Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 12:28 PM,
#59
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा के मन में कई सवाल उठ रहे थे. आज उसके दिल में अपनी ही बेहन के लिए डर बढ़ गया था. वो अच्छे से जानता था कि बिहारी किस हद्द का कमीना हैं. उसे जो भी चीज़ पसंद आ जाती हैं वो उसे किसी भी हाल में हासिल करना चाहता हैं. और जो वो धमकी देकर गया हैं वो बस बोलता ही नहीं हैं बल्कि करता भी हैं. ये सब सोचकर वो कुछ राधिका के लिए परेशान था.

कृष्णा-मैं तो ये सोच रहा हूँ कि हम ने बहुत बड़ी ग़लती की बिहारी से उलझकर. मैं उसको बहुत अच्छे से जानता हूँ वो बहुत ही कमीना हैं. मुझे तो बस तेरी चिंता हैं. अगर तुझे कुछ हो गया तो.......................

राधिका- कैसी बात करते हैं भैया. आपके रहते मुझे कुछ होगा क्या.

कृष्णा अपना हाथ प्यार से राधिका के सिर पर रख देता हैं और उसके माथे को चूम लेता हैं.

कृष्णा- मेरे रहते तुझे कोई छू भी नहीं सकता. जान दे दूँगा लेकिन तुझे कुछ नहीं होने दूँगा. आज से ये तेरा भाई तुझसे वादा करता हैं.

राधिका भी मुस्कुरा देती हैं. फिर कृष्णा उठकर बाहर जाता हैं और कुछ खाने का समान लेकर आता हैं.

कृष्णा- आज मैं तुझे अपने इन हाथों से खिलाउन्गा.

राधिका- हां भैया आपका मुझपर पूरा हक़ हैं. जो आपको अच्छा लगे मैं आज के बाद कभी आपको किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.

कृष्णा फिर बड़े प्यार से राधिका को अपने हाथों से खाना खिलाता हैं और राधिका भी अपने हाथों से कृष्णा को खाना खिलाती हैं. दोनो बड़े प्यार से एक दूसरे को देखते है.

कृष्णा- तुझे याद हैं आज पुर दस दिन बीत गये हैं. और अभी 4 दिन बाकी हैं. कृष्णा राधिका को कुछ याद दिलाते हुए बोला.

राधिका- क्या भैया आप भी ना........... नही सुधरोगे. एक तरफ तो मेरी हिफ़ाज़त करने को बोलते हो तो दूसरी तरफ मुझे सिड्यूस करने को. मैं सच में आभी तक आपको समझ नही पाई.

कृष्णा मुस्कुराते हुए- लगता हैं मैं ये शर्त हार जाउन्गा. अब तो लगता हैं की मेरा सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा.

राधिका- आप भी ना भैया.

कृष्णा- तो तू अपने मूह से बोल क्यों नहीं देती. बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए.

राधिका- ठीक हैं भैया मैं खुद बोलूँगी, मगर अभी नहीं आज मैं पहले से ही बहुत डिस्टर्ब हूँ.

कृष्णा- ठीक हैं राधिका मुझे तुझपर पूरा भरोसा हैं. तेरे जवाब का मुझे पहले भी इंतेज़ार था आज भी हैं और कल भी रहेगा.

राधिका - चलिए भैया आज आप मेरे रूम में चलकर सो जाइए. इस वक़्त आप बहुत नशे में हैं और आज मुझे बहुत डर भी लग रहा हैं. मैं आपके बाजू में वही पर सो जाऊंगी.

कृष्णा- तू इतने यकीन से कैसे कह सकती हैं कि मैं तुझे हाथ भी नही लगाउन्गा. अगर रात में मैं तेरे साथ कुछ..............

राधिका- मुझे अपने आप से ज़्यादा आप पर भरोसा हैं. मैं जानती हूँ कि आप मेरी मर्ज़ी के बिना मुझे हाथ भी नही लगाएगे. फिर राधिका एक बार कृष्णा के गले लग जाती हैं.

फिर कृष्णा और राधिका आकर एक ही बिस्तेर पर सो जाते हैं . कृष्णा तो जैसे ही बिस्तेर पर आता हैं वो तुरंत सो जाता हैं मगर आज राधिका कुछ ज़्यादा ही परेशान और बेचैन थी. वो बड़े गौर से कृष्णा को देखने लगती हैं. आज ना जाने क्यों उसे अपने भैया के प्रति प्यार और बढ़ गया था. आज वो अपने आप को कृष्णा के लिए समर्पित करना चाहती थी.

थोड़े देर ये सब सोचने के बाद वो कृष्णा का दाया हाथ अपने हाथ मे लेकर उसे बड़े प्यार से देखने लगती हैं. मगर कृष्णा को कोई होश नहीं था. फिर राधिका कुछ सोचकर कृष्णा का हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए पहले अपने लब पर रख देती हैं फिर उसके उंगली को एक एक करके बड़े प्यार से चूसने लगती हैं. कुछ देर तक ऐसा करने के बाद वो उसका हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने पर रख देती हैं और अपने हाथ पर प्रेशर बढाने लगती हैं. अगर कृष्णा इस वक़्त जगा होता तो वो खुशी से पागल हो जाता.

