Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 10:50 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं भी अब गरम हो चुकी थी, और मेरी चूत का दाना भी फड़कने लगा था. मुझे लग रहा था कि यदि मैने थोड़ा और इस बारे में सोचा, तो मैं भी कहीं झड ना जाऊं. लेकिन उस वक़्त तो मेरा ध्यान बस भैया का किसी तरह पानी निकालने पर ही था.

भैया का लंड मेरे थूक से और ज़्यादा गीला हो गया था. मैं भी अब कराहने लगी थी. भैया के लंड की स्किन जिस तरह से मेरे होंठों के बीच फिसल रही थी, वो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. और जैसे जैसे लंड और ज़्यादा गीला हो रहा था, उसका एहसास और ज़्यादा सिल्की महसूस हो रहा था. मेरे होंठ शिथिल होने के बावजूद, अपने चारों तरफ चीटियाँ चलती हुई महसूस कर रहे थे. मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और अपने आप को उस कामुक क्षण में बहने के लिए खुला छोड़ दिया. 

मैं दुगनी तेज़ी से अपना हाथ भैया के लंड पर चला रही थी. मैने भैया को गुर्राते हुए सुना, और वो अपने हाथ से मेरे सिर को बार बार पकड़ रहे थे. उनका लंड मेरी जीभ पर झटके मार रहा था. मैं उसको हर बार नीचे तक जाकर अपने मूँह में भर लेती, और फिर से उपर तक आ जाती. जैसे ही आधा लंड मेरे मूँह में आता, मेरी जीभ का चलना असंभव हो जाता.

मैं और ज़ोर से मूठ मारने लगी. भैया ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे, और हर साँस के साथ कराह रहे थे. मैं अपना सिर उठाकर, थोड़ा सा और थूक उनके लंड पर उंड़ेला, और फिर जल्दी जल्दी उसको अपने मूँह में अंदर बाहर करने लगी. मुझे अपना खुद का शरीर गरम होता महसूस हो रहा था, और चूत में मच रही हलचल को शांत करने के लिए मैने अपनी दोनो टाँगों को आपस में ज़ोर से चिपका लिया. मैं बेहद गरम हो चुकी थी.

मैने अपना सिर थोड़ा उपर उठाया, और बस सुपाडे को अपने होंठों मे दबाए हुए रुक गयी. और सुपाडे पर अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगी, और होंठों से उसको चूसने लगी. भैया ज़ोर से कराह उठे, और उनका शरीर अकड़ने लगा. वो एक गहरी साँस लेते हुए धीरे से बोले, “संध्या, मैं तो हो गया.”

मैं जल्दी जल्दी अपनी उंगलियाँ लंड पर उपर नीचे करे हुए चलाने लगी. लंड पर उंगलियों के फिसलने की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी. तेज़ी से मूठ मारते हुए, अपनी जीभ को सुपाडे पर फिरा रही थी. धीरज भैया ज़ोर से कार्आआहए, “उहह.” मैने अपने सिर को एक दो इंच उपर नीचे किया, और फिर से उनके लंड को अपने मूँह में भर लिया.

"ऊऊऊः," वो ज़ोर से कराहे.

मैं पागलों की तरह मूठ मार रही थी. मेरी चूत के दाने में आग लगी हुई थी, ऐसे लग रहा था जैसे मैं खुद भी चुद रही हूँ. लंड को मूँह में लिए हुए ही मेरे मूँह से कराह निकल गयी. भैया का शरीर अकड़ रहा था. मुझे उनके लंड में कुछ बदलाव सा महसूस हुआ, लेकिन पता नही ये कैसा बदलाव था, मैने मूठ मारते हुए, लंड को चूसना और सुपाडे को जीभ से चाटना जारी रखा. मेरी चूत में आग लगी हुई थी. और तभी मुझे लगा.... और मेरी आँखें अपने आप चौड़ी होकर खुल गयी. मेरी दोनो टाँगों के बीच गजब की हलचल मची हुई थी, मानो मैं खुद भी झडने वाली हूँ.

और तभी भैया के लंड का ज्वालामुखी फुट पड़ा. 

"उहंंनननणणन्," वो ज़ोर से चीखे. लंड से निकले वीर्य के पानी की बौछार ने मेरे मूँह को लबालब भर दिया. मैं अब भी अपने हाथ से मूठ मार रही थी, लेकिन अपने होंठों को सुपाडे पर एक जगह रखा हुआ था, बस हल्के हल्के चूस रही थी. सबसे पहली पिचकारी जोरदार थी, और मैं उसके सारे पानी को बिना कुछ सोचे पी गयी. जब मैं पहली पिचकारी को निगल ही रही थी, तभी दूसरी पिचकारी मेरी जीभ पर गिरी, लेकिन मैं वैसे ही उसी पोज़िशन में डटी रही. 

"ऊवू भगवान," वो फुसफुसाए, और गुर्राने लगे. उनका शरीर काँप रहा था. मैं अब भी अपनी उंगलियों से उनके लंड की मूठ मार रही थी. मेरी चूत में लगी आग बढ़ती जा रही थी. धीरज भैया ने तीसरी पिचकारी मेर मूँह मे छोड़ दी. मैने उसे तुरंत नही निगला, मैं उसको कुछ देर संभाल कर रखना चाहती थी, हो सकता था कहीं ये उनकी आख़िरी ना हो. 

मैने मूठ मारने की स्पीड को धीमा कर दिया, और धीरे धीरे उंगलियों को लंड पर थोड़ा सा घुमाते हुए उपर नीचे करने लगी. भैया धीरे से कराहे, उनका शरीर अब भी हिल रहा था. मैने उनके लंड को अपने होंठों पर दबाव बनाते हुए महसूस किया, और तभी सुपाडे के छेद में से वीर्य उबलता हुआ बाहर टपक पड़ा. मैं करीब 10 सेकेंड तक वैसे ही उसको थामे रही, और प्यार से लंड के सुपाडे को चूसति रही, और फिर अपने होंठों को सुपाडे पर से हटा कर दूर कर लिया.

धीरज भैया की मसल्स अब शांत होने लगी थी. उनका हाथ मेरे सिर से हट कर बेड पर नीचे गिर पड़ा, और भैया बिना हिले डुले बेड पर शांत लेट गये. अभी भी लंड से निकला ढेर सारा पानी मेरे मूँह में भरा हुआ था. उसका स्वाद..... अच्छा था. वो देखने में कुछ अजीब सा ज़रूर था. वो दूध से थोड़ा गाढ़ा था, और मेरी जीभ पर भी चिपक गया था. मैने उसको निगलने से पहले कुछ देर अपने मूँह में संभाले रखा. मुझे शायद तीन बार उसको अंदर निगलना पड़ा, तब जाकर मुझे अपने मूँह थोड़ा सॉफ महसूस हुआ.
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