RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
वहांसे उठकर जैसे ही वो बाहर आया, राज ने मुझे बाहों में लेकर चूमा और कहा, "डार्लिंग, अपना सपना आज रात को पूरा होने वाला हैं. सारिका को भी मुझसे चुदने तैयार हो गयी है. बधाई हो."
हम दोनों ख़ुशी के मारे जैसे पागल हो गये थे.
सारिका ने रूपेश को दूकान बंद कर जल्दी आने को कह दिया था. हम दोनों बहनोंने मिलकर घर को अच्छा सजा दिया था. सुगंध से भरी मोमबत्तियां जल रही थी और थोड़ा परफ्यूम भी छिड़का था. रूपेश आज सात बजे ही आ गया. शाम को भोजन के साथ खास मेहेंगी वाली लाल वाइन का भी दौर हुआ. मैं और सारिका हलके से मेकअप से बड़ी सुन्दर लग रही थी.
राज ने रूपेश और सारिका से कहा, "लगता है आज गर्मी ज्यादा हैं. आप लोग अंदर हमारे साथ ही सो जाओ, वह काफी ठंडा हैं. ऐसे ठन्डे बैडरूम में गरम होने का मजा ही कुछ और हैं!"
हम चारों हंस दिए. वो दोनों अपना गद्दा लेने लगे तो मैंने कहा, "अरे यार, हमारा डबल बेड काफी बड़ा हैं, हम चारो आराम से सो जायेगे।"
वाइन का असर सभी पर था इसलिए बिना संकोच हम चारो अंदर गए. दोनों कपल आजु बाजू लेट गए, लगभग कुछ इंच का ही फासला था. नीले रंग की धीमी नाईट लैंप में कुछ कुछ तो दिख ही रहा था. जैसे हि राजने मुझे बाहोंमे लिया मेरे होठोंसे आह निकली. उधर रूपेश और सारिका भी चूमा चाटी में लगे हुए थे।. मुझे पता था की आज अगर मैं पीछे हट गए तो हमारी फैंटसी कभी पूरी नहीं होगी. जितना राज सरिकाके लिए बेकरार था शायद मैं उससे भी ज्यादा रूपेश के लिए तड़प रही थी!
राज ने मेरी नाइटी उतार दी और मेरे उभरे हुए मम्मे चूसने लगा (क्यों की रात को ब्रा खोल कर सोने की मेरी आदत थी). अब मैंने भी राज का अंडरवियर खोल दिया और हम सेक्स के तूफ़ान में बहते गए.
उसी बिस्तरपर रूपेश और सारिका नंगे भी अब होकर गुत्थम गुत्था हो रहे थे. अब सारी शर्म हया ख़तम हुई और हम चारो जोर शोरसे अलग अलग प्रकार से चुदाई का आनंद लेने लगे. सारिका का गोरा बदन और उसकी मदमस्त गांड चमक रही थी. रूपेश भी आँखे फाड़ फाड़ कर मेरे नंगे बदन को देखकर सारिका को चोद रहा था.
"ऐसा साथ साथ एक ही बिस्तर पर चुदाई करने में कितना मजा आ रहा हैं न?" राज जानबूझकर ऊंचे स्वर में बोला।
उसके बाद सब के सब बिनधास्त हो कर सेक्सी बाते करने लगे. राज ने सारिका की सुंदरता की जमके तारीफ़ की और रूपेश भी मेरी ताऱीफोंके पूल बाँधने लगा.
राज: "वाह सारिका, क्या गोरी गोरी और मस्त जाँघे हैं तुम्हारी, लगता हैं एकदम मुलायम भी होगी. और तुम्हारे बूब्स भी कितने बड़े और सख्त हैं."
सारिका: "हाँ राज भैया, मुझे ख़ुशी हैं की आपको मेरे बूब्स अच्छे लगे. आपका लंड भी कितना प्यार से दीदी को चोद रहा हैं.. बड़ा मस्त लग रहा हैं। आह आह."
रूपेश: " सुनीता दीदी, आप की गोल गांड बड़ी मस्त लग रही हैं, जब आप घोड़ी बनकर चुदाई करोगी तो कितना मजा आता होगा. और आप के बड़े बड़े मम्मे तो.. एकदम आमों की तरह आह.. चूसने का मन करता हैं."
मैं: "रूपेश, वाह वाह तुम्हारा खड़ा लंड क्या फूर्ति से चुदाई कर रहा हैं. काश यह मेरी चुत में घुसता और मैं फुदक फुदक कर चुदवाती आह. यार, आज से हम लोग ऐसे ही एक ही बिस्तर पर रोज रात को सोयेंगे आह क्या मजा आ रहा हैं!"
अब राज ने उठ कर किसी को पूंछे बिना ही ट्यूबलाइट जला दी. एकदम पूरी रौशनी में चारो नंग धडंग अपने अपने पार्टनर के साथ सेक्स का आनंद लूटने लगे. पहली बार सारिका को पूर्ण रूपसे नग्नावस्था में देखकर राज कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया और मुझे नंगी देखकर रूपेश की आँखें फटी की फटी रह गयी.
