RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
जब थोड़ा होश आया, तो हम दोनो ने एक दूसरे की आँखों में देखा, और झड्ने के उन अंतिम क्षणों के एहसास को एक दूसरे की आँखों में महसूस करने लगे. फिर होंठों को पास लाकर, दोनो ने एक गहरी, और लंबी प्यार और जज्बातों भरी किस ली. हमारे कमर के निचले हिस्से एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे. हम वैसे ही करीब आधा घंटा वहीं पर लेटे रहे, एक दूसरे को किस करते हुए, सहलाते हुए, जब तक की मेरा लंड छोटा होकर, मौसी की चूत में से एक हल्की सी प्लॉप की आवाज़ के साथ बाहर नही निकल आया.
हम दोनो ने मम्मी पापा के आने से पहले, उन दिनों में टोटल 7-8 बार घर के हर हिस्से में चुदाई की, मेरे रूम में, मौसी के रूम में, मम्मी पापा के रूम में, किचन में, सीढ़ियों पर हर संभव जगह.
आज मम्मी पापा शाम को आने वाले थे, और कल मौसी गाँव चली जाएँगी, लेकिन जाने से पहले मौसी ने एक वादा किया, कि जब भी मौका मिलेगा, वो मुझसे ज़रूर चुद्वायेन्गि, और मुझसे भी जल्दी ही तान्या से शादी कर लेने का प्रॉमिस लिया.
और फिर 1 मैहीने बाद मेरी शादी भी तान्या के साथ हो ही गयी, डॉली दीदी शादी से एक हफ्ते पहले ही आ गयी थी. मेरी शादी खूब धूम धाम से संपन्न हुई, आज पापा ने शहर के सबसे महँगे 5 स्टार होटेल में रिसेप्षन रखा हुआ था. शहर के सभी बड़े बिज़्नेस मॅन अपनी फॅमिलीस के साथ, और हमारे सभी रिलेटिव्स रिसेप्षन को अटेंड करने वाले थे. ड्ज और डॅन्स फ्लोर का स्पेशल अरेंज्मेंट किया गया था. मम्मी पापा, मैं, तान्या, दीदी और धीरज, हम सभी शाम को 7 बजे बाकी सभी गेस्ट्स के पहुचने से पहले होटेल पहुँच गये. जब मुन्नी बुआ और उमा मौसी को मैने मम्मी पापा के साथ स्टेज पर फोटो के लिए आई, तो दोनो के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी.
मुन्नी बुआ ने तान्या के सामने ही मुझको देखते हुए मम्मी पापा से कहा, चलो अच्छा है, तुम्हारे दोनों बच्चों की शादी टाइम से हो गयी, राज की शादी जल्दी होनी बहुत ज़रूरी थी, और फिर खिलखिलाकर हँसने लगी.
उमा मौसी स्टेज पर जब मेरे पीछे खड़ी थी, तो उन्होने मेरे कान में धीरे से बोला, अब तो भगवान ने रोजाना बजाने के लिए चूत का इंतज़ाम कर दिया है, लेकिन फिर भी कभी घर की दाल से मन भर जाए तो चिकन खाने आ जाना, और फिर मेरे गाल पर एक पप्पी ले ली.
धीरज तो होटेल पहुचने के साथ ही ब्लॅक लेबल के पेग लगाने लगा, और अपने दोस्तों के साथ दारू पार्टी में मशगूल हो गया. तान्या भी अपनी फ्रेंड्स और रिलेटिव्स को स्टेज पर रिसीव करने में बिज़ी हो गयी. करीब 1 घंटे के बाद मैं और तान्या भी स्टेज से उतरकर, बाकी सभी गेस्ट्स से उनकी टेबल्स पर उनके पास जाकर मिलने लगे.
तभी डॉली दीदी मेरेको हाथ पकड़ कर डॅन्स फ्लोर पर ले गयी, और मेरे कान में फुसफुसा कर बोली, “तान्या वाकई में किस्मत वाली है.” हम दोनो चिपक कर डॅन्स कर रहे थे, दीदी ने आगे बोला, “ धीरज बस वीक में दो ही बार करता है, मुझे मालूम है, तुम तो तान्या को रोज चोदोगे, अच्छी किस्मत लिखवा कर लाई है, तान्या.”
डॅन्स फ्लोर पर रोशनी कम थी, इसका . उठाते हुए, दीदी ने मेरी गान्ड को कस कर पकड़ लिया, और मेरे कान में बोली, “धीरज और मेरी शादी को 6 महीने हो चुके हैं, और मुझे उसके बारे में अब सब कुछ पता चल चुका है, मैने उसके प्रति वफ़ादार रहने की जो कसम खाई थी, उसका कोई मतलब नही है.”
मैने दीदी से पूछा, “ऐसा क्या पता चल गया आपको, धीरज के बारे में?”
