Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 10:55 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
अगले दिन जितना डॉली कोशिश कर रही थी कि उसके दिमाग़ में अपने छोटे भाई राज से चुदाई के बाद झडते हुए, शरीर में लगने वाली आग के ख्याल ना आए, उतना ही ज़्यादा वो इस बारे में सोच रही थी. वो चाहती थी उसको वैसी ही तृप्ति अपने पति से चुदाई से भी मिलनी चाहिए. और अगर ऐसा नही है, तो क्यों? वो मन ही मन इस बारे में विचार करने लगी. क्या उसका भाई ही उसको चुदाई का असली सुख दे सकता था. वो मन ही मन सोचने लगी, लेकिन ऐसा होना तो नही चाहिए?

धीरज इसके विपरीत कुछ और ही सोच रहा था. कल रात जो कुछ हुआ वो सब उसके दिमाग़ में घूम रहा था. उसकी बीवी जो चुदाई के दौरान कभी बिल्कुल ठंडी रहा करती थी, वो उसके लंड की सवारी कर रही थी, और लंड पर उछलते हुए उसकी चूंचियाँ भी किस तरह उछाल रही थी. ऑफीस में अपनी चेयर पर बैठा हुए, ये सोच कर ही उसका लंड पता नही कितनी बार खड़ा हो चुका था. आज रात क्या कुछ होगा ये सोच कर उसको इंतेजार करना मुश्किल हो रहा था. शायद आज उसको डॉली की चूत को चाटने का लंबे समय के बाद फिर से मौका मिले. 

डॉली और धीरज दोनो ही डिन्नर करते हुए थोड़ा नर्वस थे, और टीवी शोस के बारे में बातें कर रहे थे. दोनो ही बेड रूम में जाकर चुदाई करने को बेकरार थे. कुछ देर बाद जब बेडरूम में जाने का टाइम आया, तब तक धीरज का लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था, और डॉली की चूत अपना रस छोड़ कर पनिया गयी थी.

आज धीरज की सर्प्राइज़ देने की बारी थी, उसने डॉली को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया, और उसकी चूंचियों को किस करने लगा. डॉली तो सुबह से चुदाई के बारे में सोच सोच कर पहले से ही गरम हो चुकी थी, उसने अपने पति के चेहरे को अपनी चूंचियों के बीच दबा लिया, और धीरज उसके हार्ड हो चुके निपल्स को कभी चूसने और कभी उनकी चिकोटी भरने लगा.

डॉली के इतने खुले व्यवहार के बाद धीरज की झिझक भी गायब हो चुकी थी. धीरे धीरे वो डॉली के सारे बदन को उपर से चूमते हुआ नीचे चूत के खजाने की तरफ बढ़ने लगा. 

जैसे ही डॉली को एहसास हुआ कि उसका पति धीरज क्या करना वाला है, उसने एक गहरी साँस ली. जैसे ही धीरज उसकी टाँगों को फैला कर उसकी गोरी गोरी सुडौल जांघों के बीच आया, डॉली के शरीर में करेंट सा दौड़ गया. 

धीरज ने अपनी बीवी के दोनो पैर चौड़े कर के फैला दिए, और फूली हुई चूत की तरफ ललचाई नज़रों से देखने लगा. बेहनचोद ! डॉली की चूत के लिप्स चिकने पानी निकलने की वजह से चमक रहे थे, और ये बता रहे थे कि डॉली चुदने के लिए गरम हो चुकी है. उपर की तरफ नज़र दौड़ाने पर धीरज को डॉली की कड़क होकर खड़े हो चुके निपल्स दिखाई दिए, और डॉली के चेहरे पर थोड़ी आशंका भरे भाव नज़र आए. डॉली अचकचाती हुई अपनी दोनो टाँगों को सिकोड कर पास लाने की कोशिश करने लगी, लेकिन धीरज ने अपनी जीभ को गीली चूत के द्वार के नीचे से उपर तक लेकर, अपनी जीभ को चूत के लिप्स पर दबाते हुए चाट लिया.

"ओह!" डॉली कराही, और धीरज ने फिर नेक्स्ट टाइम वैसा ही किया तो डॉली ने धीरज को और ज़्यादा जगह देने के लिए अपनी दोनो टाँगें फैला दी. डॉली को लंबे समय के बाद चूत चटवाने में अलग ही मज़ा आ रहा था. जैसे ही जीभ चूत के अंदर घुसी, डॉली ने धीरज के सिर को पकड़ लिया, और अपनी पीठ का कमान बना लिया, और धीरज के मूँह को अपनी चूत पर ज़ोर से चिपका लिया, उसकी चूत में तो मानो आग लगी हुई थी.

धीरज ने समझदारी दिखाते हुए एक लंबी साँस ली और अपनी बीवी की चूत पर पहले से और ज़्यादा तेज हमला कर दिया. डॉली की चूत से निकल रहे रस का धीरज स्वाद लेने लगा, और चूत की मादक गंध को सूँघकर अपने अंदर समाने लगा, और डॉली की झान्टो पर अपना फेस रगड़ने लगा, डॉली अपनी गान्ड उपर उछाल कर मस्ती चढ़ने का सबूत देने लगी. डॉली की चूत की गंध बेहद मादक थी, जो धीरज अपने नथूनो में सम्माहित कर रहा था, और उसकी जीभ डॉली की चूत को चोद रही थी.

