RE: Real Sex Story नौकरी के रंग माँ बेटी के स�...
‘अरे कुछ नहीं हुआ बाबा.. तुम यूँ ही चिंता कर रही हो!’ मैंने स्थिति को सँभालते हुए कहा और अपनी कमर से ऊपर उठ कर बैठ सा गया।
‘चुपचाप लेटे रहिये… अब मैं आपकी कोई बात नहीं सुनूँगी।’ उसने मेरे मुँह को अपनी हथेली से बंद करते हुए मुझे धीरे से धकेल कर फिर से सुला दिया।
अब मैं चुपचाप लेट गया और इंतज़ार करने लगा कि वो जल्दी से जल्दी दवा लगाये और यहाँ से जाए… वरना पता नहीं मैं क्या कर बैठूं…
वंदना ने अपनी उँगलियों में जेल लिया और मेरे छालों पे धीरे धीरे से उँगलियाँ फेरने लगी। उसकी उँगलियों ने जैसे ही मेरे छालों को छुआ, मुझे थोड़ी सी जलन हुई और मैं सिहर गया।
मेरी सिहरन का एहसास वंदना को हुआ और तुरंत अपना एक हाथ मेरे सीने पे रख दिया और सहलाने लगी जैसा कि हम बच्चों को चुप करने के लिए करते हैं… उसकी उँगलियाँ अब मेरे सीने के बालों को सहला रही थी और दूसरी तरफ दूसरे हाथ कि उँगलियाँ मेरे छालों पे जेल लगा रही थी.. उस जेल में कुछ तो था जिसकी वजह से एक अजीब सी ठंढक का एहसास होने लगा, मुझे सच में आराम मिल रहा था।
लेकिन इस तरह से जाँघों और सीने पे एक साथ नाज़ुक नाज़ुक उँगलियों की हरकत ने अब आग में घी का काम करना शुरू कर दिया। हम दोनों बिल्कुल चुप थे और बस लम्बी लम्बी साँसे ले रहे थे।
उसके हाथों की नजाकत ने अपना रंग दिखाया और मेरे शेर ने अब पूरी तरह से अपना सर उठा लिया.. वी कट जॉकी में जब लंड अपने पूरे शवाब में आ जाता है तो आप सबको भी पता है कि क्या हालत होती है.. मेरे लंड ने भी तम्बू बना दिया और रुक रुक कर फुदकने लगा… यूँ फुदकने की वजह से शायद वंदना का ध्यान मेरे लंड पे जरूर चला गया होगा…
इस बात का एहसास तब हुआ जब वंदना का वो हाथ जो मेरे सीने को सहला रहा था उसका दबाव बढ़ने लगा और जो हाथ जाँघों पे था वो अब धीरे धीरे लंड के करीब जाने लगा।
मैं समझ गया कि अगर उसने एक बार भी मेरे लंड को छू लिया या पकड़ लिया तो मैं अभी उसे पटक कर उसके नाज़ुक चूत में अपना विकराल लंड डाल दूंगा और उसे चोदे बिना नहीं छोडूंगा।
उसकी साँसों की गर्मी और रफ़्तार का एहसास मुझे होने लगा था।
मैंने यह सब रोकने का फैसला किया और अपने सीने पे पड़े उसके हाथ को पकड़ कर उसे टूटे फूटे आवाज़ में रोका।
‘अ अ अब रहने दो… वंदना अ अ अब आराम है मुझे… मैं बाद में फिर से लगा लूँगा।’ मैंने कांपते हुई आवाज़ में कहा।
मेरे इतना कहने पर वो मेरी तरफ मुड़ गई और मेरे ऊपर झुक सी गई… धीरे धीरे उसका मुँह मेरे मुँह के पास आने लगा… लेकिन उसका एक हाथ अब भी मेरी जाँघों पर ही था जो अब भी अपना काम कर रहे थे और मेरे जाँघों को सहला कर मुझे पागल बना रहे थे..
तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना मैंने नहीं की थी, उसने बिना कुछ कहे अपने होठों को मेरे होठों पे रख दिया और अपनी आँखें बंद करके एक लम्बा सा चुम्बन करने लगी… उसने मेरे दोनों होठों को अपने होठों में बंद कर लिया चूमने लगी।
मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ… और तभी उसने वो हरकत भी कर दी जिससे मैं डर रहा था.. उसने अपना हाथ मेरे जॉकी के ऊपर से मेरे टन टन कर रहे लंड पे रख दिया और धीरे से दबा दिया।
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