RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
धीरज और ज़ोर से दीदी की चुदाई करने लगा, उसकी छाती दीदी की चूंचियों को दबा रही थी, और वो मन ही मन तान्या को सोचकर दीदी की चुदाई कर रहा था, और कल्पना कर रहा था कि तान्या की चूंचियाँ जब उसकी छाती से दबेंगी तो कैसा फील होगा. उसने तान्या की कल्पना करते हुए अपना चेहरा थोड़ा नीचे झुकाया और दीदी की नरम नाज़ुक होंठों के करीब ले आया. लेकिन इस से पहले की वो किस ख़तम कर पाता, उसके लंड ने लावा उगलना शुरू कर दिया, और वो वास्तविकता में लौट आया. जैसे जैसे उसका लंड दीदी की चूत में वीर्य उगल रहा था, वो डॉली दीदी के चेहरे पर आ रहे कन्फ्यूषन के एक्सप्रेशन्स को पढ़ने की कोशिश करने लगा.
"आइ लव यू," धीरज ने फुसफुसाते हुए दीदी के होंठों को चूम लिया, और फिर अपने मुरझाए हुए लंड को दीदी की चूत में से निकाल कर दीदी के उपर से हट गया.
"आइ लव यू, टू," दीदी भी धीमे स्वर में बोली, और उठकर बाथरूम में अपनी चूत को धोने के लिए चली गयी. हमेशा ऐसा ही होता था, ये सब मानो रुटीन बन चुका था, लेकिन दीदी ने आज बाथरूम में जाते समय नाइट्गाउन नही पहना था, और इस वजह से धीरज को दीदी के नंगे बदन का बाथरूम में घुसते हुए दीदार हो गया था. तान्या और दीदी के शरीर के बनावट की तुलना करते हुए, धीरज का लंड फिर से खड़ा होने लगा. तान्या शायद डॉली दीदी से 2 या 3 साल छोटी होगी, लेकिन तान्या का क्या गठीला मस्त बदन है. धीरज तान्या के बारे में सोचता हुआ और उसके सपने देखता हुआ सो गया.
डॉली दीदी बाथरूम में नहाते हुए, अपने गालों पर बहते हुए आँसू को महसूस कर रही थी, जो शायद शवर के पानी में कहीं खो गये थे. दीदी को धीरज से चुदाई करवाते हुए इस तरह चुप चाप नीचे लेटा रहना बिल्कुल पसंद नही था, आख़िर धीरज उसका पति था, और उसको दीदी की चुदाई जैसे चाहे वैसे करने का पूरा हक़ था. वो भी धीरज को बेहद प्यार करती थी. दीदी की आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे.
जब तक डॉली बाथरूम से फ्रेश होकर बेडरूम में अपने बेड तक वापस आई, धीरज गहरी नींद में सो चुकता. डॉली धीरे से उसके साइड में लेट गयी, और धीरज को, अपने पति को प्यार से निहारने लगी.
अगले कुछ दिनों तक धीरज की सेक्षुयल फॅंटसीस में तान्या ही छाई रही. दोनो जब भी थोड़ा सा अकेले में मिलते, तान्या धीरज की तरफ एक कातिल मुस्कान से देखती , और एक आँख मार देती. धीरज को अपनी मंज़िल करीब आती महसूस हो रही थी. एक रात फिर से जब धीरज बाल्कनी में सिगरेट पीने गया, तान्या भी उसके पीछे पीछे चली गयी, मैं और दीदी ड्रॉयिंग हॉल में बैठे बात कर रहे थे.
"और क्या हाल हैं?" तान्या ने पूछा, और धीरज को अपनी सिगरेट को जलाते हुए देख कर अपनी आइब्रो चढ़ा ली, और बिना किसी झिझक के एक सीधा सवाल पूछा "आप अपनी सेक्षुयल फीलिंग्स को जाहिर करने में इतना घबराते क्यूँ हैं?"