“चलो छोड़ो इन बातों को, कभी तसल्ली से बताउन्गि, बस आज जब तुम्हारी शादी हो रही है, तो मुझे पता नही ऐसा क्यों लग रहा है, कि एक ऐसी चीज़ जिस पर मेरे हक़ था, उसको तान्या अपने कब्ज़े में कर रही है,” दीदी थोड़ा मायूस होते हुए बोली.
“दीदी, मैं हमेशा सबसे पहले आप का था, आपका हूँ, और आपका ही रहूँगा, जो कुछ हम दोनो के बीच रहा है, वो मेरी जिंदगी के सबसे बेहतरीन दिन थे, आपने मेरे लिए जो किया है, वो दुनिया में कितनी बेहन अपने भाई के लिए करती होंगी?” मैं दीदी को भरोसा दिलाते हुए बोला.
हम दोनो डॅन्स फ्लोर से उतर कर रोशनी में सब लोगों के बीच आ गये. अब मेरी नज़र दीदी के घाघरे पर पड़ी, क्या मस्त ड्रेस थी दीदी की, चोली पीछे से बहुत बड़े गले की थी, उसकी नंगी पीठ का सब दीदार कर रहे थे, दीदी ने घाघरा भी बहुत नीचा बाँधा हुआ था, जिस से उनका गोरा समतल पेट भरपूर दिखाई दे रहा था. सब मर्दों की नज़रें दीदी पर थी, ये सब देख तान्या थोड़ी अपसेट नज़र आ रही थी.
धीरज अपने दोस्तों के साथ दारू पीने में व्यस्त था, और इधर उसकी बीवी के शरीर पर सभी मर्द अपनी आँखें सेंक रहे थे.
"आप इस ड्रेस में कातिल लग रही हो दीदी, सब आपको ही देख रहे हैं," मैने दीदी के पास जाकर उनके कान में धीरे से कहा.
“तुम तो कम से कम आज तान्या पर ध्यान लगाओ, वो देखो, तान्या इधर ही आ रही है, उसको समझाना मैं कितनी कातिल लग रही हूँ इस ड्रेस मैं,” दीदी ने धीरे से कहा. तभी तान्या हम दोनो के पास आ गयी.
डॉली दीदी मुझसे थोड़ा दूर होकर खड़ी हो गयी, और मैने तान्या की एक बाँह में अपनी बाँह डाल दी. तान्या भी पिंक घाघरा चोली मे बेहद खूबसूरत लग रही थी, उसका आज स्पेशल मेकप भी हुआ था. तान्या के चेहरे पर वो ही चमक थी, जो किसी भी लड़की के चेहरे पर शादी वाले दिन होती है. तान्या जैसी बीवी को पाकर मैं अपने आप को किस्मतवाला समझ रहा था.
"ये लो!" तान्या खुशी से बोली, और मेरी बाँह में बाँह डालते हुए मेरे और करीब आ गयी.
फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर हर दृश्य को अपने कॅमरा में क़ैद कर रहे थे, सब गेस्ट्स के जाने के बाद हम सभी फॅमिली वालों ने एक साथ खाना खाया. धीरज ज़्यादा दारू पीकर आउट हो चक्का था, उसको होटेल के वेटर्स, पकड़ कर दीदी और उसके लिए बुक रूम में बेड पर लिटा आए थे.
हम सब जब खाना खा चुके थे तो मम्मी पापा ने मुझे और तान्या को भी रूम में जाने के लिए बोला. मैने और तान्या ने सभी बड़े बूढ़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, जब मम्मी, मुन्नी बुआ और उमा मौसी के पैर छूए, तो मुझे लगा, ये मैं क्या कर रहा हूँ, फिर अपने आप दिमाग़ में ख्याल आया, गुरु के पैर तो छूने ही चाहिए.
मैं और तान्या उस एलिवेटर की तरफ चल पड़े, जो सीधा हनिमून सूयीट में ले जाता था, बाकी सब भी दूसरे एलिवेटर से अपने अपने रूम में चले गये.
रूम में पहुँच कर तान्या बेड पर जाकर लेट गयी, और उसने अपने घाघरे को पेटिकोट समेत अपनी कमर तक उपर कर लिया, उसने अंदर आज पैंटी नही पहन रखी थी, और वो झान्टे भी सॉफ कर के पूरी तय्यरी के साथ सुहागरात पर चुदने को तय्यार होकर आई थी. मैं भी उसकी दोनो टाँगों के बीच आ गया, और उसकी चिकनी चूत को चाटने लगा, मेरी जीभ उसकी मस्त चूत के दोनो होंठों को चूस चूस कर उसका स्वाद ले रही थी. तान्या ने मेरे बालों में अपने हाथों की उंगलियाँ फिरानी शुरू कर दी, और अपनी गान्ड उछाल कर, जो प्रभाव मेरे उसकी चूत को चूसने का उसके शरीर पर हो रहा था, उसको दर्शाने लगी, वो अपने हाथों से अपनी चूंचियों को दबाने लगी, और उसकी साँसें भी तेज़ी से चलने लगी.
