RE: Real Sex Story नौकरी के रंग माँ बेटी के स�...
उनके हाथ अब भी बिना किसी करकट के शिथिल पड़े थे और मैं उन्हें अपने बाहों में मसल रहा था।
उनकी गुन्दाज़ चूचियों को अपने बदन पे साफ़ महसूस कर सकता था मैं जो धीरे धीरे अपना आकार बढ़ा रही थीं।
‘उफ… छोड़िये न समीर बाबू… दूध उबल जायेगा…’ रेणुका ने मुझसे चिपके हुए ही मुझे छोड़ने की मिन्नत की लेकिन वो खुद हटना नहीं चाह रही थी।
मैंने धीरे से उन्हें अपनी बाहों से आजाद किया और उन्हें अपने सामने खड़ा किया ताकि मैं उन्हें ठीक से देख सकूँ।
रेणुका काँप रही थी और उनकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं।
जब मैंने उसे अलग किया तब उन्होंने अचानक अपनी आँखें खोली मानो यूँ अलग होना उन्हें अच्छा नहीं लगा हो।
उन्होंने प्रश्नवाचक अंदाज़ में मेरी आँखों में देखा।
‘आप ठीक कह रही हैं… दूध तो सच में उबल रहा है… इसे तो शांत करना ही होगा…!!’ मैंने अपने हाथ उनकी चूचियों पे रखते हुए कहा।
‘उफ्फ… बड़े वो हैं आप!’ रेणुका ने लजाते हुए कहा और फिर वापस मुझसे लिपट गई।
‘हाय… वो मतलब… जरा हमें भी तो बताइए कि हम कैसे हैं..?’ मैंने उनकी चूचियों को दबाते हुए पूछा।
‘जाइए हम आपसे बात नहीं करते…’ रेणुका ने बड़े ही प्यार से कहा और मेरे सीने पे मुक्के मारने लगी।
ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी बीवी हो और हम अपनी पहली चुदाई करने जा रहे हों…
और वो शरमा कर और प्यार-मनुहार से मुझसे अपनी चूत फड़वाना चाह रही हो।
कसम से दोस्तो… इतनी चूतें मारी हैं आज तक लेकिन इतने प्यार से कभी किसी के साथ चुदाई का मज़ा नहीं आया था।
मैंने थोड़ा झुक कर उनके दो नाज़ुक रसीले होठों को अपने होठों में भर लिया और एक प्रगाढ़ चुम्बन में व्यस्त हो गया।
उन्होंने भी मेरा साथ दिया और बड़े प्यार से मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ फिराते हुए मेरे चुम्बन का जवाब और भी गर्मजोशी से देने लगी।
मैंने धीरे से अपनी जीभ उनके मुख में डालने की कोशिश की लेकिन मेरे मन में यह ख्याल आया कि शायद छोटे शहर की देसी औरत होने की वजह से उन्हें यूँ फ्रेंच चुम्बन करने का तजुर्बा नहीं होगा लेकिन मेरे ख्याल को गलत साबित करते हुए उन्होंने मेरी जीभ को अपने होठों से चूसना शुरू कर दिया और अपनी जीभ मेरी जीभ से मिलाकर वो मज़ा दिया कि बस मज़ा ही आ गया।
चुम्बन के बीच मैंने अपना एक हाथ उनके गाउन के बेल्ट की तरफ किया और बेल्ट को धीरे से ढीला कर दिया।
वो रेशमी कपडा हल्के से झटके से ही पूरा खुल गया और अब उनका गाउन सामने से दो भागों में बंट गया।
मैंने उन्हें अपने बदन से और भी चिपका लिया और इस बार उनके बदन की त्वचा सीधे मेरे बदन से चिपक गई थी।
मैंने भी ऊपर कुछ नहीं पहना था इसलिए सीधे मेरी त्वचा से उनकी त्वचा का संगम हो गया।
रेणुका जी ने अपना बदन मेरे बदन से रगड़ना शुरू कर दिया और मेरे होठों को बिल्कुल खा जाने वाले अंदाज़ में चूसने लगीं।
मुझसे अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, मैंने उन्हें कमर से पकड़ कर उठा लिया और रसोई के स्लैब पर बिठा दिया।
अब स्थिति यह थी कि रेणुका जी थोड़ा ऊपर होकर स्लैब पर बैठ गई थीं… उनके पैर दो तरफ फ़ैल गए थे जिनके बीच में मैं खड़ा था और उनका गाउन दो तरफ लुढ़क चुका था।
कुल मिलकर वो नजारा इतना सेक्सी था कि बस पूछिए मत।
मैंने जरा भी देरी न करते हुए उनकी दोनों खूबसूरत गोलाइयों को अपनी हथेली में भर लिया और मसलने लगा।
‘उम्म्म… म्म्म… समीईईर… उफफ्फ… यह क्या कर दिया आपने… कई सालों के दबे मेरे अरमानों को यह कैसी हवा दे दी… हम्म्म्म… बस ऐसे ही प्यार करते रहो…’ रेणुका जी ने मदहोशी में अपनी गर्दन पीछे की तरफ झुका दी और अपने सीने को और भी उभार दिया।
इस तरह से उनकी चूचियाँ और भी तन गई और मैं उन्हें अब सहलाने के साथ साथ धीरे धीरे दबाने लगा… मेरी पकड़ अब बढ़ने लगी थी और मैंने अब और भी ज्यादा दबाव बढ़ा दिया।
‘उफ्फ्फ… समीर बाबू… जरा धीरे दबाइए… अब तो ये आपके ही हैं…’ रेणुका जी ने दर्द महसूस करते हुए मेरे बालों को अपनी उँगलियों से खींचते हुए कहा।
मेरे बालों के खींचने से मुझे भी यह एहसास हुआ कि शायद मैं कुछ ज्यादा ही जोर से उनकी चूचियों को मसल और दबा रहा था।
लेकिन यह बात तो आप सब जानते हैं और खास कर महिलायें की जब मर्द यूँ बेदर्दी से चूचियों को मसलता और दबाता है तो वो मीठा मीठा दर्द महिलाओं को और भी मदहोश कर देता है।
खैर मैंने अब अपनी गर्दन झुकाई और उनकी बाईं चूची के ऊपर अपने होठों से चुम्बन करने लगा… चूमते चूमते मैंने उनकी चूची के दाने को अपने मुँह में भर लिया।
‘ऊऊऊह… माआआ… उफ्फ्फ समीर बाबू… बस चूस डालिए इन्हें… कई दिनों से इन्हें किसी ने भी इस तरह नहीं चूसा… उफ्फ्फ्फ़!’ रेणुका जी ने एक आह भरी और बड़बड़ाते हुए मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूचियों पे दबा दिया।
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