RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
तभी राज की नज़र बैडरूम के दरवाज़े पर गयी. हॉल की उत्तेजित अवस्था के बाद वो जल्दी जल्दी बैडरूम में घुस आया था और उसने गलती से दरवाजा खुला छोड़ दिया था.
इतनी सुनसान रात में मेरी और राज की जोर जोर से बाते खासकर उनमें सारिका और रूपेश का जिक्र सुनकर सारिका हमारे बैडरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी. ऐसा लग रहा था की उसने मेरी और राज की सारी बातें सुन ली थी. मैं तो नीचे लेटकर राज के लंड से निकलता वीर्य निगल रही थी, इसलिए मुझे तो वो दिखाई नहीं दी. मेरे बदनपर राज चढ़ा हुआ था इसलिए सिर्फ उसे ही सारिका दिखी. जैसे हि उन दोनों की आँखें मिली, सारिका ने शर्माकर अपना चेहरा दोनों हाथोंमे छुपा लिया और हॉल की और भागी.
अगले दिन सुबह जब राज और सारिका की आँखें मिली तो ऐसा लगा की उसकी आंखोंमें भी एक अजीब सा नशा था. राज जैसा नौजवान उससे प्यार करने के लिए तरस रहा हूँ यह उसीके मुँहसे सुनकर शायद सारिका थोड़ा गर्वित भी हो गयी थी.
"लगता हैं किसी के आँखें लाल लाल दिख रही हैं..कोई रात को अच्छे से सोया नहीं," राज ने हंसकर ताना कसते हुए कहा.
"आप भी तो रात को देरतक जाग रहे थे राज भैया, और साथ में मेरी दीदी को भी नींद से जगाया लगता हैं," उसने भी हँसते हुए पलटवार किया.
बेशर्म राज बोल उठा, "अब तो अपना अपना स्टैमिना है रात को देर तक जगने और जगाने में!"
"क्या खिचड़ी पक रही है ज़रा हमें भी बताओ?" रूपेश ने पूंछा.
"अरे कुछ नहीं, ऐसे ही एक दूजे की टांग खींच रहे हैं यह दोनों," मैंने बात को पलटाते हुए कहा.
जबकि मैं जान गयी थी सारिका रात के किस किस्सेके बारे में बोल रही थी. मुझे भी अच्छा लगा की आखिर सारिका ने वह सारी सेक्सी बाते सुन ली और फिर भी बुरा नहीं माना.
जैसे ही रूपेश दूकान के लिए निकल गया, सारिका ने कहा, "ओ दीदी, मेरी कमर में मोच आयी है, जरा मसल दो न प्लीज।"
मैं: "मैं अभी खाना बनाने में व्यस्त हूँ, तेरे जीजा को बैंक जाने में देरी पसंद नहीं हैं. बादमें मसल दूँगी।"
फिर जान बूझ कर मैं राज से बोली, "अरे राज, थोड़ा सारिका की मदद कर दो न, वैसे भी तुम फालतू में अखबार पलट रहे हो."
राज को और क्या चाहिए था, वो बोला, "सारिका, चलो अंदर और बेडपर लेट जाओ मैं मोचको ठीक करनेवाला स्पेशल तेल लेकर आता हूँ."
सारिका बैडरूम में जाकर पेट के बलपर लेट गयी.
जैसे ही राज उसके निकट गया, उसने कहा, "अपनी नाइटी को ऊपर कर लो ताकि कमर को मसल सकूं."
मैं जान बूझ कर बैडरूम के दरवाजे के पास ही खड़ी थी. सारिका उठकर उसने अपनी नाइटी को कंधो और गर्दन पे से उतारकर बाजू में रख दी.
अब वह सिर्फ जामुनी रंग की ब्रा और हलके नीले रंग की पैंटी पहनी हुई थी. राज ने तेल लगाकर उसकी नाजुक कमर को प्यारसे सहलाना शुरू किया.
राज: "सारिका, सॉरी यार रात को मैं थोड़ा ज्यादा ही एक्साइट हो गया था और बहुत कुछ बोल गया. सॉरी मुझे गलत मत समझना।"
"नहीं नहीं राज भैया, अब तो मैं आप को बड़ी अच्छी तरह से समझ गयी हूँ," खिलखिलाते हुए सारिका बोली.
अब राज और मैं भी समझ गयी की कमर में मोच तो सिर्फ अकेलेमें बात करने का एक बहाना था.
"चलो, अब तुम सब सुन चुकी हो, मुझसे भी और तुम्हारी दीदी से भी. हम दोनों भी चुदाई के समय अक्सर ऐसी सेक्सी बातें करते हैं," उसकी कसी हुई पतली कमर मसलते हुए राज ने कहा.
यह सब देखकर और उनकी बातें सुनकर मैं अपने मम्मे खुद दबाने लग गयी थी और पैंटी के उपरसे ही चुत सहलाने लगी.
सारिका: "राज भैया, आप और सुनीता दीदी बहुत ही बिनधास्त और सेक्सी कपल हो. आप दोनोंके साथ रहकर मेरा और रूपेश का भी सेक्स लाइफ कितना अच्छा हो गया है. अब लगभग हर रात चुदाई की रात होती हैं और मुझे लगता हैं रूपेश भी सुनीता दीदी के बारे में सोचकर मुझे चोदता है, बस खुलके बताता नहीं."
राज ने उसकी पैंटी थोड़ी सी और नीचे सरकाकर उसके चूतडोंको हलके से मसलते हुए पूंछा, "और तुम, क्या तुम मेरे बारे में सोचती हो? क्या मैं भी तुम्हें पसंद हूँ?"
"आह, राज भैया अगर आप मुझे इतने अच्छे न लगते तो क्या आप अभी मेरी कमर के नीचे मसलते होते?" उसने भी सवाल के बदले सच्चा सवाल करके राज की बोलती बंद कर दी.
अब राज ने नीचे झुककर उसकी पीठ, कमर और नितम्बोँको चूमना शुरू किया. सारिका के मुँह से आहें निकल रही थी और दरवाजे पर खड़ी मैं अब मेरी पैंटी नीचे कर अपनी चुत सेहला रही थी. इतने में शायद राज को ख़याल आया की इसके आगे जो भी करना हैं वो सुनीता और रूपेश के होते हुए ही करना हैं, उनकी पीठ पीछे नहीं.
लग रहा था की बड़ी मुश्किल से उसने अपने आप को रोका और सारिका से कहा, "मेरी छोटी साली डार्लिंग, आज की रात मेरे साथ तुम और तुम्हारी दीदी के साथ रूपेश. जो वासना की आग लगी हुई हैं उसमें चारों एक साथ जल जाएंगे। बस रूपेश को पहले से मत बताओ, उसके लिए यह एक स्पेशल सरप्राइज रहने दो."
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