RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
डॉली को झडने से ज़्यादा मज़ा, वहाँ तक पहुँचने में आ रहा था. रह रह कर उसको अपने छोटे भाई के साथ की हुई चुदाई के दौरान आने वाले मज़े के ख्याल आ जाते. लेकिन ये सब कुछ वो और उसका पति कर रहे थे, ये सब बिल्कुल अलग था, शायद इसलिए भी कि ये जायज़ था. समाज में सब पति पत्नी के बीच चुदाई को जायज़ मानते हैं, कोई पति अपनी पत्नी को मन चाहे अंदाज में चोदे किसी को कोई आपत्ति नही होती. लेकिन अगर कोई बेहन अपने भाई से चुदवा ले तो मानो क़यामत आ जाती है. आज अपने पति से चुदते हुए, डॉली अपने जिस्म की भूख को शांत कर रही थी. तभी डॉली ने धीरज के होंठों का स्वाद लेते हुए उसके मूँह जीभ में अंदर घुसा दी, और मूँह के अंदर सब जगह घूमने लगी.
जब धीरज को एहसास हुआ कि उसकी बीवी अपनी जीभ से क्या कर रही है, उसके कामुक विचारों ने तुरंत उसके लंड में हरकत पैदा कर दी, और उसके लंड ने तभी वीर्य का पानी छोड़ दिया. उसने लंड को चूत में गहराई तक पेलते हुए, चूत के दाने को अपने लंड की पूरी लंबाई से घिस कर रगड़ डाला, और डॉली भी चरम पर पहुँच गयी.
जैसे ही डॉली अच्छी तरह झडि वो चीख कर आवाज़ निकालने लगी "ओह्ह्होह्ह्ह्ह्हाआआग्ग्ग्घ्ह्ह्ह,"
एक पल को ऐसा लगा मानो वो बेहोश ही हो गयी हो. डॉली की छाती उपर नीचे हो रही थी, और उसकी चूत फडक रही थी, धीरज उसकी चूत में वीर्य की धार पर धार छोड़े जा रहा था, फिर दोनो बेड पर निढाल होकर लेट गये. धीरज अपनी बीवी के उपर लेटा हुआ था, और उसका लंड अभी भी चूत के अंदर ही था, और वो अपने लंड के उपर चूत के सिंकूडने और फैलने का आनंद ले रहा था. उसेक बाद दोनो एक दूसरे को बाहों में भर कर सो गये.
अगली रात भी लगभग सब कुछ पिछली रात की ही तरह हुआ, धीरज ने पहले डॉली की चूत को जी भर के चाट कर उसकी चूत को पानी छोड़ने पर मजबूर किया, और फिर अपने लंड को गरम गरम, इंतेजार कर रही चूत में पेल कर भरपूर चुदाई का मज़ा लिया. डॉली को भी अपनी ऊट को चटवाना बहुत अच्छा लगने लगा था, और वो धीरज के बालों को अपनी उंगलियों से पकड़ना और फिर अपनी पीठ उठाकर, चूत को अपने पति के मूँह पर रगड़ने का डॉली ने भरपूर मज़ा लिया. जब धीरज ने अपना लंड उसकी चूत में घुसाया तो डॉली ने धीरज के होंठों पर लगे अपनी चूत का रस को चाटना शुरू कर दिया. फिर दोनो एक साथ चरम पर पहुँचे, और वासना का तूफान जब शांत हुआ तब दोनो निढाल होकर थक कर सो गये.
पिछले कुछ हफ्तों से हर ट्यूसडे को धीरज की बेचैनी बढ़ जाती थी, और वो उतावला हो जाता था, क्यों कि अगले दिन वेडनेसडे दोपहर को तान्या के साथ जो कुछ होने वाला था उसका बेसब्री से इंतेजार करने लगता. लेकिन इस हफ्ते उसके दिमाग़ में बस अपनी बीवी डॉली को घर पर जी भर कर चोदने के ही विचार आ रहे थे.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डॉली ने अपनी पैंटी पर सॅनिटरी नॅपकिन को चिपका कर उपर चढ़ाकर पहनते हुए एक गहरी साँस ली, और बाथरूम के हुक पर टाँगे अपने गाउन को उतार लिया. घूमकर उसने अपने आप को शीशे में देखा, और अपनी चूंचियों के तन कर खड़े हुए निपल्स को देखकर मुस्कुराने लगी. उसको अपने सुडौल सेक्सी बदन पर घमंड होने लगा, और पिछले हफ्ते तो धीरज ने उसकी जिस तरह चुदाई की थी, उसके बाद डॉली को लगने लगा था कि वो अब पहले से भी ज़्यादा सेक्सी हो गयी है.