फिर वो कृष्णा का हाथ को उसी तरह अपने सीने पर घुमाने लगती हैं और फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर अपनी चूत को ज़ोर से मसल्ने लगती हैं. आज उसे ये भी होश नहीं था कि वो क्या कर रही हैं. इसी तरह कुछ देर बेचैन रहने के बाद वो उठ ती हैं और बाथरूम जाती हैं और फिर किचन में जाकर ठंडा पानी पीती हैं और फिर आकर कृष्णा की बाहों में अपना सिर रखकर उसके आगोश में सो जाती हैं. कृष्णा के बदन की गर्मी से राधिका के मन में फिर से बेचैन होने लगता हैं मगर वो नहीं चाहती थी कि आज वो कोई ऐसा वैसा काम करे. इसलिए बहुत कॉसिश करने के बाद वो कृष्णा से लिपटकर उसकी बाहों में सो जाती हैं...............

सुबह जब राधिका की नींद खुलती हैं तो कृष्णा का एक हाथ उसके सीने पर रहता हैं. वो भी बस मुस्कुरा देती है और बड़े प्यार से अपने भैया का माथा चूम लेती हैं. फिर वो उठकर फ्रेश होती है और किचन में जाकर नाश्ता बनाने लगती हैं.

दूसरी तरफ......................

करीब 10 बजे विजय के घर पर...

विजय अपने घर में बस शर्ट पहने हुए अपना एक हाथ अपने लंड पर रखकर ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था और बार बार राधिका का नाम ले रहा था. वो अपने में इतना मस्त था कि वो घर का मेन डोर बंद करना भी भूल गया था और वो अब अपने चरम पर पहुँचने वाला ही था कि किसी ने उसके घर पर आकर उसके मैन डोर को एक ज़ोरदार लात मरता हैं और दरवाज़ खुल जाता हैं.

सामने बिहारी था और बिहारी अंदर आते ही एक ज़ोरदार लात विजय के लंड पर मारता हैं और विजय के मूह से एक ज़ोरदार चीख निकल जाती हैं.....

बिहारी- मदर्चोद........ अपने गले में फाँसी का फँदा लगने वाला हैं और ये मदर्चोद यहाँ पर मूठ मार रहा हैं.

विजय- ज़ोर से चीखते हुए.........ये क्या बदतमीज़ी हैं बिहारी. तूने मुझे लात क्यों मारी.

बिहारी- लात नहीं मारू तो क्या तेरी आरती उतारू. मदर्चोद किसी दिन तू मुझे भी ले डूबेगा.

विजय कुछ देर में नॉर्मल होता हैं और फिर अपना पेंट पहन लेता हैं.

बिहारी- तुझे किसने कहा था उस इनस्पेक्टर पर हमला करने को. तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. अभी कल ही हमारे दो आदमी मारे गये हैं और उपर से तूने उसपर हमला करवा दिया. अब तो उसे पूरा यकीन हो गया होगा कि ज़रूर ये हमलावर उसी के ही आदमी होगे.

विजय- तो मैं और क्या करता. कब तक मैं अपना धंधा बंद करके बैठूं. मेरी तो प्लॅनिंग उसे जान से मारने की थी मागर साला उसकी किस्मत अच्छी हैं कि वो फिर से बच गया.

बिहारी- तुझे पता भी हैं राहुल और उसके डिपार्टमेंट के सारे पोलिकवले कुत्ते की तरह उस ट्रक को ढूँढ रहे हैं. और हो ना हो उन्हें एक दो दिन में वो ट्रक मिल ही जाएगा.

विजय- अगर मिल भी जाएगा तो कोई फायेदा नहीं होगा. पोलीस उनसे कुछ नही उगलवा पाएगी. क्योंकि वो एक कांट्रॅक्ट किल्लर हैं. उनका काम ही हैं दूसरी पार्टी से पैसा लेना और काम ख़तम होते के बाद अपना पैसा लेकर चले जाना. ना तो उनलोगों ने मुझे देखा हैं ना ही मैं उन्हें पहचानता हूँ.

बिहारी- ठीक हैं लेकिन याद रखना अगली बार कोई ग़लती नहीं होना चाहिए. अगर इस बार हम से कोई चूक हुई तो हम इस बार दुनिया से ही चले जाएगे.

विजय- तू अपनी मौत से कितना डरता हैं बिहारी. एक ना एक दिन तो मरना ही हैं ना..........फिर डर कैसा.

बिहारी- तो इसका मतलब मैं जाकर मौत को अपने गले लगा लूँ क्या. अभी तो मुझे जीवन में बहुत मज़े करने हैं. और बिहारी और विजय हँसने लगते हैं
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