RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
रचना थोड़ी देर चुप ही पर उसके बाद-
रचना- सर मैं समझती हूँ, पर एक बार फिल्म शुरू हो जाती तो अच्छा लगता। मैं कहाँ जाने वाली हूँ। आप जब चाहो मैं तैयार हूँ, पर प्लीज़ आज नहीं…!
धरम अन्ना ने उसके मम्मों पर हाथ रख दिया और धीरे-धीरे दबाने लगा।
धरम अन्ना- मैं जानता जी.. तुमको थोड़ा डर होना.. कोई बात नहीं हम इन्तजार करेगा जी.. लेकिन अभी थोड़ा सा प्यार करना चाहता जी.. बस ऐसे ही कल शूटिंग चालू कर देगा जी।
रचना- ठीक है.. लेकिन जल्दी हाँ.. कल कहाँ शूटिंग होगी और कितने बजे…!
धरम अन्ना मम्मों को दबाता जा रहा था और लौड़ा रगड़ता जा रहा था।
धरम अन्ना- बेबी, कल इसी टाइम आ जाना जी.. बाकी डिटेल मैं शरद को दे दूँगा अब पाँच मिनट बेड पर आओ ना जी..!
रचना जानती थी कि अब ज़्यादा मना करना ठीक नहीं होगा, तो वो बेड पे लेट गई, धरम अन्ना खुश होकर उसके पास लेट गया,उसको चूमने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा.
धरम अन्ना- उहह बेबी.. तुम बहुत सेक्सी होना.. ये ‘अनार’ का रस पिलाओ ना.. आज़ाद करो ना इनको…!
रचना- आ उफ़फ्फ़ ससस्स.. अब आप ही आ उफ्फ कर लो सर जी..!
धरम अन्ना ने रचना की ब्रा ऊपर कर दी और रचना के मम्मे आज़ाद हो गए, धरम अन्ना कुत्ते की तरह उन पर टूट पड़ा और रचना के निप्पल चूसने लगा।
शरद ने दरवाजे को धीरे से खोल कर देखा तो धरम अन्ना ‘लगा’ हुआ था। तब शरद ने दरवाजे को बन्द करके खटखटाया तो धरम अन्ना का मूड खराब हो गया और वो उठ कर रचना को 2 मिनट रुकने का बोल कर चला गया।
धरम अन्ना- क्या हुआ जी.. वो मान गई है ना.. अब तुमको क्या प्राब्लम होना जी..!
शरद- धरम अन्ना अभी नहीं, तुम कल कर लेना अभी मेरे प्लान का दूसरा भाग शुरू करना है। तुम बात को समझो यार उसकी चूत को मत छेड़ो..!
धरम अन्ना- ओके जी मैं समझता.. लेकिन मेरा पप्पू परेशान होना जी.. बस पाँच मिनट और दो उसके हाथ से पानी निकालने दो न जी…!
शरद- ओके तुम यहीं रूको.. मैं अन्दर जाकर आता हूँ ओके…!
धरम अन्ना- ओके जी.. जल्दी आना…!
शरद को देख कर रचना बैठ गई।
रचना- ओह गॉड.. अच्छा हुआ आप आ गए.. वो धरम अन्ना तो मेरी हालत खराब करने वाला था। अब क्या करूँ.. समझ नहीं आ रहा…!
शरद- तुमने सही किया उसको मना नहीं किया पर मैं उसको ज़्यादा कुछ नहीं करने दूँगा। तुम एक काम करो, उसका पानी निकाल दो.. ठंडा हो जाएगा तो हम यहाँ से निकल जाएंगे।
रचना- हाँ, यह ठीक रहेगा..!
“ओके मैं जल्दी ही उसको भेजता हूँ ..!”
शरद ने बाहर जाकर धरम अन्ना को समझा कर अन्दर भेज दिया।
धरम अन्ना- बेबी तुम्हारा शरद को जल्दी होना जी अब मेरा पप्पू को जल्दी प्यार करना जी..!
धरम अन्ना अपनी पैन्ट खोल कर अपना 8″ का काला लौड़ा रचना के सामने कर देता है। उसे देख कर एक बार तो रचना को घिन आती है, पर वो मजबूरी में उसको हाथ से पकड़ लेती है।
रचना- वाउ सर.. आपका तो बहुत बड़ा है और काला ऐसा जैसे कोई साँप हो…!
