RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद- ऐसा क्यों.. यार अपनी ही बहन को धोखा दे रहे हो, पूछ सकता हूँ क्यों..?
अमर- अरे यार धोखा नहीं दे रहा.. बस उसको बकरा बना रहा हूँ।
शरद- अरे यार वो लड़की है, उसको बकरा नहीं बकरी बनाओ हा हा हा हा..!
अमर भी हँसने लगता है और अपने मन में कहता ही बकरी नहीं उसको तो मैं घोड़ी बनाऊँगा..!
शरद- क्या सोच रहा है..!
अमर- कुछ नहीं यार.. बस ऐसे ही..!
शरद- अच्छा यह बता कि मेरे बोलने से वो मान जाएगी क्या?
अमर- नहीं यार वो बहुत स्मार्ट है, ऐसे नहीं मानेगी.. तू थोड़ी एक्टिंग करना.. बस आज रात को तू मेरे घर आ जा, बाकी क्या करना है ये तू खुद सोच लेना..!
शरद- ओके, मैं 9 बजे आऊँगा लेकिन यार एक बात कहूँ मुझे उसकी कुछ पिक लेनी होगी, ताकि उसको लगे कि रियल में उसको फिल्म में रोल दिलवा रहा हूँ।
अमर- हाँ क्यों नहीं यार.. ले लेना..!
शरद- यार वो तेरी सग़ी बहन है.. डर रहा हूँ कुछ गलत ना हो जाए..और कहीं तुमको बुरा ना लग जाए।
अमर- क्यों मुझे को क्यों बुरा लगेगा यार..!
शरद- अब यार तू तो जानता ही है न.. कि आजकल की हीरोइन कैसी होती हैं.. उसी टाइप के पिक लेने होंगे..!
अमर- तो ले लेना न..! यार मुझे कुछ बुरा नहीं लगेगा, मैं तो खुद उसको बोल कर आया हूँ ये सब बातें कि फिल्म लाइन में शर्म नाम की कोई चीज नहीं होती है, वो रेडी है यार..!
शरद- यार एक बात समझ नहीं आ रही.. तू आख़िर चाहता क्या है.. साफ-साफ बता न..! अपनी सग़ी बहन को मेरे सामने अध-नंगा करने को भी तैयार है, यार मुझे ये सिर्फ़ बकरा बनाने की बात तो नहीं लगती.. बात कुछ और ही है..!
अमर- अरे यार अब तुझसे क्या छिपाऊँ, तू अध-नंगी की बात कर रहा है, मेरा बस चले तो उसको पूरी नंगी कर दूँ.. पागल हो गया हूँ मैं उसकी जवानी देख कर..!
शरद- क्या तू होश में तो है..! वो तेरी सग़ी बहन है यार..!
अमर- तो क्या हुआ दुनिया में बहुत से बहन-भाई चुदाई करते हैं.. मैं कर लूँगा, तो कौन सी आफ़त आ जाएगी..!
शरद- यार तेरे मन में यह ख्याल आया कैसे और इस गंदे काम में तेरी मदद करके मुझे क्या मिलेगा..!
!
अमर- मेरे मन में ये कैसे आया, इस बात को गोली मार और रही तेरे फायदे की बात..! तो यार तू भी चूत का स्वाद चख लेना..!
यह सुनकर शरद की आँखों में चमक आ गई क्योंकि वो तो सुबह ही रचना पर फिदा हो गया था और उसे इस बात का अफ़सोस भी था कि अमर कैसा भाई है, जो अपनी बहन को चोदना चाहता है, पर दिल में ख़ुशी भी थी कि उसको एक कच्ची कली बिना मेहनत के चोदने के लिए मिल रही है।
यह सुनकर शरद की आँखों में चमक आ गई क्योंकि वो तो सुबह ही रचना पर फिदा हो गया था और उसे इस बात का अफ़सोस भी था कि अमर कैसा भाई है जो अपनी बहन को चोदना चाहता है, पर दिल में ख़ुशी भी थी, कि उसको एक कच्ची कली बिना मेहनत के मिल रही है।
अमर- क्या सोचने लगा यार? अभी से मेरी बहन के ख्यालों में खो गया क्या?
शरद- नहीं यार… वो बात नहीं है, पहले में रचना से मिलूँगा, उसके बाद ही कुछ बता पाऊँगा कि तुम्हारा प्लान कितने दिन में पूरा होगा और हाँ, वहाँ उसके सामने मैं जैसा भी बर्ताव करूँ, तू ज़्यादा बीच में मत बोलना, ओके..!
अमर- ओके.. यार बस तू उसको पटा लेना, एक बार वो ‘हाँ’ कर दे, तो मज़ा आ जाएगा।
शरद- अब चलें, बात बहुत हो गई है..!
