RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
सब ड्रिंक करने लगे। पंद्रह मिनट में ही रचना और ललिता एकदम टल्ली हो गई।
तब शरद ने अमर को इशारा किया और एक तरफ ले गया।
अमर- यार मज़ा आ गया.. अब बस जल्दी से मेरी खुराक दे दो।
शरद ने अपनी जेब से दो गोली निकाल कर अमर को दी।
शरद- ये खा लो, जब मैं कहूँ तब रचना को रूम में ले जाना ओके…!
अमर ने ख़ुशी-ख़ुशी वो गोली खा ली।
शरद- हे डार्लिंग.. थोड़ा डांस हो जाए…!
अमर अपने साथ रचना को ले गया और शरद ललिता को।
ललिता नशे में थी, उसके पैर लड़खड़ा रहे थे। इस बात का फायदा उठा कर शरद उसके मम्मों और गाण्ड से खेल रहा था।
ललिता- उहह.. शरद.. रचना ने आपकी जितनी भी तारीफ की.. आप उससे ज़्यादा अच्छे हो.. आप मुझे भी हिरोइन बना दो ना…!
शरद- बना दूँगा यार.. पहले तुम्हें उस काबिल तो बना दूँ.. आज रात तुम सब यहीं रहोगे न.. तो तुम मेरे साथ कमरे में सो जाना.. अच्छे से तुम्हें एक्टिंग सिखा दूँगा…!
ललिता- गुड.. मैं जानती हूँ तुम क्या करोगे.. हा हा हा… तुम मेरे साथ चुदाई करोगे.. मुझे सब पता है…!
शरद- तो क्या हुआ.. तुम भी तो यही चाहती हो न.. चलो अब हम चलते हैं.. मुझे भी तो अपनी जवानी का जलवा दिखाओ जान…!
ललिता- चलो.. लेकिन अमर भाई को क्या बोलोगे, अरे मैं तो भूल गई मेरा भाई तो खुद मुझे चोदेगा.. उसको क्या बोलना.. चलो चलो चलते हैं…!
शरद ललिता को अपनी बाँहों में भर कर जाने लगता है। अमर और रचना उनको देख कर मुस्कुराते हैं।
ललिता- बाय बाय.. मैं जा रही हूँ चुदने.. रचना तुम भी जाओ भाई के साथ ही..ही..ही.. लेकिन कोई फायदा नहीं भाई.. तो लूज़र है हा हा हा… मैं लूँगी मज़े और तुम ही ही ही… अगर मज़ा लेना हो तो आ जाना हमारे पास…!
शरद रचना और अमर को इशारा करके एक रूम में चला गया।
अमर- रचना, तुमने ललिता को क्या कहा, उसने मुझे लूज़र कहा..!
रचना- ओह सॉरी भाई.. मैंने मजाक में कहा था ! अब हम भी चलें, मेरा सर घूम रहा है…!
अमर- हाँ चलो बहना… अभी तो सर घूम रहा है, अब देखो मैं क्या-क्या घुमाता हूँ…!
शरद ने ललिता को रूम में ले जाकर बेड पर लिटा दिया।
ललिता- शरद तुम बहुत अच्छे हो.. आओ ना मेरे पास आ जाओ.. मुझे जी भर कर प्यार करो और प्लीज़ मुझे भी हिरोइन बनना है…!
शरद बुदबुदाता हुआ- हाँ जान आता हूँ… कैमरा तो चैक कर लूँ सालों ने बराबर लगाए हैं या नहीं.. आज तुम दोनों बहनों की शूटिंग का दिन है…!
ललिता- ओह वाउ.. आज शूटिंग होगी.. मेरा हीरो कहाँ है…!
शरद- मैं हूँ न.. रानी यह देखो… यह बटन दबाते ही इस घर के सारे कैमरे ऑन हो जाएँगे और सब कुछ रिकॉर्ड हो जाएगा…!
ललिता एकदम नशे में थी, उसको कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि शरद के इरादे क्या हैं।
ललिता- वाउ.. चालू करो न.. शरद.. नहीं आज से मैं तुमको शरद कहूँगी.. मेरे शरद आ जाओ ना… दबा दो बटन को…!
