RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं और दीदी मेरी शादी के रिसेप्षन के लिए बुक, उस 5 स्टार होटेल के दीदी के रूम में सोफे बैठे हुए बातें कर रहे थे, और दीदी मुझे अपने ससुराल में बीते पिछले 6 महीनों के दौरान जो कुछ उनके साथ हुआ था, उसके बारे में बता रही थी.......
दीदी ने आगे बताना जारी रखा.....
जैसे ही मैने उसके नीचे लगे एक बटन जैसी चीज़ को दबाया, वो हरकत में आ गया, और वाइब्रट करने लगा, और वो लंड नुमा चीज़ आगे पीछे होते हुए गोल गोल घूमने लगी. पहली बार ऐसी चीज़ देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा. मैने उसको बटन से ऑफ किया, और फिर से लॅपटॉप पर फोटोस देखने लगी.
बस एक ही पल में, मैने अपनी पैंटी उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दी, और अपने एक हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी, और चूत के दाने को अपनी एक उंगली से गोल गोल कर मसल्ने लगी, मुझे अपनी चूत से निकल रहे चिकने पानी से सहलाने के बाद निकल रही आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी. मैं अपने राइट हॅंड से पिक्चर व्यूवर में लॅपटॉप पर नेक्स्ट का बटन दबाए जेया रही थी, अगली फोटो में संध्या अपनी बाहों को नीचे टिका कर, घोड़ी बनी हुई थी, और धीरज उसको पीछे से चोद रहा था. मैं उस फोटो में सॉफ देख रही थी, कैसे संध्या की नाज़ुक सी चूत से पानी निकल रहा था, और वो अपने भैया से डॉगी स्टाइल में चुदवा रही थी. संध्या के चेहरे पर आ रहे एक्सप्रेशन्स को देख कर, मुझ से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. मेरे शरीर में भी गर्मी बढ़ी जा रही थी, मेरे कान गरम होने लगे थे, मेरी पीठ, और मेरे सारे शरीर में एक आग सी लग गयी थी.
मैने फिर उस वाइब्रटर को अपने हाथ में लिया, और अपनी चूत के पानी से गीली हुई उंगलियों को उस वाइब्रटर की लंडनुमा चीज़ पर घुमाया, और फिर आराम से अपने अंदर घुसा लिया. उस वाइब्रटर को चिकना और गीला करने में, और फिर पूरा अपनी चूत में घुसाने में, मुझे कई बार मेहनत करनी पड़ी. मुझे उन गोल मोतियों की फाय्दे का जब मालूम पड़ा, जब वो वाइब्रटर मेरी चूत में पूरा घुस गया, और वो मोती मेरी चूत के दाने की मसाज करने लगे. वाइब्रटर के कान जैसी चीज़ों ने मेरी चूत के दाने को जकड लिया, और नीचे एक निकली हुई चीज़ ने मेरी गान्ड का सहारा ले लिया. मैं उस वाइब्रटर को अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी, और लॅपटॉप पर अगली फोटो का आनंद लेने लगी. इस प्रकार झड्ने में ज़्यादा देर नही लगती, लेकिन मेरी लॅपटॉप पर अगली फोटो देखने में ज़्यादा दिलचस्पी थी.
अगली फोटो में जो मैने देखा, वो अविश्वसनीय था. ये संध्या की फोटो थी, इसमे संध्या के दोनो हाथ पैर बेड से बँधे हुए थे, और कॅमरा को उसकी फैलाई हुई दोनो टाँगों के बीच रखकर उसकी चूत की मस्त फोटो ली गयी थी, इसमे फोटो लेते धीरज के लंड का सुपाड़ा भी नीचे दिखाई दे रहा था . मुझे विश्वास नही हो रहा था, ये दोनो भाई बेहन ना जाने क्या कुछ, और किन अजीब तरीकों से चुदाई कर चुके हैं. संध्या के हाथ जिन रस्सी के टुकड़ों से बँधे हुए थे, वो रस्सी वो ही थी जिस से कल रात मेरे हाथ पैर बाँधे गये थे. संध्या के चेहरे पर लाचारी नज़र आ रही थी, लेकिन एक संतुष्टि का भाव भी था. मुझे कल रात संध्या की चूत का चाटना, और मेरा इसी तरह बाँध कर धीरज से हुई चुदाई याद आ गयी. मैने वाइब्रटर को बटन दबा कर ऑन कर लिया.
