Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 01:26 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा धीरे धीरे अपने कदमो को बढ़ाते हुए आगे आता हैं और वहीं राहुल के बगल में बैठ जाता हैं और अपना सिर झुका कर राधिका का माथा चूम लेता हैं.... और फिर वो राधिका के गले लग जाता हैं..और वहीं फुट फुट कर रोने लगता हैं....



कृष्णा- ये सब कैसे हो गया राधिका... तू ये सब अकेले सहती रही और मुझे भी बताना ज़रूरी नहीं समझा... आज इन सब का गुनेहगार मैं हूँ.... आज जो कुछ भी तेरे साथ हुआ हैं वो आज सब मेरी वजह से हैं... तू ईश्वर से यही दुवा करना कि मेरा जैसा भाई तुझे कभी ना मिले....



राधिका- नहीं भैया ऐसा मत कहो.....मुझे कोई पछतावा नहीं हैं बस अपने रब से यही दुवा करूँगी कि आप सुधर जाओ... समझ लेना मुझे आपने सारी खुशियाँ दे दी....अब मेरा वक़्त आ गया हैं भैया..शायद आप लोगों का साथ मेरे यहीं तक था....



कृशन- नहीं राधिकीया ऐसा मत बोल.. मैं तेरे बगैर नहीं जी पाउन्गा... तू ऐसा नहीं कर सकती.. तू मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती....



राधिका- भैया जो सच हैं उससे झूटलाया तो नहीं जा सकता... अब मेरे पास कुछ देर का और वक़्त हैं....फिर मेरा सफ़र यहीं पर ख़तम हो जाएगा...माफी चाहती हूँ कि मैं आपका साथ आगे नहीं निभा सकूँगी... मगर अपनी बेहन को कभी भूल मत जाना....



तभी राधिका के मूह से धीरे धीरे खून आना शुरू होने लगता हैं... और उसकी आवाज़ भी लड़खड़ाने लगती हैं.. धीरे धीरे उसकी आँखें भी बंद होनी शुरू होने लगती हैं...तभी वहीं रखा हार्ट बीट डेटकटोर बीप करने लगता हैं और तुरंत ड्र. अभय वहीं कमरे में आते हैं और राधिका को एक इंजेक्षन देते हैं... इंजेक्षन के थोड़ी देर बाद राधिका की हालत कुछ नॉर्मल होती हैं.... मगर उसके मूह से खून आना बंद नहीं होता....



राहुल अपना रुमाल निकालकर राधिका के मूह से बहते खून को पोछता हैं... निशा का रो रो कर बुरा हाल था...



राहुल- कितना खुस था मैं कि कल हमारी शादी होगी... मैने शादी की पूरी तैयारी भी करवा ली थी... और तुम्हें कुछ प्रेज़ेंट भी देना चाहता था....और मैने तो तुम्हारे लिए शादी के लाल जोड़े भी खरीद कर रखे थे.... कितने सपने सजाए हे मैने तुम्हारे लिए... मगर मुझे क्या पता था कि जिस दिन हमारी शादी होगी उसी दिन तुम्हारी अर्थी उठेगी.....और इतना कहकर राहुल फिर से रो पड़ता हैं......



राधिका- नहीं राहुल.....अब मैं तुम्हारे लायक नहीं रही... और मैं ये कभी नहीं चाहूँगी कि तुम अब मुझसे शादी करो.... क्यों कि ये दुनिया वाले हमेशा तुमपर उंगली उठाते कि इसकी बीवी ना जाने कितनों के साथ रात बिता कर आई हैं... और मेरी वजह से तुम्हें हर जगह शर्मिंदा होना पड़ता... और मैं नहीं चाहती कि तुम पर कोई उंगली उठाए....



ख़ान- भाभी कसम हैं मुझे आपकी मैं उन कमीनो को नहीं छोड़ूँगा... आपके हर दर्द का और हर आँसू का बदला मैं उनसे लूँगा.. जिसने भी आपका ये हाल किया हैं वे लोग कभी चैन और सुकून से जी नहीं पाएँगे... उन्हें ऐसी मौत मारूँगा कि मौत भी देखकर काँप उठेगी....और ख़ान के भी आँखों में आँसू आ जाते हैं और वो भी फुट फुट कर रोने लगता हैं.... राधिका अपनी एक हाथ आगे बढ़ाकर ख़ान के हाथों में रख देती हैं और उसे चुप करती हैं.... ख़ान वहीं राधिका के बाजू को पकड़ कर वही रोने लगता हैं.... ये सब देखकर राहुल भी फिर से रो पड़ता हैं.....



राधिका- मुझे तुम पर नाज़ हैं ख़ान .... तू सच में एक काबिल ऑफीसर हो और मेरे राहुल के एक बहुत अच्छे दोस्त भी... मैं जानती हूँ कि मेरे जाने के बाद राहुल पूरी तरह टूट जाएगा... मगर इस वक़्त उसे एक अच्छे दोस्त की ज़रूरत हैं...और तुम मुझसे वादा करो कि तुम उसे सहारा दोगे उसका पूरा ख्याल रखोगे..... उसके हर सुख दुख में हमेशा उसके पास रहोगे....



ख़ान- मैं वादा करता हूँ भाभी... ऐसा ही होगा... मैं सर को कभी मायूस नहीं होने दूँगा...और उनका पूरा ध्यान रखूँगा.....



निशा- बस कर राधिका बस कर..... जो सज़ा मुझे देनी हैं वो तू दे दे.. चाहे तो तू मुझसे ज़िंदगी भर बात मत करना.... मगर ऐसे मुझे अकेला छोड़ कर मत जा. मैं तेरे बिन एक दम अकेली हो जाउन्गि...कौन रहेगा मेरे साथ जो मुझे हिम्मत देगा... कैसे जिउन्गि मैं तेरे बिन..नहीं जी सकती अब मैं....



तभी वहाँ पर मिस्टर-अग्रवाल आते हैं- मुझे नाज़ हैं बेटी तुम पर और तुम्हारी दोस्ती पर...ख़ुसनसीब हैं मेरी बेटी जिसे तुम जैसा दोस्त मिला... आज अगर तुम मेरी बेटी होती तो मेरा सिर गर्व से ऊँचा होता.. और वैसे भी मैने तुम्हें अपनी बेटी ही समझा हूँ .... कभी तुम्हें पराया नहीं समझा.... और ना ही निशा में और तुममें कोई फ़र्क समझा..... आज मिस्टर.अग्रवाल के आँखों में भी आँसू आ गये थे.. कहते कहते उनका भी गला भारी हो जाता हैं और वो झट से बाहर निकल जाते हैं.....वहीं सीता भी रो पड़ती हैं...



इस वक़्त कमरे में जितने लोग भी मौजूद थे सबकी आँखों में आँसू थे... इधेर वक़्त बीत रहा था और उधेर राधिका की साँसें धीरे धीरे रुकती जा रही थी.... और साथ ही साथ उसकी तकलीफ़ भी बढ़ने लगी थी....
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