"उः... ऐसा कुछ नही है," धीरज ने तान्या को घूरते हुए जवाब दिया. “और तुम कैसी हो?” जितना ज़्यादा धीरज तान्या को देख रहा था, वो उसको उतनी ही ज़्यादा आकर्षक लगने लगी थी. आज तान्या ने एक जीन्स की टाइट स्कर्ट पहन रखी थी, जिसमे से उसकी टाइट गान्ड की गोलाइयाँ सॉफ दिखाई दे रही थी, और उपर उसने एक कॉटन का वाइट टॉप पहना हुआ था, जो उसकी बड़ी बड़ी गोल गोल चूंचियो को किसी तरह ढँक रहा था.
"मेरा भी आप जैसा ही हाल है," तान्या ने जवाब दिया. "राज मेरी बहुत फिकर और देखभाल करते हैं, लेकिन कभी कभी एक लड़की को और भी कुछ चाहिए होता है, आइ होप यू अंडरस्टॅंड?"
"यॅ," धीरज धीरे से फुसफुसाया, वो खुद नही समझ पा रहा था, कि वो किस रास्ते पर जा रहा है. हालाँकि धीरज हमेशा तान्या को कामुक नज़रों से देखता था, लेकिन इस तरह की बातें उन दोनो में पहले कभी नही हुई थी. शायद तान्या भी उसकी तरह ही फ्रस्टरेटेड होकर अपना गुबार निकालने के लिए अपनी बातें उसके साथ शेर कर रही हो.
"मैं राज को छोड़ना नही चाहती, लेकिन अपनी इच्छाओं पर काबू रखना भी अब संभव नही लगता,” तान्या बोली. “ऐसा नही है कि और लड़के मेरे उपर लाइन नही मारते, लेकिन हर किसी के साथ मैं ये सब नही कर सकती, इसके लिए कोई ऐसा चाहीए जो मुझको पसंद भी हो, और जिस पर मैं विश्वास कर सकूँ...” इतना कहते कहते तान्या की आवाज़ लड़खड़ाने लगी.
"मैं समझ रहा हूँ, तुम क्या कहना चाहती हो," धीरज ने तान्या को समझाते हुए कहा, धीरज का लंड अब सारी संभावनाओं को तलाशने लगा था. तान्या ने धीरज की तरफ सिर उठा कर देखा, और बस कुछ देर वैसे ही देखती रही, मानो वो कोई निर्णय लेने से पहले कुछ सोच रही हो.
"मैने तुमको कई बार मेरे शरीर को घूरते हुए देखा है,"तान्या थोड़ा सा धीरज के और करीब आते हुए बोली. "तुम्हारी नज़रों के घूरने से ही पता चल जाता है, कि तुम्हारे दिमाग़ में क्या चल रहा है."
"नही इस तरह तो शायद मैने तुमको कभी नही देखा," धीरज अपनी झेंप मिटाते हुए बोला, उसकी नज़रें पास खड़ी तान्या के उस कॉटन टॉप में से झाँक रही चूंचियों पर टिकी हुई थी.
"शायद हम एक दूसरे की मदद कर सकते हैं, और इस बारे में किसी को शक़ भी नही होगा," तान्या के मूँह से यकायक अपने आप निकल गया, और उसके हाथ धीरज के कमर तक पहुँच गये. धीरज तुरंत पीछे हटा, और रूम की तरफ देखने लगा, कि कहीं उनको कोई देख तो नही रहा है.
"डॉन'ट वरी," तान्या हंसते हुए बोली. "मैं इस वक़्त यहाँ पर कोई अटॅक नही करने वाली." तान्या ने धीरज की शर्ट की पॉकेट में रखे मोबाइल फोन को निकाल लिया. “मैं अपनी मोबाइल नंबर इसमे सेव कर देती हूँ,” ऐसा कहते हुए उसने अपना मोबाइल नंबर धीरज के फोन में सेव कर दिया.”
