Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 12:32 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:55 PM by sexstories.)
#92
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा- तू मुझे चॅलेंज कर रही हैं देख लेना मैं दावे से कहता हूँ कि तू मेरे सामने टिक नहीं पाएगी. मैं अच्छे से जानता हूँ कि किसी भी लड़की को कैसे वश में किया जाता हैं.

राधिका मुस्कुराते हुए- ये तो वक़्त ही बतायेगा कि आपका पलड़ा भारी हैं या मेरा.

कृष्णा- फिर ठीक हैं लग गयी बाज़ी. अगर तू मेरे सामने अपनी घुटने ना टेक दे तो मैं आज के बाद हमेशा के लिए तेरी गुलामी करूँगा ये कृष्णा की ज़ुबान हैं.

राधिका- सोच लो भैया कहीं ये सौदा आपको महँगा ना पड़ जाए.
कृष्णा- मर्द हूँ एक बार जो कसम ले ली तो फिर पीछे नहीं हटूँगा. मगर तू मुझे किसी भी बात के लिए मना नहीं करेगी. बोल मंजूर हैं.

राधिका मुस्कुराते हुए- फिर ठीक हैं मुझे आपकी शर्त मंज़ूर हैं.

कृष्णा कुछ देर ऐसे ही खामोश रहता हैं फिर गहरे विचार के बाद वो राधिका के बिल्कुल करीब आता हैं. वैसे कृष्णा मंझा हुआ खिलाड़ी था वो ना जाने आब तक कितनी रंडियों को आपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर चुका था. इसकी दो वजह थी एक तो उसका हथियार काफ़ी दमदार था और दूसरा वो बहुत सैयम से काम लेता था. किसी भी परिस्थिति में वो विचलित नही होता था. इस लिए उसे पूरा विश्वास था कि वो हर हाल में बाज़ी ज़रूर जीत जाएगा. हालाकी राधिका की रगों में भी उसका ही खून था मगर राधिका इन सब मामलों में एक्सपर्ट नहीं थी. उसने तो अपनी ज़िंदगी में बस राहुल के साथ सेक्स किया था. इस वजह से उसे सेक्स के बारे में ज़्यादा पता नहीं था.

कृष्णा एक दम धीरे से राधिका के पीछे आता हैं और और उसके कंधे पर अपने लब रखकर एक प्यारा सा किस करता हैं और अपने दोनो हाथों को धीरे से बढ़ाकर राधिका के दोनो बूब्स को धीरे धीरे मसलना शुरू कर देता हैं. राधिका मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और उसके मूह से सिसकारी निकल जाती हैं.

कृष्णा फिर अपना होंठ राधिका के पीठ पर रखकर फिर से उसी अंदाज़ में हौले हौले चाटना शुरू करता हैं. राधिका की पैंटी पूरी भीग चुकी थी. वो तो बड़े मुश्किल से अपने आप को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी.

राधिका- भैया बस भी करो मुझे कुछ हो रहा हैं.
कृष्णा- बता ना राधिका यही तो मैं जानना चाहता हूँ कि तुझे क्या हो रहा हैं.पहले भी तुझसे मैं कई बार पूछ चुका हूँ मगर तूने बताने से इनकार कर दिया. आज तो मैं जानकार ही रहूँगा.

राधिका- मुझे शरम आती हैं भैया मैं आपको नहीं बता सकती.

कृष्णा- आरे तू तो मेरी अपनी हैं. और अपनों से कैसी शरम. अब बता भी दे.

राधिका- वो .................नीचे............ मेरी सी........चूत. इसके आगे राधिका कुछ बोल नहीं पाती और शरमा कर अपनी नज़रें नीची झुका लेती हैं.

कृष्णा- क्या हुआ तेरी चूत को. क्या मेरे छूने से तेरी चूत में कुछ होता हैं. कृष्णा के ऐसे ओपन वर्ड्स सुनकर राधिका शरम से पानी पानी हो जाती हैं.

कृष्णा- चुप क्यों हैं बता ना. क्या तेरी चूत गीली हो गयी हैं. हां शायद यही वजह हैं और इतना कहकर कृष्णा एक पल में अपना हाथ नीचे लेजा कर राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती है. फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ राधिका की पैंटी के अंदर सरका देता हैं और उसके क्लिट को अपनी उंगली से मसल्ने लगता हैं. राधिका एक दम से बेचैन हो जाती हैं और जवाब में वो अपना लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगती हैं.

एक हाथ से वो राधिका के बूब्स को मसल रहा था और दूसरे हाथों से वो राधिका की चूत को सहला रहा था. और राधिका उसके लिप्स को चूस रही थी. माहौल पूरा आग लगा देने वाला था. थोड़ी देर में कृष्णा का हाथ पूरा गीला हो जाता हैं.

राधिका- भैया.............. अब बस भी करो मुझसे अब बर्दास्त नही हो रहा. आप शर्त जीत गये.

कृष्णा- अरे मेरी जान तूने इतनी जल्दी कैसे हार मान ली. अभी तो शुरूवात हैं. देखना आगे आगे मैं क्या करता हूँ. इतना बोलकर कृष्णा अपने दोनो हाथ राधिका की पीठ पर रखकर उसकी ब्रा का स्ट्रिप्स को खोल देता हैं और अगले पल राधिका झट से अपने गिरते हुए ब्रा को दोनो हाथों से थाम लेती हैं.