वाइब्रटर का लंड मेरी चूत में आगे पीछे होकर गोल गोल घूमने लगा, और मेरी चूत के दाने को बीच बीच में छेड़ने लगा. वाइब्रटर की लंड नुमा चीज़ को मैने पूरा अपनी चूत में घुसा लिया, और उसमे से कान जैसे निकली हुई चीज़ मेरे चूत के दाने को अब बराबर सहलाने लगी. और नीचे से एक अलग ही चीज़ मेरे गान्ड के छेद को छेड़ने लगी, मुझे लग रहा था, कि इतना सब एक साथ होने के कारण, मैं जल्द ही झड जाउन्गि.
मैने वाइब्रटर के बटन को पूरा दबा दिया, मेरी चूत को ऐसा आनंद पहले कभी नही मिला था, ऐसा लगा मानो मैं किसी और ही दुनिया में पहुँच गयी हूँ. मेरा ध्यान अब लॅपटॉप की फोटोस पर से हट गया था, और मेरी गान्ड और कमर अपने आप उछलने लगी थी. मैने अपने नाइट्गाउन उपर खींच कर गले तक उठा लिया, और अपनी चूंचियों को दोनो हाथों से दबाने लगी, और निपल्स को मसल्ने लगी, नीचे चूत में वाइब्रटर अपना काम कर रहा था. मेरे मूँह से अपने आप अजीब अजीब ओह शिट, आहह, बेहनचोद और ना जाने क्या क्या आवाज़ें निकलने लगी. मेरे मूँह से फिर कराह निकली... चोद दो... मेरे दिमाग़ में धीरज और संध्या की चुदाई की फोटोस घूम रही थी, उस समय मुझे चूत लंड और चुदाई के सिवा और कुछ नही सूझ रहा था, और मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं अब पूरी तरह बेड पर लेट गयी थी, और कमर उछाल उछाल कर छत की तरफ देख रही थी, हालाँकि सब कुछ धुंधला धुँधला दिखाई दे रहा था. मेरा मूँह खुला हुआ था, मानो ज़ोर से चीख निकलने ही वाली हो, लेकिन बस वाइब्रटर की चूत में घुस कर निकल रही आवाज़, और मेरी ज़ोर ज़ोर से चल रही साँसों की आवाज़ ही सुनाई दे रही थी. मैने अपने शरीर पर कंट्रोल करने के लिए, वाइब्रटर को दोनो हाथों से पकड़ लिया, लेकिन उसके वाइब्रेशन्स इतने तेज थे कि मैने फिर से हाथ हटा लिए. मैने उस वाइब्रटर को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन उस की किसी चीज़ ने मेरी चूत के दाने को इस तरह सहलाया, कि मेरे पूरे शरीर में एक खुशी की तरंग दौड़ गयी. मेरा चेहरा लाल हो चुका था, मेरी आँखें बंद थी, और झड्ते हुए मेरी चूत इस तरह पानी छोड़ रही थी, जैसा मेरी याददाश्त में उसने पहले कभी नही छोड़ा था.
कुछ मिनिट्स के बाद, मुझे होश आया, और मैने उस वाइब्रटर को अपनी टाँगों के बीच से निकाला, जो कि अभी भी चूत के दाने पर अपनी हरकत करना जारी रखे हुए था, लेकिन चूत में से वाइब्रटर को निकालते हुए, उसकी नीचे वाली चीज़ ने मेरी गान्ड के छेद पर दबाव बना दिया और फिर जब मैने उसे थोड़ा उपर किया तो फिर से उसने मेरी चूत के दाने को छेड़ दिया, इस सब के बीच मैं दोबारा झड्ने के करीब पहुँच गयी, मेरे मूँह से फिर से कुछ आंट शन्ट बातें निकली, और मेरा शरीर झड्ते हुए काँपने लगा. मुझे इस तरह इतना जल्दी दो दो बार झडने की आदत नही थी, और मेरी चूत ने फिर से ढेर सारा पानी छोड़ दिया.
