RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
अमर- वाउ यार.. प्लीज़ बताओ न.. मेरा बहुत मन है कि ऐसा हो प्लीज़ प्लीज़…
शरद- ओके दे दूँगा.. पर मेरी एक शर्त है वो माननी होगी तुमको…!
अमर- जो कहोगे मान लूँगा.. पर प्लीज़ बताओ न…
शरद- तुम तो फेल हो गए हो, अब मुझे मौका दो मैं उसकी ठुकाई करता हूँ…!
अमर- तो कर लो ना यार.. किसने रोका है…!
शरद- ऐसे नहीं, मैं रचना को अपने साथ ले जाना चाहता हूँ दो दिन उसको मेरे पास रहना होगा। मैं आराम से करना चाहता हूँ !
अमर- क्या.. लेकिन यार मेरा क्या होगा और वो मानेगी क्या.. इस बात के लिए?
शरद- उसको मैं मना लूँगा.. बस तुम ‘हाँ’ कहो !
अमर- ओके, पर मेरा क्या होगा यार?
शरद- तुम डरते क्यों हो.. जब मैं फ़ोन करूँ मेरे घर आ जाना दोनों साथ मिलकर मज़ा लेंगे उसका…
अमर- ओह वाउ.. यह अच्छा है, पर मैं ललिता को क्या कहूँगा?
शरद- यार कल से सुन रहा हूँ यह ललिता आख़िर है क्या बला.. कहाँ है वो?
अमर- शाम को खुद देख लेना.. मेरी छोटी बहन है, वो भी क़यामत लगती है यार !
शरद- अच्छा ऐसी बात है.. तो आज देख लेते हैं.. वैसे बुरा मत मानना यार तू है बड़ा हरामी.. अपनी सग़ी बहनों पर नज़र रखता है…!
अमर- हा हा हा.. अच्छा ये ही सही.. पर तू बता जिसकी ऐसी सेक्सी बहनें होगीं, वो हरामी नहीं तो क्या बनेगा और मेरे नज़र रखने से क्या होता है मज़े तो किसी और ने ले लिए…!
शरद- यार कहीं ललिता भी तो किसी के चक्कर में नहीं है न.. कल से घर से गायब है।
अमर- नहीं नहीं.. वो ऐसा नहीं कर सकती, अभी छोटी है वो…!
शरद- यार तू किस जमाने की बात कर रहा है आजकल किस-किस उम्र की चुद जाती हैं…कुछ मालूम भी है..!
अमर- ओके.. पर ललिता पर मुझे यकीन है.. उसने अभी तक ऐसा नहीं किया होगा।
शरद- यकीन तो रचना पर भी था.. वो तो चुदी-चुदाई निकली.. अब ललिता का पता नहीं।
अमर- यार बात तो तेरी सही है… आजकल किसी का कोई भरोसा नहीं फिर ललिता है भी सेक्सी.. रचना से छोटी है, पर फिगर उससे ज़्यादा मस्त है।
शरद- यार तेरी बहनें इतनी हॉट हैं और दूसरे उनके मज़े ले रहे हैं.. ऐसा कर आज शाम की पार्टी के बाद ललिता को चैक करते हैं कि उसने चुदाई की या नहीं…
अमर- ओके ओके.. पर कैसे…
शरद- वो सब मुझ पर छोड़ दे..
अमर बड़ी बेचैनी से बोला- ओके ओके.. पर कैसे?
शरद- वो सब तू मुझ पर छोड़ दे…
अमर- ओके.. अगर वो कुँवारी हुई तो मैं उसकी सील तोड़ूँगा…
शरद- यार बुरा मत मानना.. नई गाड़ी को पुराना ड्राइवर चलाए तो अच्छा होता है, अगर नया ड्राइवर चलाता है, तो गाड़ी को खतरा होता है तुझे अनुभव नहीं है.. मेरी बात मान मैं तुझे नुस्ख़ा दे दूँगा.. तू आराम से रचना को चोदना और मैं ललिता को चोद लूँगा। उसके बाद तू ललिता के पास आ जाना.. मैं रचना के पास चला जाऊँगा.. ठीक है ना…!
अमर- लेकिन यार, मुझे सील पैक चूत का मज़ा लेना था…!
