RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं अपनी चूत को अपने हाथ से छुपाती हुई, बेड से उतरकर बाथरूम की तरफ तेज़ी से चल दी. मैने शवर ऑन किया तो महसूस हुआ, कि पानी बहुत ठंडा था, मैने गेयिज़र ऑन किया और पानी के थोड़ा गरम होने का इंतेजार करने लगी. थोड़ी देर इंतेजार करना ही बहुत लंबा लग रहा था. मैने अपना हाथ अपनी चूत पर लगा कर देखा, सब कुछ ठीक था, और शूकर है चूत में से कुछ नही निकल रहा था.
शवर निकलता गुनगुना पानी मेरे चेहरे पर गिरा, और फिर मेरी चूंचियों पर से बहता हुआ नीचे गिरने लगा. मैने पीछे घूमकर अपनी पीठ पर पानी को कुछ देर गिरने दिया. मेरे बदन को बहुत आराम मिल रहा था.
और तभी मुझे महसूस हुआ, कि मेरी टाँगों पर कुछ गीला गीला बह रहा है.मैने गहरी साँस ली. क्या भैया मेरी चूत के अंदर ही झड गये थे. मुझे लगा उनके वीर्य का पानी ही मेरी चूत में से निकल कर टपक रहा है.
लेकिन जैसे ही मैने नीचे देखा, मैं एक गहरी साँस ली. ये वीर्य का पानी नही, बल्कि ब्लड था. मेरा मन रोने को करने लगा. मैं सूबकने लगी. नीचे गिरता हुआ पानी मेरी चूत में से निकल रहे ब्लड की वजह से गुलाबी हो गया था.
"क्या तुम रो रही हो?" धीरज भैया ने बेडरूम से पूछा.
"हां, लेकिन वैसे ही, सब ठीक है," मैं सुबक्ते हुए बोली.
मुझे लगा भैया बाथरूम की तरफ आ रहे हैं, उनकी आवाज़ पास आती हुई महसूस हुई, भैया ने बाथरूम ने पास आकर पूछा, “तुम रो क्यूँ रही हो संध्या?”
"क्यूँ कि..." मैं सूबकते हुए बोलते बोलते रुक गयी. मुझे बाथरूम के डोर को खुलने की आवाज़ सुनाई दी. मैने नीचे देखा, ब्लड ने पानी को और ज़्यादा लाल कर दिया था. मैं भैया को डोर खोलकर बाथरूम में अंदर आते हुए देखने लगी. “भैया, मैं इसलिए रो रही हूँ ,क्यूंकी मुझे खुशी है कि मैं प्रेग्नेंट नही हूँ,” मैं खुश होकर सूबकते हुए बोली.
भैया ने मेरी तरफ देखा, और फिर उस लाल बहते हुए पानी की तरफ, और फिर मुस्कुराते हुए पूछा, "पीरियड.?"
मैने हामी में गर्दन हिला दी.
इस से पहले की मैं कुछ और बोलती, भैया मेरे पास आकर शवर के नीचे खड़े हो गये.
मैने अपनी बाहें भैया की कमर पर लपेट ली, और हम दोनो के होंठ करीब आकर एक दूसरे को चूमने लगे. भैया की जीभ मेरे मूँह में अंदर घुसकर सब तरफ घूमने लगी, और उनके हाथ मेरे शरीर के हर अंग की खोजबीन लेने लगे. भैय मेरी दोनो चूंचियों को बारी बारी दबाया. पानी मेरी पीठ पर गिरकर नीचे बह रहा था, और जो मेरे कंधों पर गिर रहा था, वो छिटक कर भैया के बदन पर गिर रहा था. भैया ने मुझे जैसे ही थोडा पीछे किया, पानी मेरे चेहरे पर गिरने लगा. जैसे ही हम दोनो ने फिर से किस किया, पानी हमारे चिपके हुए होंठों के उपर गिरने लगा.
धीरज भैया मुझे किसी भूखे जानवर की भाँति किस कर रहे थे. हम दोनो कराह रहे थे. हम दोनो के मूँह गीले हो चुके थे, और पानी मेरी जीभ पर गिर रहा था. हालाँकि मुझे साँस लेने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी, लेकिन मुझे उसकी कोई परवाह नही थी. भैया ने मुझे साइड में किया, और हल्का सा धक्का देकर मुझे बाथरूम की दीवार से चिपका दिया. मैने हाथ आगे बढ़ा कर गेयिज़र के पानी का टेंपरेचर थोड़ा और बढ़ा दिया. शवर का पानी अब हम दोनो के बीच गिर रहा था, और हमारी छाति पर बहता हुआ नीचे गिर रहा था.
