RE: Hindi Sex Kahaniya छोटी सी जान चूतो का तूफान
नेहा: (चाइ पीते हुए) साहिल स्कूल चला गया ना ?
पायल: हां दीदी अभी थोड़ी देर पहले गया है…आप सूनाओ आपके बाबा कैसे है, सब ठीक है ना….
नेहा: हां सब ठीक है….
पायल: भाभी तुम्हारे बाबा कैसे है….
पूनम: पहले से बेहतर है….कल हॉस्पिटल से डिसचार्ज हुए है…
नीलम: गीता भी स्कूल चली गई होगी ना.
पायल: हां में वो भी गई है…
नीलम: ठीक है जाते हुए उसे बता देंगे, ताकि वो इधर ना चली आए. ये सोच कर कि पता नही मा और भाभी आए है या नही…
नेहा: तो क्या हुआ काकी….ये भी तो उसका ही घर है…
थोड़ी देर सब इधर उधर के बातें करते है, और फिर नीलम अपनी बहू पूनम के साथ घर चली जाती है.रास्ते में स्कूल में रुक कर नीलम गीता को मिलकर बता देती है कि वो सीधा घर आ जाए…
गीता मन ही मन सोचती है, अगर मा और भाभी दो चार दिन और वही रुक जाते तो, कितना अच्छा होता….शायद उसे साहिल के साथ कोई मोका मिल जाता…पर ना तो गीता को मोका मिल पा रहा था…और ना ही पायल को. दोनो के जिस्म में वासना की आग लगी हुई थी..
ख़ासतोर पर पायल के जिस्म में….जबसे वंश पैदा हुआ था…रवि ने पायल की तरफ ध्यान देना कम कर दिया था.दूसरा काम का बोझ इतना था कि, वो रात को देर से घर आता…कई बार भैंसो लेजाने और लाने के लिए पैदल ही भैंसो के साथ कई-2 किमी चलना पड़ता…और जब रवि थका हारा घर आता. खाना खाते ही सो जाता…
पर पायल इस बात को नही समझ रही थी कि, उसका पति कितना मेहनत कर रहा था पैसे के लिए…पायल को तो ऐसा लग रहा था कि, उसका बाहर किसी औरत के साथ चक्कर है..इसलिए रवि उस पर ध्यान नही देता….पायल ने इस बारे मे कभी रवि से बात करने की भी ज़रूरत नही समझी, अब जब कि साहिल में उसे अपनी चूत की आग ठंडी करने का ज़रिया नज़र आ रहा था… उसने भी रवि के बारे में सोचना छोड़ दिया था…
दूसरी तरफ जवानी गीता के बदन पर कहर ढा रही थी….जहाँ से भी वो गुजरती, लोग अपने दिल पर हाथ रख कर ठंडी आहहे भरने लगते…पर गीता अपनी मा और भाई विजय से बहुत डरती थी…और गाओं में तो ऐसी बातें जंगल की आग की तरह फैलती है….ये जानते हुए आज तक गीता ने किसी की तरफ आँखे उठा कर नही देखा था…
पर साहिल उसे अपनी अंदर की आग को शांत करने का सबसे आसान रास्ता लगता था….क्योंकि वो बेरोक टोक उनके घर आ जा सकता था….और छोटे होने के कारण उसकी मा भी गीता या साहिल पर शक नही कर सकती थी….इसीलिए वो साहिल के पीछे पड़ चुकी थी….
और साहिल तो जैसे सपनो की दुनाया में पहुच गया था..हर तरफ ऐश ही ऐश थी उसकी, सुबह स्कूल जाते वक़्त उसकी मा तो पैसे देती ही थी, पर साथ में चाची भी अब खुल कर साहिल पर मेहरबान थी….ऊपेर स्कूल में भी गीता भी कुछ ना कुछ साहिल को खाने के लिए देती रहती…
दोपहर को पायल और नेहा ने मिल कर खाना बनाया….और फिर कुलवंत सिंग अपने भाई रवि के साथ दोपहर को घर पहुँच गया…दोनो बेहद थके हुए थे….
कुलवंत सिंग: रवि तुम खाना खा कर आराम कर लो, आज शाम फिर से मंडी जाना है. में भी भैंसो को चारा डाल कर आराम कर लेता हूँ…
रवि: नही भाई आप आराम कीजिए….आप ने दो दिन से सही से आराम नही किया. में भैंसो को चारा डाल देता हूँ…..
खाना खाने के बाद रवि भैंसो को चारा डाल कर अपने रूम में आ गया.पायल वंश के साथ लेटी हुई थी….रवि प्यार से वंश पर हाथ फेरने लगा….”आराम से अभी सोया है.कच्ची नींद में होगा”
रवि: यार थकान से जान निकली जा रही है…
पायल: (मूह बनाते हुए) तो फिर ऐसा काम करते ही क्यों हो…कोई और काम कर लो…
रवि: पागल हो क्या….पता है कल कितना मुनाफ़ा हुआ है…
पायल: (खुस होते हुए) कितना जानू..
रवि: (हंसते हुए) अच्छा पैसो का नाम आते ही, जनाब के मिज़ाज बदल गये..
पायल: जी बताओ ना…
रवि: कल हमारी 8 भैंसे बिक गई….हर भैंस से 5000 -2 मुनाफ़ा हुआ है. कुल मिला कर 40000 का मुनाफ़ा हुआ है….
फिर रवि अपनी जेब से 15000 रुपये निकाल कर पायल को देता है, और कहता है..
रवि: ये लो मुनाफ़े के 15 हज़ार.
पायल: और बाकी के 5 हज़ार…
रवि: वो मेरे पास है.मॅंडी में कभी भी ज़रूरत पड़ जाती है…
पायल: अच्छा ठीक है….
रवि: आज 10 भैंसे और खरीदी है…बस उनके अच्छे पैसे मिल जाए तो इस मंडी से बल्ले बल्ले हो जाएगे….
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