RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं भैया के लंड को अपने हाथ से उपर नीचे करते हुए, मूठ मारते हुए निहार रही थी, और तभी उसमे से एक पिचकारी और निकली, और स्लो मोशन में उसका पानी मेरी निपल पर आ गिरा. मैं उसको अचंभित होकर देखने लगी. फिर मैने धीरज भैया के चेहरे की तरफ देखा, वो ज़ोर ज़ोर से हाँफ रहे थे. फिर उन्होने लंड को हिलाना बंद कर दिया, और मेरे उपर लेट गये. मैं उनके वीर्य के लिसलिसे पानी को हम दोनो के बदन के बीच घिसते हुए महसूस कर रही थी.
भैया ने मुझे फिर से किस करना शुरू कर दिया, लेकिन इस बार बिना अपनी जीभ का इस्तेमाल किए. मेरा बदन अभी भी काँप रहा था, क्यूंकी मैं झडने के बेहद करीब पहुँच चुकी थी. “आइ आम सॉरी संध्या,” भैया मेरे कान में फुसफुसाए.
"इट'स ओके," मैं बोली. मैं निराश थी लेकिन अपसेट नही थी.
"मुझे तो याद भी नही, मैं इतना अच्छी तरह लास्ट टाइम कब हुआ था" वो बोले.
"इट'स फाइन, सच में," मैने फिर से दोहराया.
"आइ जस्ट... आइ डॉन'ट नो. ना जाने मैने आज कितने महीणों के बाद सेक्स किया है. और फिर तुम इतनी ज़्यादा टाइट जो थी. और उसके उपर से तुम तो तुम ही हो, संध्या मेरी सेक्सी छोटी बेहन. मैने अपने आप पर कंट्रोल ही नही कर पाया. मैं आज से पहले इतना ज़्यादा एग्ज़ाइटेड जिंदगी में पहले कभी नही हुआ” मैं समझ रही थी कि वो क्या कहना चाह रहे हैं, और मैं बस अपना सिर हिला रही थी.
मैने फुसफुसा कर जवाब दिया, "मैं भी वैसा ही फील कर रही थी, भैया. मैं भी आज से पहले इतना ज़्यादा गरम कभी नही हुई थी."
भैया मूँह बनाते हुए बोले, "तुम तो अभी भी गरम हो, क्यों नही हो?" उन्होने पूछा.
मैने हां में अपनी गर्दन हिलाई. "इट'स ओके. आइ'ल्ल बी फाइन," मैं बोली.
"क्या मैं...," वो कुछ पूछना चाह रहे थे.
"क्या भैया, आप क्या?" मैने पूछा.
"मेरा मतलब था, क्या हम आज रात को फिर से ये सब कर सकते हैं? उन्होने जवाब दिया.
मैने अपनी गर्दन आगे की, और भैया को हल्के से होंठों पर चूम लिया. और फिर फुसफुसा कर बोली, "मुझे भी अच्छा लगेगा, अगर हम दोनो आज रात को फिर से करेंगे तो मुझे भी मज़ा आएगा."
भैया मुस्कुराए, और अपना सिर मेरे तकिये पर टिका दिया, और बोले, “आज मेरा ऑफीस जाने का मन नही कर रहा, मैं आज घर पर ही आराम करूँगा.” इतना कहकर उन्होने अपनी आँखें बंद कर ली, और कुछ ही देर में सो गये. मैं सावधानी के साथ बेड से उतरी, जिस से उनकी नींद में खलल ना पड़े, और फिर नहाने के लिए बाथरूम में चली गयी.
जब मैं नहा रही थी, तभी मेरे पास मेरे मोबाइल पर मेरी एक सहेली का फोन आया, वो मुझे शाम को अपनी बर्तडे पार्टी पर बुला रही थी. मैने उसका इन्विटेशन आक्सेप्ट किया और मन ही मन कोचैंग कॉलेज जाने का डिसिशन लिया. मैं जल्दी से तय्यार होकर, अपनी कार से बाहर निकल गयी. मैं भैया के पास एक कागज पर लिख कर छोड़ गयी कि मैं कोचैंग के बाद अपनी फ्रेंड की बर्तडे पार्टी में जाउन्गि, और आने में थोड़ा लेट हो जाउन्गि, इसलिए वो शाम को अपने लिए होम डेलिवरी से खाना माँगा लें, और सो जायें.
