RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने अपनी आँखें बंद कर ली. मैं पहल नही करना चाहती थी, मैं भैया का इंतेजार करने लगी. और तभी मैने वो आवाज़ सुनी, जिसको सुनकर मैं काँप उठी. भैया अपने लंड को हिला रहे थे. मेरी चूत में फँसा हुआ डिल्डो मुझे गरम लगने लगा. बिना कोई देर किए, मैने अपना एक हाथ नीच ले जाकर, उसका बटन दबाकर उसको फिर से ऑन कर दिया.
तुरंत मेरे शरीर में जो आनंद की जो अनुभूति हुई, उसकी मैने कल्पना भी नही की थी. इस से पहले कि मैं अपने आप पर काबू करती, मैं ज़ोर से कराह उठी. मैं भैया को भी कराहते हुए सुन रही थी. भैया मेरे पास ही लेटे हुए थे, लेकिन उन्होने अपने पैर थोड़ा दूर कर लिए थे, इसलिए वो मुझे अब टच नही कर रहे थे. हालाँकि, मैं भैया के शरीर से निकल रही गर्माहट को महसूस कर रही थी. और मैं भैया के तेज़ी से मूठ मारने की आवाज़ को भी सुन रही थी. मैं भैया की तेज चल रही साँसों को भी सुन रही थी, जो अब छोटी होती जा रही थी. मैने महसूस किया, मेरी साँसें भी अब हाँफने का रूप ले चुकी थी.
मेरे शरीर में आनंद की लहर दौड़ रही थी. मैं जिस तरह पहले झड्ने के बेहद करीब पहुच गयी थी, शायद वो स्थिति फिर से आ गयी थी. मेरा शरीर अकड़ने लगा था. मैने अपना हाथ नीचे ले जाकर, वाइब्रटर को अपनी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. और तभी मेरे दिमाग़ में सपने वाली वो तस्वीरें घूम गयी. अचानक, मैं सोचने लगी कि भैया मुझे प्यार कर रहे हैं. मैने भैया के मूँह से निकल रही आवाज़ों से अंदाज़ा लगाया, कि वो झडने के बेहद करीब पहुँच चुके हैं. जैसे ही मैने उस डिल्डो को अपनी चूत में पूरा अंदर तक घुसाया, भैया फिर से कराह उठे. मैं कल्पना करने लगी, कि मानो ये डिल्डो ना होकर भैया का असली लंड है, जो मेरी चूत के अंदर घुस रहा है.
जैसे ही मुझे हक़ीकत का थोड़ा सा एहसास हुआ, मेरी आँखें खुल गयी. मैं कल्पना कर रही थी कि भैया मुझे प्यार कर रहे हैं. मेरे सगे बड़े धीरज भैया. लेकिन इस चीज़ में मुझे कोई बुराई नज़र नही आ रही थी. मुझे ग्लानि होने की अपेक्षा और ज़्यादा उत्तेजना महसूस हो रही थी. मैं ये सोचकर ही झडने के बेहद करीब पहुँच गयी थी. मुझे इस बात का कोई अंदाज़ा नही था, कि अगली सुबह, यानी कल सुबह इस सब का मुझ पर क्या प्रभाव या असर होने वाला है.
लेकिन उस समय, मुझे इन सब बातों की कोई परवाह नही थी. मैं जल्दी से झडन चाहती थी. भैया के मूठ मारने के कारण कंबल ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था, और उनके मूँह से हर कुछ सेकेंड के बाद निकल रही कराहों को मैं सुन रही थी. मैं बेहद गरम हो गयी थी, और मेरे शरीर में अजीब सी लहर का संचार हो रहा था. मैं हाँफ रही थी. भैया के मूठ मारते वक़्त, मेरे हाथ की उंगलियों ने भैया की टाँगों को हल्का सा छुआ, और उनके मूँह से तुरंत आवाज़ निकली “उहनन्न.”
मैं भैया के तेज़ी से चल रहे हाथ की आवाज़ को सुनने लगी. वो फिर से कराह उठे, इस बार थोड़ा ज़ोर से. मुझे एहसास हो गया, कि वो बस झडने ही वाले हैं. मेरी दोनो टाँगों के बीच भी मेरे जल्द ही झडने के संकेत मिलने लगे थे. मैं हान्फ्ते हुए साँस ले रही थी. “उहमम्म,” भैया कराहे. और सच में तभी मुझे उनके लंड से पानी की धार निकलने की आवाज़ सुनाई दी. ऐसी आवाज़ मानो कोई पानी की सतह पर तैर रहा हो. वो अभी भी गुर्रा रहे थे, और अभी भी मूठ मार रहे थे. मैं उनके गुर्राने और हाँफने की आवाज़ सुन रही थी, तभी मुझे अपनी टाँगों पर कुछ ग्राम गरम महसूस हुआ. भैया के लंड से निकाला माल, पानी नुमा था, और वो तुरंत मेरी जांघों पर बहने लगा.
