RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं एक दम चौंक गयी, लेकिन धीरज ने चोदना जारी रखा. क्या उसको पता चल गया था? क्या उसने ये बोला था, कि उसको संध्या की चुदाई से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था? मेरा दिमाग़ कन्फ्यूज़ होकर इन सवालों में घूमने लगा था.
धीरज ने चुदाई की स्पीड थोड़ी धीमी कर दी, और फिर थोड़ा रुक रुक कर धक्के मारने लगा, और बाहर निकालते हुए जैसे ही चूत के छेद पर लंड का सुपाड़ा पहुँचता, वो थोड़ा रुक जाता.
"प्लीज़, रूको मत, चोदते रहो. आइ'म सॉरी," मैं ज़ोर से चीखी. "प्लीज़, मुझे झड जाने दो" मैं हताश होते हुए बोली.
"ना... अभी नही" धीरज बोला, " पहले, तुमको मुझे धोखा देने का प्रयास करने की सज़ा मिलेगी."
मेरा दिल अंजाने की आशंका में ज़ोर से धड़कने लगा, लेकिन धीरज के लंड के लगातार मेरी चूत में अंदर बाहर होते रहने के कारण, घबराहट थोड़ी कम थी. धीरज ने आगे झुक कर नाइट बल्ब ऑन कर दिया. रूम के लाइट से रोशन होते ही, मैं अपने आप को बेड से नंगा बँधे हुए, अपने आप को और ज़्यादा असुरक्षित महसूस करने लगी. जैसे ही मैने धीरज की तरफ देखा, मैने उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुकुराहट देखी, ये देख कर मुझे थोड़ा चैन आया. मैने नीचे देखा, उसका लंड मेरी चूत में घुसा हुआ था. ये देख मेरी साँस में साँस आई, लेकिन तभी मुझे एक आवाज़ सुनाई दी. मैने साइड में गर्दन घुमा कर डोर के तरफ देखा, वहाँ संध्या डोर और चौखट के बीच, दरवाजे का सहारा लेकर खड़ी हुई थी, और एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी, और दूसरे से अपनी छाती को सहला रही थी. संध्या आँखों में वासना भरे हुए धीरे से बोली, “आइ’म सॉरी.” मेरी नज़रें जो नंगी संध्या को डोर पर खड़े देख रही थी, उनका पीछा करते हुए धीरज की नज़रें भी वहाँ जा पहुँची.
"संध्या, यहाँ आओ" धीरज हक़ के साथ बोला.
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