Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 10:53 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
धीरज ने बस अपनी गर्दन हिला दी, और उसके चेहरे को पकड़ कर फिर से अपने चेहरे के पास ले आया, और सोचने लगा, क्या चीज़ है ये तान्या भी.....
नेक्स्ट वीकेंड पर, डॉली और धीरज, बच्चों के साथ राज और तान्या के घर आ गये. रात को डिन्नर करते हुए, जब सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे, तो धीरज को अपने सामने तान्या को बैठे देख, सामान्य रहने में थोड़ी परेशानी हो रही थी. धीरज बाकी सब से पहले डिन्नर ख़तम कर के, घर के पिछवाड़े में बने लॉन में सिगरेट पीने चला गया. कुछ देर बाद तान्या भी उसके पास चली गयी.

"तुम ठीक तो हो ना?" तान्या ने हँसते हुए पूछा. "डाइनिंग टेबल पर तो तुम बिल्कुल पत्थर की मूर्ति बन कर बैठे थे," तान्या धीरज के पास आते हुए बोली.

"हां, मैं ठीक हूँ," धीरज ने जवाब दिया. "क्या तुमको ये सब अजीब नही लगता?" धीरज ने रेलिंग का सहारा लेकर खड़े होते हुए पूछा, और तान्या की टाइट जीन्स में क़ैद गान्ड की गोलाईयों पर अपनी नज़र फिराने लगा.

"हां, अजीब तो लगता है," वो बोली, और उसके पीछे खड़े होकर डाइनिंग रूम की खिड़की में से अंदर देखने लगी. "तुम यहाँ से अंदर बैठे हुए चारों को देख सकते हो ना?" तान्या ने धीरे से पूछा.

"हां," धीरज ने जवाब दिया, वो तान्या के इस सवाल से थोड़ा कन्फ्यूज़ हो गया.

"गुड," तान्या बोली, और धीरज के सामने आते हुए ज़मीन पर बैठ गयी. "अगर कोई बाहर की तरफ आने वाला हो तो मुझे पहले से बता देना," वो धीरज की पॅंट की ज़िप खोलते हुई बोली.

"तान्या!" धीरज धीरे से फुसफुसाते हुए बोला. "तुम को पता भी है कि तुम क्या कर रही हो?" धीरज घबराते हुए होला, लेकिन उसका लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था. तान्या का सिर खिड़की की चौखट से नीचे था, तभी धीरज को एहसास हुआ कि, यदि वो रेलिंग का सहारा लेकर खड़ा हो जाए तो घर के अंदर का भी सब कुछ देख पाएगा, और उनमे से बाहर तान्या को कोई नही देख पाएगा.

"तुमको जितना मज़ा सिगरेट चूसने में आता है, उस से कहीं ज़्यादा मज़ा मुझे इसको चूसने में आता है,” तान्या उसकी ज़िप खोलकर पॅंट में अंदर हाथ डाल कर उसके लंड को बाहर निकालते हुई बोली. किसी तरह उसके अंडरवेर में से लंड को उसने बाहर निकाल कर उसको खुली हवा लेने के लिए आज़ाद कर दिया. “ये तो बेताब हुआ जा रहा है, देखो कितना टाइट हो रहा है,” वो लंड के सुपाडे पर अपनी जीभ फिराते हुए हंस कर बोली.

"बहन्चोद!" धीरज मस्त होकर कराहते हुए फुसफुसाया. "मुझे विश्वास नही होता, तुम मेरा लंड चूस रही हो." धीरज अपनी आँखें बंद कर लेना चाहता था, और तान्या के लंड के उपर जीभ घूमाने और चूसने के मादक एहसास का भरपूर आनंद लेना चाहता था, लेकिन उसने घर के अंदर खिड़की में से देखने के लिए आँखें गढ़ा रखी थी, और वो राज, डॉली और बच्चों को डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए देख रहा था.

तान्या जल्दी जल्दी धीरज के लंड को अपने मूँह में अंदर बाहर कर रही थी, और उसकी जीभ लंड के संवेदनशील हिस्सों पर चारों तरफ घूम रही थी. धीरज तान्या का सिर पकड़े हुए था, और उसके मूँह की चुदाई कर रहा था, लेकिन वो नॉर्मल दिखने का प्रयास कर रहा था, मानो कुछ हो ही ना रहा हो.

तान्या की चूत की आग को उसके पति के जीजा ने बहुत ज़्यादा भड़का दिया था. तान्या को धीरज का लंड मूँह में लेकर चूसने में मज़ा आने लगा था, और उसके वीर्य का स्वाद उसको भा गया था. 

वो बहुत देर तक धीरज के लंड को चूसना चाहती थी, और मज़े लेना चाहती थी, लेकिन उसको ये भी मालूम था कि उसको ये सब जल्दी ख़तम कर लेना चाहिए. उसकी एक्सपीरियेन्स्ड जीभ, और इस तरह खुले में लंड चूसने का रोमांच, सब कुछ धीरज को ज़्यादा देर झडने से रोक नही पाया. 

"चूस लो, तान्या!" धीरजा गहरी साँस लेते हुए बोला, और एक पल को उसकी आँखें बंद हो गयी, जैसे ही उसका लंड तान्या के मूँह में फैल कर और मोटा हो गया, और तान्या उसको मूँह से जोरदार चोदने लगी. वीर्य की एक लंबी गाढ़ी पिचकारी, तान्या के मूँह में छोड़ते हुए, उसने जैसे ही अपनी आँख खोली, वो घबरा गया, क्योंकि डॉली डाइनिंग टेबल पर नही थी.

