RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं और दीदी मेरी शादी के रिसेप्षन के लिए बुक, उस 5 स्टार होटेल के दीदी के रूम में सोफे बैठे हुए बातें कर रहे थे, और दीदी मुझे अपने ससुराल में बीते पिछले 6 महीनों के दौरान जो कुछ उनके साथ हुआ था, उसके बारे में बता रही थी.......
दीदी ने आगे बताना जारी रखा.....
"अब हम ननद भाभी ही नही, अच्छे दोस्त भी हैं, क्यों सही है ना?" संध्या ने हंसते हुए पूछा.
मैने एक पल एक लिए सोचा और फिर बोला, "नही... अब हम दोस्ती और ननद भाभी के रिश्ते से बहुत आगे निकल चुके हैं. बस कुछ मिनिट पहले ही तो तुम्हारी चूत को अपने मूँह से चूस रही थी... याद है ना."
संध्या के चेहरे पर चमक आ गयी और बोली, "हां, मुझे लगता है अब हम दोनो लवर बन चुके हैं. अगर मैं आपको अपने लवर कहूँ भाभी, तो आपको बुरा तो नही लगेगा ना?"
"हां, हां क्यों नही!" मुझे भी पहली बार किसी लड़की का लवर बन कर अच्छा लग रहा था, और असलियत में भी मुझे अब संध्या अच्छी लगने लगी थी.
उसी समय, धीरज बाथरूम से निकल कर गॅलरी में आकर डोर के अंदर झाँक कर बोला, “बाथरूम खाली है, अब तुम दोनो नहा लो, और सो जाओ, तुम दोनो से कल रात में फिर से मिलता हूँ.”
"क्या कहना चाहता है धीरज?" मैने फुसफुसाते हुए संध्या से पूछा.
"ओह, कल भैया तो ऑफीस जाएँगे और मुझे कल से एमबीए की कोचैंग क्लासस में जाना है."
"लेकिन, धीरज कल रात के बारे में क्या कह रहा था?"
"मुझे कहना तो नही चाहिए " संध्या थोड़ा झिझकते हुए बोली, "लेकिन भैया ने ज़रूर कुछ स्पेशल मस्ती का प्लान किया होगा, कल ही देख लेना. वैसे आप को एक बात बता दूँ भाभी, कल रात जो कुछ हम तीनों ने किया उसकी फोटोस मैने और भैया ने डिजिटल कॅमरा में क़ैद कर ली हैं. हम को इस तरह की फोटोस लेना और फिर बाद में उनको अकेले में देखना अच्छा लगता है."
मैने और संध्या ने एक साथ शवर लिया, और नहाते हुए बीच बीच में एक दूसरे को किस भी किया और सहलाया भी. जब तक हम दोनो नहा कर, नाइट्गॉन्स पहन कर बाहर निकले, रात का एक बज चुका था.संध्या ने मुझे अपने रूम में उसके पास ही सोने के लिया बुला लिया.
मैने संध्या का इन्विटेशन आक्सेप्ट कर लिया, और फिर हम दोनो उसके बेड पर चढ़ कर, एक ही ब्लंकेट में घुस गये, और अठखेलियाँ करने लगे. संध्या ने मुझे पीछे से अपनी बाँहों में प्यार से भर लिया. एक पल को मुझे लगा कि काश वो धीरज होता. मेरे दिमाग़ में तो बस एक ही बात घूम रही थी, कि कल रात ना जाने क्या होगा. मैं ये ही सोचती हुई संध्या की नरम बाँहों के आगोश में सो गयी.
अगली सुबह जब मैं उठी, तो मुझे अपने होंठों पर किसी के नरम नरम होंठों के स्पर्श का एहसास हुआ. जैसे ही मैने आँखें खोली, मैने संध्या को मेरी तरफ प्यार से देखते हुए पाया, और तभी मुझे एहसास हुआ, कि संध्या जीन्स टॉप पहन कर तय्यार हो बाहर जाने को तय्यार हो चुकी है. जैसे ही संध्या वहाँ से जाने को हुई, मैने उसको बाँह पकड़ कर उसको रोक लिया.
"प्लीज़ मत जाओ संध्या." मैने संध्या को रिक्वेस्ट भरे अंदाज में कहा.