भैया मेरे होंठों के उपर जीभ फिराते हुए, उनसे थोड़ा अलग हुए और नीचे झुक कर मेरी गरदन को चाटने और चूसने लगे. मैं ज़ोर से कराहने लगी. भैया ने मेरी एक टाँग को अपने हिप्स तक उपर उठाकर उसको घुटने पर से मोड़ दिया. फिर मेरी जाँघ के नीचे हाथ ले जाकर मुझे थोड़ा उपर किया.
जैसे ही मैने भैया के लंड को अपनी चूत में घुसता हुआ महसूस किया, मैने एक गहरी साँस ली. भैया अभी भी मेरी गर्दन को चूमे चाटे जा रहे थे, और एक हाथ से मेरी जाँघ को सहला रहे थे. मैं अपनी बाहें भैया की कमर के पीछे ले गयी, और उनको सहलाने लगी. भैया मुझे दीवार से चिपका कर, ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहे थे. जैसे ही भैया का लंड मेरी चूत के और ज़्यादा अंदर घुसा, मेरी एक हल्की सी चीख निकल गयी, लेकिन वो आनंद से भरी चीख थी, ना कि दर्द भरी.
"ऊऊओ," मैं कराही, और भैया अपना लंड मेरी चूत में अंदर बाहर करते हुए पेलने में लगे हुए थे. भैया मेरी गर्दन में मूँह घुसा कर कराह रहे थे, और उसको चूसे भी जा रहे थे.
मेरा सारा बदन काँप रहा था. मैं बस झडने ही वाली थी. भैया मस्त होकर, मेरी चूत में लंड जल्दी जल्दी अंदर बाहर करते हुए, मेरी चुदाई कर रहे थे. मेरी चूत तृप्त होकर किसी भी वक़्त पानी छोड़ने वाली थी. लेकिन मैं नही चाहती थी कि ये सब इतनी जल्दी ख़तम हो.
मुझे भैया से चुदने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैं भैया को सचमुच प्यार करने लगी थी. आइ लव्ड... भैया. और मैं इस बात को उनको बता देना चाहती थी.
"भैया," मैं फुसफुसाई , मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं इतना ज़्यादा गरम हो चुकी थी, मानो पागल हो गयी थी, मेरा सारा बदन चुदाई के आनंद में डूबा हुआ था. भैया का लंड अभी भी मेरी चूत में लगातार अंदर बाहर हो रहा था.
भैया मगन होकर मेरी चुदाई कर रहे थे, गुर्रा रहे थे, और कराह रहे थे. मैने फिर से बोला, “भैया.”
"प्लीज़ मुझे रुकने के लिए मत कहना संध्या," वो फुसफुसाए, और मेरी तरफ देखा.
"मैं रुकने के लिए नही कह रही भैया, आप करते रहो," मैने मुस्कुरा कर फुसफुसाते हुए जवाब दिया.
भैया मुझे देख कर मुस्कुराए और फिर से हम दोनो किस करने लगे. मैं भैया के लंड को अपनी चूत में झटके मारते हुए महसूस कर रही थी. भैया का लंड मेरी चूत के दाने को गोल गोल मसल मसल कर घिसते हुए मेरी चूत की चटनी बना रहा था. मैं गहरी साँसें भर रही थी. मेरा सारा बदन चुदाई का आनंद ले रहा था. भैया अपना लंड मेरी चूत में पेले जा रहे थे. भैया अपने लंड को कुछ इंच बाहर निकालते और फिर से मेरी चूत में और अंदर तक घुसा देते. भैया का लंड एक दम लक्कड़ हो चुका था, किसी लोहे की गरम रोड की तरह, जो चोदने के लिए आतूरता की सभी हदें पार कर रहा था..
"मैं..." जैसे ही मैने कुछ बोलने की कोशिश ही, वो कराह में बदल गयी. मैने भैया को फिर से किस किया, और अपनी जीभ भैया के मूँह में घुसा दी. शवर से गिरता हुआ पानी मेरे पेट पर गिर रहा था, और थोड़ा ज़्यादा गरम लग रहा था.
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