RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं जब बाथरूम में अपने कपड़े उतार रहा था, तो मुझे लगा कि मेरी गले की नस चढ़ गयी है. मुझे अपनी गर्दन घुमाने में दर्द महसूस होने लगा.
तब तक मौसी भी बाथरूम में आ चुकी थी, उन्होने मुझे उस अवस्था में देखा तो पूछा, “क्या हुआ, कोई परेशानी है क्या, मैं कुछ हेल्प करूँ?”
“लगता है, कपड़े उतारते समय, मेरी गर्दन की नस चढ़ गयी है, आल नहलाते हुए वहाँ थोड़ी मालिश कर देना, ठीक हो जाएगी,” मैं बोला.
“हां हां क्यों नही,” मौसी ने बाथरूम में अंदर घुसते हुए बोला.
जैसे ही मौसी ने मेरी पीठ और गर्दन की मालिश करनी शुरू की, उनके मूँह से आहह की आवाज़ आई. मैने पूछा, “क्या हुआ मौसी?”
“कुछ नही, बस ये ब्रा गीला होने के बाद थोड़ा चुभ रही है,” मौसी समझाते हुए बोली.
“आप इसको उतार क्यों नही देती?” मैने पूछा.
“क्या कहा??” मौसी ने पूछा, मानो वो मुझे ठीक से सुन नही पाई हो.
“उसको उतार दो ना. मैं नही देखूँगा, वैसे भी मेरी पीठ आपकी तरफ है,” मैं बोला.
“उः, समझ नही आता, क्या करूँ” मौसी ने जवाब दिया, लेकिन उनकी बात से लगा कि वो मेरे सुझाव से सहमत हैं.
“ओह अब उतार भी दो, मैं सही में पीछे मुड़कर नही देखूँगा,” मैने कहा.
मौसी ने एक पल सोचा, और फिर अपने आप को थोड़ा राहत महसूस करवाने के लिए, अपनी ब्रा का हुक अपने दोनो हाथ पीछे ले जाकर खोल दिया, और अपने कंधों से झटक दी, झटकने के कारण वो नीचे आकर उनके हाथों में आ गयी, मौसी ने उसे अपने हाथों से उसे बाथरूम के डोर से बाहर फेंक दिया, और एक राहत की साँस ली.
मौसी ने मुझे नहलाना और मालिश करना जारी रखा, और इस बीच उनके मम्मों के निपल्स मेरी पीठ पर बीच बीच में छूने लगे. मुझे इस बात का आभास हुआ कि मौसी के निपल्स धीरे धीर सख़्त होते जा रहे हैं. शायद मैं और मौसी दोनो इस मौके का पूरा फ़ायदा उठा रहे थे. लेकिन मैं इस बारे में कुछ भी प्रतिक्रिया नही दे रहा था.
मौसी अब बस मेरे को जल्दी से जल्दी नहलाने पर ध्यान दे रही थी.
जैसे ही मौसी ने मेरे पैरों के उपर साबुन लगाना शुरू किया, उनका ध्यान मेरे खड़े होकर फूँकार मारते हुए लंड पर गया. एक जवान लड़के की ज़रूरतों को शायद वो भी समझ रही थी. मौसी ने मेरी गान्ड को सॉफ करने के बाद, एक बार फिर से मेरे पैरों की तरफ हाथ बढ़ाया.और अपने दोनो हाथों में साबुन मलने लगी. फिर एक बार अपनी साँस रोक कर उन्होने जल्दी जल्दी मेरे लंड और टट्टों पर साबुन लगाने के लिए अपने हाथों को आपस में मलने लगी.
“व्हुूहह” मौसी के हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकल गयी.
मौसी ने तुरंत वहाँ से हाथ हटाकर मुझे अपने आपको पानी से धोने के लिए कहा.
“उः, मौसी?” मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकल गयी
“हां बेटा?” मौसी ने जवाब दिया, शायद वो भी नर्वस थी, ये सोचकर कि मुझे किस चीज़ की ज़रूरत है.
“उः, मौसी... प्लीज़ एक बार और कर दो ना?” मैने पूछा.
मौसी मेरी सिचुयेशन समझ रही थी, और ये भी समझ रही थी, कि मैं फिर से वो ही चाहता हूँ, जो उन्होने कल किया था.
“क्या सचमुच तुमको ज़रूरत है?” मौसी ने पूछा. “मैने तो सोचा कुछ दिन अब तुम शांत रहोगे.”
“ऐसा नही है मौसी” मैने जवाब देते हुए कहा, “मुझे तो हर रोज इस की ज़रूरत पड़ती है.”
“ओह” मौसी बोली, और बिना किसी बनावट के बोली, “तो फिर मुझे लगता है...ठीक है.”
मौसी ने फिर से अपने हाथों में साबुन मला, और मेरे खड़े हुए लंड को पकड़ लिया. जैसे जैसे वो अपना हाथ मेरे लंड की लंबाई पर चला रही थी, और शायद कोशिश कर रही थी, कि मेरा पानी जल्दी से जल्दी निकल जाए. मौसी अपने दिमाग़ में कुछ और सोचते हुए, और शायद बिना कुछ सोचे, मेरे लंड को हिलाए जा रही थी.
“ओह!” मेरे मूँह से आवाज़ निकली और मेरा लंड झटका मारकर मौसी के हाथों में फैल कर मोटा होने लगा.
और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकलकर बाथरूम की दीवार की टाइल्स पर जा गिरी, मौसी ने अब लंड को हिलाना बंद कर दिया, और मेरे लंड को हाथ में थोड़ा और ज़ोर से पकड़कर, मेरे शांत होने का इंतेजार करने लगी.
फिर मौसी ने अपना हाथ हटाकर अपने हाथों को धोया, और बोली, “तुम यहीं पर रूको, मैं कपड़े पहन कर आती हूँ.” जैसे ही मैने अपने उपर टवल लपेटी, मैं बोला, “ठीक है मौसी.” मैं कल से थोड़ा ज़्यादा बेशरम होकर बाथरूम से बाहर निकला. मैने मौसी से अपने आप को बिना किसी शरम के तौलिया से पुछवाया. जैसे ही कपड़े पहनाने की बारी आई, मौसी की नज़र फिर से मेरे आधे खड़े लंड पर जा टिकी. मौसी ने तुरंत मेरा शॉर्ट उपर किया, और मैं वहाँ से चला गया. जैसे ही मैने थोड़ा पीछे घूमकर देखा, मौसी अपनी तौलिया हटाकर अपने हार्ड हो चुके निपल्स को देख कर ज़ोर ज़ोर से साँसें भर रही थी.....
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