"बेहनचोद!" धीरज बुद्बुदाया, और चारों तरफ देखने लगा. “डॉली वहाँ पर नही है!” वो फुसफुसाया, और तान्या के सिर को अपने लंड से दूर करते हुए, कमरे में अपनी बीवी को झाँक कर ढूँढने लगा. तान्या ने अभी भी उसका लंड अपने मूँह में ले रखा था, और लंड के सुपाडे को अपने होंठों में जाकड़ रखा था, जब तक कि उसके लंड ने वीर्य की आख़िरी पिचकारी उसके मूँह में नही छोड़ दी.

"पीछे घूम जाओ, और इसको अंदर घुसा लो," तान्या ऑर्डर देते हुए बोली, और तुरंत अपने पैरों पर, धीरज के बगल में इस तरह खड़ी हो गयी, जिस से रूम में से बाहर आने वाले को धीरज दिखाई ना दे. जैसे ही किसी के डोर खोलकर बाहर आने की आवाज़ हुई, “आज तो ढेर सारा माल निकाला है, कब से मेरे मूँह में छोड़ने के लिए बचा के रखा था?” वो फुसफुसाते हुए, और धीरज की गान्ड पर एक चिकोटी भरते हुए बोली, और साथ में अपने होंठों पर लगे वीर्य को भी जीभ से चाट कर सॉफ कर लिया. जो कोई अंजान व्यक्ति अपनी निर्दोष निगाहों से देखता, तो उसे ऐसा लगता मानो वो बाहर चाँदनी रात का, और ठंडी हवा का आनंद ले रहे हैं.

"लो, ये रहे दोनो!" डॉली दीदी ने ज़ोर से बोला, और राज को हाथ पकड़ कर बाहर खींच लाई. “हम को पता ही नही चला तुम दोनो यहाँ कब आ गये,” डॉली मुस्कुराते हुए बोली.

"तुम दोनो भाई बेहन तो बातों में इतने ज़्यादा डूब जाते हो, तुमको पता ही नही चलता कौन कब आया और कब गया,” धीरज, डॉली की तरफ घूमते हुए बोला, उसकी पॅंट अब बिल्कुल नॉर्मल हो चुकी थी. जैसे ही धीरज ने तान्या के चेहरे की तरफ देखा, उसके गालों पर एक उंगली फिराते हुए, ऐसे किया मानो वहाँ, खाने की कोई लगी हुई चीज़ को हटा रहा हो, जिस से तान्या समझ जाए और अपने डिंपल पर लगे वीर्य की बूँद को सॉफ कर ले. राज यानी अपने पति के करीब पहुँचने से पहले ही तान्या ने अपने गाल समय रहते सॉफ कर लिए. बेहनचोद आज तो बस बच ही गये, धीरज ने राहत भरी एक गहरी साँस लेते हुए सोचा. 

"मुझे पता है जब मैं और राज आपस में बचपन की बाते करते हैं तो तुम दोनो बोर हो जाते हो," डॉली हंसते हुए टॉपिक चेंज करते हुए बोली, और उसने प्रपोज़ किया क्यों ना किसी वीकेंड पर एक वीक के लिए सब लोग गोआ चलें.तान्या तो तुरंत तय्यार हो गयी, और अपनी आइ ब्रोव्स चढ़ा कर उसने धीरज की तरफ देखा. सब लोग इस आइडिया से सहमत थे, और तान्या और डॉली ने नेक्स्ट वीक किसी दिन लंच पर मिलकर सब तय्यारी करने के लिए मिलने का प्लान बनाया. उसके बाद धीरज और डॉली, बच्चों के साथ अपने घर चले गये.

घर पहुँच कर बेड पर लेटते हुए, धीरज को तान्या का मूँह में लेकर उसके लंड को चूसना ही उसके दिमाग़ में घूम रहा था, बस उसके बारे में सोचते हुए ही धीरज ने अपनी बीवी डॉली की गीली चूत में अपना लंड घुसा दिया. उसके दिमाग़ में तो तान्या की जीभ का उसके लंड पर घूमते हुए चाटने के बारे में सोचते हुए, वो डॉली की चूत में हमच कर अपना लंड पेलने लगा. डॉली उसका कोई साथ नही दे रही थी, लेकिन तान्या के साथ हुई चुदाई को याद कर, और उसकी चूत की मादक गंध और उसके स्वाद के बारे में सोचते हुए धीरज डॉली को चोदे जा रहा था.

डॉली को पता नही था कि धीरज के साथ पिछले कुछ दिनों में क्या कुछ हो गया है, और वो चुदाई करवाते हुए, वो भी गरम होने लगी थी, और अपने आप पर काबू रखना अब उसके लिए भी असंभव हो रहा था. डॉली के शरीर और दिमाग़ में अंतर द्वन्द चल रहा था, और जो से चुदते हुए, गरम होकर उसकी चूत भी और ज़्यादा चिकनी होने लगी थी. डॉली ने अपना दिमाग़ चुदाई से हटाकर कुछ और सोचने की तरफ लगाया, वो गोआ ट्रिप के बारे में सोचने लगी, और नेक्स्ट वीक लंच पर तान्या के साथ मिलने के बारे में. डॉली की चूत से निकल रहा रस, धीरज के लंड को चोदते हुए गीला कर रहा था, डॉली बिल्कुल चुपचाप लेटी हुई थी, और उसका भाई राज अपनी बीवी तान्या को कैसे चोदता होगा, इस बारे में सोच रही थी. 
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