RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
उनके पोज एडजस्ट करने के बहाने राज ने कई बार सारिका के बदन को हाथ लगा लिया. सारिका की मांसल जाँघे, गोलाईदार नितम्ब और पुष्ट स्तन देखकर राज बहुत उत्तेजित हो गया और अच्छी सेक्सी पोज देने के बहाने उसके अंगोंको छू लिया.
अब मौका पाकर जान बूझ कर मैं बोली, "राज, कुछ ज्यादा गर्मी हो रही हैं," और मैंने अपना टॉप उतार दिया.
अब मेरे काले रंग की ब्रा में कैसे हुए कठोर वक्ष देखकर रूपेश का लौड़ा और भी कड़क हुआ ऐसा लग रहा था.
"अरे रूपेश, तुम थोड़ा इस तरफ से सारिका को पकड़ो ताकि फोटो और भी अच्छा आएगा," यह कहते हुए मैं जाकर उसका पोज एडजस्ट करती रही और उसे छूने का मजा भी लेती रही.
मेरे ३८ इंच के बड़े बड़े वक्ष सिर्फ ब्रा में देखकर उसका कड़क लंड और भी तन रहा था.
अब तो रूपेश अपनी छोटी से अंडरवियर में उसका खड़ा हुआ लंड छुपाने की कोशिश भी नहीं कर रहा था. उसका वह तगड़ा लौड़ा देख कर तो मेरी चुतसे कामरस की हलकी धरा निकली.
करीब एक घंटे तक मैं रूपेश के और राज सुनीता के अंगोंको छूने का मजा लेते रहे.
जैसे ही फोटोशूट पूरी हुई, सारिका को गोदी में उठाकर रूपेश हमारे बैडरूम में चला गया. दो घंटे तक बैडरूम बंद रहा और जबरदस्त चुदाई के आवाज़े अंदर से आ रही थी. मैं और राज बहार सोफे पर और बेड पर अलग अलग पोजेस में चुदाई कर रहे थे. माहौल एकदम गर्म हो गया था और हम दोनों पति पत्नी पूरी तरह से कामवासना की आग में झुलस रहे थे.
उस रात मुझे घोड़ी बनाकर चोदते हुए राज ने आखिर अपने दिल की बात पूंछ ही डाली, "सुनीता रानी, क्या तुम हमारी अधूरी कहानी पूरी करना चाहोगी?"
मैंने जानबूझ कर नादान बनते हुए पूंछा, "कैसे करेंगे मेरे राजा?"
मेरी गीली चुत में एक और झटका लगाते हुए राज ने बिना हिचकिचाते हुए कह दिया, "नीरज और निकिता की जगह रूपेश और सारिका।"
वैसे गोरा चिट्टा और हैंडसम रूपेश मुझे भी बेहद पसंद था मगर अपने पति से खुद की बेहेन को चुदवाने के बारे में मैं थोड़ी सोच में पड गयी.
मैंने राज से कहा, "ठीक हैं मेरे राजा, मैं सारिका से धीरे धीरे इन डायरेक्टली बात छेड़कर देखती हूँ."
फिर राज भी ख़ुशी ख़ुशी मुझे लम्बे समय तक चोदता रहा और फिर अपने खड़े लौड़े का सारा वीर्य उसने मेरे मुँह में डाल दिया। मुझे वीर्य पीना बड़ा अच्छा लगता हैं और फिर मैं भी तो रूपेश से चुदवाने के ख़याल से काफी नशीली हो गयी थी. उस रात राजने दो बार और मुझे चोदा और दोनों बार हम सारिका और रूपेश का नाम लेकर एक दुसरे को और भी ज्यादा उत्तेजित करते रहे.
गर्मी के मौसम में एक रात को अचानक बिजली चली गयी. हमारे बैडरूम का एयर कंडीशनर और बाहर के रूम का पंखा सब बंद. किसी को भी अब नींद नहीं आ रही थी. हम दोनों भी बाहर आ गए, राज सिर्फ लुंगी में और मैंने सिर्फ घुटने तक की पतली सी स्लीवलेस नाइटी पहनी थी. बाहर आकर देखा तो रूपेश सिर्फ शॉर्ट्स में और सारिका भी पतली से स्लीवलेस नाइटी में थी. कुछ देर बाते करके, हाथ से पंखा करके भी हो गया. अब हॉल की सारी खिड़किया खोल दी और हम दोनों जोड़े जमीन पर सिर्फ चटाई बिछा कर पास पास सो गए.
