RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने डॉली दीदी की तरफ देखा. उनका चेहरा लाल हो गया था, और उनका हाथ मेरी टी-शर्ट के अंदर घुस चुका था. मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो चुका था. "और वो हमारे नये रिश्ते की शुरूवात थी, डॉली दीदी."
"हां, राज क्या वो दिन फिर से वापस नही आ सकते.”
"हां, राज क्या वो दिन फिर से वापस नही आ सकते. कितना अच्छा समय था वो.”
“अच्छा, समय से याद आया, खाने का टाइम हो गया है, क्या खाओगे राज?”
दीदी ने पुलाव बना दिया, और बच्चों के आने से पहले हम दोनो ने डाइनिंग टेबल पर बैठ कर उसको खा लिया. जब दीदी किचन में झूठे बर्तनों को सिंक में रख रही थी, तभी मैने उसके पीछे से जाकर, उनकी कमर को अपनी बाहों में भर लिया, और उनको अपने से चिपका लिया. दीदी ने अपना चेहरा उठाकर मेरी तरफ देखा. "आइ लव यू, डॉली दीदी," कहते हुए मैने उनको किस कर लिया. डॉली दीदी नेमेरी बाहों में घूमकर मेरी तरफ अपना फेस कर लिया, और हम दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. मैं दीदी की चूंचियों को अपनी छाति से दबता हुआ महसूस कर रहा था. शायद दीदी भी मेरे तने हुए लंड का दबाव महसूस कर रही थी.
"चलो उपर चलते हैं, डॉली दीदी. जो कुछ आज दोनो की शादी के बाद हमने शुरू किया है, उसको ख़तम कर ही देते हैं.” मैं दीदी को उस कमरे में ले गया, जिसमे मैं रुका हुआ था. मैने अपनी टी-शर्ट उतार कर फैंक दी. “आप भी नंगी हो जाओ दीदी.”
"अब तुमसे कैसी शरम राज.” दीदी ने अपनी सलवार का नाडा खोल कर उसको नीचे खिसका दिया, और गले में से कुर्ता निकाल कर फैंक दिया. और फिर जल्दी ही अपनी पैंटी भी उतार दी.
"अब ठीक है." मैं भी पाजामा और अंडरवेर उतार कर पूरा नंगा हो गया.
दीदी ने ब्रा का हुक खोलकर उसको उतारते हुए पूछा, “अब क्या करना है?"
"चलो, मैं अपनी टाँगों को क्रॉस कर के बेड के किनारे पर बैठ जाती हूँ.”
मैं बेड पर पिल्लोस को सही जगह रखने लगा, और डॉली दीदी बेड पर बैठ गयी. मैं बेड पर तकिये का सहारा लेकर बैठ गया, और अपनी टाँगें फैला कर अपने लंड को हिलाने लगा. डॉली दीदी एक मिनट तक वैसे ही देखती रही, और फिर खिसक कर मेरे पास आ गयी. दीदी ने अपनी टाँगें फैला कर चौड़ी कर दी, और अपनी चूत को सहलाने लगी.
हम दोनो खामोशी से कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे को देखते हुए हस्तमैथुन करते रहे, और फिर दीदी आगे बढ़कर मेरे लंड को हिलाने लगी. मैने भी अपना हाथ दीदी की चूत पर रख दिया, और दो उंगलियाँ उनकी चूत में घुसाने लगा, और उनकी चूत के दाने को साथ साथ सहलाने लगा.
"राज, तुम जब भी झडने वाले हो, तो प्लीज़ अपना पानी मेरे बूब्स पर छोड़ना. धीरज तो हमेशा अपना पानी मेरी चूत में हो छोड़ता है. मैं उसके लंड से पानी को निकलते हुए देखना चाहती हूँ, पर पता नही वो ऐसा क्यों नही करता, वो कहता है ऐसा करवाना तो रंडियों को अच्छा लगता है, तुम तो मेरी बीवी हो, मैं तो तुम्हारी चूत में ही पानी छोड़ूँगा.”
