RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने देखा धीरज भैया का शरीर थोड़ा हिला और फिर रुक गया. मैं नही चाहती थी कि भैया मुझे उनको इस तरह चोरी से देखते हुए पकड़ें. मुझे नही मालूम था वो जाग रहे हैं या सो रहे हैं. लेकिन मैने सोचा कि अगर मैं यकायक वहाँ पहुच जाउन्गि तो यदि वो जाग रहे होंगे तो मैं कुछ कहने की स्थिति में होंगी. चुपचाप छुप कर देखने से पकड़े जाने का ख़तरा था.
थोड़ी सी हिम्मत कर के मैं ड्रॉयिंग रूम में अंदर आ गयी, और सोफे के पीछे रुक गयी. मैने भैया के चेहरे की तरफ देखा, उनकी आँखें बंद थी. टीवी की रोशनी में मैं उनके चेहरे पर आ रहे एक्सप्रेशन्स को देख पा रही थी. भैया सो रहे थे, और गहरी साँसें ले रहे थे, उनके होंठ खुले हुए थे.
मैं एक पल भैया के बदन को निहारती रही, उन्होने गर्दन तक कंबल ओढ़ रखा था, लेकिन ब्लंकेट में से उनके कुछ अंग बाहर निकले हुए थे. भैया का शरीर बहुत सेक्सी था, इस चीज़ पर मैने पहले कभी गौर नही किया था. लेकिन जिस तरह के सपने मैं पिछले कुछ दिनों में देख रही थी, मैं भैया को उन नज़रों से देखने लगी थी, जिस तरह पहले उनको कभी नही देखा था. जैसे क़ि वो मुझे अब आकर्षक लगने लगे थे, उनका सब कुछ आकर्षक था. इस वक़्त मैं इस बात को स्वीकार कर रही थी.
धीरज भैया थोड़ा कराहे, मेरी नज़र फिर से उनके चेहरे की तरफ चली गयी. उनका मूँह अभी भी खुला हुआ था, और ऐसा लग रहा था, कि उनका सिर थोड़ा झुका हुआ है. मैने गौर से देखा, उनकी आँखें पूरी तरह बंद थी, और वो वैसे भी हिल डुल नही रहे थे. मैने अपनी नज़रें नीचे दौड़ाई, ये देखने को कि कहीं उनके हाथ नीचे तो नही हैं. तभी मेरी नज़र उनके खड़े होकर तने हुए लंड पर पड़ी, तो कंबल में टेंट बना रहा था. मेरा मूँह खुला का खुला ही रह गया, और मैने एक गहरी साँस ली. मेरी टाँगों के बीच भी कुछ कुछ अच्छा सा फील होने लगा.
तभी यकायक मेरे मन में भैया को झड्ते हुए देखने की इच्छा उत्पन्न हुई. मानो मैं किसी नशे में थी, और उस नशे की मुझे कल रात से लत लग चुकी थी. मैं वहीं पर चुप चाप खड़ी रही, और उनके बदन की हरकतों को निहारने लगी, और उन संकेतों को देखने लगी, जिन से ये लग रहा था कि भैया को आनंद मिल रहा है. वो फिर से कराहे, और मेरे शरीर ने भी रेस्पॉंड करना शुरू कर दिया. भैया के नग्न शरीर की तस्वीर मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. मेरी टाँगों के बीच अजीब मस्ती चढ़ने लगी. मेर अंदर मुझे अपने आप को छूने की तीव्र इच्छा जागने लगी.
धीरज भैया के चेहरे पर नज़र पड़ते ही मुझे एहसास हुआ, कि उनके चेहरे पर अलग ही भाव थे, और थोड़ी शिकन भी आ रही थी. उनकी साँसें भी तेज तेज चल रही थी. वो फिर से कराहे, और उनके शरीर में भी कुछ हलचल हुई. उनकी कमर उपर की तरफ उठने लगी. मैं फिर से उनकी दोनो टाँगों के बीच बने टेंट को देखने लगी. मैं कल्पना करने लगी कि मैं उनका लंड देख रही हूँ, बस लंड का उपरी हिस्सा. जो उनके शरीर से बहुत इंच उपर उठा हुआ था. मैं एक बार फिर से भैया के लंड के साइज़ से मन्त्र मुग्ध हो गयी.
