RE: Hindi Sex Kahaniya छोटी सी जान चूतो का तूफान
मोहित: आंटी आंटी जी वो वो खुल गया है…
नेहा: हां क्या ! (नेहा जैसे सपनो की दुनिया से वापिस लौटी) अच्छा ठीक है….थॅंक्स बेटा…
मोहित मूड कर वापिस जाने लगा….नेहा अपनी सलवार के जबरन को हाथो से पकड़े खड़ी थी….”रूको मोहित” नेहा ने काँपती आवाज़ में कहा…मोहित ने पलट कर नेहा की तरफ देखा…”जी आंटी जी”
नेहा: मेने सुना है यहाँ पर झाड़ियों में बहुत साँप बिछु है….
मोहित: जी आंटी है….पर वो दरिया के पास यहाँ पर नही…
नेहा: नही मुझे डर लग रहा है…तुम यही रूको में पेशाब कर लेती हूँ…
मोहित: पर यहाँ नही है आंटी …
नेहा: वो देखो झाड़ियों के बीच बिल है….
नेहा ने हाथ से झाड़ियों के बीच इशारा किया….पर वो अपनी आँखो से अपनी चूत के तरफ इशारा कर रही थी….जो कि उसकी सलवार के चिपके होने कारण उसकी झांटें नज़र आ रही थी….मोहित भले ही कम उम्र का था…पर नेहा का इशारा समझ गया…पर कुछ बोल नही पाया….
नेहा: देखो तुम मेरे तरफ ना देखना….पर यही खड़े रहना…में मूत लूँ फिर चले जाना….पता नही कब कोई साँप निकल कर आए.
मोहित बेचारा वही सर झुका कर खड़ा हो गया…नेहा मोहित के हालत पर मंद-2 मुस्करा रही थी…..नेहा मोहित से सिर्फ़ 4 कदम की दूरी पर थी… उसने अपनी सलवार को नीचे किया, और फिर मूतने के लिए बैठ गई…फिर पेशाब करने की तेज आवाज़ मोहित के कान में पढ़ी….जिस प्रेशर से नेहा की फुद्दि से मूत की धार निकल कर ज़मीन पर गिर रही थी….उससे बहुत तेज सीटी की आवाज़ सी आ रही थी….मोहित का लंड उसकी पेंट में मूतने की आवाज़ सुन कर झटके पे झटके खा रहा था….
पर मोहित की हिम्मत नही हो रही थी…उस तरफ देखने की, नेहा बैठे हुए, भी उसकी तरफ देख कर मुस्करा रही थी…फिर मूतने के बाद जैसे ही नेहा खड़ी हुई, तो उसने अपनी चूत की तरफ देखा तो, उसकी चूत की फांको में से उसका कामरस बह कर नीचे लटक रहा था…उसकी चूत का कामरस किसी लिसलिसी चीज़ की तरह एक लंबी सी तार बनाए हुए लटक रहा था….ये देखते ही, नेहा के होंठो पर लंबी मुस्कान फेल गई…
उसने बिना उसे सॉफ किए, अपनी सलवार पहन ली, और फिर नाडा बाँधते हुए, मोहित के पास आई…”चल हो गया” ये कह कर वो मोहित के आगे चलने लगी….”वैसे मोहित बेटा, मुझे तो यहाँ कोई साँप नज़र नही आया….” उसने मोहित की ओर देखते हुए कहा….
मोहित: वो दरअसल आंटी जी वो साँप धूप में कम ही बाहर निकलते है..
नेहा: अच्छा….मोहित तुम्हे तो पेशाब नही करना ना ? अभी कर ले, क्योंकि की अभी तो सारे साँप अपने बिलो में घुसे होंगे….
मोहित: नही आंटी मुझे पेशाब नही आया है….
नेहा: अच्छा चल फिर, मेने सोचा था, शायद तब तक मुझे कोई साँप देखने को मिल जाता…(नेहा ने मोहित के पेंट में बने हुए उभार को देख कर कहा….और फिर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया, और उसके आगे-2 चलने लगी)
मोहित: पर आंटी जी, यहाँ साँप तो शाम के वक़्त ही निकलते है…
फिर नेहा, वही ट्यूबिवेल के पास आ गई. और फिर दोनो ने बाकी के बचे कपड़े धोए….थोड़ी देर वही बैठ कर आराम किया…..एक घंटे में ही सारे कपड़े सूख गए थे….कमला ने नेहा को कहा कि, वो अब अंदर जाकर अपनी पेंटी और ब्रा पहन ले…उसके बाद कमला और मोहित कपड़े उठाने के लिए चली गई….और नेहा ने रूम में जाकर अपनी ब्रा पेंटी पहन कर दोबारा से अपना सूट पहन लिया….
नेहा ने घर आते वक़्त जो-2 हुआ सब कमला को बता दिया…दोनो हँसी मज़ाक करते हुए घर पहुँच गई….
क्रमशः......................................................
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