तान्या बस झड्ने ही वाली थी, तभी उसका मोबाइल बज उठा. मैने तान्या से उसको उठाने के लिए मना किया, ना जाने कौन इस वक़्त हमारी सुहाआग रात में परेशान कर रहा था. लेकिन तान्या ने मुझे अपने से दूर हटाते हुए, बेड के साइड पर रखे फोन को उठा कर देखा, और कॉल को रिसीव कर, फोन पर बात करने लगी.
"हेलो? ओह, हां... हां.. ज़रूर. नो, नो इट'स नो प्राब्लम. मैं बस अभी पहुँचती हूँ.
मैने एक गहरी साँस ली, और सोचने लगा कि ऐसा क्या इंपॉर्टेंट काम हो सकता है?
"नीचे चाची मुझे ढूँढ रही हैं. वो जाने से पहले, मेरे साथ एक फोटो लेना चाहती हैं. प्लीज़ अगर मैं कुछ देर के लिए चली जाऊं, तो तुमको बुरा तो नही लगेगा राज?"
मैं बस मुस्कुरा कर रह गया, कैसे कहता कि हां मुझे बहुत बुरा लग रहा है. मैने बस गर्दन हिलाते हुए अपनी हताशा व्यक्त की. तान्या ने मेरे गालों पर एक छोटी सी पप्पी ली, और सॅंडल पहन कर, रूम से बाहर चली गयी, डोर को खींच कर धीरे से बंद कर गयी.
मैं बेड के पास वहीं घुटनों पर कुछ पलों केलिए खामोश बैठा रहा, तभी किसी ने डोर खटकाया, मैने देखा तान्या रूम की चाबी छोड़ गयी थी, और ड्रेसिंग टेबल पर रखी चाबी को लेने के लिए वो वापस आई थी.
जैसे ही वो रूम से चाबी लेकर बाहर निकली, मैं अपने कपड़े ठीक करके डोर को लॉक करने के लिया जैसे ही डोर तक पहुँचा, मैने डॉली दीदी को डोर पर खड़े हुए पाया. मैने एक गहरी साँस ली, और दीदी की उस ड्रेस में सेक्सी फिगर को निहारने लगा.
"क्या हुआ दीदी?" मैने दीदी के साथ रूम में अंदर आते हुए पूछा, मेरी आवाज़ में थोड़ा कंपन्न था, शायद इसलिए क्योंकि तान्या कुछ ही मिनिट्स में वापस आने वाली थी. और मैं नही चाहता था कि सुहाग रात वाले दिन ही तान्या मेरे और दीदी के रिश्तों पर शक करने लगे. मैने धीरे से डरते हुए लहजे में बोला, “दीदी वो किसी भी वक़्त वापस आ जाएगी, इसलिए....”
"अच्छा, लेकिन वो गयी कहाँ है?" डॉली दीदी ने पूछा, अपने पीछे से डोर का लॅच लॉक लगाते हुए दीदी ने पूछा.
"वो अपनी चाची के साथ एक फोटो लेने के लिए नीचे गयी है," मैं दूसरी तरफ देखते हुए बोला.
"क्या अजीब बात है, तुमको नही लगता?" डॉली दीदी ने पूछा, और मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी, उनकी चूंचियाँ मेरी पीठ को दबा रही थी, दीदी के हाथ मेरी गान्ड की गोलाईयों पर घूम रहे थे, और हल्के हल्के दबा रहे थे, दीदी की उंगलियाँ अब आगे की तरफ बढ़ने लगी थी. “लेकिन वो अपने पति को इस तरह सुहागरात पर अकेला छोड़ कर एक फोटो लेने गयी है, बड़ी ही बेवकूफ़ लड़की है?"
"बस एक फोटो के लिए," मैं बोला, मुझे भी इस बात पर विश्वास नही हो रहा था, मैं दीदी के हाथों को हटाते हुए, उनसे दूर होते हुए बोला. “तान्या की चाची यूएस में रहती हैं, शायद उन दोनो की आज के बाद कब मुलाक़ात हो, हो सकता है इसलिए....”
"यदि मैं उसकी जगह होती, तो मैं तो अपने पति को सुहागरात पर अकेला छोड़ कर हरगिज़ नही जाती," डॉली दीदी घमंड के साथ बोली.
डॉली दीदी फिर से मेरे पीछे आ गयी, और अपनी बाहें मेरी बाहों के नीचे से निकालते हुए, मेरी छाती पर रख दी. उनकी उंगलियों के नाख़ून मेरी छाती को मेरी वाइट शर्ट के उपर से ही खरोंचने लगे. दीदी की चूंचियाँ मेरी पीठ को इस कदर दबा रही थी, कि बस इस की कल्पना कर के ही मेरी आँखें बंद हो गयी, दीदी के शरीर का सामीप्य मेरे शरीर में आग लगा रहा था.
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