RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद को बहुत ज़्यादा ताक़त लगानी पड़ी थी सील तोड़ने के लिए। कमसिन चूत में आख़िर इतना मोटा लौड़ा गया था, तो ज़ोर तो आना ही था ना…!
ललिता- आआआआ आआआआ मुम्मय्ययययई मार गई आआआआअ…!
दिल दहला देने वाली चीखें कमरे में गूंजने लगीं। सचिन से यह देखा नहीं गया तो उसने उसके होंठों पर हाथ रख दिए।
शरद- सचिन.. अब निकल लो बेटा.. इसका नशा उतर गया है जल्दी करो…!
सचिन चुपचाप दरवाजे खोल कर निकल गया दरअसल मैं आपको बता दूँ सचिन एक 25 साल का हैण्डसम लड़का है और यह कौन है शरद को कैसे जानता है ये सब वक्त आने पर आप जान जाओगे।
शरद ने ललिता के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगा।
दर्द के मारे ललिता का सारा नशा उतर गया था।
शरद उसी पोज़ में लेटा रहा, उसका लौड़ा चूत में फँसा हुआ था और उसे अहसास हो रहा था कि ललिता की चूत से खून रिसने लगा है।
वो बस ललिता के होंठों को चूसने में लगा हुआ था और ललिता रोए जा रही थी। उसका दम घुटने लगा था। तब उसने हाथ से शरद को हटाना चाहा, मगर शरद कहाँ हटने वाला था..!
थोड़ी देर बाद जब ललिता ढीली पड़ी तो शरद ने अपने होंठ हटाए।
ललिता- अया ह आह आ शरद प्लीज़ मेरी जान निकल जाएगी आह.. उठ जाओ न…आ आज के लिए बस इतना काफ़ी है आह.. प्लीज़ शरद आ मुझे बहुत दर्द हो रहा है आहह..!
शरद- सॉरी जान मैं जानता हूँ दर्द बहुत ज़्यादा है, पर पहली बार तो सब को सहना पड़ता है.. तुम बस आज बर्दाश्त कर लो फिर सब ठीक हो जाएगा। रचना को देखो दो ही दिन में उसकी चूत को ऐसा घिसा कि आज अमर से मज़े लेकर चुद रही है।
ललिता- आ मई आ ज ज्जानती हूँ एमेम मैं पर दर्द बहुत हो रहा है आ..हह…..!
शरद- कोई बात नहीं मैं हिलूँगा नहीं.. जब तक तुमको सुकून ना मिले अब कैसा लग रहा है.. दर्द कम हुआ या नहीं…!
ललिता- आ आ हा थोड़ा सा कम हुआ.. आ पर आ..हह….!
शरद- अब मैं धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करता हूँ ताकि जितना गया है उसको चूत में एडजस्ट कर दूँ.. बाद में तुमको मज़ा आएगा…!
ललिता आँखों से ‘हाँ’ का इशारा कर देती है।
अब शरद धीरे-धीरे लंड को हिलाने लगता है और ललिता की जान निकलने लगती है। उसकी चूत में बेन्तहा दर्द होने लगता है। वो रोती रहती है।
शरद- आ..हह.. सेक्सी क्या टाइट चूत है.. यार बहुत ताक़त लगानी पड़ रही है..उफ्फ अब तो पूरा लौड़ा जाएगा तभी कुछ मज़ा आएगा जान.. अब मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा.. मैं डाल रहा हूँ तुम प्लीज़ एक बार बर्दाश्त कर लो बस…!
ललिता- अई आ इतना दर्द आ क्या कम है जो अब और सहूँ आ डाल दो शरद आ..हह.. आपकी ख़ुशी के लिए आ..हह.. सह लूँगी उफ्फ आ आ आ…!
शरद ललिता की गरदन पर चुम्बन करने लगा और उसके होंठों को चूसने लगा, अपने लौड़े को पीछे खींच कर एक तगड़ा धक्का मारा।
7″ लौड़ा चूत में घुस गया पर रुक गया जैसे आगे कोई दीवार आ गई हो..
