RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने अपना सिर भैया की छाती पर रख दिया, और तब मुझे महसूस हुआ कि भैया रो रहे हैं. उन्होने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और पूछा, “क्या सोच रही थी, संध्या?”
"मैं...,"जैसे ही मैने कुछ कहना शुरू किया.
"मैं क्या" भैया ने पूछा.
मैने उपर उनके चेहरे की तरफ देखा, मेरे गालों पर पानी और आँसू दोनों टपक रहे थे. “मैं आपको खोना नही चाहती,” मैं फुसफुसाई.
उन्होने ने मुझे और ज़ोर से जकड लिया, और फुसफुसाए, “तो फिर मुझे कभी जुदा मत करना."
मैने भैया की छाती से सिर टिकाए हुए ही, हामी में अपनी गर्दन हिला दी. हम दोनो बारी बारी से नहाए, पहले भैया और फिर मैं. और फिर जल्दी से अपने कपड़े पहन कर मेरे रूम में एक ही बिस्तर पर मियाँ बीवी की तरह चिपक कर सो गये.
अगली सुबह जब मेरी आँख खुली, तो मैने अपने आप को भैया से चिपके हुए पाया. भैया शायद पहले ही जाग चुके थे, और उन्होने मुझे अपने से चिपका कर सुला रखा था.
मैने उठकर बेड पर बैठते हुए ही भैया से पूछा, “भैया, क्या हम सारी जिंदगी ऐसे ही नही रह सकते?”
धीरज भैया ने मेरी तरफ देखा और कुछ नही बोले. फिर उन्होने अपना हाथ बढ़ाकर मेरी ठोडी को पकड़ा, और हां में गर्दन हिलाते हुए बोले, “मैं भी ऐसा ही चाहता हूँ.”
जिस तरह से हम दोनो भाई बेहन इस तरह की बातें कर रहे थे, पूरे रूम का माहौल रोमॅंटिक और कामुक हो गया था. मैने भैया से कहा, “चलो भैया, थोड़ी बातें करते हैं ,और हम दोनो एक दूसरे को और ज़्यादा बेहतर जानने की कोशिश करते हैं, पहले मैं एक सवाल पूछूंगी फिर आप.” भैया इसके लिए तुरंत तयार हो गये.
मैने अपना पहला सवाल पूछा, “भैया क्या आप बहुत ज़्यादा मूठ मारते हो?”
"हां, कभी कभी," वो बोले. "अभी पिछले कुछ दिनों से कुछ ज़्यादा मारने लगा हूँ, लेकिन इतना ज़्यादा भी नही, मैं इस बात का ख़ास ध्यान रखता था, कि कहीं तुम मुझे ऐसा करते हुए पकड़ ना लो."
"ओह. बहुत अच्छे," मैं बोली.
"इसमे बहुत अच्छे वाली कौन सी बात है?" भैया ने पूछा.
"क्यों कि मैने एक रात तुम को नींद में झडते हुए देखा था, और वहीं से हम दोनो के बीच इस सब की शुरूवात हुई,” मैं धीरे से बोली.
भैया उठ कर सीधे होकर बैठ गये, “क्या, कब , क्या देखा तुमने?”उन्होने पूछा.
"पता नही. मुझे आपकी आवाज़ सुनाई दी, आप कराह रहे थे. इसलिए मैने सोचा देखूं ये कैसी आवाज़ है, और मुझे लगा आप कोई सपना देख रहे थे. और फिर आप झड गये," मैने बताया.
"तुमको कैसे मालूम की मैं झड गया था?" भैया ने पूछा.
"उः, क्योंकि मैने आपके बॉक्सर्स पर गीला गोल निशान देखा था? उसका तो सॉफ सॉफ वो ही मतलब था," मैं बोली. मैं कंबल ओढकर थोड़ा सकुचाते हुए बेड पर बैठ गयी.
"वाउ, मुझे नही मालूम था. लेकिन जब मैं झड रहा था तो तुम वहाँ पर कर क्या रही थी?" भैया ने पूछा.
"बताया ना, मैने अपने रूम में आपकी आवाज़ सुनी थी. मुझे उत्सुकता हुई कि क्या हो रहा है, इसलिए मैं जानने के लिए बाहर निकल आई," मैं जल्दी से जवाब दिया. मुझे नही मालूम था कि मुझे कितना और क्या स्वीकार करना चाहिए.
