RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
भैया की आँखों में चमक आ गयी, और वो पूरी तरह खुल गयी. फिर उन्होने पूछा, “तो फिर वो वाइब्रटर की ही आवाज़ थी, जो मैने सुनी थी.”
मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और मूँह में आए थूक को अंदर सटक लिया. मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. बिना कुछ सोचे, मैने अपने एक हाथ नीचे ले जाकर, डिल्डो को थोड़ा सा अड्जस्ट करने का प्रयास किया. मैने कोशिश की भैया को इस बात का पता ना चले, या वो ऐसा करते मुझे देख ना लें. लेकिन रूम में इतना कम उजाला था, कि उनको शायद ही पता चले. मैने खिसक कर अपने शरीर को भी थोड़ा अड्जस्ट किया. मेरी उंगली उस डिल्डो को नीचे से पकड़ कर, थोड़ा सा हिलाकर अड्जस्ट करने लगी.
लेकिन मेरी किस्मत ही खराब थी, ऐसा करने से वाइब्रटर का पवर बटन दब गया, और बज़्ज़ बज़्ज़ की आवाज़ आने लगी. एक दम मिले इस आनंद से मेरी आँखें बंद होने लगी. किसी तरह मैने उस बटन को ढूँढा और उसको ऑफ किया. आँखें खोलने से पहले मैं बहुत देर तक तेज तेज साँसें लेती रही.
धीरज भैया की नज़रें मेरी चूत वाली जगह पर थी, और वो आँखें फाड़ फाड़ के उस जगह देख रहे थे. मैने एक गहरी साँस बाहर छोड़ी और बोली, “ओके तो ये तो शरम वाली बात थी.” मेरा चेहरा लाल हो रहा था.
धीरज भैया ने अपना सिर हिलाया और मेरी तरफ देख कर फुसफुसाए, "नही इसमे शरमाने वाली कोई बात नही है."
मैने अपने कंधे उँचका दिए. मुझे शरम आ रही थी. लेकिन पता नही क्यों मैं उतनी ज़्यादा शर्मिंदा नही थी, जितना कि मुझे होने चाहिए था. “ये एक आक्सिडेंट था,” मैं धीरे से बोली.
भैया दूसरी तरफ देखने लगे, खिड़की की तरफ. वो बोले, “मुझे सपने के बारे में ज़्यादा तो कुछ याद नही, लेकिन संध्या तुम उस सपने में ज़रूर थी.”
हुह? मैं एक दम चौंक गयी. मेरी आँखें खुली की खुली ही रह गयी. मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. क्या भैया मेरी धड़कनों को सुन रहे थे? मेरी चूत में फँसे उस डिल्डो की वजह से मैं छटपटा रही थी. मैं बेहद गरम हो चुकी थी. बहुत ज़्यादा गरम. जब कोई भाई अपनी बेहन से कहे कि वो उसके सपने देखता है, और वो भी सेक्स के, तो आप क्या कहोगे. वैसे भैया ने क्या कहा था? यही कि मैं उनके सपने में थी, लेकिन उन्होने ये नही बताया कि मैं क्या कर रही थी. मैने पूछा “उः, भैया मैं आपके सपने में क्या कर रही थी?”
भैया ने सिर हिलाया, और बोले “पता नही.”
मुझे समझ में नही आया कि वो सच बोल रहे हैं या झूठ, या फिर इस निषेध विषय पर चर्चा करने से बच रहे थे. उनको इस बात का बिल्कुल पता नही था, कि मैं भी ऐसे ही सपने देख रही हूँ. पता नही हम दोनो क्या कर रहे थे?
मैने अपनी नर्वुसनेस को काबू में करते हुए पूछा, “क्या हम दोनो सेक्स कर रहे थे?”
धीरज भैया ने झट से अपना सिर मेरी तरफ घुमाया. वो कुछ नही बोले, जिस से मेरी धड़कन और ज़्यादा बढ़ गयी. मैने अपनी साँसें रोक ली. फिर वो बोले, “शायद... पता नही... संध्या. मुझे ये सब तुमको नही बताना चाहिए था.” उन्होने फिर से अपने मूँह दूसरी तरफ कर लिया.
मैं अपने होंठ को काटने लगी, और फिर कंबल में से ही अपने पैर के पंजे से भैया के पैर को छूआ. भैया ने मेरे पैर की तरफ देखा. मैं धीरे से बोली, “इट्स ओके भैया. अगर तुम इस बारे में सोच रहे हो तो, मैं अपसेट नही हूँ.
"क्या सच में तुम अपसेट नही हो?" भैया ने पूछा.
मैने हां में गर्दन हिल दी. भैया ने कनखियों से मुझे देखा, और हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा उठे. हालाँकि, हम दोनो भाई बेहन की लड़ाइयाँ लड़कर ही बड़े हुए थे. लेकिन हम दोनो परिवार में बाकी सब से कहीं ज़्यादा, एक दूसरे के बेहद करीब थे. हम दोनो एक दूसरे की ग़लतियों को भी आसानी से माफ़ कर देते थे. लेकिन इस केस में, मुझे नही लग रहा था कि किसी को माफ़ करने की कोई ज़रूरत थी. जब हम दोनो ने एक ही जुर्म किया था.
भैया आख़िर में उठ कर खड़े हुए, और डोर की तरफ चल दिए. वो बोले, “चलो अब सो जाओ संध्या. मेरी सपने वाली बातों को सुनने के लिए थॅंक यू.”
मैने फिर से अपना होंठ काटा, और धीरे से बोली, “वेट.”