मैने दीदी को बेड पर लिटाते हुए, उनकी कमर के दोनो तरफ घुटनों के बल बैठ गया. दीदी ने मेरे लंड को दोनो हाथों से पकड़ लिया. जब मैने कहा “दीदी बस झडने ही वाला हूँ,” दीदी ने अपने हाथ हटाकर मुझे अपने आप मूठ मारने का इशारा किया. मैने सावधानी के साथ निशाना लगाकर, दीदी के दोनो निपल्स पर बारी बारी से वीर्य की पिचकारी छोड़ दी. और फिर बाकी सारा पानी उनकी दोनो चूंचियों के बीच में उंड़ेल दिया.
डॉली दीदी ने सारे वीर्य के पानी को अपनी चूंचियों पर रगड़ लिया और फिर अपनी उंगलियाँ चाटने लगी. मैं तो दीदी की जांघों के बीच में अपना मूँह घुसाकर, दीदी की चूत को चाटना चाहता था, और चूत के दाने को अपनी जीभ से रगड़ना चाहता था.
डॉली दीदी और मैं कुछ देर वैसे ही अगल बगल लेटे रहे, फिर दीदी बोली "क्या सोच रहे हो, राज?"
"मैं सोच रहा हूँ कि हम को अब ये सब इस तरह तुम्हारे घर पर नही करना चाहिए."
"हां, शायद तुम ठीक कह रहे हो राज."
"मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ, दीदी, लेकिन अब नही .... हमको ये सब नही करना चाहिए"
"हां राज, जब तक हमारी शादी नही हुई थी, और मेरे बच्चे नही हुए थे, तब तक शायद ठीक था, और शादी से पहले तो हम दोनो ही सेक्स के प्रति इतने ज़्यादा उत्सुक थे, तब शायद ठीक था."
"हां दीदी, और सगे भाई बेहन के बीच, जिसको समाज ग़लत समझता है, वो इस सब को और ज़्यादा रोमांचक और मजेदार बना देता था. हम दोनो ने जो कुछ किया उसका मुझे कोई अफ़सोस नही है, दीदी, लेकिन..."
डॉली दीदी मेरे उपर झुक गयी, "षुश.... मुझे भी इस बात की खुशी है, कि हम दोनो ने वो सब किया. और वैसे भी हम जो बीत गया उसको बदल तो नही सकते. और अगर बदल भी सकते, तो भी मैं तो बदलना नही चाहूँगी. मैने जिस तरह से तुम्हारे साथ सेक्स किया, उसमे बहुत मज़ा आया, उन दिनों हम दोनो ही सेक्स के बारे में अनाड़ी थे."
"मुझे भी बहुत मज़ा आया दीदी. शायद हम दोनो ने सेक्स करना एक दूसरे से ही सीखा है."
"राज, प्लीज़ मेरे षड्डों पर ज़्यादा ध्यान मत देना, क्यूंकी मैं किसी औरत की तरह बात कर रही हूँ, और ना जाने किन ग़लत शब्दों का भी तुम्हारे सामने इस्तेमाल कर रही हूँ, लेकिन एक बात सच है, वो ये कि आज तक मुझको तुमने सब से अच्छी तरह चोदा है, मुझे अपने छोटे भाई से चुदना बहुत अच्छा लगता है."
मैं कुछ बोलता, उस से पहले ही दीदी ने मुझे किस करना शुरू कर दिया. दीदी मेरी कंधों और पेट को सहला रही थी. “तुम जिम जाते हो, इस वजह से तुम्हारा पेट कितना फ्लॅट और हार्ड है. धीरज को मैने कितनी बार कहा, लेकिन अब वो जाता ही नही है, उसकी तो अब थोड़ी से तोंद भी निकल आई है."
|