RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने दीदी के हाथों को अपनी छाती से हटता हुआ महसूस किया, मेरा शरीर दीदी का सामीप्य अब भी चाह रहा था. मैं आँखें बंद किए हुए ही वहाँ पर खड़ा रहा, और दीदी के जाने के बाद डोर के खुलने और फिर लॉक होने की आवाज़ सुनता रहा.
कुछ देर बाद तान्या लौट आई, मेरा मूड ऑफ हो चुका था, मैने तान्या से बोला, “मैं बहुत थक गया हूँ, चलो कपड़े चेंज करते हैं, और सो जाते हैं, अब सब कुछ शांति से हनिमून पर थाइलॅंड में ही करेंगे.”
मैने कपड़े चेंज किए और बेड पर सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी. जब तान्या सो गयी तो मैं बेड से उठा, और अपने रूम को बाहर से लॉक करके दीदी के रूम की तरफ चल दिया.
मैने दीदी के मोबाइल पर फोन किया, और उनको रूम का डोर खोलने के लिए बोला. जब मैं दीदी के रूम पर पहुँचा, तो दीदी डोर खोलकर मेरा इंतेजार कर रही थी.
मुझे देखते ही उन्होने पूछा, “क्या हुआ राज?”
मैं बोला, “कुछ नही दीदी, बस आपसे से बातें करने का मन कर रहा था.तान्या ने तो आज सारा मूड ही ऑफ कर दिया. सुहागरात की माँ चोद दी.”
रूम के अंदर घुसते हुए, मैने डोर को अंदर से लॉक कर दिया, और धीरज को बेसूध बेड पर जूते और सूट पहने हुए ही सोते हुए पाया.
हम दोनो सोफे पर बैठ गये, और मैने दीदी का चेहरा अपने हथेलियों में लेकर, उसको थोड़ा घुमाया और उपर किया, दीदी की आँखों में चमक थी, लेकिन वो थोड़ा कन्फ्यूज़ भी थी, मैने आगे बढ़ कर अपने होंठ दीदी के होंठों पर रख दिए. दीदी ने भी अपना मूँह खोलकर मेरे होंठों का स्वागत किया, और अपनी जीभ मेरे मूँह में घुसा दी, दीदी ने अपनी बाहें मेरे कंधे पर डाल दी, और मुझसे चिपक गयी.
डॉली दीदी को शायद दिल में ग्लानि हो रही थी, मानो वो चोरी कर रही हो, जो कुछ आज तान्या के साथ होना चाहिए था, वो आज दीदी मेरे साथ कर रही है. लेकिन शायद वो अगर अपने सगे छोटे भाई को जानती, जो कि वो शायद जानती थी, तो उसका छोटा भाई भी अपनी बीवी को आज रात चोद कर उतना खुश नही होता, जितना उनको चोद कर खुश होगा, वो तो हमेशा से अपनी दीदी को चोद्ना चाहता था. दीदी कुछ देर सोचने के बाद फिर से शुरू हो गयी.
धीरज बेड पर नशे में सो रहा था, हम दोनो को मालूम था, कि वो अभी 3-4 घंटे बेसूध होकर पड़ा रहेगा, उसने आज कुछ ज़्यादा ही पी ली थी.
दीदी ने मेरे पाजामे का नाडा खोल दिया, और अंडरवेर को पकड़ के नीचे खींच दिया, और मुझे एक सोफे पर धक्का देकर बैठा दिया. मैं ये देख कर हैरान रह गया, जब दीदी ने अपने घाघरे चोली के साथ कंधे पर डाले हुए दुपट्टे को नीचे फेंक दिया, और अपनी चोली के बटन आगे से खोल दिए, फिर अपनी ब्रा को पीछे से खोलने के बाद, उसको भी दोनो कंधों में से निकालने के बाद, मेरे चेहरे को पकड़ कर अपनी चूंचियों के बीच दबा लिया. मेरा मूँह खुला का खुला रह गया, और मैं दीदी की मुलायम चूंचियों के गोरे गोरे मस्त माँस को चूमने और चाटने लगा, दीदी की चूंचियों के निपल्स को अपने होंठों के बीच लेकर, स्वाद लेते हुए चूसने लगा. जैसे ही मैने निपल को अपने होंठों के बीच लिया, दीदी ने एक हल्की सी आहह भरी, और मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ लिया, मैं एक चूंची के निपल को चूस रहा था, और दूसरी चूंची को अपने हाथ से मसल रहा था.
