RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
अगली सुबह, सब कुछ ठीक से हुआ, मौसी ने मुझे टाय्लेट यूज़ करने में हेल्प किया, फिर हम दोनो ने ब्रेकफास्ट किया. 10 बजे के करीब, जब मैने मौसी से मुझे नहलाने के लिए कहा, तो मौसी के चेहरे पर एक अलग तरह के भाव आ गये.
मौसी ने बीते हुए कल की तरह ही बाथरूम में जाके मुझे नहलाना शुरू किया, सब जगह साबुन लगाने के बाद, बस अब वो लंड और टट्टों वाली जगह ही साबुन से सॉफ करने के लिए बची थी. जैसे ही मौसी ने हाथों में साबुन मलकर, उस जगह हाथ लगाया, मेरे शरीर में एक अलग तरह की हरकत होने लगी. मौसी इसको जल्द से जल्द ख़तम करना चाहती थी, लेकिन जैसे ही मौसी ने मेरी जाँघ के अन्द्रुनि हिस्से पर हाथ लगाया, मेरा लंड खड़ा होने लगा ! मौसी ने फिर जल्दी से सारे हिस्से पर साबुन मल दिया, और जल्दी से लंड की लंबाई पर अपना साबुन से सना हुआ हाथ फिरा दिया.
“उहह!” मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकल गयी.
“तुम ठीक हो राज?” मौसी ने पूछा.
“हां” मैं किसी तरह बोला. “लेकिन... इसको हिलाकर हल्का नही हो पा रहा हूँ, बस ये ही प्राब्लम है.” पता नही ये मेरे हाथ कब ठीक होंगे.
“लगता है मेरे बेटे को किसी की नज़र लग गयी, इतनी छोटी सी उमर में इतना अच्छा बिज़्नेस कर रहा है. आजकल लोग दूसरों से बहुत जलते हैं, उनसे देखा नही जाता, कोई दूसरा उनसे ज़्यादा तरक्की कैसे कर रहा है. खुद से तो मेहनत होती नही, और खुद तो कभी कुछ कर नही पाए अपनी जिंदगी में, पर दूसरों को देख कर जलते रहते हैं, ऐसे ही किसी नामुराद की नज़र लगी होगी. तू चिंता मत कर जल्दी ही ठीक हो जाएगा, उपर वाला ऐसे कलमूहों को अपने आप सबक सिखा देता है, ऐसे हरामियों के कभी औलाद नही होती,” मौसी मुझे समझाते हुए बोली.
“हां, अब तुम तय्यार होकर, अपने बेड पर लेट कर आराम करो, सब ठीक हो जाएगा.” मौसी ने फिर से मुझे समझाते हुए कहा.
“ऐसा करने से कुछ नही होगा मौसी, जब तक इन गोलियों में से पानी नही निकलेगा, ये ऐसे ही मुझे परेशान करेंगी, आप को तो इस सब के बारे में मालूम ही होगा?” मैं बोला.
“हां मुझे मालूम है, मैने इस के बारे में पढ़ा भी है, और देखा भी है...” मौसी ने थोड़ा रुकते हुए बोला, वो शायद मेरी सिचुयेशन समझ रही थी.
“बस, आप सही समझ रही हो मौसी” मैं बोला.
“ओह. बेटा ! आइ’म सो सॉरी. बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?” मौसी ने पूछा.
“मुझे तो कुछ समझ में नही आता” मैं बोला. “आप ऐसा कुछ भी मत करो, जो आपको लगता हो कि आपको नही करना चाहिए.”
मेरे शब्द मौसी के दिल को छू गये, और वो थोड़ा सोच में पड़ गयी.
“ठीक है, बेटा..अम…लेकिन ये बड़ी विचित्र परिस्थिति है.” मौसी ने आगे बोलते हुए कहा “क्या मैं तुम्हारे वहाँ पर उपर नीचे कर के साबुन लगा दूं, जब तक तुम्हारा पानी नाही निकल जाता, और तुमको आराम नही मिल जाता?”
मौसी कुछ पलों के लिए खामोश हो गयी, शायद उनको अपने आप पर विश्वास नही हो रहा था, कि वो क्या कुछ बोल गयी थी, लेकिन वो मुझे परेशान होते हुए नही देखना चाहती थी.
“आप वो ही कह रही हो ना मौसी, जो कुछ मैं सुन रहा हूँ?” मैने पूछा, मेरी पीठ अभी भी मौसी की तरफ थी.
“हां” मौसी ने बात को वहीं पर ख़तम करने के अंदाज में बोला.
“मैं…मैं चाहकर भी नही कह पा रहा हूँ, कि इस की कोई ज़रूरत नही है... लेकिन...” मैने कुछ बोलना चाहा
“ष्ह्ह्ह्ह्ह!” करते हुए मौसी ने मुझे चुप करा दिया, और अपने हाथों में साबुन मलने लगी.
मौसी ने मेरे लंड को फिर से अपने साबुन से सने हाथों से पकड़ लिया, और उसे पूरी लंबाई तक उपर नीचे कर के सहलाने लगी, इस तरह करने से इतना घर्षण ज़रूर पैदा हो रहा था, जो मेरे लिए काफ़ी था.
मौसी के इस तरह हल्के से छूने की वजह से मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकल गयी “ओह”.
जल्दी ही मेरी कमर भी हिलने लगी, और मेरा लंड मौसी के हाथों में आगे पीछे होने लग्गा, तभी मेरी गान्ड भी सिंकूड गयी, और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकल के बाथरूम की दीवार पर लगी टाइल्स पर गिर गयी. मौसी अब भी अपना हाथ आगे पीछे कर रही थी, वो ऐसा जब तक करती रही, जब तक मैं शांत नही हो गया, और मेरी कमर ने हिलना बंद नही कर दिया.
“अब ठीक है?” मौसी ने मेरे लंड पर से अपना हाथ हटाते हुए पूछा.
“हां…पहले से बेहतर है” मैने साँस लेते हुए बोला.
फिर हम दोनो ने बिना कुछ ज़्यादा बात किए, और तौलिया से पोछने के बाद, कपड़े पहन कर हम दोनो बाहर आ गये. इस बार शॉर्ट्स पहनाते समय, किसी तरह की कोई परेशानी नही हुई.
उस सारे दिन मेरा मूड बहुत अच्छा रहा, और मैने और मौसी ने ढेर सारी बातें की, मैने उनकी किचन में बहुत हेल्प भी की. मौसी को भी मेरी हेल्प करके अच्छा फील हो रहा था.
बातों बातों में मौसी बोली, “राज इसके बारे में किसी को कुछ मत बताना, ख़ास तौर पर अपनी मम्मी को, नही तो ना जाने वो क्या सोचेंगी.”
“आप बेफिकर रहें मौसी, ये बात बस हम दोनो के बीच ही रहेगी, किसी को कुछ पता नही चलेगा,” मैं मौसी को भरोसा दिलाते हुए बोला.
“और वैसे भी, मैने तो बस तुम्हारी हेल्प करने के लिए ये सब किया है, कौन सा हम ये सब रोजाना करने वाले हैं,” मौसी बोली.
मेरे मन में बहुत कुछ आया, लेकिन मैं कुछ भी नही बोला, बस मुस्कुरा कर रह गया.
अगले दिन, सुबह ब्रेकफास्ट करने के बाद मैने मौसी से मुझे नहलाने के लिए बोला क्यूंकी दोपहर में मेरे कुछ फ्रेंड्स आने वाले थे. मौसी ने कहा, “तुम चलो, मैं अभी आती हूँ.”
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