RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं वैसे ही बेड पर एक घंटे लेटी रही, और अपने उपर नियंत्रण करने की कोशिश करती रही, और सोने का प्रयास करती रही. कुछ देर बाद मेरे दिमाग़ में कुछ और ख्याल आने लगे, और फिर मैं नींद के आगोश में डूब कर सो गयी, और अपनी निज़ी जिंदगी के सपने देखने लगी.
अगले दिन जब मैं सो कर उठी, तो मैने घड़ी देखी , 11 बज चुके थे, और मैने सोचा शायद मम्मी पापा अपने अपने काम पर चले गये होंगे. मैं टाय्लेट से फ्रेश होकर जब अपने रूम में लौटी, तो मुझे अपने आर्म्पाइट्स के बालों को सॉफ करने का ख्याल आया जो कि काफ़ी बढ़ गये थे.
मैने टी-शर्ट को उतार कर, आल्मिराह से हेर रिमूविंग क्रीम निकालकर, उसको अपने सीधे हाथ से लेफ्ट आर्म पिट पर लगा कर, उसको रिमूव करने से पहले 2-3 मिनिट का इंतेजार करने लगी. तभी भैया मेरे रूम में डोर नॉक कर के अंदर घुस आए, उन्होने सिर्फ़ बॉक्सर्स पहन रखे थे. मुझे उस अवस्था में देख कर वो थोड़ा तिठके, लेकिन फिर मुझे अपनी तरफ देखता पाकर, उनको थोड़ा कॉन्फिडेन्स आ गया. भैया को सिर्फ़ बॉक्सर्स में देख कर मैं भी थोड़ा एग्ज़ाइटेड फील कर रही थी. मेरे शरीर में एक लहर सी दौड़ गयी, मुझे थोड़ा अलग सा महसूस हो रहा था.
भैया मेरे पास आ कर बैठ गये, और मुझे अपनी लेफ्ट आर्म्पाइट के हेर रिमूव करते हुए देखने लगे. मुझे इस तरह उनका देखना बहुत अच्छा लग रहा था, मेरा शरीर गरम होने लगा था. भैया खिसक कर मेरे पास आ गये, जैसे ही उनके शरीर ने मेरे शरीर को छुआ, मेरे को मानो करेंट लग गया हो. मैं भी थोड़ा मुस्कुराइ और भैया से चिपक कर बैठ गयी. जैसे ही हमारा शरीर एक दूसरे को छूता, मेरे को 440 वॉल्ट का झटका सा लग जाता, मुझ पर अपने आप पर काबू नही हो रहा था. मैं मानो कोई मूवी देख रही थी, बस मेरे आँखे और कान काम कर रहे थे. मैने उस हेर रिमूविंग क्रीम की बॉटल को उठा कर टेबल पर रख दिया, और एक एक कर अपने कपड़े उतारने लगी, भैया मुझे एक तक देख रहे थे, उन्होने भी अपना बॉक्सर नीचे सरका दिया.
भैया ने मेरे मुस्कुराते हुए मेरे गालों को छुआ, मैं तो मानो काँप ही गयी. फिर थोड़ी देर हम दोनो वैसे ही बैठे रहे, और फिर हम दोनो एक दूसरे को किस करने लगे. ये मैं क्या कर रही थी, अपने सगे भैया को ही किस कर रही थी. लेकिन मुझे भैया को किस कर के बहुत अच्छा लग रहा था.
जो कुछ मैं देख रही थी, मुझे अपने आप पर विश्वास नही हो रहा था. मैं भैया का लंड देख कर बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गयी थी. मैं भैया को चूमते हुए ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें निकालना चाहती थी. भैया की जीभ मेरे मूँह में घुसी हुई थी. मैं भैया की हरकतों को बढ़ावा दे रही थी, मैने भैया के गले में अपनी बाहें डाल रखी थी. फिर मैने अपनी टाँगें फैला कर भैया को अपने उपर खींच लिया, और खुद बेड पर लेट गयी. भैया अब भी मुझे मुझे किस करते हुए कराह रहे थे. जैसे ही मैने भैया को अपनी टाँगों के बीच महसूस किया, मेरी भी एक कराह निकल गयी.
