RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
दोनों सीधी अपनी टाँगें खोल कर लेट जाती हैं।
रचना- आ आ…हह.. जाओ शरद जी मेरी चूत आपका इन्तजार कर रही है।
ललिता- ससस्स भाई जल्दी आ…हह.. आ जाओ आपका लौड़ा मुझे चूसना है… आ…हह.. बहुत मन हो रहा है।
शरद- आ रहा हूँ साली कुतिया… आज तुझे कुतिया बनाकर ही चोदूँगा मैं और साली छिनाल तेरा मन नहीं भरा मेरा लवड़ा चूस कर जो इस हरामी भाई को बुला रही है।
अमर- आ रहा हूँ मेरी बहना, अब ये लौड़ा तेरा हो गया, जब चाहो मुँह में ले लेना।
दोनों बेड पर चढ़ गए और उनकी चूतों पर बियर डाल कर चूसने लगे।
शरद अपनी जीभ से रचना की चूत को चाट रहा था, वहीं अमर ने तो ललिता के मम्मों से लेकर चूत तक बियर डाल दी थी और बड़े ही बेसबरे अंदाज में चूस रहा था।
रचना- आ आ…हह.. उई शरद जी आ…हह.. आप कितना अच्छा आ…हह.. चूसते हो आ…हह.. उफ्फ…!
शरद- क्यों साली राण्ड अभी तो चुसवा और चुदवा कर आई है अपने भाई से… वो अच्छा नहीं चूसता क्या…!
ललिता- अई उफ्फ भाई अई आप तो बड़े बेसबरे अई उई हो.. क्या चूत को खा जाओगे.. क्या.. पहले ही बहुत दर्द है आ…हह.. उफ्फ सी ससस्स आ…!
अमर- चुप साली एक ने तो अपने यार से सील तुड़वा ली और अभी तूने अपने यार से सील तुड़वा ली… उस समय तेरे को दर्द नहीं हुआ, जो अब उई उई कर रही है आ…हह.. उफ़फ्फ़ क्या रस आ रहा है तेरी चूत से आ…हह…..!
दस मिनट तक दोनों ने चूतों को इतनी ज़बरदस्त चूसा कि उनका पानी निकल गया, पर उनका सेक्स भी चरम सीमा पर आ गया। अब उनकी चूत लौड़े लेकर ही शान्त होने वाली थी। तो दोनों ने उनको हटाया और उनके लौड़े झट से मुँह में ले लिए।
अमर- आह उफ्फ ललिता आ…हह.. मज़ा आ गया.. तुम भी बहुत अच्छा चूस रही हो आ…हह.. रचना ने तो आ…हह.. कमाल किया ही आ…हह.. तुम भी आ…हह.. कम नहीं हो आ…हह…..!
शरद- उफ्फ रचना आ…हह.. सुना तुमने.. तेरा भाई क्या बोल रहा है.. उफ्फ दाँत मत लगाओ न.. जान साले ऐसी एटम-बम्ब बहनें हैं तेरी.. तो ऐसे ही मज़ा देगी न…!
अमर- आ…हह.. उफ़फ्फ़ ऐसी बहनें आ…हह.. नसीब वालों को मिलती हैं आ आ…हह.. काश ऐसी दस बहनें होतीं तो मज़ा आ जाता।
अमर की बात सुनकर रचना से रहा नहीं गया और लौड़ा मुँह से निकाल कर कहती है।
रचना- भाई हम दो ही आप पर भारी पड़ जाएंगी, दस का क्या अचार डालना है, होता तो कुछ है नहीं आपसे… ये तो शरद जी ने आपको इस लायक बना दिया कि आज आप हमें चोद रहे हो, नहीं तो बस खेल-खेल में ही मज़ा लेते, अगर आप में हिम्मत होती तो आज दोनों की सील आप ही तोड़ते… समझे…!
शरद- अरे जान गुस्सा क्यों होती हो, इसने तो ऐसे ही बोल दिया था, आ…हह.. हरामी अब चुपचाप ललिता के मज़े ले, मेरी रानी को गुस्सा मत दिला।
अमर- सॉरी बहना.. आ…हह.. ललिता अब बस भी कर आ चल, अब तेरी चूत का स्वाद चखने दे, मेरे लौड़े को।
ललिता को लेटा कर अमर अपना लौड़ा चूत पर टिका देता है, वो भी एकदम गर्म थी एक ही झटके में अमर पूरा लौड़ा चूत में घुसा देता है।
ललिता- एयाया आआआ… मर गई उ..मा एयाया भाई आआ…हह.. एक साथ ही पूरा अई डाल दिया उफ़फ्फ़ ककककक…!