अमर- हाँ चलो.. अभी ललिता भी नहीं होगी.. तो आराम से उससे बात हो जाएगी।
शरद- यह ललिता कहाँ है?
अमर- मेरी छोटी बहन ललिता अपनी सहेली के यहाँ गई हुई है, रात तक ही आएगी, तब तक रचना को पटाते हैं।
शरद ने हाँ में सर हिलाया।
शाम के 6 बजे दोनों अमर के घर पहुँच गए। अमर अपने कमरे में शरद को बैठा कर खुद रचना के रूम में गया।
उस समय रचना तैयार हो रही थी, शायद सोकर उठी होगी और नहा कर तैयार हो रही थी, उसके लंबे बाल भीगे हुए थे, वो उनको सुखा रही थी।
रचना- अरे भाई आप.. आओ न..! कहाँ चले गए थे आप.. मैं आपके रूम में गई, तो आप नहीं थे..!
अमर- मेरी स्वीट सिस्टर, तेरे लिए ही बाहर गया था। कोई अच्छा सा ड्रेस पहन कर मेरे रूम में जल्दी से आ जा। शरद आया है तुमसे मिलने ! मैंने उससे तेरे लिए बात कर ली है।
रचना- ओह.. वाउ.. भाई आप कितने अच्छे हो.. मैं बस अभी आई..!
अमर- कोई अच्छी सी ड्रेस पहनना.. वो तेरा इंटरव्यू लेंगा। पहले तो उसने मना कर दिया था, पर मैंने दोस्ती का वास्ता दिया, तब यहाँ आया है। अब बाकी तुम संभाल लेना..!
रचना- ओके भाई, अब आप जाओ वो अकेले बैठे होंगे। मैं बस 5 मिनट में तैयार होकर आई.. !
अमर वापस शरद के पास गया और उसे समझा दिया कि अब संभाल लेना.. वो आती होगी।
तकरीबन दस मिनट बाद रचना कमरे में दाखिल हुई तो दोनों उसको देख कर बस देखते ही रह गये..
रचना ने गुलाबी जालीदार टॉप पहना हुआ था, जिसमें से उसकी काली ब्रा भी साफ दिखाई दे रही थी और उसका गोरा बदन भी दिख रहा था।
नीचे एक काले रंग की शॉर्ट-स्कर्ट जो जरूरत से कुछ ज़्यादा ही छोटी थी। यूँ समझो कि बस चूत से कोई 2-3 इंच नीचे तक..
अगर कोई थोड़ा सा झुक कर देखे तो उसकी पैन्टी भी दिखाई दे जाए।
उसकी गोरी-गोरी जांघें क़यामत ढहाने को काफ़ी थीं।
शरद- ओह वाउ… यू लुकिंग गॉर्जियस..!
रचना- थैंक्स शरद जी..!
अमर भी बस उसकी खूबसूरती को देखता ही रह गया। दोनों के लौड़े पैन्ट में तन गए थे।
शरद- आओ रचना.. यहाँ बैठो..!
रचना उन दोनों के सामने कुर्सी पर बैठ जाती है, जैसे उसका इंटरव्यू होने वाला हो।
अमर- रचना मैंने बड़ी मुश्किल से शरद को यहाँ बुलाया है, ये कुछ पूछना चाहते हैं..!
शरद- अब बस भी करो, तुम ही बोलते रहोगे या मुझे भी बोलने दोगे?
अमर- सॉरी यार..!
शरद- देख यार बुरा मत मानना, वैसे तो हम दोस्त हैं, पर काम के मामले में किसी तरह का दखल पसंद नहीं करता हूँ। अब चुप रहो, मुझे रचना से बात करनी है।
रचना- आप क्या पूछना चाहते हो?
शरद- सबसे पहली बात तो यह कि इतनी कम उम्र में तुमको हीरोइन बनने का ख्याल कैसे आया?
रचना- मेरी उम्र कम कहाँ है, पूरी 18 की हो गई हूँ, आलिया भट्ट भी तो इसी ऐज की होगी..! वो कैसे बन गई?
शरद- ओहो आलिया की बराबरी कर रही हो जान.. उसका बाप डायरेक्टर है, समझी तुम..!
रचना चुपचाप उसकी तरफ देखने लगी।
“ओहो.. सॉरी मैंने ‘जान’ बोल दिया.. दरअसल यह मेरी आदत है कि काम के समय बात करते समय सामने वाले को ‘जान’ बोलता हूँ।”
रचना- कोई बात नहीं आपने जान ही तो बोला है न…! और रही बात मेरे हीरोइन बनने की, तो आपकी इतनी पहचान कब काम आएगी..! प्लीज़ शरद जी प्लीज़..!
अमर- हाँ यार, मेरी बहन के लिए तुमको इतना तो करना ही होगा..!
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