मैंने बड़ी बेशर्मी से रूपेश से कहा, "रूपेश, हम लोग तो सिक्सटी नाइन करके एक दुसरे को पहले भरपूर एक्साइट करते हैं और बाद में अलग अलग प्रकार से चुदाई करते हैं."
रूपेश: "राज भाई, सारिका काफी शर्मीली हैं। ये मेरा लंड तो बड़े प्यारसे चूसती हैं मगर अभी तक उसने मेरा वीर्य अपने मुँह में नहीं लिया. और मुझे उसकी चुत चाटने से भी रोकती हैं!"
"ये देखो मैं सुनीता की चुत कैसे चाटता हूँ,", यह कहकर राज ने मेरी गांड के नीचे तकिया रख्खा और मेरी मांसल टाँगे खोल दी. अब रूपेश आँखे फाड़ फाड़कर मेरी बिना बालोंकी साफ़ चुत को देखने लगा.
उसी समय मैंने सारिका से कहा, "सारिका डार्लिंग, मैं तो तेरे जीजू के लौड़े का माल बड़े चाव से पी जाती हूँ. शुरू शुरू में मुझे भी अजीब लगता था, मगर अब तो उसके बगैर हमारा सेक्स पूरा ही नहीं होता!"
जैसे ही राज की जीभ और होंठ मेरी चुत और उसके क्लाइटोरिस को छेड़ने लगे मैं जोर से आहे भरने लगी और मैंने बाजू में लेटी हुई सारिका का हाथ पकड़ लिया।
दोनों बहनोंकी नजरे मिली और मैं हाँफते हुए बोली, "सारिका, तुम भी ऐसे ही चुत चटवाकर देखो बड़ा मजा आता हैं आह आह।.."
रूपेश सारिका के मम्मों को मसल रहा था और मेरे नंगे बदन को वासना भरी नजरोसे देख रहा था.
सारिका अपने पति के लंड को सेहला रही थी और वो भी मदहोश हो जा रही थी. मैंने सोचा की लोहा गरम हैं और हथौड़ा मारने का यही सही समय हैं और राज को आँख मारी.
राज: " रूपेश, आज तुम इस रसीली चुत को चाटकर देखो तुम्हें भी बहुत मजा आएगा!"
इतना कहकर राज मेरे ऊपर से हट गया और फिर रूपेश ने सारिका की आंखोंमे देखा. वो भी जैसे कामरस में डूब गयी थी और उसने रूपेश को मेरी चुत की तरफ हलके से धकेल दिया.
इशारा पाकर रूपेश मेरी टांगो के बीच आ गया और एक ही झटके में वो चूत चाटने लगा. उसी क्षण राज ने भी सारिका को बाहोंमे लिया और उसके होंठ चूमने लगा. राज बारी बारी से उसके वक्ष चूसने और चूमने लगा.
रूपेश ने जैसे ही गर्दन उठाकर राज और सारिका का पोज देखा फिर वो भी बिना कुछ सोचे समझे मेरे ऊपर चढ़ गया.
"सुनीता दीदी, कबसे आप को चोदना चाहता था. आह. कितनी सेक्सी और माल है आप, क्या मम्मे हैं आप के," कहकर रूपेश मेरे कठोर वक्ष चूसने लगा.
फिर मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोला, "दीदी, जब से तुम को देखा था, तभी से मैं तुम्हारा आशिक हो गया था, पर हिम्मत नहीं कर पा रहा था."
मैंने भी उसे चूम कर कहा, "रूपेश, मुझे भी तुम पहली नजर में भा गए थे और कबसे मेरा मन कर गया था तुम्हारे साथ सेक्स करने का. आज जाकर मौका मिला हैं!"
रूपेश जोर जोर से मेरी चूचियाँ मसलने लगा तब मैं बोली, "रूपेश डार्लिंग, इतनी बेताबी मत दिखाओ, मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ, आज पूरी रात मस्ती करेंगे, पहले मुझे तुम्हारा यह कड़क लंड तो चूसने दो."
इतना कहकर रूपेश का खड़ा हुआ तगड़ा लंड मैंने मुह में ले लिया। आह, कितना मजा आ रहा था एक नया लंड मुँह में लेकर.
मैं उसका पूरा लंड मुँह में लेकर धीरे धीरे चूस रही थी और रूपेश मेरे बालों में हाथ फिरा रहा था। मैं कभी पूरा मुँह में ले लेती फिर कभी चूसते चूसते बाहर निकाल देती। उसके लंड का सुपारा मैंने पूरा खोल लिया था और अपनी हथेलियों से भी उसकी गोटिया मसल देती थी। लंडपर एकाद वीर्य की बूँद आयी तो उसे चाटकर मैं बड़े प्यार से रूपेश की आँखों में देख रही थी. वो तो ख़ुशी के सांतवे आसमान में था. मुझे वीर्य चाटते हुए देखकर शायद सारिका भी उसके बारे में सोचने लगी.
अब थोड़ा ऊपर उठकर मैंने उसके लंड को अपने मम्मों के बीच में रख कर अपने हाथों से दोनों मम्मों को दबाया और लंड की मसाज करने लग जिसे अंग्रेजी में टिट फ़किंग कहते हैं. रूपेश को लगा वो तो यहीं मेरे मम्मोंपर ही छूट जायेगा।
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