RE: Hindi Sex Kahaniya छोटी सी जान चूतो का तूफान
छोटी सी जान चूतो का तूफान--20
जब मोहित नेहा की टाँगों के दरमियान बेहद करीब आ गया….नेहा के दिल की धड़कने तेज हो गई….उसने अपनी आँखो को थोड़ा सा खोल कर देखा, तो मोहित उसकी चूत की तरफ ही देखा रहा था….और अपने हाथ को धीरे-2 नेहा की चूत की ओर बढ़ा रहा था….
नेहा ने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली, मोहित धीरे-2 अपने हाथ को नेहा की चूत के पास ले गया, और अपनी तीन उंगलियो को नेहा की झांतो से भरी चूत की फांको पर लगा दिया……”सीईइ ओह्ह्ह मोहित अहह” नेहा मोहित की उंगलियो को अपनी चूत पर महसूस करते ही सिसक उठी….मोहित कुछ पॅलो के लिए रुका औरकी ओर देखा….नेहा अपनी आँखे बंद किए हुए, अपने होंठो को दांतो से चबा रही थी…
ये सेक्सी नज़ारा देख मोहित का लंड और झटके खाने लगा…उसने अपनी उंगलियो को धीरे-2 नेहा की चूत की फांको पर रगड़ना शुरू कर दिया. अपनी चूत पर नेहा मोहित की उंगलियो की रगड़ महसूस करके एक दम मस्त हो गई…और वो अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर झटके देने लगी…ये देख मोहित का हॉंसला भी बढ़ने लगा…..और वो भी पूरे जोश में आकर अपनी उंगलियो को नेहा की चूत पर रगड़ने लगा….नेहा मस्ती में सिसकारियाँ भरने लगी…”आहह सीईइ मोहित आह सीईईईई उंह क्या क्या कर रहे अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मोहित……
नेहा सिसकते हुए मदहोश होती जा रही थी….वो मोहित का बिल्कुल भी विद्रोह नही कर रही थी….और अब उसने अपनी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठा लिया था…मोहित की उंगलियाँ भी, नेहा की चूत से निकल रहे पानी से सन गई….अब मोहित के बेचैनी बढ़ती जा रही थी…और अब उसे बर्दास्त करना मुस्किल होता जा रहा था….
जोश में आकर उसने अपनी दो उंगलियाँ नेहा की चूत के छेद में घुसा डी. नेहा एक दम से सिसक उठी….”उंह सीईईईईई मोहितत्त हाई….” नेहा का बदन झटके खाने लगा…तभी अचानक बाहर से, कमला की आवाज़ आई, जो अपने घर से दीवार के पास एक टेबल पर चढ़ कर लगा रही थी…
कमला की आवाज़ सुन कर नेहा और मोहित दोनो हड़बड़ा गए….मोहित एक दम से पीछे हट गया…नेहा भी जल्दी से उठ कर बाहर आई, तो वो दीवार के दूसरी तरफ से नेहा को बुला रही थी….सारा मूड खराब कर दिया गस्ति ने. नेहा ने मन ही मन कमला को कोसा, और फिर दीवार के पास बोली. “ क्या बात है क्यों चिल्ला रही है…”
बाहर अभी भी हल्की बारिश हो रही थी….”अर्रे वो में कहने आई थी कि, तुम्हारी ये जलावन की लकड़ियाँ बाहर भीग रही है…इन्हे तो उठा ले…” फिर कमला ने नेहा को आँख मारी, और टेबल से नीचे उतर गई… उसके जाते ही नेहा रूम में आई…मोहित वही चारपाई पर खड़ा था…”मोहित बेटा वो ज़रा बाहर से लकड़ियाँ उठा कर सामने भैंसो वाले कमरे में रख दो..”
मोहित: मा क्या कह रही थी…
नेहा: कुछ नही तू जा लकड़िया रख दे…वैसे भी आज तूने मेरे साथ बहुत कुछ कर लिया….आज के लिए इतना ही काफ़ी है….
