Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 01:09 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका- भैया जो हुआ वो ठीक नहीं हुआ. ना जाने हमारी इन खुशियों को किसकी नज़र लग गयी. अब तो सब कुछ अच्छे से चल रहा था ...मगर शायद किस्मेत को कुछ और ही मंज़ूर था..

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका ये सब मेरी ही ग़लती से हुआ. दुख तो मुझे इस बात का हैं कि मैं एक अच्छे भाई का फ़र्ज़ अदा नही कर सका. और अब तो तेरी शादी होने वाली हैं राहुल के साथ और मैं जानता हूँ कि राहुल तुझे बहुत खुस रखेगा. आच्छा यही होगा राधिका की तू हमे भूल जाना.

राधिका- पता नहीं भैया अब तो मुझे ज़िंदगी से ही डर लगने लगा हैं. ना जाने कब क्या हो जाए. और आज मैं इस लिए आपसे मिलने आई हूँ कि मुझे खुद नहीं मालूम कि आने वाला वक़्त मुझे कहाँ ले जाएगा. पता नहीं कल को मैं आपसे दुबारा मिल पाउन्गि भी की नहीं. इसलिए सोचा मरने से पहले एक बार आपसे मिल लूँगी तो मुझे अपनी ज़िंदगी से कोई शिकवा गिला नहीं रहेगा. और इतना कहते कहते राधिका के आँखों में आँसू आ जाते हैं. कृष्णा भी रोने लगता हैं.

कृष्णा- ये तू कैसी बातें कर रही हैं. तुझे कुछ नहीं होगा. अगर तुझे कुछ हो गया तो ये तेरे भाई भी इस दुनिया में नहीं रहेगा. ये कृष्णा का वादा हैं. नहीं जी पाउन्गा मैं तेरे बगैर. और भगवान के लिए ऐसी बातें मत कर. आज मैं जानता हूँ कि मैने तेरे दिल को कितना दुखाया हैं. और मैने जो किया हैं वो माफी के लायक भी नहीं. फिर भी अगर हो सके तो तू मुझे माफ़ कर देना.

बिरजू- बेटा कृष्णा सही कह रहा हैं. आज जो कुछ भी हुआ हैं इन सब का ज़िम्मेदार मैं हूँ. अगर मैने अपने परिवार की ज़िम्मेदारी बहुत पहले अपने कंधे पर उठाया होता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. हो सके बेटा तो तू मुझे माफ़ कर देना. राधिका अपने आँसू पोछती हैं और एक नज़र अपने भैया और बाप को देखती हैं फिर वो बाहर निकल जाती हैं.

राहुल- रिलॅक्स राधिका. जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी दुख हैं मगर मैं अपनी फ़र्ज़ की राह से अपना मूह तो नहीं मोड़ सकता. तुम कहो तो मैं इसी वक़्त तुम्हरे साथ अपने घर चलता हूँ इसी तुम्हारा थोड़ा मूड भी फ्रेश हो जाएगा.

राधिका- नहीं राहुल मैं इस वक़्त अपने घर जाना चाहती हूँ मैं कुछ देर अकेले रहना चाहती हूँ. फिर राहुल ख़ान को बुलवाकर राधिका को उसके घर तक छोड़ देता हैं.

राधिका इस वक़्त वही सब बातें सोच रही थी. उसे तो समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो करे क्या. आज एक तरफ उसके भैया, बाप, उसका प्यार और दोस्ती सब कुछ दाँव पर लगा था और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. वो तो कभी नहीं चाहेगी कि उसकी वजह से किसी को कोई तकलीफ़ हो. फिर वो शराब लेकर पीने लगती हैं शायद वो अपने गम थोड़ा भुला सके. काफ़ी देर तक वो यही सब सोचती हैं और ना जाने कब उसकी आँख लग जाती हैं उसे पता ही नहीं चलता.

दूसरे दिन.......................

करीब 3 बजे बिहारी का कॉल आता हैं राधिका के मोबाइल पर. राधिका जब बिहारी का नंबर देखती हैं तो उसकी दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और उसका गला सूखने लगता हैं. वो अपने काप्ते हाथों से फोन रिसेव करती हैं.

राधिका- हेलो..

बिहारी- अरे मेरी जान आज तेरी आवाज़ में वो जोश नहीं हैं जो पहले था. घबरा मत मैने तेरे पास ये जानने के लिए फोन किया था कि तूने क्या फ़ैसा लिया हैं. अगर तेरा जवाब हां हैं तो मैं कल अपने आदमी भेज दूँगा 12 बजे तक तुझे लेने के लिए. और अगर नहीं हैं तो फिर तेरे घर पर 12 बजे तक तेरे चाहने वालों की लाशें पहुँच जाएगी. अब बता तू क्या चाहती हैं.

राधिका- मैने अभी ...........कुछ सोचा नहीं हैं.....मुझे एक घंटे का टाइम दो मैं तुम्हें बता दूँगी की मेरा फ़ैसला क्या हैं..

राधिका के दिल और दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. आज वो कोई भी फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि वो बिहारी को क्या जवाब दे. एक तरफ उसके चाहने वाले और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. उसे अपनी चिंता नहीं थी वो बस राहुल को खोना नहीं चाहती थी. काफ़ी देर तक वो इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं फिर अचानक से उसके मन में कुछ ख्याल आता हैं और वो ये सोचकर अपने इरादे मज़बूत कर लेती हैं. थोड़े देर के बाद बिहारी का दुबारा से फोन आता हैं. राधिका वो फोन रिसीव करती हैं.

बिहारी- कुछ सोचा कि नहीं मेरी जान. या अभी तुझे और वक़्त चाहिए.

राधिका- बिहारी मुझे तुम्हारी सारी शर्तें मंज़ूर हैं जो तुम चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी मगर...........

ये सुनकर बिहारी ख़ुसी से झूम उठता हैं- मगर क्या............

राधिका- मैं चाहती हूँ कि ये सब के बारे में तुम किसी को कुछ नहीं बताओगे और मेरी जितनी भी तुमने फिल्म शूट की हैं वो सब तुम मुझे एक हफ्ते के बाद लौटा दोगे और उसके बाद तुम मुझसे ना कभी मिलोगे और ना ही मेरी ज़िंदगी में कोई दखल अंदाज़ी करोगे. और निशा राहुल मेरे भैया और बापू इन सब की भी ज़िंदगी में कोई हस्तक्षेप नहीं करोगे. अगर मेरी ये सारी शर्तें तुम्हें मंज़ूर हो तो मैं तुम्हारे साथ वो सब करने को तैयार हूँ.

बिहारी- ठीक हैं राधिका मैं तुझे वचन देता हूँ कि मैं तेरा ये राज़ कभी किसी को नहीं बताउन्गा और एक हफ्ते के बाद तू बिल्कुल आज़ाद हैं. मुझे तेरी सारी शर्तें मंज़ूर हैं मैं कभी किसी के ज़िंदगी में कभी कोई हस्तक्षेप नहीं करूँगा. और हां कल दोपहर तक मैं अपनी गाड़ी भेज दूँगा और हां मैं जो कपड़े भेजूँगा तुझे वही पहन कर मेरे पास आना हैं मुझे अब तेरा बेसब्री से इंतेज़ार हैं...और बिहारी इतना कहकर फोन रख देता हैं.
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