RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
भैया कुछ नही बोले पूरे एक मिनिट बाद, मैने भैया की तरफ देखा और उनको मेरी तरफ देखता हुआ पाया. फिर वो बोले, “शायद इस सब की शुरूवात वहाँ से हुई है, जब से मैने तुमको नंगा देखा है.”
"हां, शायद. लेकिन वो सब मेरी ग़लती थी. आपका इस में कोई कुसूर नही है," मैने जवाब दिया. मुझ थोड़ी शर्मिंदगी तो हुई, लेकिन मैने उसको तुरंत अपने दिमाग़ से दूर कर दिया.
"आइ डॉन'ट केर," भैया बोले. "मेरा मतलब आइ डॉन'ट केर कि मैने तुम को वो सब करते हुए देख लिया. मेरा मतलब मेरे को उस समाया वहाँ पर नही होना चाहिए था. तुम घर पर अकेली थी, मुझको इस तरह नही घुस कर आना चाहिए था, ये मेरी ही ग़लती थी."
मैं भैया को एकटक देखती रही. जिस तरह से वो बातें कर रहे थे, मुझे वो सब सुनकर बहुत अच्छा फील हो रहा था. हालाँकि मैं भैया के साथ हमेशा ही कंफर्टबल फील करती हूँ, लेकिन आज से पहले हम दोनो ने इस तरह की बातें पहले कभी नही की थी. आख़िर में मैने बोला, “आप बहुत अच्छे हो भैया.”
भैया मेरी तरफ देखकर मुस्कुराए, और फिर टीवी की तरफ देखने लगे, हालाँकि मुझे मालूम था कि वो टीवी सच में देख नही रहे हैं. कुछ मिनिट्स के बाद, भैया ने एक ऐसा सवाल पूछा , कि मुझे उनकी तरफ देखने के लिए बाध्य होना पड़ा. भैया ने पूछा, “क्या कभी तुमने कभी सपने में सेक्स किया है?”
अभी हाल ही में जो मैने सपना देखा था, वो मुझे याद आ गया. उस सपने में जो कुछ मैने देखा था, उसकी सारी डीटेल्स मेरे दिमाग़ में घूमने लगी, वो सब याद करके मेरी चूत गीली होने लगी, और मैने अपने दोनो टाँगों को आपस में चिपका लिया. मैने भैया के सवाल का तो कोई जवाब नही दिया. कुछ देर बाद भैया बोले, “तो मैं ना समझू या हां?”
"हूँ," मेरे मूँह से निकल गया.
भैया टीवी की तरफ देख रहे थे. लेकिन मेरी तरफ से कोई सॉफ जवाब ना मिलने से वो थोड़ा नाराज़ थे. उनको मालूम था कि मैं उनके सवाल को अवाय्ड कर रही हूँ. ऐसा अक्सर सगे भाई बेहन में होता है, तुमको अच्छा लगे या बुरा, लेकिन आप एक दूसरे को अच्छी तरह पहचानते हो.
भैया शायद बिना पूछे मानने वाले नही थे. उन्होने पूछा, “तुमको अच्छा लगा?”
मैने नीचे फर्श की तरफ देखा, फिर सोफे को, फिर टीवी को, भैया को छोड़कर सब तरफ देखा. मैं इसका जवाब देने में असहज हो रही थी. मैं अपने सपने के बारे में सोचने लगी. मैने भैया के बारे में सपना देखा था, और हम दोनो सेक्स करने के बहुत नज़दीक पहुँच गये थे. मैं भैया के सुंदर चेहरे को निहारने लगी. मुझे लगा मेरा जवाब हां ही है, और मैं ये जवाब दे भी सकती थी. लेकिन मेरा जवाब हमारी बातों को किस दिशा में ले जाएगा, पता नही. मैं नर्वस हो रही थी. किसी तरह मैने धीरे से जवाब दिया, “हां.”
भैया थोड़ा हिचकिचाए और फिर पूछा, "सपने में क्या हुआ था?"
मैं थोड़ा घबरा गयी. मैं भैया से झूठ नही बोलना चाहती थी. मैं ये सोच रही थी कि कैसे बिना झूठ बोले उनके इस सवाल का जवाब दूं. मैं सच बोलकर भी कुछ भी जाहिर नही करना चाहती थी. मैं मन ही मन अपने आप को समझाने लगी, संध्या, वो बस एक सपना था, ऐसा नही है कि तुमने अपने भैया के साथ वाकई में सेक्स किया हो, लेकिन मैं अपने आप को दिलासा नही दे पा रही थी.
आखिकार मैं उठ कर खड़ी हो गयी. भैया मेरी तरफ देखने लगे, मैं बोली, “मैं बहुत थक गयी हूँ, अब मैं सोने जा रही हूँ.”