मोहित उदास से चेहरा लेकर बाहर चला गया….और बाहर से लकड़ियाँ उठा कर भैंसो वाले कमरे में रखने लगा…उधर नेहा स्टोर रूम में मोहित की हालत पर मंद ही मंद मुस्करा रही थी…पर अब उसकी चूत में खुजली और बढ़ चुकी थी…और उसकी चूत लंड लेने के फुदक रही थी…वो अपनी सलवार के छेद में से अपनी उंगलियाँ डाल कर अपनी चूत पर फेरने लगी…जैसे ही उसने अपनी चूत पर अपनी उंगलियाँ फेरी…
उसकी उंगलिया उसके कामरस से भीग गई…तभी उसे बाहर से मोहित के कदमो की आहट अंदर की ओर आते हुए, महसूस हुई. उसने जलदी से अपनी सलवार से अपनी उंगलियाँ निकाली. और मोहित अंदर आ गया…अंदर आने के बाद वो सर झुका कर खड़ा हो गया..
नेहा एक बार फिर से मोहित के हालत देख कर मंद-2 मुस्कुराने लगी…और फिर उसकी तरफ पीठ करके चारपाई की ओर पलटी….और चारपाई पर बिस्तरो के ऊपेर रखे तकये को मोहित को देते हुए खुद ऊपेर पड़े बिस्तरो को झाड़ने लगी….मोहित अपने एक हाथ वो तकिया पकड़े खड़ा था…और वो मन ही मन अपनी मा को भी कोस रहा था…..
नेहा की चूत में आग अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि, वो लंड लेने के लिए मचल रही थी…..वो एक बार तो मोहित को खुलेआम अपनी चूत दिखा कर, मोका बना चुकी थी….पर दोबारा से पहल करने से शरमा रही थी.. उसके दिल में बार-2 यही आ रहा था कि, कही मोहित उसे घटिया और गिरी हुई औरत ना समझ ले….
पर फिर भी चूत की आग इतनी भाड़क चुकी थी….कि उसका दिल कर रहा था कि, मोहित खुद उसे पकड़ कर चोद दे….ये सोचते हुए, वो बिस्तरॉ पर झुक कर साफाई करने लगी…एक बार फिर से पीछे से उसकी गान्ड ऊपेर होकर बाहर आ गई….नेहा ये सब ऐसे कर रही थी…जैसे वो अंज़ान हो…वो सफाई करते हुए कुछ ज़्यादा ही झुक रही थी….
एक बार फिर से उसकी फटी हुई सलवार से उसकी गान्ड और चूत की फांके नज़र आने लगी….मोहित का बुरा हाल हो गया…और वो अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को मसलने लगा….नेहा ने अपनी तिरछी नज़रो से मोहित की ओर देखा. और फिर मुस्कुराते हुए, बिना उसकी ओर देखे बोली..”लाओ मोहित वो तकिया दे दो….” मोहित तकिया लेकर नेहा के ठीक पीछे आ गया….
औट तकिया को नेहा की तरफ बढ़ा दिया….नेहा ने बिना पीछे पलटे अपना हाथ पीछे लेजाकार तकिये को लेकर चारपाई पर रख दिया…और अपनी गान्ड को पीछे से और बाहर निकाल लिया….नेहा की बड़ी गान्ड देख कर मोहित अब अपना आपा खो बैठा….नेहा मुस्कुराते हुए, जान बुझ कर चद्दर झाड़ने में कुछ ज़्यादा ही टाइम लगा रही थी….
ये सब करते हुए, नेहा का दिल ज़ोर से धक-2 कर रहा था….”ह सीईइ आह मोहित आह यी ईए क्याअ हइई ओई राबा ह अहह” हुआ ये कि, मोहित ने अपना लंड निकाला. जो पहले से ही लोहे की रोड के तरह तना हुआ था….मोहित ने आव देखा ना ताव, और अपने लंड को नेहा की चूत के छेद पर टिकाते हुए, ज़ोर दार झटका मारा…लंड का सुपडा नेहा की चूत के छेद को फेलाता हुआ पूरा अंदर जा घुसा….
जब तक नेहा संभाल पाती, मोहित ने दो तीन बार अपने लंड को नेहा की चूत के अंदर बाहर कर दिया था….नेहा के पूरे बदन करेंट सा दौड़ गया….और वो चारपाई पर लुढ़कते हुए पेट के बल लेट गई…मोहित भी उसके ऊपेर आ गिरा….मोहित का लंड अभी भी उसकी चूत में ही था…
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