एक गहरी साँस लेकर वो अपनी मस्त चूंचियों को हर साँस के साथ उपर नीचे होते देखने लगी, और अपने खड़े निपल्स को निहारने लगी. एक लंबी साँस बाहर छोड़ते हुए, वो सोचने लगी कि कैसे अब अगले कुछ दिनों तक वो चुदाई नही कर पाएगी. कितना मज़ा आता है जब धीरज उसके निपल्स को चूसता है, और उसकी वो जीभ कहाँ कहाँ पर क्या क्या नही करती. उसने नाइट्गाउन को फिर से खूँटि पर टाँग दिया, और वैसे ही बाहर निकलने को तय्यार हो गयी.
धीरज का लंड तो अपनी बीवी का बाथरूम से बाहर निकलने का इंतजार करते हुए फूँकार मार रहा था. उसको विश्वास नही हो रहा था कि डॉली में इतना ज़्यादा एक दम चेंज कैसे आ गया था, लेकिन वो इस बारे में ज़्यादा ना सोचकर अपनी खुश नसीबी का एहसान मना रहा था. बाथरूम का डोर खोलकर जैसे ही डॉली बेडरूम में आई, धीरज ने थोड़ा खिसक कर डॉली के बैठने के लिए जगह बना दी. उसने इस चीज़ पर गौर ही नही किया कि उसकी बीवी आज पूरी नंगी नही है.
जब डॉली ने अपने पति के तन कर खड़े हुए लंड को सलामी मारते हुए देखा, वो थोड़ा शर्मा कर मुस्कुरा उठी, और अविश्वास में अपनी गर्दन हिलाने लगी. ओह नो.... बेचारा... इन पीरियड्स को भी अभी होना था?
जब धीरज ने देखा कि आज डॉली ने पैंटी पहन रखी है और उसकी तरफ सवाल भरी नज़रों से देखा तो डॉली धीमे से बोली, “मेरे पीरियड्स चल रहे हैं.”
"ओह... उः... ओह... ओके," धीरज को समझ में आ गया, डॉली उसके पास आकर बेड पर बैठ गयी. आज से पहले शादी के बाद, उन दोनो ने लगातार रोजाना कभी चुदाई की ही नही थी, जिस से मंत्ली पीरियड्स ने उनकी चुदाई में खलल डाला हो. धीरज मन ही मन सोचने लगा अभी कुछ दिन से ही तो वो रोजाना चुदाई कर रहे हैं. धीरज थोड़ा निराश तो हुआ, लेकिन फिर उसने अपनी बाहें डॉली के गले में डाल दी, और अपनी तरफ किस करने को खींचने लगा.
डॉली ने धीरज के चेहरे पर निराशा के भाव पढ़ लिए, और जैसे ही दोनो के होंठ मिले, डॉली ने अपना एक हाथ नीचे लेजाकर तने कर खड़े हुए लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर पकड़ लिया. ऐसा करते ही धीरज के बदन में खुशी की लेहर दौड़ गयी, और वो अपनी जीभ को डॉली के मूँह में और ज़्यादा अंदर घुसाने लगा. लंड को हल्के हल्के उपर नीचे करते हुए, डॉली ने किस को तोड़ते हुए,पेट पर किस करते हुए, नीचे की तरफ आ गयी.
धीरज को एक बार विश्वास नही हुआ कि उसकी बीवी उसका लंड चूसने के लिए अपने मूँह नीचे ले जा रही है. धीरज अपनी एल्बोस के सहारे थोड़ा उपर हुआ, और डॉली को अपनी टाँगों के बीच आते हुए देखने लगा. डॉली अपने पति के फन्फनाते लंड को निहार रही थी, धीरज थोड़ा और डॉली की तरफ खिसक गया और बोला, निकाल दो इसका पानी चूस चूस के... मेरी जान.
डॉली अभी भी धीरे धीरे लंड को उपर नीचे करते हुए सहला रही थी, उसका मूँह अपने पति के तन कर खड़े हुए लंड से बस कुछ ही इंचों की दूरी पर था. वो मन ही मन सोचने लगी कि धीरज को भी लंड चुसवाने में उतना ही मज़ा आएगा जितना उसको खुदको अपनी चूत चटवाने में आता है. डॉली ने ये सब सोचते हुए, अपनी आँखें बंद कर ली, और अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपने पति के लंड के सुपाडे पर फिराने लगी. उसने अपने हूँठों पर जीभ फिराई और एक बार फिर से सुपाडे को चाट लिया.
|