Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
04-07-2019, 12:23 PM,
#42
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
ललिता उसके लंड पर हाथ रख कर सहलाती हुई बोलती है।
ललिता- सही कहा आपने, ये चूत की खुजली होती ही ऐसी है कि आदमी से क्या से क्या करवा देती है।
शरद- अरे यार मैं अपने दिमाग़ की बात कर रहा हूँ तू चूत की खुजली को लेके बैठी है।
ललिता- आप समझे नहीं मैं आपको वो ही बता रही हूँ आप बात को समझे नहीं…!
शरद- अरे साली ये लौड़े को छेड़ना बन्द कर अभी खड़ा हो जाएगा तो बात बीच में अधूरी रह जाएगी।
ललिता- ओके बाबा नहीं हाथ लगाती, आप धरम अन्ना की बात सुनो कि कैसे वो मुझसे डरता है।
शरद- ओके… बता तू।
ललिता- शरद जी मैं आपको शुरू से बताती हूँ हमारा फ्रेंड-ग्रुप है जिसमें मेरे खास फ्रेंड का आपको नाम बताती हूँ। सबसे बेस्ट फ्रेंड टीना उम्र 18.. उसके
विसल, स्वाती, रागिनी, राजू, आशा, और मैं… हम सब अच्छे घरों से हैं और थोड़े बिगड़े हुए भी… हमको बाहर वाइन, सिगरेट इन सब की लत लग गई, तो हम अक्सर पार्टी करते हैं और खूब एन्जॉय करते हैं। सेक्स के बारे मैं हमने कभी सोचा नहीं, हाँ कई बार स्वीमिंग के समय सब लड़कियां ब्रा-पैन्टी में और लड़के चड्डी में होते, तो सेक्सी कमेंट्स पास कर देते थे। राजू कभी-कभी हम लड़कियों के मम्मों को टच करता था, बस इससे ज़्यादा कुछ नहीं…!
शरद- गुड ये तो तुम सब दोस्तों की बात हुई धरम अन्ना का रोल बताओ इस कहानी में।
ललिता- आप सुनो तो, हम सब किसी ऐसी जगह पार्टी करते हैं जहाँ कोई ना हो, इसलिए कभी किसी दोस्त के यहाँ तो कभी किसी के यहाँ..! ऐसे ही एक शाम हम
सब टीना के फार्म पर गए पार्टी करने। हम लोगों ने एक-एक राउंड बाहर का लगा कर स्वीमिंग करने का सोचा और सब एक साथ वहाँ नहाने चले गए।
उस दिन राजू और अशोक नहीं आए थे। बस हम लड़कियां ही थीं। सो हम हंसी-मजाक में लग गए। इसी बीच आशा ने मेरी ब्रा निकाल दी मैं उसको मारने उसके पीछे भागी। तभी दो आदमी मेन-गेट से अन्दर आ गए। जिनमें एक धरम अन्ना था। दोस्तों ऐसे ललिता के मुँह से सुनकर मज़ा नहीं आ रहा हो, तो चलो हम उस दिन
क्या हुआ वहीं चलते हैं तो ज़्यादा मज़ा आएगा।
धरम अन्ना और उसका दोस्त अन्दर आ जाते हैं। उनकी नज़र आशा और ललिता पर जाती है। ललिता का गोरा बदन पानी से भीगा हुआ देख कर दोनों के लौड़े तन जाते
हैं और ऊपर से ललिता सिर्फ़ पैन्टी मेंथी उसके बड़े-बड़े मम्मे उनका ईमान खराब करने के लिए काफ़ी थे। उनको देखते ही ललिता ज़ोर से चिल्ला कर वहाँ से भाग जाती है। आशा भी उसके पीछे-पीछे भाग जाती है।
टीना- अरे क्या हुआ ऐसे चिल्ला कर क्यों भागी तुम दोनों…!
आशा- वो वो वहाँ कोई दो आदमी आ रहे हैं..!
टीना- ओह माय गॉड शायद पापा होंगे चलो सब जल्दी से अन्दर.. कपड़े पहनो नहीं तो आज खैर नहीं हमारी…!
सब भाग कर अन्दर चली जाती हैं। धरम अन्ना को दूर से सब दिख जाती हैं।
धरम अन्ना- अईयो नीलेश… ये क्या जी ये सब छोकरी पागल होना जी.. कैसे आधा नंगा होकर नहाना जी..!
नीलेश- बच्चियां हैं धरम अन्ना भाई, इनको क्या पता हम आ जाएँगे, चलो अब अन्दर सबने कपड़े पहन लिए होंगे…!
शरद- चुप क्यों हो गई आगे बोलो क्या हुआ।
ललिता- हा हा हा आपके लौड़े को देख रही हूँ बात सुन कर कैसे अकड़ रहा है। कहो तो पहले ठंडा कर दूँ, उसके बाद बता दूँगी आगे की बात…!
शरद- नहीं, इसको आदत है ऐसी बातों से कड़क होने की… तू पूरी बात बता…!
ललिता- ओके बाबा बताती हूँ, हम सब वहाँ से सीधे रूम में चले गए। मैं आपको बता दूँ, वैसे तो ये अपने मुँह अपनी तारीफ होगी, मगर हमारे ग्रुप में सबसे सुंदर मैं ही हूँ और हॉट एंड सेक्सी भी पार्टी के समय हमारा ड्रेस कोड होता है। कभी क्या कभी क्या… उस दिन सबने येल्लो टॉप और पिंक स्कर्ट पहना था। बस मैं सबसे हटके थी, तो मैंने ऊपर से ब्लू-जैकेट भी डाला हुआ था।
शरद- हम्म ये बात तो पक्की है कि तुम हो बड़ी झक्कास आइटम… उसके बाद क्या हुआ…?