लेटते ही राज की हरकते चालू हो गयी, और मैंने थोड़ी देर तक उसे रोकने का असफल प्रयास किया। उसके बाद हम दोनों अँधेरे में चालु हो गए, फिर लगा की बाजु की चटाई भर धामधूम हो रही है. अब तो मेरा सब्र का बांध टूट गया और राज भी जोर शोरोसे मेरी चुत में अपना लौड़ा डालकर चोदने लगा. पूरे हॉल में मम्मे चूसने की, लंड पेलने की और चुत चाटने की सेक्सी आवाजे गूँज रही थी.
इस रात के बाद हम चारो एक दुसरे से पूरी तरह खुल गए. अब बिनधास्त एडल्ट जोक्स बोलना, सेक्स के बारे बाते करना और एक दुसरे के पार्टनर को छेड़ना आम हो गया. हम दोनों लड़किया चूचियोंके क्लीवेज और टाँगे दिखाकर दोनों लडकोंको दीवाना करती थी. सारिका के लिए यह सब नया था मगर मैं तो इस खेलको पहले नीरज के साथ खेल चुकी थी. बस निकिता के न मानने से नीरज का लंड नहीं मिला था.
अब ऐसा चलने लगा की दिन में जब सारिका दुकान पर होती तब रूपेश मेरे साथ छेड़छाड़ करता रहता और कभी कभी चूमा चाटी भी करता। शाम को जब रूपेश दुकान पर रहता था तब मेरा सेक्सी पति सारिका के साथ छेड़छाड़ करता था. कभी कभी शामको रूपेश का हाँथ बटाने के बहाने मैं दूकान पर चली जाती ताकि राज को सारिका के साथ और भी ज्यादा छूट मिल जाए.
एक दो बार तो राज ने मेरे और सारिका साथ में बैठ कर वाइन पीते हुए हॉट सेक्सी फिल्म लगाई और बारी बारी हम दोनोंको आलिंगन चुम्बन करते रहता. मैंने देखा था की सारिका अब राज से पूरी तरहसे खुल गयी थी और उसके सामने अपने मम्मोंका और मांसल जांघोंका प्रदर्शन बिनधास्त करती. रात में चुदाई के समय मैं मेरी और रूपेश की दोपहर की हरक़तोंके बारे में बताके राज को और भी ज्यादा उत्तेजित करती और फिर वो भी बड़े प्यारसे मुझे चोदता था.
एक रात को जब राज मेरी गीली चुत और चुत का दाना चाट रहा था तब मैंने उस दिन दोपहर वाला किस्सा बताया.
मैंने कहा, "आह मेरे राजा, आज मैं रूपेश को कोल्ड कॉफी का ग्लास दे रही थी और मस्ती मस्ती में वो उसकी शर्ट पे गिर गया. मैंने तुरंत उसका शर्ट और बनियान उतारकर उसकी बालोंसे भरी छाती को साफ़ किया. पानीसे साफ़ करने के बाद थोड़ी देरतक सहलाया और उसके दोनों निप्पल को भी उँगलियों में लेकर रगड़ा."
"अरे वाह, उसका तो लंड बिलकुल खड़ा हो गया होगा मेरी जान," एकदम सेक्सी आवाज में राज बोल दिया.
मेरी यह सेक्सी बात सुनते हुए उसका खुदका लंड एकदम कड़क हो गया था.
मैं: "हाँ, मैंने उसकी जीन्सपर से महसूस किया. मैं चाहती हूँ की हम चारों और भी खुल जाए और नजदीक आये, ताकि तुम्हे सारिका की गोरी चुत और मुझे रूपेश का गर्म कड़क लौड़ा मिल जाए.. आह ऐसी ही चाटते रहो डार्लिंग"
राज: "मेरे खयाल से, रूपेश तो राजी हो जायेगा। तुम दिनके समय जब सरिकाके साथ होती हो तब उसके सामने मेरी खुलके तारीफ़ करो. ताकि वो भी इस अदलाबदली के खेलमें आ जाए."
मैं: "कर रही हूँ मेरे राजा, पूरी कोशिश कर रही हूँ. मुझे भी तो रूपेश से चुदना है मेरी जान!"
अब इतना सब सुनने के बाद राज से और रहा नहीं गया और उसने घोड़ी बनाकर मुझे जबरदस्त चोद दिया. दस मिनट बाद उसने पूरा वीर्य मेरी योनि में छोड़ दिया.
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