उस रात धीरज ने अपनी बीवी डॉली को चोदने में बिल्कुल मज़ा नही आया. धीरज के दिमाग़ में तो बस अब तान्या बस चुकी थी. डॉली की चूत में लंड पेलते हुए, धीरज के दिमाग़ में तो तान्या की चूंचियों और उसके निपल्स को चूसने के ही ख्याल चल रहे थे. तान्या की गान्ड की गोल गोल गोलाईयों के बारे में सोचते हुए, और मस्त मुलायम गान्ड की गोलाईयों को दबाने और उनमे अपनी उंगलियों को गढ़ाने की कल्पना करते हुए, धीरज, डॉली की चूत में दना दन लंड को अंदर बाहर कर रहा था. आख़िर तान्या ने उसको ऐसा करने के लिए आमंत्रित किया है. डॉली की चूत से निकल रही गर्माहट ने उसकी विचार तंद्रा तोड़ दी, और वो डॉली की चूत में झडते हुए इस बात को महसूस कर रहा था, कि आज कितने महीनों के बाद इतना अच्छी तरह से वो झडा है. धीरज ने लंबी लंबी साँसें लेते हुए, दीदी के चेहरे की तरफ देखा, और उसको भी डॉली के चेहरे पर संतुष्टि के भाव नज़र आए.
"आज कल कुछ ज़्यादा ही जोश आ रहा है, क्यों?" डॉली ने धीरज को अपने उपर से दूर करते हुए पूछा, और अपने नाइट्गाउन को उठा कर बाथरूम की तरफ चल पड़ी. धीरज ने डॉली की तरफ देखने की कोई कोशिशी नही की.
जब धीरज की बीवी यानी कि डॉली बाथरूम में थी, धीरज ने अपना मोबाइल फोन उठाया और तान्या को एक एसएमएस कर दिया, “कब और कहाँ मिलना है?”
धीरज के दिमाग़ में कयि सारे सवाल चल रहे थे. क्या वो अपनी पत्नी को धोखा देकर सही करेगा? क्या तान्या के साथ उसको ये करना चाहिए? अगर पकड़े गये तो क्या होगा? लेकिन काम वासना, उसके इंद्रियों पर हावी हो चुकी थी, और वो विवेक से निर्णय लेने की क्षमता खो चुका था.
धीरज और तान्या ने तान्या के ऑफीस के गेस्टहाउस में मिलने का प्रोग्राम फाइनल किया. तान्या अपने क्लाइंट्स से मिलने उस अफीशियल गेस्ट हाउस में अक्सर जाती रहती थी. धीरज ने डॉली को किसी मॅनेज्मेंट ट्रैनिंग का बहाना मार दिया, और बता दिया कि अब वो हर वेडनेसडे को थोड़ा लेट आया करेगा. तो नेक्स्ट वेडनेसडे का प्रोग्राम फाइनल हो गया.
अगले दिन राज और तान्या वापस अपने घर लौट आए, हालाँकि डॉली और राज के घर के बीच बस 40 मिनट की ड्राइव की ही तो दूरी थी. लेकिन डॉली के घर कुछ दिन रहने मे ही, तान्या और धीरज के जीवन को एक नयी दिशा दे दी थी.
नेस्ट वेडनेसडे को तान्या ने धीरज के पहले डोर नॉक करने पर ही, गेस्ट हाउस के उस रूम का दरवाजा खोल दिया. धीरज एक सेकेंड को वहाँ खड़ा होकर कुछ सोचने लगा, लेकिन तान्या ने उसको हाथ पकड़ कर अंदर खींच लिया. जैसे ही डोर बंद हुआ, तान्या ने अपनी बाहें धीरज के गले में डाल दी, और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. दोनो बड़ी तत्परता से एक दूसरे को किस करने लगे, और एक दूसरे की जीभ दूसरे के मूँह में जगह तलाशने लगी, धीरे धीरे दोनो के कपड़े ज़मीन पर इकट्ठे होने शुरू हो गये.
किसी तरह एक दूसरे से लिपटे हुए, वो दोनो बेड पर पहुँचे.तान्या की चूत में आग लगी हुई थी, मानो रेगिस्तान में आज बरसों बाद मूसलाधार बारिश हो गयी हो. धीरज का लंड भी फूँकार मारता हुआ खड़ा होकर सलामी दे रहा था. वो दोनो ये सब बिना कुछ बोले कर रहे थे. दोनो अपनी महीनों से दबी सेक्स की इच्छा को पूरा करने के लिए बेताब थे.
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