जैसे ही धीरज उसके चूत के दाने की तरफ बढ़ते हुए उसको अपनी नुकीली जीभ से पहले छेड़ने लगा और फिर उसको अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगा, "हे भगवान!" कहते हुए डॉली चिल्लाने लगी. डॉली अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी.


जैसे जैसे डॉली झडने के करीब पहुँचने लगी, वो "ओह! ओह्ह! ओह्ह्ह! ओह!" करते हुए चीखने लगी और धीरज ने उसकी पनिया रही चूत में अपनी दो उंगलियाँ घुसा दी. डॉली पागलों की तरह अपनी चूत को धीरज के मूँह पर घिस रही थी, और अपनी उंगलियों से उसने धीरज के बाल पकड़ रखे थे, जिस से धीरज कहीं अपना मूँह दूर ना कर ले. धीरज चूत के दाने को चाटे जा रहा था, और दो उंगलियों को गरम गरम चूत के अंदर बाहर कर रहा था.

"ओह! धीरज! ओह! ऐसे ही करते रहो प्लीज़!" डॉली ने अपनी चूत को उसकी उंगलियों के उपर टाइट कर लिया, और ज़ोर ज़ोर से काँपने लगी. जैसे ही डॉली झडि उसका सिर और कंधे अपने आप बेड से उपर उठ गये, और उसकी चूत ने ढेर सारा पानी धीरज की उंगलियों और हाथ पर छोड़ दिया. धीरज ने धीरे से अपनी उंगलियाँ चूत में से बाहर निकाली और अपना मूँह खोल कर चूत से निकले रस का रस्पान करने लगा. 

डॉली ढेर होकर बेड पर लेट गयी, और उसने धीरज के बालों पर से अपनी गिरफ़्त कमजोर कर दी, धीरज अभी भी उसकी चूत से निकले रस को चाट कर सॉफ कर रहा था. डॉली को बहुत महीनों या सालों के बाद इतना ज़्यादा मज़ा आया था. जो भी हुआ डॉली झडने के बाद बेहद प्रसन्न थी. शायद उतनी की प्रसन्न जितनी वो अपने छोटे भाई राज के साथ चुदाई में झडने के बाद हुआ करती थी. लेकिन वो राज के बारे में इस वक़्त क्यों सोच रही थी? 

इस से पहले की डॉली कुछ और सोचती, धीरज उसके बदन को चाटते हुए उपर आ गया, और अपने फन्फनाते हुए लंड को अपनी बीवी की आमंत्रित कर रही चूत के उपर दबाने लगा.

"ओह!" करते हुए डॉली ने आनी दोनो टांगे और ज़्यादा फैला कर चौड़ी कर ली, और अपनी बाहों को अपने पति की पीठ पर लेजाकर उसको जकड लिया, और तभी धीरज ने हल्का सा झटका लगाकर उसकी चूत मे अपने लंड का प्रवेश करा दिया. 

धीरज को तो मानो स्वर्ग मिल गया, उसकी बीवी ने अपनी चूत चटवाई, और वो अब अपनी बीवी के उपर चढ़ कर, उसकी गरम गरम चूत में अपना लंड घुसाकर मस्त चुदाई कर रहा था. वो लंड को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा, और डॉली ने अपने होंठ उसके होंठों की तरफ बढ़ा दिए. 

बिना कुछ सोचे डॉली ने अपनी जीभ धीरज के मूँह में घुसा दी, और धीरज के झटकों का अपनी चूत को उछाल उछाल कर जवाब देने लगी. डॉली की चूत में आग लगी हुई थी, और वो अपने हाथ के नाखूनों को धीरज की पीठ पर गढ़ाने लगी, और अपने शरीर में लगी वासना की आग को शांत करने की कोशिश करने लगी.

बेहनचोद! तभी डॉली को एहसास हुआ, कि धीरज के होंठों पर लगा जूस तो उसकी खुद की चूत का है. तभी धीरज ने उसके उपर पूरी तरह आकर चूमते हुए अपनी जीभ डॉली के मूँह में घुसा दी, और उसके सिर को पिल्लो पर रख कर अपने होंठों के दबाव से दबा दिया. डॉली अब अपनी चूत के रस का स्वाद ले रही थी, और धीरज उसको तबाद तोड़ चोदे जा रहा था.

डॉली के दिमाग़ में विरोधाभासी विचार चल रहे थे. एक तरफ तो उसकी चूत अपने पति के लंड से संतुष्ट नही हो पा रही थी, साथ ही साथ वो अपनी चूत के रस को जो धीरज के होंठों पर लगा हुआ था, उसको चाट रही थी. वो मन ही मन सोचने लगी, ये क्या हो गया है उसको?

यकायक ऐसा क्या हो गया था, जिस से उसकी चुदने का इतना ज़्यादा मन होने लगा था, और वो खुद पर कंट्रोल भी नही कर पा रही थी. डॉली ने धीरज के हिप्स पर अपने हाथ रखकर और ज़्यादा अपनी तरफ खींचा, और ज़ोर ज़ोर से झटके लगाने के लिए उसको प्रोत्साहित करने लगी. उसकी चूत लंड को अपने अंदर समाए हुए फडक रही थी, और वो एक बार फिर से झडने के लिए तय्यार हो गयी.
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