RE: Hindi Sex Kahaniya छोटी सी जान चूतो का तूफान
नेहा को इस बात का अंदेशा हो गया था कि, मोहित अब उसकी तरफ ही देख रहा है…ये सोचते ही, उसके होंठो पर मुस्कान फेल गई…उसकी कमीज़ आगे से भी पसीने से गीली होकर उसके मम्मो पर चिपक गई थी. और उसके मम्मे वाइट कमीज़ में सॉफ झलक रहे थे….यहाँ तक कि उसके गोरी-2 चुचियों के काले रंग के बड़े-2 निपल सॉफ दिख रहे थे….नेहा ने अपने दुपट्टे को अपने गाले के साथ सटा रखा था…
जब उसे अहसास हुआ कि, अब मोहित को भी उसका पिछला हिस्सा सॉफ नज़र आ रहा होगा…ये सोचते ही, उसके बदन में अजीब सी सुरसुरी दौड़ गई…उसने पलट कर मोहित की तरफ देखा…जैसे ही दोनो के नज़रे आपस में टकराई….मोहित एक दम से हड़बड़ा गया…और फिर से आगे को देखते हुए, ड्रम्स को सॉफ करने लगा….
मोहित की ये हड़बड़ाहट देख कर नेहा की हँसी छूटने ही वाली थी. पर उसने अपने आप को किसी तरह संभाला…और अपने मन में सोचते हुए बोलने लगी..”बच्चे अभी तो कुछ देखा ही नही तूने अब आगे-2 देख तेरा क्या हाल होता है” ये सोचते हुए, उसने अपने दुपट्टे को अपनी चुचियों पर ठीक किया, और मोहित के पास जाकर बोली….
नेहा: थक गए क्या…?
मोहित: हां नही तो…वो बस गरमी कुछ ज़्यादा है…..(सर झुकाए हुए)
नेहा: हां वो तो है…कमला ने बताया था कि, तुम्हारी तबीयत ठीक नही है…इसीलिए तुम आज स्कूल नही गए….अगर ज़्यादा थकान हो तो रहने दो..
मोहित: नही आंटी में ठीक हूँ…वो बस सुबह थोड़ा तबीयत ठीक नही थी..अब ठीक है….
नेहा: अर्रे देखो तो तुम्हे कितना पसीना आ रहा है…
ये कहते हुए, नेहा ने अपना अगला वार किया….और उसने अपने दुपट्टे को उतारते हुए अपने हाथो में लेकर मोहित के चेहरे को सॉफ करना शुरू कर दिया….”देखो कितना पसीना आया है…लाओ में सॉफ कर देती हूँ…” जैसे ही नेहा ने अपने दुपट्टे को उतारा….मोहित की साँसे उसके हलक में अटक गई. नेहा की 38 साइज़ की चुचियाँ उसके पसीने से भीगी हुई, कमीज़ में सॉफ दिखाई दे रही थी….उसके काले रंग के मोटे-2 निपल जो कि एक दम तने हुए थे…जैसे मोहित को कह रहे हो…हमे अपने मुँह में भर कर चूसो. निचोड़ दो हमे….
और निपल के चारो तरफ डार्क ब्राउन कलर के सर्कल जो कि 3 इंच के गोलाई में फेले हुए थे…उन्हे देख कर तो, मोहित का लंड लोहे के रोड के तरह अकड़ गया…नेहा मोहित के चेहरे पर पसीने पोंछते हुए, उसकी आँखो की तरफ देख रही थी…और अपने मन ही मन मुस्करा रही थी…
नेहा की चुचियों और निपल्स को देख कर मोहित को लग रहा था कि, वो वही पर झाड़ जाएगा….नेहा ने उसके माथे से पसीना सॉफ किया….और फिर उस दुपट्टे को चारपाई पर फेंक दिया…और फिर से अलमारी की तरफ जाकर सफाई करने लगी….मोहित का तो जैसे बुरा हाल हो गया…जैसे ही नेहा ने उसकी तरफ पीठ की, मोहित ने अपने लंड को पेंट के ऊपेर से पकड़ कर मसला. और फिर से काम में लग गया…
थोड़ी देर और काम करने के बाद….मोहित ने फिर से फेस घुमा कर नेहा की तरफ देखा…..इस बार जो मोहित ने देखा…वो उसकी बर्दस्त से बाहर था. नेहा अपने एक हाथ को अलमारी से टिकाए हुए, झुक कर अलमारी के नीचे वाले हिस्से को सॉफ कर रही थी….उसने अपनी कमीज़ के पल्ले को पीछे से उठा कर अपनी सलवार के जबरन में फँसा रखा था….और उसकी सलवार उसकी गान्ड से पसीने की वजह से एक दम चिपकी हुई थी….