भैया ने आँखों में नाराज़गी भरकर मुझे देखा, लेकिन मुझे रोका नही. मैं पहले बातरूम गयी, और फिर जल्दी से कपड़े चेंज कर के सोने के लिए तय्यार हो गयी. कुछ मिनिट्स के बाद, मैं बेड पर लेटी हुई, दिन भर जो कुछ हुआ उसके बारे में सोचने लगी.
मैं आँखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगी. बाहर से आती हुई टीवी की आवाज़ मुझे सुनाई दे रही थी, लेकिन कुछ समझ में नही आ रहा था. मेरे दिमाग़ में बहुत कुछ चल रहा था. जैसे ही मैं सोने की कोशिश करती, बहुत सारी तस्वीरें मेरे दिमाग़ में घूम जाती. भैया का वो सेक्स और सपने के बारे में पूछना, सेक्स और सपना. ऊओह. मैं टूटने लगी थी, फिर किसी तरह मुझे नींद आ ही गयी, और नींद भी कम रोचक नही थी.
मैने सपने में देखा, मैं एक सॉफ्ट गद्दे पर लेटी हुई हूँ. ठंडी ठंडी हवा चल रही है, चारों तरफ पहाड़ हैं और हरियाली के बीच वो कॉटेज बही हुई है. लेकिन मैं अकली नही हूँ, कोई है जो मेरे साथ है.
वो मेरे पास ही खड़ा है, उसकी पीठ मेरी तरफ है. मैं उसको जानती हूँ, और वो मुझे. मैं ये सोचकर मंद मंद मुस्कुरा रही हूँ, कि वो बस कुछ ही पलों में मेरे साथ बेड पर आ जाएगा. मैं उसके बदन को अपने शरीर के पास महसूस करना चाहती हूँ. मैं उसकी त्वचा की गर्माहट चाहती हूँ, उसकी वो बलिष्ठ बाहों में समा जाना चाहती हूँ.
वो मेरी तरफ घूमा. उसका नाम धीरज था, वो मेरा सगा बड़ा भाई था. मेरा प्यार. मैं कंबल के अंदर छटपटाने लगी, और अपने नंगे बदन को उस सॉफ्ट गद्दे पर मचलते हुए महसूस करने लगी. मैं चाहती थी कि वो मेरे पास आए, लेकिन मैं ऐसा ज़ोर से नही बोलना चाहती थी. ठीक भी था. लेकिन वो समझ रहा था. उसने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को देखता है.
मैने एक गहरी साँस ली, और उसके बदन से आ रही खुसबु को महसूस करने की कोशिश करने लगी. वो अभी भी मुझसे दूर था. मेरा दिल कह रहा था, मेरे पास आ जाओ. मैं उस से मेरे पास आने की भीख माँग रही थी, लेकिन बोल नही पा रही थी. उसने मेरी तरफ देखा, उसकी आँखों में वासना थी. फिर उसने अपना हाथ नीचे लेजाकर अपनी पॅंट के बटन को खोल दिया. मैं फिर से छटपटा उठी. उसने अपनी पॅंट अंडरवेर समेत नीचे सरका दी, मुझे उनका वो लंड दिखाई देने लगा, जिसके प्यार में ना जाने कब से थी. उनका लंड एक दम पर्फेक्ट था. मैं कराह उठी.
धीरज भैया धीरे से मेरी तरफ बढ़ने लगे, जैसे ही आगे बढ़े उनका लंड हिलने लगा. उनका लंड पहले से ही आधा खड़ा हुआ था. मेरी चूत गीली होने लगी थी, मैं वासना में डूब चुकी थी. मैं भैया के और पास आने का इंतेजार करने लगी. वो बेड के पास खड़े हो गये, मेरे से बस 2 फीट की दूरी पर. मेरी नज़रें उनकी दोनो टाँगों के बीच केंद्रित थी. मैं उनके लंड को पूरा खड़ा होते देख रही थी. फिर मैं उनके चेहरे की तरफ देखा.
हां में गर्दन हिलाकर, धीरज भैया मेरे पास बेड पर आकर लेट गये. और अपने उपर कंबल को ओढ़ लिया, और मेरे पास आ गये. उनका शरीर गरम था, और जैसे ही हम दोनो के स्पर्श का एहसास हुआ, मेरे शरीर में कंपकपि सी दौड़ गयी. ये ठंड वाली कपकपी नही थी, लेकिन मेरा शरीर कह रहा था कि अब बर्दाश्त नही होता, जल्दी कुछ करो. मैं चाहती थी कि वो मुझे अपने हाथों से छूए. मैं चाहती थी कि वो मुझे खींच कर अपने से चिपका ले, मैं उसको महसूस करना चाहती थी.
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