RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
फिर क्या था वो दोनों भी नंगे होकर बेड पर आ गए। रचना सीधे शरद के पास जाकर लेट गई और अमर ललिता के पास लेट गया।
शरद- अरे रचना क्या बात है.. सीधे मेरे पास आ गई… तेरे भाई ने मज़ा नहीं दिया क्या…!
रचना- आज तो पता नहीं भाई को क्या हो गया… बहुत मज़ा दिया मुझे…!
ललिता- सच्ची दीदी… भाई ने मज़ा दिया आपको…!
अमर बड़े प्यार से ललिता के मम्मों को सहलाता हुआ बोला- मेरी रानी अब मज़ा लेने की तेरी बारी है, देख कैसे तुझे चोदता हूँ आराम से…!
ललिता शरमा कर अपना हाथ चेहरे पर लगा लेती है।
अमर- हय हय… तेरा ये शरमाना.. क्या गजब है रानी.. अपनी चूत तो दिखाओ ना…!
ललिता पैर खोल कर अमर के साथ बैठ जाती है, रचना भी चूत को देखती है। चूत एकदम क्लीन थी और लौड़े की ठाप से गोरी चूत एकदम लाल हो रही थी, सूजी हुई भी थी।
अमर- यार शरद तुमने तो ललिता की चूत का हाल बिगाड़ दिया, कैसे सूजी हुई है ये…!
शरद- थैंक्स बोल मुझको, इसको चुदने के काबिल बना दिया मैंने… अब तू देख कितना मज़ा आता है तुझको, मैंने तो रास्ता बनाया है बस गाड़ी तो तू चलाएगा, अब जितना तेरी मर्ज़ी उतना स्पीड से गाड़ी चलाना।
ये सुनकर रचना ज़ोर से हँसने लगती है, उसके साथ सब हँसने लगते है। अमर ललिता के निप्पल को चूसने लगता है। शरद बेड से उतर कर टेबल की दराज से एक गन निकाल कर अमर पर तान देता है।
शरद- नहीं अमर.. अभी नहीं नीचे उतरो बेड से जल्दी।
अमर- अर र शरद ये क्या है… नीचे करो इसे ये कैसा मजाक है…!
शरद- नीचे आता है, या चला दूँ इसे…!
अमर बिना कुछ बोले बेड से उतर जाता है दोनों बहने भी उतरने लगती हैं। उनकी तो जुबान ही बन्द हो गई थी।
शरद- तुम दोनों नहीं, वहीं बेड पर रहो… आओ अमर तुम मेरे पास आओ…!
शरद अमर के सर पर गन लगा देता है। अमर को कुछ समझ नहीं आता है कि ये क्या हो रहा है।
शरद- एक गोली और तेरा भेजा बाहर हा हा हा हा…!
अमर को एसी रूम में भी पसीना आने लगता है।
रचना- शरद जी क्या हो गया… प्लीज़ अमर के सर से गन हटाओ, ये कोई मजाक नहीं है। अगर चल गई तो…!
शरद- चुप साली रंडी तुम दोनों वहीं रहो वरना आज इसका खेल खत्म कर दूँगा हा हा हा हा हा…!
ललिता- प्लीज़ शरद जी मुझे बहुत डर लग रहा है प्लीज़…!
ललिता की आँखों में आँसू आ गए, तब शरद ने गन हटाई और ज़ोर से हँसने लगा। अमर को कुर्सी पर बिठाते हुए बस वो हँस रहा था।
शरद- हा हा हा हा अरे यार तुम तो सच में डर गए, मैं तो रचना की फिल्म का एक सीन कर रहा था। धरम अन्ना ने स्टोरी सुनाई थी मुझे, बस वो ही कर रहा था…!
तीनों की जान में जान आती है।
अमर- अरे बाप रे, मेरी तो गाण्ड फट गई थी कि आज तो गया…!
शरद- अबे साले पागल है क्या..! तू तो मेरा यार है, तुझे थोड़ी ना मारूँगा मैं..!
रचना- उफफफ्फ़ सच में शरद जी हालत खराब कर दी आपने तो…!
ललिता- हाँ और नहीं तो क्या… बताना तो चाहिए न एक्टिंग है…!