"आइ'म सॉरी, लेकिन मेरी सारे दिन कोचैंग क्लासस हैं भाभी," संध्या बोली.
"लेकिन, तुम बहुत अच्छी हो, क्या तुम बेड में मेरे पास नही आ सकती?"
संध्या ने एक गहरी साँस ली और बोली, "आ तो जाती, लेकिन भैया बाहर वेट कर रहे हैं..." इतना कहकर वो मेरी तरफ देखती हुई रूम से बाहर निकल गयी, और मैं उसे बस निहारते हुए देखती रही. कुछ देर बाद मुझे मेन डोर के बंद होने की आवाज़ सुनाई दी, और फिर यकायक पूरा घर सूना सूना हो गया.
मैं वैसे ही बेड पर बहुत देर तक सोती रही, और फिर बहुत देर बाद, बेड से उठकर लिविंग रूम में सोफे पर जाकर बैठ गयी. कुछ देर बैठ कर टीवी देखा, और फिर उन दोनो भाई बेहन के द्वड कलेक्षन को देखने लगी, जिसमे ज़्यादातर अमिताभ बच्चन, शाहरुख और सलमान ख़ान की मूवीस थी. मेरा बाहर घूमने जाने का मन हो रहा था, लेकिन अकेले जाने का मन नही कर रहा था. मैने फिर उस सारे दिन घर पर ही आराम करने का प्लान बनाया.
जब मैं द्वड पर एक मूवी को देखते हुए भी बोर होने लगी, तभी मुझे कल रात को जिस कॅमरा से संध्या ने मेरी फोटो ली थी उसको चेक करने का आइडिया मेरे दिमाग़ में आया. मैं चाहती थी, कि उसमे से मेरी फोटोस डेलीट कर दूं, पर पहले मैं ये देखना चाहती थी फोटोस आई कैसी हैं.
मैने संध्या के रूम में, आल्मिराह में और बाकी सब जगह उस कॅमरा को ढूँढा, लेकिन जब वो संध्या के रूम में कहीं नही मिला, तो मैने धीरज के रूम में चेक करने का सोचा.
धीरज के बेड के ड्रॉयर में मैने सोचा पॉर्न की डीवीडी और गंदी किताबें मिलेंगी, लेकिन ऐसा कुछ नही मिला. मैं बोर होने लगी. तभी मैं धीरज के कपड़े वाली आल्मिराह की तरफ बढ़ चली, उसको खोल कर मैने ढूँढना शुरू किया, तो उसके बॉक्सर्स के नीचे मुझे एक लकड़ी का छोटा सा बॉक्स दिखाई दिया. जैसे ही मैने उस बॉक्स को बाहर निकाला, मेरी धड़कन तेज होने लगी. जब मैने उस बॉक्स को खोला, तो उसके अंदर वो ही कॅमरा था जिस से संध्या ने कल रात मेरी फोटोस ली थी, और साथ में एक पेन ड्राइव भी थी. ये देख कर मेरी आँखें खुली की खुली ही रह गयी.
"लो मिल ही गया खजाना!" मैने अपने आप से कहा. मैने उस पेनड्राइव को तुरंत अपने लॅपटॉप में लगाया, तो उसमें केवल फोटोस ही फोटोस थी. शुरूवात में संध्या की पूरी तरह कपड़े पहने हुए, अलग अलग पोज़ में, अलग अलग ड्रेस में फोटोस थी. जब मैने गौर से देखा, तो इन फोटोस में संध्या थोड़ी छोटी नज़र आ रही थी, शायद ये दो तीन साल पुरानी फोटोस थी. उसकी चूंचियाँ के उभार भी अभी से थोड़े छोटे थे. मेरे दिमाग़ में आया, ना जाने कितने सालों से दोनो भाई बेहन ये सब कर रहे हैं. एक फोटो में संध्या ने एक छोटी से ब्लॅक ड्रेस पहन रखी थी, और वो ज़मीन पर झुकी हुई थी, और गर्दन उठा कर कॅमरा की तरफ देख रही थी, उसकी आँखों में मासूमियत थी. उस फोटो को देख, एक बार को मेरे पूरे शरीर में करेंट सा दौड़ गया.
