RE: Hindi Sex Kahaniya छोटी सी जान चूतो का तूफान
छोटी सी जान चूतो का तूफान--27
वो बार-2 अपनी मन को समझाती कि साहिल उसका बेटा है…उसे अपने बेटे के बारे में ऐसा नही सोचना चाहिए…पर सेक्स जब आदमी के दिमाग़ में हावी होता है, तो वो अपने किए ग़लत काम को भी सही साबित करने का कोई ना कोई हल ज़रूर ढूढ़ लेता है….यही सब सोचते-2 नेहा की आँख लग गई…
(पर नींद में भी उसे कहाँ चैन था…उसने खवाब में देखा कि, साहिल खेल कर घर लौट आया था…जब वो अपने रूम में आया तो , उसने देखा कि नेहा बेड के बिल्कुल किनारे पर करवट के बल लेटी हुई थी….उसने अपने सर के नीचे दो तकिये लगा रखे थे…जिससे उसका सर कुछ ज़यादा ही ऊपेर उठा हुआ था…साहिल ने अंदर आकर अपनी निक्कर उतारी. तो उसने देखा कि, अभी भी उसका लंड एक दम तना हुआ था….और अंडरवेर में उभार बनाए हुए था….साहिल की नज़र अचानक से बेड पर लेटी हुई नेहा पर पड़ी….जो उस वक़्त नाइटी पहने सो रही थी….
नेहा की नाइटी उसकी जाँघो तक ऊपेर चढ़ि हुई थी…..उसकी गोरे जांघे देख साहिल का लंड फिर से उसके अंडरवेर में झटके खाने लगा…साहिल ने देखा कि नेहा की टाँगे फेली हुई थी…और उसने अपनी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर फोल्ड करके अपने पैरो को नीचे टिका रखा था…साहिल धीरे से जाकर बेड पर बैठ गया…और अपना सर झुका कर नाइटी के अंदर देखने लगा. सामने का नज़ारा देख साहिल का लंड और ज़ोर से झटके खाने लगा…
साहिल ने नेहा की टाँगो के दरमियाँ आते हुए, अपने अंडरवेर में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया….और फिर दोनो टाँगो को फेलाते हुए, ऊपेर उठा दिया….और बिना एक पल देर किए ही, उसने अपने लंड का छोड़ा और गुलाबी सुपडा उसकी चूत के छेद पर लगा दिया….साहिल के लंड के दहकते हुए सुपाडे को महसूस करते ही, नेहा की आँखे खुल गई…..और वो उसे घुसा होने की बजाए, मुस्कुराते हुए अहहें भरने लगी….साहिल ने अपने 4 इंच मोटे और 8 इंच लंबे लंड को धीरे-2 नेहा की चूत में घुसाना शुरू कर दिया..
नेहा एक दम से कसमसा गई….उसने अपनी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर और ऊपेर उठा लिया…और साहिल ने एक ज़ोर दार धक्के से अपना आधे से ज़्यादा लंड नेहा की चूत में घुसा दिया…..थक ठक ठक…..तक तक तक….)
तभी नीहा की नींद बाहर डोर पर हो रही दस्तक को सुन कर टूट गई… वो एक दम से हड़बड़ाते हुए उठी. और मेन गेट पर जाकर गेट खोला. तो सामने पायल खड़ी थी…वंश को गोद में उठाए हुए…..”वो मेरे आँख लग गई थी…(नेहा ने अपनी फूली हुई सांसो को संभालते हुए कहा…और फिर गेट बंद कर अपने रूम में आ गई….पायल अपने रूम में चली गई. रूम में आने के बाद नेहा जैसे ही बेड पर बैठी….तो उसे अपनी सलवार चूत के ऊपेर चिपकी हुई महसूस हुई….
नेहा एक दम से शॉक हो गई…जब उसने नीचे अपनी सलवार पर हाथ लगा कर देखा तो उसके पूरे जिस्म में झटका सा लगा….उसने अपना हाथ हटाया. और अपने चेहरे के सामने लाकर देखने लगी…उसे यकीन नही हो रहा था कि, सलवार के ऊपेर से ही चूत पर हाथ लगाने से उसका हाथ उसकी चूत से निकले कामरस से एक दम भीग गया था….