कोचैंग कॉलेज के रास्ते में मैं एक गाइनकॉलजिस्ट के क्लिनिक पर रुकी, और अपने लिए बर्त कंट्रोल पिल्स का प्रिस्क्रिप्षन लिखवाया. डॉक्टर ने प्रिस्क्रिप्षन लिखते हुए ही मुझे बता दिया था, कि ये पिल्स एक हफ्ते बाद काम करना शुरू करेंगी, इसलिए एक हफ्ते तक सावधानी बरतने की ज़रूरत होगी. फिर एक केमिस्ट से बर्त कंट्रोल पिल्स ली, और ई-पिल का भी एक पॅकेट ले लिया, जो की अगले 7 दिनों तक काम आने वाला था.
मैने कार में बैठकर, पानी की बॉटल उठा कर, सब से पहले वो एक बर्त कंट्रोल पिल की एक गोली खाई. मैने मन ही मन सोचा, कि अगले एक हफ्ते में ज़्यादा से ज़्यादा भैया को बस एक या दो बार ही अंदर होने दूँगी, और उन दिनों उसके बाद ई पिल खा लूँगी. मुझे कॉंडम बिल्कुल पसंद नही हैं, मुझे तो कॉंडम का विचार आते ही, मन में घृणा वाली फीलिंग आने लगती है. और जैसे भैया का लंड इतना बड़ा था, मुझे लगा कहीं कॉंडम पहन कर उनको परेशानी ना हो. भैया के लंड का मेरी चूत में घुसने का ख्याल आते ही मैं सिहर उठी.
कोचैंग के बाद मैं अपनी सहेली की बर्तडे पार्टी में गयी, और घर लौटते लौटते रात के 11 बज गये. दिन भर मेरे दिमाग़ में बस भैया से चुदाई के ख्याल ही आते रहे, मैं चुदने के लिए आज से पहले इतनी ज़्यादा उतावली, पहले कभी नही हुई थी.
घर पर पुंचने पर कार पार्क करने के बाद, मैने अपनी घड़ी पर नज़र डाली, रात के 11:15 बज रहे थे. मैं जल्दी से घर का ताला, अपनी चाबी से खोलकर अंदर घुस आई. ऐसा लग रहा था मानो मैं चुदने को बेताब कोई रंडी हूँ, मैं मन ही मन मुस्कुराइ, और तेज़ी से भैया के रूम की तरफ चल पड़ी.
मैं जब भैया रूम के दरवाजे पर पहुँची तो मैं हाँफ रही थी, और मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैने अपने रूम में घुसकर, पीछे से डोर का लॉक कर दिया, और अपने पर्स को उछाल कर फर्श पर दूर फेंक दिया. मैं नही चाहती थी कि भैया को पता चले कि मैं चुदने के लिए इतनी ज़्यादा आतुर हूँ, इसलिए मैं रूम में घुसने के बाद नॉर्मल रहने की कोशिश करने लगी.
जब मैने गौर से देखा, तो धीरज भैया अपने सिर के नीचे दोनो हाथों को रख कर आँखे बंद कर लेटे हुए थे. उन्होने कंबल एक साइड में किया हुआ था, और मैं उनके गठीले नंगे बदन को निहार रही थी. मैं अपने आप पर काबू रखने की स्थिति में नही थी, इसलिए मैने तुरंत अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
मेरे आने की आहट सुनकर भैया ने अपनी आँखें खोल दी, और मुझे मेरे कपड़े उतारते हुए देखने लगे. मैने पहले अपनी गले में से निकालकर पानी टी-शर्ट उतारी, फिर अपनी ब्रा को उतारकर दूर फेंक दिया, और फिर अपनी पॅंट को उतारकर फर्श पर फेंक दिया. मैं जब ऐसा कर रही थी, भैया का लंड धीरे धीरे खड़ा होता जा रहा था, ये देख कर मुझे खुशी हो रही थी.
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