RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
धीरज भैया जोरों से हाँफ रहे थे, और छोटी छोटी साँसें ले रहे थे. वो बस झडने ही वाले थे. भैया ने मेरी आँखों में देखा, और मैं तो मानो पिघल ही गयी. और आख़िरकार, मैने भैया के चेहरे को अपने दोनो हाथों में भरा, और फुसफुसा कर बोला, “आइ लव यू, भैया.”
भैया ने अपनी आँखें चौड़ी कर के खोल ली, और फर कराहे, “उहनन्न,” और उनकी आँखें फिर से बंद हो गयी. वो काँप रहे थे. मेरे शरीर में मस्त लहरें उठ रही थी. जैसे ही वो लंड का एक ज़ोर का झटका लगाते, में फिर से झड्ने को आतुर हो जाती. मैं भी काँप रही थी. भैया के होंठों ने मेरे होंठों को ढूँढ लिया, और आतूरता के साथ उनकी जीभ मेरे मूँह में घुस कर अठखेलियाँ करने लगी. ऐसा लग रहा था मानो भैया उपर और नीचे दोनो जगह से मुझे चोद रहे हो. उनकी जीभ और लंड एक साथ ताल में ताल मिलाते हुए मेरे अंदर घुस रहे थे. मेरी चूत झडने के लिए उतावली होती जा रही थी, भैया के लंड के हर झटके के साथ मुझे बिजली का सा झटका लग रहा था. मुझे साँस लेने में बहुत तकलीफ़ हो रही थी.
"हे भगवान," मैं कराहते हुए बोली.
भैया ने झटके मारने की स्पीड बढ़ा दी. उनका शरीर अकड़ने लगा, और उनके हाथ ने मेरे घुटने को ज़ोर से पकड़ लिया, और भैया ने लंड अंदर तक पेल दिया, और फिर बाहर निकाल लिया. भैया ने ज़ोर की आहह भरी और फिर मुझे किस कर लिया. उनके होंठ भी मुझे किस करते हुए काँप रहे थे.
जैसे ही भैया ने एक उपर की तरफ झटका लगाया, और वो मेरी चूत के अंदर पानी छोड़ने लगे. मेरे शरीर में आनंद की लहरों का अद्धत संचार हो रहा था, और मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयी. मैं रुक रुक कर साँसें ले रही थी. और आनंद की लहरों को मेरे बदन में अनवरत संचार हो रहा था. शवर से गुनगुना पानी अभी भी हम दोनो के उपर गिर रहा था. मैने नीचे देखा, अभी भी मेरी चूत से पीरियड के निकलते ब्लड ने, फ्लोर पर बह रहे पानी का कलर गुलाबी कर रखा था, लेकिन मुझे इस सब की अब कोई परवाह नही थी.
भैया अभी भी मेरी चूत में अपने वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ रहे थे, और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. लंड से निकल रही गरम गरम पिचकारी को मैं अपनी चूत में छूटता हुए महसूस कर रही थी, और मुझे ये भी महसूस हो रहा था, कि वो अपने साथ ब्लड में मिक्स होकर मेरी चूत से निकलकर मेरी जांघों पर बहते हुए नीचे गिर रहा था. कुछ देर बाद जब हम झड्ने के बाद तृप्त होकर शांत हुए, तो फिर से एक साथ कराहे. भैया आख़िर तक मेरी चूत में अपने लंड को अंदर बाहर करने में लगे हुए थे.
जैसे ही भैया शांत होकर रुके, मैने किसी तरह मूँह से आवाज़ निकाली "म्म्म्मम."
धीरज भैया अभी भी मुझे दीवार से चिपका कर खड़े थे, और उनका लंड मेरी चूत में था. हम दोनो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे, और हम दोनो की आँखें बंद थी. हम दोनो के शरीर पर से पानी टपक रहा था. मैं भैया को इतनी आसानी से अपने से दूर होने नही देना चाहती थी, इसलिए मैं भैया से ज़ोर से चिपकी हुई थी. जब मैने अपनी आँखें खोली, तो भैया को मेरी तरफ देखता हुआ पाया. वो मेरी तरफ नही, मेरी आँखों में घूर रहे थे. मुझे लगा वो मुझे अपनी आँखों से सहला रहे हो.
"मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ, संध्या," भैया फुसफुसाते हुए बोले.
हम दोनो ने फिर से एक बार किस किया, लेकिन इस बार कुछ अलग था. बहुत नाज़ुकता के साथ. भैया ने मेरी आँखों पर आ रहे बालों को अपने एक हाथ से हटाकर पीछे किया. हम दोनो एक दूसरे को किस करते हुए मुस्कुरा रहे थे. मैं दुनिया की सबसे खुश किस्मत लड़की थी.
तो राज सुन ली, धीरज और उसकी छोटी बेहन संध्या के बीच चुदाई शुरू होने की दास्तान. कैसी लगी?
“मज़ा आ गया स्टोरी सुनकर दीदी,” मैं डॉली दीदी की तरफ मुस्कुराते हुए बोला.
ये सब बताते हुए, मुझे और दीदी को टाइम का पता ही नही चला, जब मैने घड़ी की तरफ देखा, तो सुबह के पाँच बज रहे थे. मैने पूछा, दीदी ये तो ठीक है, लेकिन ....
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