पहले तो नेहा को लगा शायद उसने सोते हुए बेड पर ही मूत दिया है…. पर जब उसने अपने हाथ को सूँघा तो उसे समझते देर ना लगी कि, ये पेशाब नही बल्कि उसकी चूत से निकाला हुआ उसका कामरस है….जो सपने में साहिल से चुड़वाते वक़्त उसकी चूत से निकल गया…पर वो हैरान थी कि, उसकी चूत से आज तक इतना पानी निकला नही…उसने रूम का डोर लॉक किया, और अपनी सलवार को उतार कर अपनी जाँघो को फेला कर देखने लगी….
उसकी चूत की फांके और आस पास की जांघे भी उसकी चूत के गाढ़े पानी से सनी हुई थी…नेहा को अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था. और हैरानी भी हो रही थी कि, ये सब उस के साथ क्या हो रहा है….क्यों वो अपने बेटे के बारे में ऐसे ग़लत सोच रही है….नही -2 ये पाप है…ऐसा सोचना भी पाप है…उसने अपने सर को झटकते हुए, अपने आप को तसल्ली देने के कॉसिश की….कि, साहिल उसका बेटा है…और अगर साहिल को पता चला कि, उसकी मा उसके बारे में क्या सोचती है, तो साहिल उसके बारे में क्या सोचेगा.
पर मन के किसी कोने में अभी भी साहिल का मुन्सल लंड उसके जेहन में छाया हुआ था….और बार- 2 साहिल के लंड की छवि उसकी आँखो के सामने आ जाती…और वो फिर चुदासी महसूस करने लगती…उसका हाथ खुद बा खुद ही ना चाहते हुए भी उसकी चूत पर पहुँच गया….और वो अपने हाथ से अपनी चूत को मसलने लगी….फिर वो सपना उसके जेहन पर हावी होने लगा…जो उसने अभी थोड़ी देर पहले ही देखा था.. उसे याद करते ही, नेहा का हाथ और तेज़ी से अपनी चूत पर चलने लगा…गरम तो वो पहले से ही बहुत थी….और थोड़ी देर में ही उसकी चूत में पानी की नदी बह निकली. वो झाड़ कर पस्त हो गई…और बेड पर ढेर हो गई…थोड़ी देर बाद जब वासना का भूत उस पर से उतरा.
तो उसे अहसास हुआ कि, अंजाने में ही उससे कितना बड़ा गुनाह हो गया है… वो कभी खुद को कोसती, तो कभी खुद को तसल्ली देती…बार-2 उसके दिमाग़ में साहिल के लंड के छवि उभर जाती….”नेहा तू ये क्या कर रही है.. तू इतनी भी तो गिरी हुई नही है, कि अपने ही बेटे के बारे में ऐसा सोचा….”
“तो क्या हुआ में भी एक औरत हूँ…मेरी भी कुछ ज़रूरते है….”
“ज़रूरते है तो क्या अपने बेटे के बारे में ऐसा सोचना ठीक है”
“पता नही…पर में उसका ख्याल अपने दिमाग़ में से क्यो नही निकाल पा रही.
“कुछ तो शरम कर नेहा…अगर इतनी ही आग लगी है, तो मोहित से फुद्दि मरवा ले ना”
“मोहित वो भी तो मेरे बेटे की उमेर का है..और मेरे बेटे जैसा है….”
“बेटे जैसा है…पर बेटा तो नही है ना…साहिल तो तेरा बेटा है ना”
“हां है दुनिया की नज़र में पर सच्चाई तो ये है कि, हमने उसे गोद लिया है..वो कॉन सा मेरा अपना खून है..”
ऐसे हज़ारो सवाल और उन हज़ारो सवालो के जवाब नेहा के जहन में जदो जहद कर रहे थे…और नेहा किसी नतीजे पर नही पहुँच पा रही थी. आख़िर तंग आकर उसने आपने आप को घर के काम में मसरूफ़ रखने की सोची…और अपने कपड़े बदल कर बाहर आ गई….और घर के कामो में लग गई…
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