फिर मैने किसी तरह, उस वाइब्रटर को अपनी चूत और गान्ड में से निकाला, जैसे ही वो बाहर आया, मेरा शरीर ना चाहते हुए भी, एक बार फिर से काँप गया. मैं वहीं बेड पर लेट कर अपनी चूंचियों को सहलाती रही, जब तक कि मेरा शरीर पूरी तरह झड्ने के बाद शांत नही हो गया.
मैने बाकी सभी फोटोस बाद में देखने का फ़ैसला किया, और उस पेन ड्राइव में जो कुछ था, उसको अपने लॅपटॉप की एफ ड्राइव पर सेव कर लिया. अभी दोपहर के 2 ही बजे थे, और संध्या के आने में अभी 3 घंटे बाकी थे. मैने वाइब्रटर को धोकर सॉफ किया, और उस ख़ुफ़िया बॅग और बॉक्स को पहले की तरह उसी जगह रख दिया, मैने उस बॅग का नाम ख़ुफ़िया बॅग रख दिया था.
उसके बाद मैं नहाने चली गयी, फिर लंच किया, और फिर टीवी देखते हुए संध्या के लौटने का इंतेजार करने लगी.
उस रात डिन्नर संध्या ने बनाया, और हम तीनों डाइनिंग टेबल पर एक साथ बैठ कर जब डिन्नर कर रहे थे, तो एक दूसरे को कुटिलता भरी नज़रों से देख रहे थे, और बीच बीच में मुस्कुरा भी जाते. मुझे उन दोनो भाई बेहन का प्यार और चुदाई से कोई गिला नही था , और सच कहूँ तो मैं तो खुद इस सब से गुजर चुकी थी, तो मुझे तो थ्रीसम में और ज़्यादा मज़ा रहा था.
मुझे भी हम दोनो भाई बेहन के वो दिन याद आने लगे, जब शुरूवात में राज, कैसे तुम केवल मेरी चूंचियाँ देखकर ही मूठ मार लिया करते थे, फिर मुझे केवल पैंटी में देखना ही तुम्हारे मूठ मारने के लिए बहुत था, फिर उसके बाद मेरी नंगी चूत देखकर तुम अपना माल निकालते थे, उस सब के बाद मैं भी तुम्हारे सामने अपनी चूत में उंगली डालने लगी थी, फिर मैने तुम्हारे लंड को पहली बार चूसा था, फिर हम ने पहली बार चुदाई की थी, और वो लोंग ड्राइव पर खेतों के बीच बारिश में चुदाई तो हमेशा याद रहेगी. थॅंक यू राज, उन दिनों को मैं कभी नही भुला पाउन्गि. मैं धीरज और संध्या के बीच जो कुछ हुआ था, और जो कुछ चल रहा था, उसको अपनी स्वीकृति दे चुकी थी.
डिन्नर के बाद उस रात, और लगभग हर रात को हम तीनों मिलकर वासना का नंगा नाच नाचते, और खूब चुदाई करते. ये सब पिछले महीने तक चलता रहा, जब तक कि संध्या के एमबीए मे अड्मिशन होने के बाद, वो बंगलोर नही चली गयी.
ये सब बताते हुए, मुझे और दीदी को टाइम का पता ही नही चला, जब मैने घड़ी की तरफ देखा, तो सुबह के तीन बज रहे थे. मैने पूछा, दीदी ये तो ठीक है, लेकिन आपने संध्या से पूछा नही, कि उन दोनो भाई बेहन के बीच ये सब शुरू कैसे हुआ?
दीदी ने धीरज की तरफ देखा, और बोली हां....
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|