अमर- आ…हह.. मज़ा आ गया, ललिता शरद के बम्बू से चुदने क बाद भी तेरी चूत कितनी टाइट है आ…हह.. मज़ा गया।
ललिता- आह..प्प पागल हो आप आ…हह.. मेरी दर्द से जान निकल रही है आआ..आपको अई आ..आ…हह.. मज़े की पड़ी है।
अमर- चुप कर साली कुतिया, अभी मूसल जैसा लौड़ा चूत में घुसवाई है। फिर भी नाटक कर रही है… उहह उहह ये ले आ…हह.. उहह उहह ले ले…!
दरअसल अमर रचना के गुस्सा हो जाने से नाराज़ था और गुस्सा ललिता पर निकाल रहा था।
ललिता- आआ आआ आ…हह.. भाई आ…हह.. आराम से आ…हह.. मानती हूँ शरद का लौड़ा अई आ…हह.. बड़ा है अई अई पर चूत सूजी हुई है अई आह…!
शरद- उफ्फ बस भी करो जान, अब घोड़ी बन जाओ आज घोड़ी बना कर चोदूँगा। देख अमर कैसे मज़ा ले रहा है, चल बन जा जल्दी से…!
अमर- आ आ…हह.. उहह उहह चूत सूजी हुई है, तो आ…हह.. मैं क्या करूँ आ…हह.. मुझे तो मज़ा आ रहा है… ललिता क्या टाइट चूत है आ…हह.. रचना ने तो चुदवा चुदवा कर ढीली करवा ली, पर आ…हह.. तेरी बहुत टाइट है आह…!
अब इतने झटकों के बाद ललिता का दर्द कम हो गया था, वो भी मस्ती में आ गई थी और अब अमर का साथ देने लगी।
शरद ने लौड़े को रचना की चूत में डाल कर उसकी गाण्ड पर गौर किया।
शरद- जान क्या बात है, इस हरामी ने तेरी गाण्ड भी मार ली.. क्या..! होल खुला हुआ है…!
अमर- उह ओह आ…हह.. हाँ यार सील तो नहीं मिली तो आ…हह.. गाण्ड का ही मुहूरत कर दिया.. उहह आ…हह….!
शरद- अच्छा किया तूने, रचना की गाण्ड बहुत मस्त है, मेरा बहुत मन था मारने का आज सोचा मारूँगा, पर तूने पहले ही इसको खोल दिया। कोई बात नहीं, अब मुझे ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, आ…हह.. अभी तो चूत से काम चलाता हूँ आ आ…हह.. ललिता की चूत बहुत टाइट थी यार, अब इसकी गाण्ड मारूँगा तो लौड़ा दर्द करने लगेगा, आ…हह.. चूत से ही आ आ…हह.. काम चलाता हूँ।
रचना- आ आ…हह.. उफ्फ कितनी बार भी अई आ…हह.. मरवा लूँ आ…हह.. मगर तुम्हारा लौड़ा घुसते ही आ आ…हह.. जान निकल जाती है, आ…हह.. उफ्फ उह…
शरद- आ…हह.. ले उफ्फ साली आ…हह.. दोनों की दोनों आ जलवा हो आ…हह.. ले।
दोस्तों 35 मिनट तक ये धाकड़ चुदाई चलती रही, रूम में आ…हह.. आह एयाया
उईईई उफफफ्फ़ सस्स्सस्स ककककक पूछ पूछ आह पूछ ठाप ठाप ठाप फक मी आ फक मी आ उफ़फ्फ़ बस ऐसी आवाजें आती रहीं और चारों झड़ गए व बेड पर ही ढेर हो गए।
दोस्तों एक तो शराब और बियर की वजह से और दूसरी चुदाई की थकान ने चारों को जल्दी ही नींद के आगोश में ले लिया।
रात के 2 बजे थे, ये चारों मस्त नींद में थे, तभी रूम का डोर खुलता है, अशोक और सचिन अन्दर आते हैं और रचना के पास आकर खड़े हो जाते हैं। रचना नंगी सोई थी, उसके मम्मों को और चूत देख कर अशोक आपने लौड़े को पैन्ट के ऊपर से दबा रहा था।
सचिन ने अशोक को आँखों से इशारा किया और दोनों ने रचना को हाथ-पांव पकड़ कर उठा लिया और वहाँ से बाहर ले गए।
सचिन- ये लो अशोक लगा लो घूँट और चोद दो साली को यही है वो मस्त रंडी, जिसके कारण हमारे लौड़े तन्ना रहे हैं।
सचिन ने एक बोतल अशोक के हाथ में दे दी और मुस्कुराने लगा।
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