शरद- हाँ ये ठीक है तुम शरद ही कहना.. रूको मास्क तो लगा लूँ साली तेरी सील टूटने का वीडियो बना रहा हूँ, मेरी शक्ल थोड़े दिखानी है ग़लती हो गई, जो रचना के टाइम मास्क नहीं लगाया, लेकिन कोई बात नहीं, उसके तो अभी बहुत वीडियो बनेंगे ! और अब साथ में तेरे भी बन जाएँगे, और वो तुम्हारा हरामी भाई है ना उसको भी इस फिल्म में रोल दे दूँगा.. बरबाद कर दूँगा तुम सबको…!
शरद भी नशे में क्या से क्या बोल रहा था मगर ललिता कहाँ समझने वाली थी, वो तो खुद बदहवास हो रही थी।
ललिता- शरद आ जाओ ना यार…!
शरद ने मास्क लगा कर वीडियो ऑन किया और ललिता का जैकेट निकाल फ़ेंका।
उसके खड़े मम्मों देखकर उसका नशा दुगना हो गया और उन पर छोटे दो हल्के गुलाबी निप्पल गजब ढा रहे थे।
उसने जल्दी से ललिता की स्कर्ट और पैन्टी निकाल दी, उसकी चूत के होंठ पर तिल देखकर उसका लौड़ा फुंफकारने लगा।
एकदम कसी हुई करारी चूत थी, ललिता की चूत ऊपर से नोकदार किसी नाव की शेप में थी।
शरद- वाउ ललिता.. तुम तो गजब की आइटम हो… साली तेरा जिस्म देख कर ही मेरे लौड़े से बूँदें बाहर आने लगीं, आज तो तेरी चुदाई में मज़ा आ जाएगा…!
!
ललिता पर नशा बहुत ज़्यादा हो गया था, वो बदहवास सी लेटी हुई थी।
शरद ने अपने कपड़े निकाल दिए, उसका लौड़ा लोहे की रॉड के जैसे गर्म हो रहा था।
उसने मास्क लगाया हुआ था, जैसे कोई रॉबरी करने वाले लगाते हैं। बस होंठ और आँख खुली हुई थीं।
शरद बेड पर ललिता के पास लेट गया और उसके नरम पंखुड़ी जैसे होंठों को चूसने लगा, अपने हाथ से उसके 34″ के मम्मों को मसलने लगा।
ललिता नशे में थी, पर इस अहसास को महसूस कर रही थी और अपने हाथ शरद की पीठ पर घुमाने लगी थी।
ऐसी जवानी पाकर शरद तो पागल हो गया था।
ललिता के होंठों का रस पीने के बाद अब वो निप्पल को चूसने लगा था, दूसरे निप्पल को चुटकी में लेकर दबा रहा था।
ललिता- आ आ..हह.. शरद.. उफ्फ मज़ा आ रहा है… तुम बहुत आ..हह…. अच्छा चूस रहे हो उफ्फ आ आ..हह…..!
शरद निप्पल चूसने में बिज़ी था तभी दरवाजे पर खटका हुआ, शरद ने जल्दी से उठ कर दरवाजा खोला, एक आदमी अन्दर आया।
ललिता तो नशे में थी, उसे कहाँ होश था कि कौन आया है।
शरद ने दरवाजे बन्द कर दिया और वो आदमी अन्दर आ कर खड़ा ललिता को देखने लगा।
दोस्तो, अब यह कौन आ गया बीच में मज़ा खराब कर दिया.. यह कौन है, मैं आपको बाद में बताऊँगी.. चलो तब तक हम अमर का हाल जान लेते हैं।
अमर- रचना, तुम इस ड्रेस में बहुत सेक्सी लग रही हो…!
रचना- अच्छा तो फिर जो करना है ऐसे ही करो नहीं निकालती में ड्रेस हा हा… हा हा हा…!
अमर- ओह मजाक मत करो यार… अब जल्दी से निकालो ना नहीं तो मैं फाड़ दूँगा…!
रचना- हे रूको.. कपड़े फाड़ दोगे तो मैं कल घर क्या नंगी जाऊँगी…!
अमर- तो निकालो जल्दी.. मेरा लौड़ा लोहे जैसा कड़क है ये देखो…!
अमर ने पैन्ट निकाल कर रचना को लौड़ा दिखाया, वो वाकयी में तना हुआ था।
रचना- वाउ भाई.. आज तो आपका लौड़ा बहुत अच्छा लग रहा है…!
रचना उसके पास आकर बैठ गई और लंड को चूसने लगी।
अमर- आ आ उफ्फ, कितने नरम होंठ हैं तेरे आ मज़ा आ गया उफ्फ…!