नेहा की बड़ी-2 और मोटे गान्ड सॉफ नज़र आ रही थी….नेहा ने इसके अलावा भी और कुछ कर रखा था…मोहित पर बिजली गिराने को….ऐसे झुक कर अलमारी सॉफ करने के कारण उसकी गान्ड पीछे से बाहर की तरफ निकली हुई थी..मोहित का दिल तो कर रहा था..
वो अभी जाकर नेहा की सलवार उतार कर उसकी गान्ड में अपने लंड घुसेड दे….पर उसकी हिम्मत नही हो रही थी… अलमारी सॉफ करते हुए, अचानक से नेहा ने अपनी दोनो टाँगो को थोड़ा सा फेला दिया. फिर मोहित को वो चीज़ नज़र आई. जो नेहा ने पहले से प्लान कर रखी हुई थी….
जिस तरह से नेहा अपनी टाँगो को फैलाया था…उससे उसकी सलवार उसकी गान्ड से खिंच गई….जो उसकी गान्ड और चूत वाली जगह से फटी हुई थी…. अब उस फटी हुई सलवार के छेद से मोहित को जैसे ही, उसके गान्ड की दरार नज़र आई. तो उससे साँस लेना भी मुस्किल हो गया….
लंड अपनी औकात से कुछ ज़्यादा ही फूलने लगा….और फिर उससे नेहा की झांतो से भरी हुई चूत की फांको के बीच की लकीर नज़र आई. पर मोहित उसे देख कर आँहे भरते हुए, अपने लंड को मसल कर रह गया….नेहा झुक कर कनखियो से पीछे ही देख रही थी….और मंद-2 मुस्करा रही थी…ये सब सहन करना अब मोहित के लिए मुस्किल होता जा रहा था….
फिर अचानक से नेहा सीधी हुई, और मोहित की तरफ देखने लगी.. मोहित का हाथ अभी भी उसके पेंट के ऊपेर से उसके लंड पर था…वो अपने ख्यालो में खोया हुआ अपने लंड को मसल रहा था…फिर नेहा ने ऐसे आवज़ की, जैसे वो खांस रही हो….ख्यालो की दुनिया से बाहर आते हुए, मोहित एक दम से घबरा गया….नेहा ने अपने होंठो को दांतो में दबा कर मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा….
नेहा: ये क्या कर रहे थे…. (अपने निचले होंठो को अपने दांतो से दबाते हुए)
मोहित: (एक दम हड़बड़ाते हुए) का क कुछ नही…..
नेहा: अच्छा कुछ नही…फिर अपने हथियार को क्यों दबा रहे थे…सच सच बताओ क्या सोच रहे थे…..
मोहित: (नेहा की बात सुन कर मोहित एक दम से घबरा जाता है….) नही कुछ नही वो बस वो…..
नेहा: वो वो क्या बता ना ?
मोहित: वो मुझे यहाँ पर खुजली हो रही थी….
नेहा: झूठ…
मोहित: जी…
नेहा: अच्छा सिर्फ़ खुजली हो रही थी….
मोहित: जी आंटी में सच कह रहा हूँ….
नेहा: (मोहित के पास आते हुए) अच्छा तो फिर इसे खड़ा क्यों कर रखा है. सच सच बताओ नही तो में कमला को बता दूँगी…..
ये कहते हुए, नेहा ने उसकी पेंट के ऊपेर से उसके लंड पर थपकी लगा डी. और फिर कपड़े को नीचे फेंक चारपाई की तरफ बढ़ी….और फिर मोहित की तरफ घूमते हुए, चारपाई पर पीठ के बल लेट गई…फिर उसने अपनी चारपाई के नीचे लटकती टाँगो को घुटनो से फोल्ड कर ऊपेर उठा कर अपने पैरो को चारपाई के किनारे पर टिका कर अपनी टाँगो को पूरा खोल लिया….
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