"ओह संध्या, मेरा मतलब...आह! आइ'म सॉरी," भैया मुझसे माफी माँगने लगे, और मुझसे दूर होने लगे. उनके लंड से निकला पानी अब ठंडक देने लगा था, लेकिन मुझे उस सब की कोई परवाह नही थी.
मुझे अब कुछ नही संभाल सकता था. इसके विपरीत, मेरे शरीर में आग लगी हुई थी. मेरे शरीर में हवस और वासना अपना घर बना चुकी थी, बस अब मुझे झडना था, मेरे मूँह से हल्की सी आहह निकली. ये सब मेरे सहन करने से कहीं ज़्यादा था. मेरे सगे बड़े भैया, मेरे से बस कुछ इंच दूर मूठ मार रहे थे, और झड्ने के बाद अपने लंड से पानी निकाल रहे थे, और उनके लंड की पिचकारी से निकला पानी मेरी टाँगो को गीला कर रहा था.
मैं वाइब्रटर को अपनी चूत में अंदर घुसा हुआ महसूस कर रही थी, तभी ऐसा लगा मानो जैसे कोई बॉम्ब फुट गया हो. मैं हाँफने लगी, और मेरा शरीर काँपने लगा. मैने अपनी कमर उपर उठा दी, और फिर नीचे कर ली. मेरा शरीर अकड़ने लगा, और मैं इस कदर झडि, जैसा पहले कभी नही झडि थी. मैं निढाल हो गयी. मेरे सारे शरीर में मानो विस्फोट हो रहे थे, और उन विस्फोटों की शुरुआत, मेरी चूत की गहराई से हुई थी. मेरी चूत का दाना मचल रहा था, और उस में से आनंद की तरंगें निकल रही थी, जो उपर तक फैल कर आते हुए मेरी चूंचियों तक आ रही थी. मेरे शरीर में आनंद भरी गुदगुदाहट हो रही थी. मैं एक बार नही एक साथ काई बार एक साथ झड रही थी. मैं अपना होश खो बैठी थी. मेरी चूत ढेर सारा पानी छोड़ रही थी. मैं हाँफ रही थी और ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. मैने महसूस किया कि मैने एक हाथ से धीरज भैया की बाँह को ज़ोर से पकड़ लिया था, मानो वो मुझे बचा लेंगे. भैया चुपचाप लेटे रहे.
मेरे शरीर में झड्ते हुए जैसे जैसे मेरी चूत पानी छोड़ती, मेरे शरीर में दौरे से पड़ने लगते. ऐसा तब तक चलता रहा, जब तक मैं पूरी तरह झड कर ठंडी नही पड़ गयी. मैं ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी. मैने वाइब्रटर को बटन दबाकर ऑफ किया, और चूत में से बाहर निकाल लिया, और फर्श पर फेंक दिया. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, और ऐसा लग रहा था, कहीं मैं बेहोश ना हो जाऊं. पूरे शरीर में हलचल मची हुई थी.
"हे भगवान, संध्या," धीरज की हल्की सी आवाज़ से मेरी आँखें खुल गयी. मैने घूमकर उनकी तरफ देखा, भैया मेरी तरफ ही घूर रहे थे. मैने अपने हाथ से पकड़ी हुई बाँह को छोड़ दिया. "मूठ मार कर पानी निकालने में आज जैसा मज़ा आया है, वैसे आज से पहले कभी नही आया,” भैया बोले.
मैं भी मुस्कुरा दी और बोली, "हां आज कुछ ज़्यादा ही मज़ा आया."
धीरज भैया मेरी तरफ देखकर कुटिलता से मुस्कुराए और बोले, "थॅंक्स फॉर, उः... इन्वाइटिंग मी."
मैं भैया के पास जाकर उनके साथ चिपकाना चाहती थी. लेकिन मुझे डर लग रहा था. इसलिए, मैने उनके उपर झुक कर भैया को गाल पर किस कर लिया, और फुसफुसा कर बोली, "यू'आर वेलकम. गुड नाइट."
हम दोनो जल्दी ही सो गये. मुझे किसी तरह का कोई सपना नही आया, और जब मैं जागी, तो मैने अपने आप को बहुत तरो ताज़ा महसूस किया. और सबसे बड़ी बात, मैने जो कुछ किया था, उस बात की मुझे कोई शरमिंदगी नही थी. मैने धीरज भैया की तरफ देखा, वो अब भी सो रहे थे. भैया के गालों को किस करने के लिए मैं थोड़ा नीचे झुकी, लेकिन गालों की जगह मैने भैया के होंठों को किस कर लिया. ये एक छोटी सी किस थी, लेकिन इस का मेरे अंदर घूमड़ रही भावनाओ से गहरा समबंध था.
कहीं ना कहीं, मुझे मालूम था, कि अब हम दोनो भाई बेहन के बीच हमेशा के लिए सब कुछ बदलने वाले था. और मुझे नही मालूम था, कि ये बदलाव बेहतर होगा या खराब. मैं भैया को सोता हुआ छोड़कर, बेड से उठ गयी. मैने बाथरूम में जाकर फ्रेश होने और नहाने के बाद, कॉलेज जाने के लिए अपने कपड़े चेंज कर लिए.
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