शरद ने दोबारा लौड़ा बाह्र निकाल कर ज़ोर से झटका मारा तो फिर लौड़ा वहीं जाकर टकराया, पर उसको बर्दाश्त नहीं हुआ और वो बार-बार झटके मारने लगा।
पाँच बार के प्रयास के बाद आख़िर लौड़े ने अपनी जगह बना ही ली और पूरा का पूरा चूत में समा गया।
ललिता का मुँह बन्द था, वरना पूरा फार्म सर पर उठा लेती वो.. और दर्द की वजह से उसकी सांस हलक में अटक गई, उसे चक्कर आने लगे और वो अपनी बहन की तरह बेहोश तो नहीं हुई, पर कुछ बाकी भी ना रहा।
शरद जानता था जितना जल्दी शॉट मारेगा उतनी ही जल्दी ललिता की चूत का दर्द कम होगा।
ललिता की आँखों से आँसू और चूत से खून लगातार जारी था।
पंद्रह मिनट तक शरद ताबड़तोड़ लौड़ा पेलता रहा।
दोस्तो, सच कहूँ ललिता को दर्द इतना था कि उसको ओर्गज्म का अहसास ही नहीं हो रहा था, पर वो दो बार झड़ चुकी थी।
अब उसके शरीर में जान ना के बराबर थी।
शरद ने उसके मुँह को आज़ाद किया और लौड़े की धक्कमपेल को रोका।
ललिता- अहह र र शरद आ मु मु मुझे सांस आ लेने में आ..हह.. तकलीफ़ ह हो रही है अई बदन में बहुत दर्द ह हो रहा है…!
शरद- जान तुम बहुत पावरफुल गर्ल हो इतने दर्द के बाद भी होश में हो…रचना तो बेहोश हो गई थी आई प्राउड यू माई लिटल गर्ल.. अब सब ठीक है लौड़ा पूरा अन्दर जा चुका है… अब तुम मज़ा लेने के लिए तैयार हो जाओ… पर एक-दो बार और दर्द होगा.. फिर अपनी चूत में चाहे जितने लौड़े लेना हा हा हा हा..!
शरद को हँसता देख कर ललिता भी मुस्कुरा दी पर उसकी आँखों में अब भी आँसू जारी थे।
शरद- जान बस थोड़ी देर और सह लो आ..हह.. मेरा लौड़ा चूत में जकड़ा हुआ है उफ्फ…!
शरद फिर से शॉट लगाने लगा, ललिता जल बिन मछली की तरह तड़पती रही.. चीखती रही.. पर शरद अपने बम्बू को आगे-पीछे करता रहा।
ललिता- एयाया आआआ ह ओई मम्ममी आआ मारी आ..आ..हह.. प्लीज़ अई अई…!
शरद.- उहह उहह उहह बस आ..हह.. थोड़ी देर और आ आह उः उहह आआआ मेरा पानी अई आ रहा है लो रानी आ..हह…..!
शरद के लौड़े ने पानी की पिचकारी चूत में मारी जिसकी गर्माहट से ललिता का भी पानी निकल गया।
यह उसका तीसरी बार था, पर अबकी बार उसको चूत में गुदगुदी हुई और झड़ने का मज़ा आया।
ललिता- आ..हह.. आह उफ़फ्फ़ उईईईई आ..हह.. मेरा भी निकल आ..हह.. रहा है…!
ललिता की चूत पानी से भर गई थी।
शरद उसके ऊपर से उठा तो ‘पक्क’ की आवाज़ से लौड़ा बाहर आया और ललिता एक बार ज़ोर से चीखी और उसकी आँखों में दोबारा आँसू आ गए।
शरद खड़ा हुआ और बेड का हाल देखा खून से लाल था और उसका लौड़ा भी खून और वीर्य से लथपथ हो रहा था उसने चादर से अपना लौड़ा साफ किया और कैमरा के पास जाकर बेड को ज़ूम करके पोज़ लिया। उसने नकाब उतार कर रख दिया था।
ललिता- उफ्फ ओ माई गॉड आ..हह.. इतना दर्द आ..हह.. मैंने सहा कैसे उई मैं मरी क्यों नहीं.. शरद आ और ये नकाब क्यों लगाया था उफ्फ आ…!
शरद ने कैमरा पर कैप लगा दिया पर बन्द नहीं किया। तभी फ़ोन की घंटी बजी, शरद ने फ़ोन उठाया।
शरद- हैलो हाँ कहो.. क्या हुआ…!
सचिन- वो दोनों तुम्हारे रूम की ओर आ रहे हैं।
शरद- ओके बाय।
शरद ने पास पड़ा तौलिया लपेट लिया।
शरद- जान, अमर और रचना आ रहे है तेरा हाल-चाल पूछने उन्हें वापस भेज देना ओके.. आगे का प्रोग्राम मैं तुम्हें बाद में बताता हूँ ओके माई स्वीट जान…!
ललिता- आ..हह…. ओके अई दर्द से जान निकल रही है उफ्फ ये फ़ोन किसका था आ..हह.. आपको कैसे पता आ वो आ रहे है…!
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
शरद ने बेड के करीब आकर कहा- बस दो मिनट रूको, सब बाद में बताऊँगा.. पहले उनको वापस भेजो ओके…!
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