ललिता- ओके, अब बीच में मत बोलना, बस सुनते रहो…!
ललिता बताना शुरू करती है कि आगे क्या हुआ तो चलो दोस्तों हम भी सीधे वहीं चलते है।
धरम अन्ना- टीना कहाँ हो, बाहर आओ बेबी…!
टीना और सब डरते-डरते रूम के बाहर आए, उनसे एक गलती हो गई थी। वाइन और बियर जिस कार्टून में थीं, वो बाहर हॉल में ही रखा हुआ था और शायद धरम अन्ना और उसके दोस्त ने सब देख लिया था।
टीना- जी अप्पा, आप कैसे आ गए यहाँ…!
धरम अन्ना- हमको पता चला तुम अपनी फ्रेंड के साथ इधर होना, गणेश ने फ़ोन पर बताया कि सब नौकर को तुम छुट्टी दिया इसलिए हम देखने आया कि तुम इधर क्या करता?
टीना- सॉरी अप्पा, हम बस स्वीमिंग कर रहे थे…!
धरम अन्ना- ये कोई तरीका होना..! सब लड़कियाँ अकेली हो, नौकर तो रखना चाहिए ना.. तुम लोगों का सेफ्टी के लिए…!
नीलेश- अरे जाने दो, धरम अन्ना बच्चे हैं मस्ती मजाक कर रहे हैं चलो हमारा यहाँ क्या काम..!
नीलेश बोलते समय बस ललिता को घूर रहा था। हालाँकि ललिता ने कपड़े पहने थे, मगर उसे अब भी उसके मम्मों नंगे ही दिख रहे थे। उसकी पैन्ट का उभार साफ बता रहा था कि उसके मन में क्या है।
ललिता- हाँ अंकल सॉरी हमें ऐसे नहीं करना चाहिए था।
ललिता के बोलते ही नीलेश जल्दी से आगे बढ़ा और उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रख दिया।
नीलेश- अरे नहीं तुम लोग डरो मत, एन्जॉय करो… हम जाते हैं बस ये बताओ कब तक यहाँ रुकोगे…!
टीना- वो हम सोच रहे थे, आज रात यहीं रहेंगे सुबह चले जाएँगे।
धरम अन्ना- ओह बेबी, तुम सब बहुत छोटा होना जी कोई सेफ्टी नहीं.. इधर पार्टी के बाद सब घर जाओ, यहाँ ठीक नहीं बाबा…!
नीलेश- अरे धरम अन्ना जी आप भी ऐसे ही डरते हो.. घर में कैसा डर… चलो यहाँ से, इनको मज़ा करने दो… ओके बच्चों कोई बात नहीं मज़े करो सब.. चलो धरम अन्ना हम भी चलते हैं।
दोस्तों नीलेश बात के दौरान अपना हाथ ललिता के कंधे से नीचे ले आया था। उसकी ऊँगलियाँ मम्मों को टच कर रही थीं। जाते-जाते भी उसने मम्मों को
हल्का सा दबा दिया।
शरद- साला हरामी.. तुमने कुछ कहा नहीं, उसको जब उसने तेरे मम्मों को टच किया?
ललिता- ओहो शरद जी उस समय मैंने इतना ध्यान नहीं दिया और इतनी तो पागल मैं भी नहीं हूँ समझ तो सब आ रहा था मुझे, पर उसने मुझे
बिना ब्रा के देखा था। मेरी उससे नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी और वैसे भी वो वहाँ से जल्दी चले गए थे।
शरद का लौड़ा झटके खाने लगा था। उसको कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था।
ललिता- हा हा हा आप क्यों परेशान हो रहे हो, मेरी बातें आपको सेक्सी लग रही हैं क्या? देखो तो कैसे लौड़ा झटके मार रहा है…!
शरद- हाँ साली एक तो नंगी इसके सामने बैठी है और ऊपर से ऐसी बातें मेरी उत्तेजना बढ़ा रही है, चल घोड़ी बन जा पहले इसको ठंडा करता हूँ, बाद में तेरी कहानी सुनूँगा।
ललिता- बन जाऊँगी मेरे शरद… पहले मुझे इसको चूसने तो दो… कैसी बूँदें झलक रही हैं… इसका स्वाद तो लेने दो…!
शरद- लेले साली तेरा ही तो है… आजा चूस.. नीचे बैठ जा मैं ऐसे ही बेड पर बैठा रहूँगा…!
ललिता झट से शरद के पैरों के पास बैठ कर लौड़े पर जीभ घुमाने लगती है।
शरद- उफ्फ साली क्या गर्म होंठ है तेरे… मज़ा आ गया, पता नहीं तेरे बाप ने क्या खाकर तेरी माँ को चोदा होगा, जो ऐसी हॉट आइटम पैदा हुई…!
ललिता कुछ ना बोली बस आँखों से इशारा कर दिया, जैसे उसको हँसी आ रही हो और वो लौड़े को चूसने लगी।
शरद- आ..हह.. चूस साली उफ्फ चूस इतने सालों में कभी इस लौड़े ने इतने मज़े नहीं किए, जितने इन कुछ दिनों में कर लिए कककक आ काट मत रंडी…
आराम से पूरा मुँह में ले.. उफ्फ हाँ ऐसे उफ्फ होंठों को टाइट करके अन्दर-बाहर कर… मज़ा आ रहा है आ..हह.. उफ़फ्फ़ ऐसा लग रहा है जैसे चूत चोद रहा हूँ
उफ्फ…!
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RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास - by sexstories - 04-07-2019, 12:23 PM

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