अगली कुछ फोटोस दोनो संध्या आंड धीरज की थी, एक दूसरे को पकड़े हुए, और कॅमरा की देख कर मुस्कुराते हुए, वो सभी फोटोस धीरज ने कॅमरा को पकड़े हुए, अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी और संध्या की अपने आप ही फोटोस ली थी. अगली कुछ फोटोस में वो दोनो किस कर रहे थे, और संध्या धीरज की शर्ट उतार रही थी. मैं किसी तरह अपने आप पर कंट्रोल कर के धीरे धीरे उन फोटोस को नेक्स्ट का बटन दबा रही थी. मैं उन सबा फोटोस को एक साथ देख लेना चाहती थी, लें हर एक फोटो का आनंद भी पूरा लेना चाहती थी. मुझे अब एहसास होने लगा था, कि ये फोटोस बस खेल खेल में ली गयी फोटोस नही है, लेकिन ये पोर्नॉग्रॅफिक भी नही थी, उन फोटोस को देख कर मेरे उपर एक अजीब सा असर होने लगा था, और तुम्हारे साथ बिताए हुए वो दिन मुझे याद आने लगे, और वो शादी से पहले हमारा वीडियो बनाना.
अगली कुछ फोटोस और ज़्यादा उत्तेजक थी, नेक्स्ट फोटो धीरज ने क्लिक की थी, वो नीचे संध्या की तरफ देख रहा था, और संध्या टॉपलेस होकर उसके पैरों के बीच बैठी थी, और संध्या ने धीरज का लंड अपने मूँह में भर रखा था. और अगली फोटो में धीरज का लंड संहीा की कच्ची नाज़ुक चूत में घुसा हुआ था, और संध्या की खुद की उंगलियाँ चूत के दाने को सहला रही थी. अगली फोटो संध्या के फेस की थी, इसमे उसका मूँह पूरी तरह खुला हुआ था, और उसकी आँखें ऐसे खुली हुई थी, जैसे अभी अभी उसकी चूत में लंड घुसा ही हो. ये सब देख कर मैं भी पागल होने लगी थी, मैने गाउन उठा कर देखा, मेरी पिंक पैंटी पर भी गीला धब्बा बन चुका था, मुझे अब कुछ करने की ज़रूरत थी. लेकिन तभी दिमाग़ बोला, बस एक फोटो और फिर कुछ करेंगे..... जैसे ही मैने अगली फोटो देखी, मैं ईक गहरी साँस ली. ये फोटो संध्या ने क्लिक की थी, इसमे वो खुद तो लेटी हुई थी, और उसका भाई उसकी चूत में अपना लंड घुसा रहा था, और धीरज ने उसकी दोनो चूंचियों को कस के अपनी हथेलियों में भर कर दबा रहा था, धीरज की आँखें कॅमरा को घूर रही थी.
तभी मेरे दिमाग़ में एक विचार आया, और मैं अपने लॅपटॉप को उठाकर संध्या के रूम की तरफ चल पड़ी. संध्या की आल्मिराह में से मैने वो बॅग निकाला, जो मैने कल रात देखा था. उसको खोल के देखा, उसमे कुछ रस्सी के टुकड़े थे, हॅंडकफ्स थे, कुछ लेदर की चीज़ें थी, और कुछ ऐसे खिलोने जो मेरी समझ में ही नही आए, और कुछ अलग अलग तरह के वाइब्रटर्स. मैने उनमे से एक वाइब्रटर निकाला, जो पिंक कलर का था, और उसके बीच में गोल गोल मोती थे. मुझे इन सब चीज़ों की कभी ज़रूरत ही महसूस नही हुई, तुमने राज मेरी सारी ज़रूरतें बिना इस तरह की खिलोनों के ही पूरी कर दी थी.
जैसे ही मैने उसके नीचे लगे एक बटन जैसी चीज़ को दबाया, वो हरकत में आ गया, और वाइब्रट करने लगा, और वो लंड नुमा चीज़ आगे पीछे होते हुए गोल गोल घूमने लगी. पहली बार ऐसी चीज़ देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा. मैने उसको बटन से ऑफ किया, और फिर से लॅपटॉप पर फोटोस देखने लगी.
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