दीदी के हाथ ने नीचे आकर मेरे लंड को पकड़ लिया. दीदी मुझे चूंचियों का रस्पान कराते हुए, मेरे लंड को प्यार से सहलाने और आगे पीछे करने लगी. मेरे लंड का अपने हाथों में पकड़े हुए होने का एहसास, दीदी को पागल कर रहा था, और दीदी का शरीर भी अब काँपने लगा था. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, और लंड फनफना रहा था, और दीदी की चूत में घुसने की तयारि करते हुए, सुपपडे के छेद में से प्रेकुं की बूँदें निकाल रहा था.
दीदी ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी, दीदी की मूँह से निकल रही ज़ोर ज़ोर की आहहों का एहसास शायद उनको तब तक नही हुआ था, जब तक मैने अपने हाथ की उंगलियाँ ले जाकर उनके मूँह को बंद करने का प्रयास नही किया. मेरा ऐसा करते ही, दीदी ने तुरंत बेड पर सो रहे धीरज की तरफ देखा, वो अब भी बेसूध सो रहा था, लेकिन फिर भी एहतियात बरतना ज़रूरी था.
"अब मुझसे और बर्दाश्त नही होता," डॉली दीदी गहरी साँस लेते हुए बोली. दीदी ने अपना घाघरा और पेटिकोट भी नाडा खोल कर उतार दिया, और फिर उनके नीचे पहनी हुई गहरे लाल रंग की पैंटी को भी उतार कर ज़मीन पर फेंक दिया.
रूम में ज़्यादा रोशनी नही थी, बस नाइट लॅंप ही जल रहे थे, लेकिन फिर भी मैं दीदी की मस्त गोरी गुदाज जांघों को जी भर के देखने लगा, और उनकी जांघों के बीच के खजाने से निकल रही मादक गंध, मुझे पागल कर रही थी. मैं ज़ोर ज़ोर से गहरी साँस लेकर अपनी दीदी की चूत की उस मादक गंध को ज़्यादा से ज़्यादा अपने अंदर सम्माहित करने की कोशिश करने लगा. मेरा लंड उपर नीचे होकर बेताब हो रहा था, और अपनी जान, अपनी दीदी को नंगा देखकर अपनी इतने दिनों से दबी हुई इच्छा को पूरा करने के लिए पागल हो रहा था.
डॉली दीदी मेरी दोनो जांघों के उपर चढ़ कर मेरी गोद में बैठ गयी, और मेरे लंड को अपनी चूत के छेद का, अपने हाथ से पकड़कर रास्ता बताने लगी. मेरे प्रेकुं से चिकने हुए सुपाडे ने दीदी की चूत के द्वार के होंठों को खोलते हुए, चूत के अंदर प्रवेश किया, और फिर थोड़ा और अंदर घुसते ही, दीदी की चूत की चिकनाहट ने मेरे लंड को अपने आगोश में ले लिया. दीदी धीरे धीरे अपना भार मुझ पर डाल रही थी, दीदी अपनी चूत में मेरे लंड को इस तरह अंदर घुसा रही थी, मानो कोई तलवार अपने म्यान में अंदर जा रही हो, और वो म्यान बस इसी तलवार के लिए बनी हो.
होटेल के उस कमरे में हमारी दबी हुई आहें ही सुनाई दे रही थी, गीली चूत में लंड के घुसने की आवाज़, और फिर चूत की सुरंग में से बाहर निकल कर फिर से अंदर घुसने की आवाज़. हम दोनो के होंठों से दबी हुई आहें निकल रही थी, और फिर दोनो होंठ पास आकर एक दूसरे को बेसब्री से किस करने लगे, दोनो की जीभ एक दूसरे के मूँह में कभी अंदर घुस के कभी बाहर निकल कर, एक दूसरे का स्वाद लेने लगी. मैने दीदी की गान्ड की गोलाईयों को अपनी हथेलियों में भरते हुए, मेरी उंगलियों के टिप्स, दीदी की भारी गान्ड के माँस में घुस गई, और फिर दीदी को चोदते हुए, उनको अपने लंड के उपर उछालने लगा. हम दोनो ने आज से पहले कभी ऐसे पोज़ में चुदाई नही की थी, जिसमे इतना मज़ा आया हो.
