RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद कुछ सोचता है और उस रूम की तरफ जाने लगता है, जहाँ धरम अन्ना और रचना थे।
उधर धरम अन्ना फिर से रचना की गाण्ड को सहलाने लगता है।
रचना- क्या बात है धरम अन्ना, क्या इरादा है तुम्हारा?
धरम अन्ना- बेबी बस ये गाण्ड और मारने दो, उसके बाद मैं खुद शरद को समझाएगा जी…!
रचना- मार लो अब मना करूँगी तो मानोगे थोड़े ही तुम हरामी जो ठहरे…!
धरम अन्ना- ही ही ही तुम बहुत नॉटी होना जी.. आ..हह.. जाओ पहले मेरे नाग को तैयार करो जी।
रचना धरम अन्ना के लौड़े पर हाथ रख देती है, तभी डोर पर नॉक होती है।
धरम अन्ना- क्या हुआ जी?
शरद- डोर खोलो जल्दी से…!
धरम अन्ना मूड ऑफ करके डोर खोल देता है।
शरद- तुमने ठीक से बताया नहीं कि अमर कहाँ है, ठिकाने लगा दिया का मतलब कहीं तुमने उसको मार तो नहीं दिया न..!
धरम अन्ना- ना जी हम धरम अन्ना स्वामी किसी को मारना नहीं जी उसको पेपर साइन के लिए दिए साला होशियार निकला पेपर रीड कर लिया जी कुत्ता भड़क गया कि ब्लू-फिल्म के लिए उसको और उसकी बहन को कास्ट किया गया है। बस उसको कंट्रोल करने के लिए मेरा आदमी लोग बन्द करके रखना जी… वो इधर बाहर ही गाडी में पड़ा है।
शरद- क्या यार धरम अन्ना पागल हो क्या.. पहले क्यों नहीं बताया मैं समझा तुम्हारे कहने का मतलब है कि उसको किसी काम में बिज़ी कर आए हो।
धरम अन्ना- सॉरी जी..!
शरद- अशोक जाओ तुम उसको लेके आओ और जहाँ सब हैं वहीं उसको ले जाओ, साथ में आदमी लेके जाना, कहीं भाग ना जाए कुत्ता…!
अशोक- हाँ जाता हूँ सचिन आओ तुम साथ चलो।
दोनों वहाँ से चले जाते हैं।
शरद- अच्छा ये बताओ ये ललिता को जानते हो तुम?
धरम अन्ना- न..नहीं तो, क्यों कुछ कहा क्या इसने..!
शरद- कहा तो नहीं, मगर इसको तुमसे बात करनी है इसलिए पूछा…!
धरम अन्ना- क..क्या बात करनी है?
ललिता- चलो मेरे साथ रूम में बताती हूँ क्या बात करनी है…!
रचना तब तक बाहर आ चुकी थी और शरद को घूर रही थी।
शरद- ऐसे क्या देख रही है साली, भागना चाहती है क्या.. जा भाग जा मैं कल तेरी फिल्म रिलीज कर दूँगा।
रचना कुछ ना बोली और बस उसी हालत में शरद को देखती रही। दोस्तों इनको छोड़ो, ललिता और धरम अन्ना की बात सुनते हैं आख़िर माजरा क्या है?
ऐसी क्या बात है जो धरम अन्ना जैसा खिलाड़ी तुतला रहा है। धरम अन्ना रूम में जाते ही डोर लॉक कर देता है।
धरम अन्ना- बेबी सॉरी जी हम जानता नहीं था, रचना तुम्हारी बहन होना जी।
ललिता एकदम गुस्से में आँखें लाल कर लेती है।
ललिता- पहले पता नहीं था, पर आज तो पता चल गया था ना उसके बाद भी तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई… मेरी दीदी को हाथ लगने की… हाँ…!
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