मुझे एहसास हुआ कि मेरी चूत से पानी टपकने लगा है. मैं अपने आप को टच करना चाहती थी. मैने अपनी दोनो जांघे चिपका ली, और उन दोनो को इस कदर भींच लिया, कि वो मेरी चूत के दाने को छूने लगी. मुझे एहसास हुआ कि मेरी साँसें बहुत तेज़ी से चल रही थी. भैया एक बार फिर से कराहे और मेरी नज़रें फिर से उनके चेहरे को देखने लगी. वो अब भी सो रहे थे. जैसे ही मैने उनको देखा , “उहह,” वो कराह उठे.उनका शरीर अकड़ने लगा था, और उनकी कमर उपर उठ कर तीर कमान बना रही थी. हां वो झड रहे थे, मैं छटपटा उठी. मैं बारी बारी उनके खड़े होकर तने हुए लंड और उनके चेहरे को देखने लगी. मैं देखना चाहती थी कि झड्ते समय उनके चेहरे पर कैसे भाव आते हैं, और मैं उनके लंड से निकलते हुए पानी को भी देखना चाहती थी.
मैने अपना सिर हिलाया, मैं ये क्या कर रही थी. मैं अपने भैया के लंड से निकले पानी को देखना चाहती थी? मुझे अपने आप से घृणा होने लगी. लेकिन मेरी टाँगों के बीच जो आनंद मिल रहा था, वो मेरे इन सब सवालों को बेरहमी से दबा रहा था. भैया फिर से जो से कराह उठे, “ऊऊऊहह,”
मेरी टाँगों के बीच आनंद की लहर ने आग लगा रखी थी. अब मुझ से बर्दाश्त करना नामुमकिन था. मैं जल्दी से अपने बेडरूम में भाग कर आ गयी, और अपनी पॅंट उतारकर बेड पर फेंक दी. मैने बेड के नीचे से उस वाइब्रटर को निकाला. मुझे इस बात की प्रसन्नता हुई कि मैने उसकी बॅटरीस पहले ही चेंज कर दी थी. मुझे अब गरम होने के लिए कुछ भी करने की ज़रूरत नही थी. मैं उसको तुरंत ऑन करके चालू किया और अपने अंदर घुसा लिया. मैं तुरंत कराहने लगी, और अपने आप को झड्ता हुआ महसूस करने लगी, जिस उफान का मैं इंतेजार कर रही थी, वो उफान आ चुका था, जो बहुत देर से उबल रहा था.
मैने उस छोटे लंड वाले वाइब्रटर को तो ऑन भी नही किया था. मुझे उसकी ज़रूरत भी नही पड़ी. मैं ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी, मेरा शरीर काँप रहा था. मैं उसको अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी, मेरी चूत आनंद में अपने आप खुल बंद हो रही थी. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, और मैं हाँफ रही थी. मैं अपनी आवाज़ो और कराहों को धीमा निकालने का प्रयत्न कर रही थी, जिस से धीरज भैया कहीं सुन ना लें.
लेकिन वो जाग ही गये. “संध्या?” नीचे ड्रॉयिंग रूम में से उनकी आवाज़ आती हुई सुनाई दी. तभी मुझे एहसास होते ही मैने अपने रूम का दरवाजा खुला छोड़ दिया है. शिट, ये मैने क्या कर दिया, वाइब्रटर अभी भी मेरे अंदर घुसा हुआ था, और बज़्ज़ कर रहा था. वो तुरंत समझ जायेंगे कि मैं क्या कर रही थी. लेकिन शायद मुझे अब इस बात की परवाह नही थी. लेकिन मैं चाहती थी कि वो मेरे रूम से चले जायें. मैं झड्ने से बस कुछ सेकेंड्स ही डोर थी. शिट !
"संध्या?" उन्होने मेरे कमरे में दाखिल होने के बाद फिर से आवाज़ लगाई.
आखिकार मैने पानी आँखें खोल ही दी, और हाथ नीचे लेजाकर वाइब्रटर को बटन से ऑफ कर दिया. उसको मैं अभी भी अपने अंदर महसूस कर रही थी. “क्या है? मैने पूछा. मेरी आवाज़ में तल्खी थी.
वो एक मिनिट तक कुछ नही बोले. मैने देखा वो ड्रॉयिंग रूम की तरफ देख रहे थे. जब वो मेरी तरफ घूमे, फिर बोले, “मैं अभी एक सपना देख रहा था.”
ओह. "उः, ओके," मैने जवाब दिया. मेरे समझ में नही आया, कि मैं और क्या बोलूं.
वो कुछ सेकेंड्स नीचे फर्श की तरफ देखते रहे फिर बोले, “क्या मैं तुमसे एक मिनिट बात कर सकता हूँ?”
मेरे शरीर को जो आनंद मिल रहा था उसकी वजह से मेरी आँखे बंद थी. मैं अपने शरीर में उठ रही उन लहरों के थमने तक करीब आधा मिनिट इंतेजार करती रही, और फिर से अपनी आँखें खोल दी. मैने धीरज भैया की तरफ देखा और बोली, “हां बताओ, क्या हुआ?”
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