एक पल को मेरे मन में ये ख़याल आया, कि आज सुहाग रात को ही मैं तान्या के साथ बेवफ़ाई कर रहा हूँ, लेकिन दीदी के साथ इस चुदाई में आ रहे आनंद ने मन में आ रहे सभी ख्यालों पर एक परदा डाल दिया. दीदी की चुदाई करने में जो मज़ा आ रहा था, वो उस सभी से लाखों गुना ज़्यादा था, उस मज़े से जो मुन्नी बुआ, मम्मी या उमा मौसी को चोदते समय आया था. ऐसा लग रहा था, कि जैसे दीदी की चूत और मेरा लंड बने ही एक दूजे के लिए हैं. अगर बाद में कभी धीरज या तान्या को हमारे संबंधों के बारे में मालूम चलता भी है, तो हम दोनो को इस बात की कोई ज़्यादा फिकर नही थी. मैं तो सोच चुका था, कि जब भी मौका मिलेगा, और जब भी दीदी ने चोदने की अनुमति दी, तो मैं दीदी को ज़रूर चोदुन्गा.
"हे भगवान, हे भगवान," डॉली दीदी कराह रही थी, और वो अपने नाखूनों को अपने छोटे भाई की पीठ में गढ़ा रही थी, और हवस की आग में जल रही थी. दीदी मेरी गोद में बैठ कर मेरे लंड पर उछल रही थी, दीदी की चूत का दाना, चूत के होंठों के दामन से निकल कर, मेरे लंड पर घिस्से मार रहा था. दीदी शायद अब झड रही थी, उनका शरीर ऐंठने और काँपने लगा था, दीदी अपने को अपने सगे भाई से चुद्वाने का एहसास और ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था.
दीदी जिस तरह मेर उपर चिपक कर बैठी थी, और उसके मूँह से निकल रही आँहे सुनकर मेरा लंड और ज़्यादा फूँकार मारने लगा. मैं दीदी की गान्ड को अपने लंड पर अपने हाथों से उछाल रहा था, और बस चरम पर पहुँचने ही वाला था. आज इतने दिनों के बाद दीदी की शरीर को भोगने का मौका मिला था, आज अपने आप पर कंट्रोल नही हो रहा था. दीदी को अपनी चुदाई की आर्ट किसी और दिन दिखाने का सोच कर, मैं दीदी की चूत में छूटने के लिए तयार हो गया, ये सोचते ही मैं झड्ना शुरू हो गया.
हम दोनो ने एक दूसरे को जकड लिया, और दोनो के बदन पर हल्का सा पसीना भी आ गया, हम दोनो इस कदर चिपके हुए थे, जैसे कोई बॉल अपने सहारे से चिपकी हो. मैं लंड से निकल रहे चिपचिपे वीर्य को दीदी की चूत में उंड़ेल रहा था, और उनकी चूत को अपने गरम पानी से भरते हुए, दीदी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव को देख रहा था. दीदी को मानो आज बहुत दिनों के बाद ऐसी तृप्ति मिली हो. मैं दीदी के चिपके हुए, उनके नंगे बदन का, हाथ फिराते हुए एक अजीब सी शांति में आनंद ले रहा था. और आज इंते दिनों बाद मिले मौके का भरपूर मज़ा ले रहा था.
"ओह राज, तुम्हारा अभी भी खड़ा हुआ है," डॉली दीदी कुछ देर बाद बोली. मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में ही घुसा हुआ था, और जैसे ही दीदी थोड़ा इधर उधर कर अपने भार को शिफ्ट करती, चूत में घुसा हुआ लंड, पानी में भीगने के बाद फॅक फॅक की आवाज़ करता. “दोबारा करोगे,” दीदी ने धीरे से पूछा.
मैने हां में सिर हिलाया, और एक आँख मार दी, दीदी मेरे उपर से उठकर, टेबल पर अपनी कमर झुका कर खड़ी हो गयी, और मुझे अपना नंगा शरीर, चोदने के लिए प्रस्तुत कर दिया. नाइट लॅंप की रोशनी में दीदी का नग्न शरीर, किसी स्पोर्ट्स कार की मॉडेल तरह लग रहा था. दीदी की गान्ड की गोलाइयाँ, वो पतली कमर, सब कुछ एक दम पर्फेक्ट था, मानो किसी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे कुंवारे लड़के के सपने की मूरत हो, जिसको दिमाग़ में रख कर वो मूठ मारता हो. मैं बिना कुछ बोले, दीदी के पीछे आया, और दीदी की चूत के आमंत्रित कर रहे चिकने होंठों के बीच अपना लंड पेल दिया. थोड़ा सा धक्का लगाते ही सुपाड़ा, चूत की सुरंग में अंदर घुस गया.
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