर कहा, "नीरज, इसमें आप के कल के लंच का भी इंतज़ाम है. हां, और बैग को जरा ध्यान से देख लेना," कहते हुए मैंने उसे आँख मार दी.
घर जाकर नीरज ने जब थैली खोलकर देखि तो उसे डब्बे के साथ एक और छोटी थैली अंदर मिली. उसके अंदर मैंने अपनी पहनी हुई पैंटी रक्खी थी और साथ में मेरे ब्रा पैंटी में फोटो. मेरा अनुमान हैं की पैंटी में से मेरी चुत की सुगंध लेकर और मेरे फोटो देखकर उसने मेरे नाम से मूठ जरूर मारी होगी.
अगले रात को डब्बे वाली थैली सारिका ने दी और कहा, "नीरज, आज का डब्बा ख़ास रूप से मैंने पैक किया हैं."
नीरज समझ गया की आज छोटी थैली में सारिका की पहनी हुई पैंटी और उसके फोटो होंगे. घर जाकर उसने उसे सूंघ कर सारिका के नाम से मूठ जरूर मारी होगी.
रोज खाली डब्बा वापिस करने के बहाने उसी थैली में वो पैंटी भी वापिस करता और बड़े प्यार से, "थैंक यू!" कहकर आँख मार देता. मैं या सारिका उसे आंखोके इशारे से पूछती और वो उंगलिया दिखाकर बता देता की उसने पिछली रात कितनी बार पैंटी को सूंघकर और लौड़े पर रगड़कर मूठ मारी थी.
जब रात में फोरसम के समय हम इस के बारे में बात करते तब चारो हंस कर एन्जॉय करते. राज और रूपेश हम दोनों बहनोंको नीरज को उत्तेजित करने के लिए बहुत प्रोत्साहन देते थे.
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