"और फिर क्या हुआ?" उन्होने पूछा.
मैने भैया की तरफ देखा, वो मुझे ही घूर रहे थे. मैं आगे बोली, “मैं सोफे के पास खड़े होकर आपको देखती रही. आप नींद में ही कराह रहे थे, इसलिए मैं चुपचाप खड़े होकर आपको देखती रही. और फिर...”
"..और फिर क्या?" भैया ने साँस रोक कर पूछा.
"...और फिर मैने आप को झडते हुए देखा. और जब आप झडे तो आपके बॉक्सर गीला हो गया. और एक तरह से...," मेरी आवाज़ लड़खड़ाने लगी.
"एक तरह से क्या?" भैया ने पूछा.
मैने थोड़ा खांस कर गला सॉफ किया और बोली, "और एक तरह से वो सब देख कर मैं भी थोड़ा थोड़ा गरम होने लगी. थोड़ा नही शायद बहुत ज़्यादा."
भैया मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दिए. मैने अपनी आँखें बंद की, और तकिये के उपर बेड का सहारा लगाकर बैठ गयी. मेरी आँखों में सब कुछ घूमता हुआ नज़र आ रहा था. लेकिन मैं नही चाहती थी, कि मेरी और भैया की बातें इतनी जल्दी ख़तम हो जायें. मुझे भैया से इस तरह सवाल जवाब करने में बहुत मज़ा आ रहा था.
"अब आपकी बारी," मैं धीरे से बोली.
"ओके. मुझे थोड़ा सोचने दो," वो बोले और मैने सहमति से अपनी गर्दन हिला दी, जिस से वो थोड़ा सोचकर विचार कर सकें. आख़िर कार उन्होने पूछा, “ओके, क्या तुम भी बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन करती हो?"
मैने कंधे उँचका कर कहा, "हां, कभी कभी."
"ठीक है," वो बोले. "अब तुम्हारी बारी है."
मैं एक मिनिट सोचती रही, फिर मेरे दिमाग़ में कुछ विचार आया, और मैने पूछा, “आप को ज़्यादा क्या अच्छा लगता है, हाथ से करवाना या मूँह से चुसवाना?”
"कहना थोड़ा मुश्किल है. वैसे आज तक ज़्यादा चुसवाने का मौका ही नही मिला. लेकिन फिर भी मुझे तो दोनो में बराबर ही मज़ा आता है, और अगर दोनो एक साथ मिले तब तो बहुत ही ज़्यादा मज़ा आता है," वो बोले.
मैने सहमति से अपनी गर्दन हिलायाई और बोले, "ये तो आप सही कह रहे हो."
"अब मेरी बारी," वो बोले. भैया भी तकिये का सहारा लगाकर बेड पर बैठ गये, और कुछ देर सोचकर बोले, "क्या तुम को चूसने में मज़ा आता है?"
"शायद इस का जवाब मेरे पास नही है, क्यों कि इस का मुझे ज़्यादा तजुर्बा नही है," मैने जवाब दिया.
"चलो ठीक है, मैं इस को दूसरी तरीके से पूछता हूँ. जब तुमने मेरा चूसा तो क्या तुमको मज़ा आया?" उन्होने पूछा.
मैं खिलखिला कर हंस पड़ी, और हां में अपनी गर्दन हिला दी. "सच में, बहुत मज़ा आया," मैने फुसफुसाते हुए कहा.
जब भैया एक मिनट तक कुछ नही बोले, तो मैने अपनी आँखें खोल कर देखा. मेरी आँखों के सामने अब भी सब कुछ घूम रहा था. भैया मेरी तरफ ही देख रहे थे. “तुमको किस चीज़ में सबसे ज़्यादा मज़ा आया?”
"पता नही. शायद, उसको अपने मूँह में महसूस करने बहुत मज़ा आया," मैं स्वीकार करते हुए बोली. मुझे विश्वास नही हो रहा था, कि मैं अपने सगे बड़े भाई से इस तरह की बातें बिल्कुल बेशरम होकर कर रही हूँ. लेकिन अच्छा ही था, हम दोनो बेझिझक होकर आपस में बातें कर रहे थे.
"क्या अच्छा महसूस किया? मेरा लंड, या फिर... तुम समझ रही हो ना," वो बोले.
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