RE: Hindi Sex Kahaniya छोटी सी जान चूतो का तूफान
छोटी सी जान चूतो का तूफान--34
जैसे ही साहिल सीढीया चढ़ कर दोबारा ऊपेर पहुँचा तो, कालू सामने खड़ा था….साहिल को सामने देख कर कालू का रंग एक दम से ओढ़ गया. वो बिना कुछ बोले नीचे जाने लगा…कालू एक दम से घबरा गया था. जैसे ही वो नीचे उतरने लगा तो, साहिल ने उसे आवाज़ देकर रोक दिया.
साहिल: घर पर कोई नही है ? कहाँ गए सब…
कालू: वो वो गीता बेटी अपनी भाभी के साथ सहर गई है बेटा…
साहिल: और नीलम आंटी…
कालू: वो वो अंदर है स्टोर रूम में…पर तुम कब आए….
कालू ने बात का जायज़ा लेने के लिए पूछा . वो जानना चाहता था कि, कही साहिल को कुछ पता तो नही चला….
साहिल: में तो अभी आया हूँ….चाची ने कुछ समान भेजा है…
उसके बाद कालू बिना कुछ बोले तेज़ी से नीचे उतरा और घर से बाहर निकल गया…पर साहिल कालू के ये बात सुन कर एक दम चोंक गया था. कि अंदर नीलम है यानी की पायल चाची की मा…. उसे यकीन नही हो रहा था कि, कालू अंदर नीलम के फुद्दि चाट रहा था…ये सोचते ही कि, कैसे नीलम अपनी फुद्दि कालू से चटवा रही होगी, उसका लंड उसके पयज़ामे में झटके खाने लगा…
वो काँपते हुए कदमो के साथ स्टोर रूम की तरफ बढ़ने लगा…और जैसे ही वो स्टोर रूम के अंदर पहुँचा, तो उसकी आँखे फटी के फटी रह गई. नीलम के सलवार उसकी जाँघो में अटकी हुई थी…और वो झुक कर अपनी फुद्दि को कपड़े से सॉफ कर रही थी….क्योंकि कि नीलम के पीठ साहिल के तरफ थी…इस लिए उसे पता नही चला कि, उसके पीछे साहिल खड़ा है. वो तो समझ रही थी कि, कालू दारू की बॉटल के लिए खड़ा है…
नीलम: (चूत सॉफ करने के बाद अपनी सावलार का नाडा बाँधते हुए) तुझे एक बार समझ नही आती….मेने कहा ना नीचे जाकर बैठ में आती हूँ…मेरे सर पर खड़ा मत रह….
साहिल: वो में …..
नीलम साहिल के आवाज़ सुन कर एक दम से चोंक गई…..और उसकी तरफ पलटा कर उसे हैरत और खोफ़ज़दा होते हुए देखते हुए बोली….”तुम बेटा तुम कब कब आए”
साहिल: में तो थोड़ी देर पहले आया था….जब कालू यहाँ से बाहर निकल कर नीचे जा रहा था…
साहिल के बात सुनते ही, नीलम के पैरो के तले से ज़मीन खिसक गई.. “क्या कहा कब….” साहिल ने एक बार नीलम के बदन को ऊपेर से नीचे तक देखा….और फिर बोला…” जब कालू नीचे जा रहा था…..
नीलम: हां वो बेटा में और कालू यहाँ की सफाई कर रहे थे….
साहिल: पर डोर बंद करके….
नीलम को एक और बढ़ा झटका लगा….वो समझ गई थी कि, भले ही साहिल ने कुछ देखा ना हो…पर वो सब जान चुका है….
नीलम: वो बात ये है ना बेटा….में झाड़ू लगा रही थी….पर बाहर हवा से मिट्टी उड़ कर बार-2 अंदर आ रही थी…इसीलिए डोर बंद कर दिया था….
साहिल: वो में तो इसीलिए आया था कि चाची से कुछ समान भेजा है….आप ये रखो में चलता हूँ….
नीलम: अर्रे रूको अभी तो आए हो…चलो नीचे चलते है….