भैया का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था.
हम दोनो भावनाओं में बह रहे थे. मैं भैया के होंठों को अपने होंठों पर महसूस कर रही थी, और उनके शरीर की गर्मी उपर से आते हुए महसूस कर रही थी. मुझ पर एक तरह का जुनून सवार हो गया था. भैया का लंड मेरी चूत से बस कुछ ही इंच दूर था. मैं भैया के लंड को अपनी चूत में अंदर लेना चाहती थी. ये मैं क्या सोच रही थी?
तभी भैया ने मेरे को अपनी बाहों में भर लिया, और मेरे उपर हाथ फिराकार, मेरी मसाज करने लगे. मेरी चूत बेहद गीली हो चुकी थी. भैया ने अपने हाथों से मेरे हिप्स को कस कर दबोच लिया. और मुझे अपनी तरफ खींचने लगे, मैं भी भैया की किसी हरकत का विरोध नही कर रही थी.
मैं भैया के हिप्स को अपनी तरफ आते हुए महसूस कर रही थी. और तभी, मेरी दोनो टाँगों के बीच एक अजीब सी अनुभूति हुई. मुझे लगा भैया के लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के दाने को घिस रहा है, और मैं अपनी कमर उपर उँचकाने लगी. मैं इस वासना की आग में बिल्कुल अंधी हो चुकी थी.
तभी मेरी आँख खुल गयी, और मैने अपने आप को अपने बेड में लेटा हुआ पाया. मैने अपना हाथ नीचे ले जा कर चेक किया, मैं नंगी नही थी. मैने वो ही कपड़े पहन रखे थे, जिनको मैं पहन कर सोई थी. भगवान का लाख लाख शुक्र था.
मैं बेड पर वैसे ही बहुत देर तक लेटी रही, और होश में आने की कोशिश करती रही. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत अभी भी गीली थी, मैं सामान्य से थोड़ा तेज़ी से साँस ले रही थी. मैने अपने सिर को हिलाकर, होश में आने की कोशिश की, सुबह के 8 बज रहे थे.
मैं उठकर बाथरूम चली गयी, मुझे होश में आने के लिए ठंडे पानी से नहाने की सख़्त ज़रूरत थी. मैने शवर चालू किया, और अपनी टी-शर्ट उतार दी. पानी बहुत ठंडा था, मैने गरम पानी के नल को भी थोड़ा खोल कर, पानी को गुनगुना करने की कोशिश की. मैने अपने बाकी सारे कपड़े भी उतार दिए, और फिर शवर के नीचे आ कर, कर्टन को खींच लिया. वो कर्टन टाय्लेट सीट, और बाथरूम के बीच था, जिस से शवर का पानी टाय्लेट सीट वाले एरिया को गीला नही होने देता था.
गुनगुना पानी मेरे शरीर की त्वचा पर बहने लगा, और मुझे अच्छा महसूस हो रहा था. मैं शवर से निकलना नही चाहती थी, लेकिन शायद भैया जाग गये थे, और टाय्लेट के पास आ गये थे, उन्होने बाथरूम के डोर को नॉक किया, और बोला कि वो अंदर आ रहे हैं. हम दोनो में बचपन से ही ये समझौता था, कि अगर हम दोनो में से एक बीच का परदा डाल कर शवर ले रहा है, तो दूसरा टाय्लेट सीट को यूज़ कर सकता था. शवर का कर्टन गहरे ब्राउन कलर का था, और इस अरेंज्मेंट से, एक बाथरूम होने के बावजूद, हम दोनो को बचपन से अब तक कोई दिक्कत नही हुई थी. मुझे तो वैसे भी कोई फरक नही पड़ता था.
लेकिन वो कल रात से पहले की बात थी.
"मॉर्निंग," भैया ने कर्टन की दूसरी तरफ से कहा.
मैने भी किसी तरह अपनी आवाज़ को संयत करते हुए कहा, “गुड मॉर्निंग भैया."
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