रचना मस्ती में लौड़े को चूस रही थी और अमर मज़ा ले रहा था।
पाँच मिनट के बाद अमर से सब्र नहीं हुआ और उसने रचना के बाल पकड़ कर उसको खड़ा कर लिया और उसके कपड़े निकालने लगा।
रचना- आऊच.. क्या करते हो भाई.. आराम से .. मैं निकालती हूँ ना…!
अमर- अब सब्र नहीं होता बहना.. मैं आज तेरी चूत का भुर्ता बना दूँगा…!
रचना के चेहरे पर हँसी आ गई, वो मन में सोचने लगी कि इस लौड़े से अमर क्या भुर्ता बनाएगा, शरद के बम्बू से सील तुड़वाई है अब तो वो ही अमर पर भारी पड़ेगी।
अमर ने रचना को नंगा कर के बेड पर लिटा दिया और खुद उसके मम्मों को चूसने लगा और लंड को चूत पर रगड़ने लगा।
रचना- आ आ..हह.. उफ्फ भाई तुम्हारा लौड़ा उफ्फ चुभ रहा है आ..हह.. धीरे दबाओ ना मम्मों को उफ्फ आ…!
अमर बड़ा बेसब्र हो रहा था। वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था इसलिए ज़्यादा वक्त बर्बाद ना करते हुए उसने लौड़ा चूत पर सैट किया और जोरदार धक्का मार दिया। पूरा लौड़ा चूत में समा गया।
रचना- आआआअ उफफफफ्फ़ धीरे से आह डालना था न… उफ्फ मेरी तो आह आ. जान निकाल दी..!
अमर- आ मज़ा आ गया.. तेरी यही चीख सुननी थी। तुझे अपने बॉय-फ्रेंड से चुदाई के वक्त दर्द नहीं हुआ क्या जो अब नाटक कर रही है.. आ..हह.. उहह ये ले उहह ये ले साली आह आ..हह…..!
रचना- आ आह आ..हह.. उ उई छोड़ो आ भाई आ..हह.. अब मज़ा आ रहा है उफ्फ फक मी ब्रो.. आ..हह.. गो डीप आ..हह.. या या या उफ़फ्फ़ टीज वन्स आ..हह.. अगेन.. फक डीप आ आ..हह.. उ…!
अमर को शरद ने पावर तब दी थी जिसके कारण वो अँधा-धुंध शॉट मार रहा था और रचना भी नशे में थी.. तो उसको भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था।
दोस्तो, मैं आपको बता दूँ कि रचना ने कम बीयर पी थी इसलिए वो होश में थी लेकिन ललिता को शरद ने एकदम टाइट कर दिया था, इसलिए वो एकदम मदहोश हो चुकी थी।
रचना- आ..हह.. फास्ट ब्रो आ..हह.. फक योर लिटल सिस आ आ..हह….!
अमर- ..उहह आ आ..हह.. ये ले उफ्फ आज मेरा अरमान पूरा हुआ.. आ..हह.. ले ले आ…!
पंद्रह मिनट तक अमर झटके मारता रहा।
रचना- आ आह या या ज़ोर से आ और ज़ोर से उ आह फक मी हार्ड आह बी वाइल्ड आ आ मैं जा रही हूँ आ..हह.. भाई प्लीज़ आह फास्ट उई फास्ट आह…और फास्ट आह उईईई आआआ आआ…!
रचना ने अमर के लौड़े को चूत में जकड़ लिया और झड़ने लगी। कभी उसकी चूत सिकुड़ती.. कभी खुलती.. अमर भी उसी स्पीड में लगा हुआ था।
अमर- आ उह उहह आ..हह.. क्यों रचना आ निकाल दिया ना आह उहह तेरा पानी आह.. मेरा अभी नहीं निकलेगा आह… आज तुझे थका दूँगा आ उहह ले उहह…!
रचना- ओके भाई आह.. करते रहो उफ्फ मैं जानती हूँ आह.. अई यह सब शरद का कमाल है आ वो जादूगर है कुछ भी अई आह आ कर सकता है आ आह.. आज तो ललिता का हाल बिगाड़ देगा वो.. आह.. काश मैं देख पाती आह आह…!
अमर- हाँ बहना आह.. मुझे भी देखना था आह.. हम जल्दी से खत्म करके उफ्फ उधर जाएँगे आह.. ललिता की चुदाई आ..आह देखेंगे आ…!
|