उसके बाद दोनो नीचे आ गई….नीलम ने देखा कि, कालू नीचे नही है. शायद वो जा चुका था…उसे समझते देर ना लगी कि, कालू भी डर गया होगा…इसी वजह से वो दारू लेने के लिए भी नही रुका…नीलम का शक अब यकीन में बदलता जा रहा था…वो साहिल को सीधा अपने रूम में ले गई…साहिल से समान लेकर अपनी अलमारी में रखते हुए, वो साहिल के पास जाकर सोफे पर बैठ गई….
नीलम: साहिल वो एक बात पूछूँ….
साहिल: जी…..
नीलम: वो साहिल जब तुम आए थे….तो क्या तुमने सच में स्टोर रूम का डोर बंद देखा था…
साहिल: हां जी….
नीलम: और फिर…
साहिल: फिर क्या जैसे ही में ऊपेर आने को हुआ तो कालू बाहर निकला और चला गया…
नीलम: (सहमी से सोचते हुए) साहिल बेटा मेरी एक बात मानेगा….
साहिल: हां कहिए….
नीलम: देखो बेटा…..किसी को कहना नही कि, में और कालू स्टोर रूम को बंद करके सफाई कर रहे थे….
साहिल: पर क्यों इसमे छुपाने वाली क्या बात है…
साहिल भले ही सब कुछ जानता था…पर नीलम के सामने वो किसी ना समझ बच्चो जैसी बात जान बुझ कर रहा था….
नीलम: वो क्या है ना बेटा मिट्टी हवा के साथ उड़ कर बार-2 अंदर आ रही थी..इसीलिए डोर बंद कर दिया था…पर अगर तुम ये सब किसी को बताओगे तो सब तो उल्टा ही मतलब निकालेंगे….मेरी बड़ी बदनामी हो जानी है… किसी से कहना नही…लोगो ये थोड़ा ही ना कहगे कि, में सफाई कर रही थी…
साहिल: अच्छा नही कहता पर….
साहिल बोलते -2 चुप हो गया…पर उसकी ये चुप्पी नीलम के दिल के धड़कने बढ़ा गई थी…
नीलम: पर पर क्या बेटा…
साहिल: पर आप वो अपनी सलवार क्यों….
साहिल एक बार फिर से चुप हो गया…नीलम को समझते देर ना लगी कि, ये साहिल जितना भोला बनने की कॉसिश कर रहा है….उतना भोला है नही…
नीलम: वो अच्छा वो ना मुझे नीचे बहुत खुजली हो रही थी.. ऐसा लगा रहा था. जैसे किसी चींटी ने काट लिया हो…इसीलिए देख रही थी…
साहिल ने सिर्फ़ हां में गर्दन हिला दी….
नीलम: अच्छा अब ध्यान रखना किसी से कुछ कहना नही समझे बेटे.
साहिल ने फिर से हां में सर हिला दिया…..
नीलम: अच्छा साहिल बेटा मेरा एक काम करेगा…
साहिल: जी कहिए…..
नीलम: बेटा तूने तो कालू का कमरा देखा है ना है जो खेतो में है.
साहिल: हां देखा है…
नीलम: वहाँ जाकर उसे खाना पकड़ा आना..बोल पकड़ा आएगा ना ?
साहिल: हां दे आता हूँ….
नीलम: अच्छा तू रुक में में खाना झोले में डाल देती हूँ…
उसके बाद नीलम वहाँ से खड़ी हुई और किचन में चली गई. थोड़ी बाद जब नीलम वापिस आई, उसके हाथ में एक थेला था….उसने थेले को गाँठ बाँधी हुई थी….नीलम ने थेल्ले को टेबल पर रखा, और साहिल के पास जाकर सोफे पर बैठ गई….इस बार नीलम साहिल के ज़्यादा ही करीब बैठी थी. उसने एक हाथ से साहिल के सर को बालों को सहलाते हुए प्यार से साहिल की ओर देखा, और साहिल के दूसरे तरफ के कंधे को पकड़ते हुए, उसके सर को अपनी चुचियों पर रख लिया….
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