शरद- अरे यार, एक बार में थोड़े ही चूत ढीली हो जाएगी.. वो तो वैसी की वैसी टाइट रहेगी। अगर ललिता कुँवारी है तो, अब बता हाँ या ना?
अमर- ओके हाँ.. पर तुम ऐसा क्या जादू करोगे कि मैं आराम से रचना को चोद लूँगा और पानी भी नहीं निकलेगा और ललिता कैसे मानेगी?
शरद- वो सब तू मुझ पर छोड़ दे… अब मेरा कमाल देख बस… मैं रचना के कमरे में जाता हूँ कैसे दो मिनट में उसको नंगा करता हूँ.. तू छुप कर देखना ओके.. मुझे बता कि कहाँ से देख सकता है..!
अमर- की-होल से देख लूँगा यार…!
शरद- ओके.. पर कोई आवाज़ मत करना.. वरना काम बिगड़ जाएगा। बाद में तो हम दोनों मिलकर चोदेंगे न…!
शरद वहाँ से रचना के कमरे में चला गया और अन्दर जाते ही ऊँगली से उसे इशारा किया कि चुप रहे, अमर बाहर है।
दरवाजे लॉक करके उसके पास जाकर बैठ गया।
शरद बहुत धीरे से बोला- जो भी बोलो धीरे बोलना अमर बाहर की-होल से देख रहा है उसको बिल्कुल शक मत होने देना कि हमने पहले चुदाई की हुई है।
रचना- ओके.. पर मेरी चूत में आग लग रही है.. अमर में बिल्कुल भी दम नहीं है.. प्लीज़ कुछ करो ना…!
दोनों काफ़ी देर तक नाटक करते रहे और फिर शरद ने रचना को चुम्बन किया। यह देख कर अमर हैरान रह गया कि आख़िर शरद ने क्या कहा होगा रचना को, वो इतनी जल्दी कैसे मान गई…!
अब शरद ने रचना को बेड पर लिटा दिया था और उसके मम्मों को मसल रहा था, चुम्बन कर रहा था। पाँच मिनट के अन्दर दोनों चुम्बन करते-करते एक-दूसरे के कपड़े निकालने लगे।
रचना- आ..हह.. शरद अपना लौड़ा निकालो ना उफ्फ मेरे मुँह में दो.. मुझे उसका रस अच्छा लगता है…!
!
दोनों नंगे होकर 69 के पोज़ में आ गए थे अब शरद का मुँह दरवाजे की तरफ था। रचना को उसने अपने ऊपर लेटा रखा था। अमर को रचना की चूत साफ दिख रही थी। उसका लौड़ा भी कड़क हो गया था। शरद अपनी जीभ से रचना को चोदने लगा और रचना भी कहाँ कम थी, लौड़े को जड़ तक गले में उतार कर चूस रही थी।
अमर बुदबुदाया- ओह शरद, तुम तो जादूगर हो, कितनी जल्दी मेरी बहन को मना लिया और कैसे उसको मज़ा दे रहे हो…!
दस मिनट तक दोनों का चूसने का प्रोग्राम चलता रहा, अब रचना तेज़ आवाज़ से बोलने लगी थी।
रचना- आह उफ़फ्फ़ सीई ..शरद जी आ..हह.. आपने तो मज़ा दे दिया आ..हह.. अब डाल दो लौड़ा.. मेरी चूत आ..हह.. बहुत प्यासी है ये आह…!
शरद नीचे लेट गया और रचना को लौड़े पर बैठा कर पूरा लौड़ा चूत में ठेल दिया और रचना को अपने सीने से चिपका लिया।
अब शरद नीचे से झटके मार रहा था। बाहर अमर ने अपना लौड़ा निकाल कर उसको मुठ्ठी मारना शुरू कर दिया था।
शरद शातिर था, उसने ऐसे पोज़ बनाया कि अमर को बाहर से लंड और चूत साफ दिखे। अब शरद शुरू हो गया था धक्के पे धक्का लगा रहा था।
रचना- आआ आआ आह उफ़फ्फ़ चोदो आ..हह.. उ मज़ा आ रहा है अई उफ्फ एक आप हो जो आ..हह.. कितना मज़ा दे रहे हो आ..हह…. एक वो था आह ‘लूज़र’ आहह…!