धरम अन्ना- आ..हह बेबी तुम्हारा हाथ कितना सॉफ्ट जी उफ्फ मज़ा आ गया मेरे नाग के लिए कल अपना बिल खोलना जी.. हम इसको डालेगा अभी जल्दी इसका जहर निकाल दो आहह..!
रचना उसको आगे-पीछे करने लगी, पर वो जानती थी, ऐसे कुछ नहीं होगा तो उसने आँख बन्द करके लौड़ा मुँह में डाल लिया और उसको चूसने लगी।
धरम अन्ना तो स्वर्ग की सैर पर चला गया था। रचना ने होंठ टाइट करके धरम अन्ना को इशारा किया कि अब वो आगे-पीछे करे।
धरम अन्ना- आ मज़ा आ रहा है बेबी उफ्फ.. तुम अच्छा चूसती जी.. आ….हह..!
दस मिनट तक रचना लौड़े को चूसती रही और आख़िर धरम अन्ना ने उसके मुँह में ही पानी छोड़ दिया।
आखिरी पलों में धरम अन्ना ने रचना का सर पकड़ कर लौड़ा पूरा मुँह में फँसा दिया, जिससे पूरा पानी उसको पीना पड़ा।
धरम अन्ना पूरा शान्त हो गया, तब ही उसने लौड़ा बाहर निकाला।
धरम अन्ना- आ…हह.. मज़ा आ गया बेबी..! अब तुम जल्दी रेडी हो जाओ वरना शरद गुस्सा होना जी ओके मैं जाता बाहर…!
धरम अन्ना के जाने के बाद रचना जल्दी से बाथरूम की तरफ भागी, उसको उल्टी जैसा लगा। धरम अन्ना के काले लौड़े से उसको घिन आ रही थी।
पाँच मिनट बाद वो बाहर आई और कपड़े पहन कर रूम से बाहर आ गई।
शरद- अब चलें..!
धरम अन्ना- ओके जी.. अब आप जाओ कल शूटिंग चालू होना जी.. 9 बजे यहाँ आ जाना…!
वो दोनों वहाँ से निकल गए।
रचना- थैंक्स शरद जी आपने बचा लिया.. वो काला सांड तो मेरी जान ले लेता आज…!
शरद- जान मैंने कहा था न.. कि मेरे होते कुछ नहीं होगा तुमको..!
रचना- थैंक्स शरद लव यू सो मच…!
शरद- जान.. तुमसे एक जरूरी बात करनी थी।
रचना- हाँ.. कहो क्या है…!
शरद- जब अमर को पता चलेगा कि तुम ऐसी फिल्म कर रही हो तो वो मेरे बारे में क्या सोचेगा…!
रचना- अरे नहीं शरद जी.. वो कुछ नहीं कहेगा बल्कि वो सिर्फ़ नाम का मेरा भाई है.. मैं सब समझती हूँ कि वो मेरे जिस्म का दीवाना हो गया है..! शायद आपको यह पता नहीं होगा…!
शरद ज़ोर से हँसता है और रचना को सब बात बता देता है कि अमर ने ही उसको कहा था तुमको हेरोइन बनाने के लिए, ताकि वो तुमको चोद सके..!
रचना- ओ माई गॉड… मैं जानती थी कि कोई तो बात है.. भाई ने मुझे चोदने के लिए आपसे भी कह दिया कि चूत का स्वाद चख लेना.. कितना कमीना होगा न वो…!
शरद- जान इसीलिए मैंने तुमको उसे बताने से मना किया था। अब सुनो.. उसे कभी मत कहना कि तुम सब जान गई हो और मैंने तुम्हारी सील तोड़ी है। अब तुम वो करो जो मैं कहता हूँ उसका मन भी हल्का हो जाएगा और वो कुछ बोलने के काबिल भी नहीं रहेगा।
रचना- वैसे एक बात कहूँ.. मेरा भी मन भाई से चुदने का है बहुत स्मार्ट लगते हैं वो…!
शरद- वाह.. आग दोनों तरफ बराबर लगी है.. अब तुम गौर से सुनो, जो मैं कहता हूँ आज वही सब करना ओके…!
रचना- ओके बॉस…!
शरद पंद्रह मिनट तक रचना को समझाता रहा कि क्या करना है उसको और रचना बड़े गौर से सब सुन रही थी।
रचना- वाउ.. शरद जी यू आर टू गुड.. अब मज़ा आएगा खेल का…!
इसी तरह बात करते हुए वो दोनों घर पहुँच गए…
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