शरद- अगर बता देता तो इतनी रियल एक्टिंग नहीं होती, कैसा खौफ आ गया था तुम्हारी आँखों में..!
अमर- अच्छा ठीक है भाई… अब चलो बेड पर मुझे ललिता का रस पीकर ही चैन आएगा मेरा गला सूख गया है।
शरद- नहीं अमर हम फिल्म का सीन करेंगे मान लो रियल में मैंने तुमको गन पॉइंट पर रखा है और तेरी दोनों बहनों को नंगा लेसबो कराने को कहा, मज़ा आएगा…!
रचना और ललिता भी खुश हो जाती हैं।
अमर- ओके यार मज़ा आएगा, जब दोनों गर्म हो जाएँगी, तब हम दोनों इनको ठंडा करेंगे।
शरद- हाँ यार तुम दोनों शुरू हो जाओ, तब तक हम थोड़ी बाहर जाकर पी लेते हैं।
दोनों वहीं बाहर बैठ कर पीने लगते हैं और रचना ललिता के मम्मों को दबाने लगती है।
ललिता- आ…हह.. उई दीदी आ…हह.. आराम से… आज शरद ने बहुत मसला है इनको… उफ़फ्फ़…!
शरद और अमर बाहर पीने में मस्त थे और दोनों के ही लौड़े तनाव में आने
लगे थे, उनको लैसबो करते देख कर।
रचना- सस्स आ…हह.. ललिता तुम मेरी चूत चाटो मैं तुम्हारी चाटती हूँ।
दोनों 69 के पोज़ में हो जाती हैं।
रचना- वाउ.. ललिता तुम्हारी चूत पहले कितनी टाइट और वाइट थी, आज तो पूरी लाल हो रही है और खुल भी गई है, शरद ने मज़ा दिया या नहीं…!
ललिता- अई अ..औच दीदी.. चूत में बहुत दर्द है, आ…हह.. दबाओ नहीं.. प्लीज़ कककक आ…हह.. सस्स शरद ने तो वो मज़ा दिया है कि आपको बता नहीं सकती मैं…!
रचना- आ…हह.. क्या चूत है ललिता.. तुम्हारी आ…हह.. कैसे रस छोड़ रही है।
ललिता- आई ईइआ उ दीदी आ…हह.. आपकी चूत तो एकदम खुल गई है एइ.. पूरी 3 ऊँगली आराम से जा रही हैं… भाई ने खूब खोल दिया है…!
रचना- आ…हह.. उफ्फ ललिता की बच्ची आ…हह.. चाटने को कहा था.. ऊँगली करने को नहीं.. उफ्फ सी.. चूत का ये हाल भाई ने नहीं, शरद ने किया है.. उफ्फ उसका लौड़ा नहीं पूरा बम्बू है, जो चूत को फाड़ कर भोसड़ा बना देता है… अई आह..चाटो उफ्फ आह आ…हह…..!
ये सब देख कर तो अमर का तो हाल खराब हो गया, उसका लौड़ा एकदम टाइट हो गया था, जब उसकी नज़र शरद के खड़े लौड़े पर गई तो।
अमर- वाउ यार तेरा हथियार तो बहुत भारी है, तभी मेरी दोनों बहनें तेरे गुण गा रही हैं।
शरद- हा हा हा चल अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं होता, ये बियर की बोतल साथ ले आज तुझे नये तरीके से बियर पिलाता हूँ।
अमर- कौन सा तरीका यार…!
शरद- अबे साले बहनचोद तेरी जो दो रंडी बहनें है ना.. उनकी चूत पर बियर डाल कर चाट.. बहुत मज़ा आएगा तुझे हा हा हा हा…!
शरद की बात सुनकर अमर भी हँसने लगा और रचना भी हँसने लगी।
अमर- यार एक बात तो है, मैंने सुना है गलियाँ देकर सेक्स करने में बहुत मज़ा आता है।
शरद- हाँ आता है, इसी लिए तो दे रहा हूँ। अब चल और तुम दोनों भी अपनी रासलीला बन्द करो, सीधी लेट जाओ.. हम आ रहे हैं।
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