अमर को साफ सुनाई दे रहा था, पर वो तो मूठ मारने में बिज़ी था…!
अमर- आहह… आह… उहह… उहह साली… मुझे लूज़र बोलती है तुझे तो इतना चोदूँगा कि मुझसे रहम की भीख मांगेगी। शरद के पास सब का ईलाज है आ आ…!
पाँच मिनट तक शरद रचना की चूत का भुर्ता बनाता रहा और आख़िर उसके लौड़े ने चूत में पानी छोड़ दिया।
इस दौरान रचना दो बार झड़ गई और अमर ने भी दो बार मुठ्ठ मार कर पानी निकाल दिया।
शरद अलग होकर पसर गया और धीरे-धीरे रचना को कुछ कहने लगा।
अमर अब थक चुका था, तो वहाँ से सीधा अपने कमरे में आ गया और बेड पर बदहवास सा लेट गया।
शरद- जान सच्ची तुम बहुत हॉट हो, अच्छा अब तो बता दो वो लड़की कौन है जिसके साथ लैस्बो करती हो, मुझे ऐसा क्यों लग रहा है वो ललिता ही है !
रचना- आप बहुत तेज़ हो.. समझ गए हाँ बाबा.. वो ललिता ही है.. मैंने ही उसके मम्मों को दबा कर बड़े कर दिए हैं।
शरद- अच्छा जान, अब तो रात को और मज़ा आएगा। अब मैं जाता हूँ एक बहुत जरूरी काम है, रात को आता हूँ पार्टी के लिए…!
रचना- ऐसी क्या खास पार्टी होगी.. किसी को बताया तो है नहीं.. बस हम घर के लोग ही होंगे.. तो क्या मज़ा आएगा…!
शरद- जान, मैंने अभी तो तुमको बताया ना रात को अमर को खुश कर देना और तुम्हारी बहन को भी शामिल कर लेंगे तो सब मिलकर मज़ा करेंगे…!
रचना- लेकिन शरद आपने बताया भाई ललिता को भी चोदना चाहते है पर वो तो अभी कमसिन है, कही कुछ हो ना जाए उसको…!
शरद- मैं हूँ न.. डरो मत जैसे प्यार से तुम्हारी सील तोड़ी थी, वैसे ही उसकी भी तोड़ूँगा और फिल्म में भी रोल दिलवा दूँगा… खुश?
रचना- वाउ मज़ा आएगा.. ललिता को भी बहुत अच्छा लगेगा सुनकर कि वो भी मेरी फिल्म में काम करेगी…!
शरद- बस ललिता आ जाए, मैंने जो कहा वो काम भूलना नहीं ओके…!
रचना- ओके बाबा.. कर लूँगी, अब आप जाओ, मैं चूत को आराम दे देती हूँ.. आज तो रात को इसका बैंड बजने वाला है..!
शरद- हा हा हा हा.. ओके जान लव यू..!
शरद कपड़े पहन कर अमर के पास गया।
शरद- अरे तुझे क्या हो गया.. ऐसे क्यों पड़ा है…!
अमर- अरे यार मान गया तुमको… क्या पावर है.. इतनी लंबी चुदाई की उफ्फ मेरा तो देख कर हाल खराब हो गया.. दो बार मूठ मारी मैंने…!
शरद- ओह गुड.. अब देखो मैंने रचना को मना लिया है तुम बस रात को पार्टी के लिए बाहर ले आना… आज तेरी दोनों बहनें चुदेंगी और तू भी उनको चोदना.. ओके अब मैं जाता हूँ बहनचोद…!
अमर- हा हा हा.. यार तू भी ना गाली भी निकाल रहा है और मुझे बुरा भी नहीं लग रहा.. जा दोस्त.. आज रात को बस मेरा काम कर देना मैं रचना को दिखा दूँगा कि मैं क्या हूँ… प्लीज़ यार कोई खास नुस्ख़ा लाना, जो मुझे तुमसे भी अधिक पावरफुल बना दे…!
शरद- साले मैं वगैर नुस्खे के ही ऐसा हूँ… अगर मैं नुस्ख़ा ले लूँ तो तेरी दोनों बहन थक जाएंगी, पर मैं नहीं थकूंगा, अब जितना कहा उतना करना ओके…!
अमर- ओके बाबा.. अब जाओ बाय…!
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