भैया डोर के पास रुक गये और घूम कर मेरी तरफ देखा. मैं ना जाने क्या बोलने वाली थी, मुझे खुद यकीन नही हो रहा था. लेकिन अपने आप मेरे मूँह से शब्द निकला रहे थे, “क्या आज रात मेरे पास रुकोगे?”
भैया ने चेहरा बनाया, वो थोड़ा कन्फ्यूज़ हो गये. "तुम्हारे साथ रुकू?" उन्होने पूछा.
मेरे चेहरे पर खून दौड़ आया. मैं कुछ बोल ना पाई, बस अपनी गर्दन हिला दी.
भैया के चेहरे पर कन्फ्यूषन और शिकन जल्द ही दूर हो गयी, और वो मेरे पास आने लगे. मैने पहली बार ध्यान दिया कि उन्होने सफेद टी शर्ट और स्वेट पॅंट पहन रखी थी. जब वो मेरे बेड की साइड पर आ गये, मुझे शरम आने लगी. मैने अपने सगे बड़े भैया को अपने बेड में आमंत्रित किया था. हालाँकि, इसमे कोई बुराई नही थी. मैने उनको सेक्स करने के लिए तो बुलाया नही था. लेकिन जिस तरह से अभी अभी उन्होने जो कुछ स्वीकार किया था, उसके बाद सब कुछ बदल चुका था.
धीरज भैया ने मेरी तरफ देखा, और फिर बेड की तरफ, और अपनी आइब्रो उपर की तरफ की. मैने हां में सिर हिलाया, और भैया कंबल के अंदर घुस आए. तभी भैया के स्वेटपेंट का कॉटन वाला कपड़ा मेरी नंगी टाँगों को छूने लगा, तभी मुझे एहसास हुआ कि मैने नीचे कुछ पहन ही नही रखा था. हां मैं नंगी थी, और मेरी चूत में डिल्डो फँसा हुआ था.
इस सब की वजह से क्या कुछ हो सकता है, ये सोचकर मैने अपनी आँखें बंद कर ली. और मैं अपने साए बड़े भाई के साथ बेड पर लेटी हुई थी. मैने नीचे से आधी नंगी थी, और वाइब्रटर मेरी टाँगों के बीच मेरी चूत में घुसा हुआ था. और उपर से, अभी अभी भैया ने मेरे सामने स्वीकार किया था, कि वो मेरे साथ सेक्स के सपने देखते हैं. आज राज कुछ रोचक होने वाला था.
मुझे एक और बात का एहसास हो रहा था, कि भैया का इस तरह मेरे पास लेटना मुझे अच्छा लग रहा था. भैया के शरीर में गर्माहट थी, हालाँकि हम दोनो के शरीर बस थोड़ा सा ही टच कर रहे थे, लेकिन मैं उस गरमाहट को महसूस कर रही थी. मेरा बेड 4 बाइ 6 फीट का था, इसलिए वो इतना बड़ा था कि हम दोनो को ज़्यादा पास होने की ज़रूरत नही थी. हालाँकि भैया अभी भी मेरे और करीब आ सकते थे, और मुझे भी इसमे कोई आपत्ति नही होती. लेकिन मैने कुछ भी ना बोलने में ही भलाई समझी.
धीरज भैया ने ही कुछ बोलकर बात चीत शुरू की. और जो कुछ उन्होने बोला, वो सुनकर मैं काँप उठी. भैया बोले, “तुम अगर चाहो तो वो ख़तम कर सकती हो, जो तुम कर रही थी.”
"भैया आप कैसी बात कर रहे हो?" मैने पूछा.
मैने कंबल को हिलता हुआ महसूस किया, जैसे ही भैया थोड़ा सा हीले, और बोले, “मैने ये नही कह रहा हूँ कि तुम करो ही, लेकिन अगर तुम करना चाहती हो तो मुझे कोई आपत्ति नही है.”
मैने अपना सिर घुमाकर उनकी तरफ देखा. कमरे में हल्की सी रोशनी थी, लेकिन मैं भैया के सुंदर सा मुखड़ा देख पा रही थी. भैया पीठ के बल लेटे हुए छत की तरफ देख रहे थे, “मैं अगर वो करूँ, तो आप क्या करोगे?”
भैया ने मूँह के अंदर आए थूक को अंदर सटका और बोले, “शायद मैं भी वो ही करूँगा.”
"शायद?" मैने पूछा.
भैया ने अपनी आँखें बंद कर ली, और एक गहरी साँस ली. फिर बोले, “मैं करूँगा, लेकिन यदि तुम चाहो तो नही करूँगा.”
मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. मेरे शरीर में गुदगुदी होने लगी. और तभी मुझे उनका सुझाव पसंद आ गया. मैने फुसफुसा कर कहा, “आइ डॉन’ट माइंड.”
धीरज भैया ने मेरी तरफ करवट ले ली, और मैं भैया की आँखों में देखने लगी, और मेरे अंदर काम वासना जाग कर चरम पर पहुँच गयी. वो बस मुझ से कुछ ही इंच दूर थे. और मैं उनसे कह रही थी, “कर लो भैया.”
धीरज भैया मेरी तरफ कुछ सेकेंड्स तक देखते रहे, और फिर मैने देखा क़ि उन्होने अपनी एलास्टिक वैस्टबंद वाली स्वेट पैंट को नीचे कर के उतार दिया. मैं और भैया अब दोनो नीचे से नंगे थे. और अब दोनो साथ साथ हॅस्ट मैथुन करने वाले थे. एक साथ.
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