कृष्णा अगले पल राधिका के ब्रा को पकड़कर उसके बदन से अलग कर देता हैं और राधिका भी कोई विरोध नहीं कर पाती. बस अपनी नज़रें नीची करके अपनी गर्देन झुका लेती हैं. कृष्णा भी झट से राधिका के सामने आता हैं और वो राधिका के बूब्स को देखने लगता हैं. फिर वो अपना लिप्स को राधिका के निपल्स पर रखकर उसे एक दम हौले हौले चूसने लगता हैं. ना चाहते हुए भी राधिका कृष्णा की हरकतों को इनकार नही कर पाती और वो अपना एक हाथ कृष्णा के बालों पर फिराने लगती हैं.

कृष्णा- राधिका तुम्हारे ये दूध कितने मस्त हैं. जी तो करता हैं इन्हें ऐसे ही चूस्ता रहूं.

राधिका- तो चूसो ना मैने कब मना किया हैं. जब तक आपका मन नहीं भरता आप ऐसे ही इन्हें चूस्ते रहो.

फिर कृष्णा एक हाथ से उसके निपल को अपनी उंगली में मसल्ने लगता हैं और दूसरी तरफ वो अपना मूह लगाकर राधिका के बूब्स पीने लगता हैं. राधिका को तो लगता हैं कि अब उसकी जान निकल जाएगी. कृष्णा सब कुछ एक दम आराम से कर रहा था. उसे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं थी. और वो जानता भी था कि ऐसे कुछ देर में राधिका का भी संयम जवाब दे देगा और वो सब कुछ करेगी जो वो चाहता हैं.

करीब 10 मिनिट के बाद आख़िर राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर कृष्णा का लंड थाम लेती हैं और उसे अपने नाज़ुक हाथों से मसल्ने लगती हैं. कृष्णा ये देखकर मुस्कुरा देता हैं और अपना अंडरवेर उतारने लगता हैं और कुछ पल में वो एक दम नंगा उसके सामने हो जाता हैं.

राधिका वैसे तो अपने भैया को पूरा नंगा देख चुकी थी मगर उस वक़्त हालत दूसरे थे. वो एक टक कृष्णा के लंड को देखने लगती है. राधिका को ऐसे देखता पाकर कृष्णा भी अपना लंड उसके सामने कर देता हैं.

कृष्णा- ऐसे क्या देख रही हैं राधिका पसंद नहीं आया क्या.
राधिका अपना थूक निगलते हुए- भैया इतना बड़ा भला ये कैसे मेरे अंदर जाएगा.

कृष्णा-चिंता मत कर बाकी औरतों की तरह तू भी इसे अपनी चूत में आराम से ले लेगी.

फिर कृष्णा राधिका को बिस्तेर पर सीधा लेटा देता हैं और उसकी पैंटी भी सरकाकर उसे पूर नंगा कर देता हैं. अब राधिका की चूत अपने भैया के सामने बे-परदा थी. कृष्णा का अरमान अब पूरा हो गया था राधिका को पूरा नंगा देखने का. वो बड़े गौर से राधिका की खूबसूरती को अपनी आँखों में क़ैद करने लगता हैं. कृष्णा को ऐसे देखकर राधिका फिर से शरमा जाती हैं.
कृष्णा फिर राधिका के उपर आता हैं और अपने होंठ राधिका के होंठो पर रखकर फिर से उसे चूसने लगता हैं और फिर बहुत धीरे धीरे अपना जीभ फिराते हुए वो नीचे की तरफ बढ़ने लगता हैं. और राधिका बेचैन होने लगती हैं. आज कृष्णा ने उसकी चूत इतनी गीली की थी कि राधिका खुद हैरान थी. इतनी आग तो आज तक राहुल ने भी नहीं लगाई थी. आज उसे महसूस हुआ था कि जिस्म की आग क्या होती हैं. राधिका के मूह से भी सिसकारी लगातार निकल रही थी और उधेर कृष्णा की हरकतों से भी उसे मज़ा आ रहा था.

फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर अच्छे से अपनी जीभ फिराता हैं और फिर एक हाथ से उसके बूब्स को कस कर मसल्ने लगता हैं और और दूसरी उंगल उसकी चूत पर फिराने लगता हैं. और अपना जीभ से उसके दूसरे निपल्स को चूसने लगता हैं. अब राधिका का सब्र जवाब दे देता हैं और वो ना चाहते हुए भी चीख पड़ती हैं.

राधिका- बस........ भैया.........आज .. मेरी ....जान लोगे.......क्या. मैं....मर .जाउन्गि............आह... और इतना कहते कहते उसकी चूत से उसका पानी निकलना शुरू हो जाता हैं और राधिका का ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं वो वही एक लाश की तरह कृष्णा की बाहों में पड़ी रहती हैं. उसकी धड़कनें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. और साँसें भी कंट्रोल के बाहर थी. बड़ी मुश्किल से वो अपनी साँसों को कंट्रोल करती हैं और अपनी आँखें बंद करके कृष्णा के लबों को चूम लेती हैं.........
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