RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
पापा के बिज़्नेस ट्रिप पर से लौटने के बाद, सब कुछ नॉर्मल चल रहा था, मेरे को और मम्मी को जब भी मौका मिलता, हम दोनो अपनी प्यास बुझा लेते. इस चीज़ का हम दोनो विशेष ख्याल रखे हुए थे कि पापा को किसी तरह से कोई भी शक ना हो जाए. पापा के सामने मम्मी मेरे साथ वैसे ही पेश आती, जैसे पहले आती थी. सुबह जब चाइ देने आती, तब भी नाइट्गाउन को ठीक तरह से पहन कर आती.
एक दिन फॅक्टरी में मेरे हाथों पर खौलता हुआ, एक केमिकल गिर गया, जिस से मेरे दोनों हाथ जल गये. मुझे मेरा स्टाफ तुरंत ही पास के नर्सिंग होम ले गया, मम्मी पापा भी जल्दी है वहाँ पर पहुँच गये. वहाँ डॉक्टर्स ने दोनो हाथों पर मेडिसिन लगा कर पट्टी बाँध दी, और बताया कि चिंता की कोई ख़ास बात नही है, बस एक या डेढ़ हफ्ते में ठीक हो जाएगा. लेकिन हर तीसरे दिन, बॅंडेज चेंज कराने के लिए, और प्रोग्रेस मॉनिटर करने के लिए नर्सिंग होम आना होगा.
“आप समझ रहे हैं ना, कि ये अब अगले कुछ दिनों बहुत सारे काम अपने आप नही कर पाएगा,” डॉक्टर ने मम्मी पापा को बताया.
“ओह… मुझे भी तब एहसास हुआ कि डॉक्टर सच बोल रहे हैं,, मैने अपने दिमाग़ में सोचा.
“कुछ ऐसे प्राइवेट काम, जैसे बाथरूम जाना, या कुछ और, उन सब कामों में इसको किसी की मदद की ज़रूरत होगी,” डॉक्टर बोले.
“ह्म्म्म. तो फिर हमको क्या करना चाहिए, डॉक्टर?”मैने पूछा.
“सीधी सी बात है, तुम को अपनी शरम अब ताक पर रखनी होगी. और वो सब काम जो तुम अपने हाथों से आसानी से कर लेते थे, अब इन बॅंडेज की वजह से नही कर पाओगे.”
मम्मी पापा की तरफ देखते हुए डॉक्टर बोला, “कुछ ऐसे काम, जैसे कि पॅंट या जीन्स का बटन लगाना, या नहाना, या सॉफ करना. मेरी तो सलाह ये ही होगी कि आप किसी नर्स को 10-15 दिनों के लिए 24 घंटों के लिए अपने घर पर रख लें.”
“हालाँकि ये आसान नही होगा, लेकिन कुछ दिनों की लिए तुम्हे शरम जैसी चीज़ को भूलना होगा,” डॉक्टर ने सलाह दी.
जब हम घर आ रहे थे, तो कार में बैठ कर हम तीनो इस बारे में बातें करने लगे. मम्मी ने बताया कि कल, यानी नेक्स्ट डे तो मम्मी और पापा दोनो, एक हफ्ते के लिए किसी बिज़्नेस मीटिंग में शिमला जा रहे थे. ऐसे में किसी अंजान नर्स को घर पर अकेले छोड़ना ठीक नही होगा. पापा भी इस बात से सहमत थे.
तभी मम्मी को याद आया, कि उनकी कज़िन सिस्टर उमा, जो कि विडो है और गाँव में रहती है, वो नर्सिंग का कोर्स कर के, गाँव के पास ही के किसी कस्बे के नर्सिंग होम में नौकरी कर रही है, क्यों ना उसे ही बुला लिया जाए. वो जान पहचान की भी है, और मम्मी पापा के जाने के बाद कोई चिंता भी नही रहेगी.
“लेकिन मम्मी मैं मौसी के सामने, नही बिल्कुल नही!!” मैं ज़ोर से बोला.
“देखो बेटा, बस कुछ दिनों की ही तो बात है, जब तक ये बॅंडेजस उतर नही जाती. मैं और तुम्हारे पापा, तुम्हारी सब हेल्प करेंगे, और मौसी भी तो अपनी ही हैं. ये तो अच्छा है तुम्हारे कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही हैं” मम्मी बोली.
“ठीक है, जैसा आपको अच्छा लगे” मैने गुस्से में बोला. “ना जाने कैसे निकलेंगे ये मेरे 10-15 दिन!”
शाम को मौसी को टॅक्सी भेजकर मम्मी ने गाँव से बुलवा लिया, और उनको सारी सिचुयेशन समझा दी.
जब मम्मी उमा मौसी को समझा रही थी तभी मैं वहाँ पर आ गया, मैने उनको बातें करते हुए सुना, “देखो उमा, राज को इन सब चीज़ों की आदत डालनी होगी,” मम्मी ने उमा मौसी को समझाते हुए कहा. “ मुझसे तो ये सब काम होते नही, नर्सों वाले, जैसे कि उसकी पॅंट नीचे करके उस से पेशाब कर्वाओ, या फिर सॉफ करो...”
“ऊह..मम्मी..मुझे टाय्लेट जाना है... “ मैं शरम से अपना चेहरा लाल करते हुए बोला.
“ओ.के.” उमा मौसी बोली, और मुझे अपने साथ टाय्लेट में ले गयी.
कुछ देर बाद, हम बाहर आकर ड्रॉयिंग हॉल में बैठ गये.
“सब ठीक रहा? मम्मी ने पूछा.
मैं कुछ बोलता उस से पहले ही उमा मौसी बोली, “शरमाता बहुत है राज, और वो भी मुझसे, मैं तुम्हारी मौसी हूँ बेटा, और मेरा तो काम भी नर्स का ही है.”
उमा मौसी के रुकने का इन्तेजाम, डॉली दीदी के रूम में कर दिया था. रात को डिन्नर करने के बाद, उमा मौसी अपने रूम में चली गयी, और मुझे बता गयी कि जब भी मुझे उनकी ज़रूरत हो, मैं उनको बुला लूँ. जब मैं अपने रूम में पहुँचा, तो मेरे पीछे पीछे मम्मी भी आ गयी. और मुझे समझाने लगी, कि मुझे उमा मौसी से शरमाने की कोई ज़रूरत नही है, किसी तरह से ये 10-15 दिन निकाल लो, फिर सब ठीक हो जाएगा. मुझे मम्मी ने 3-4 दिन तक अपने आप पर काबू रखने को कहा, जब तक की वो शिमला से लौट नही आती.
“बेटा, किसी तरह से ये एक हफ़्ता निकाल लो, फिर जब मैं लौट आउन्गि, तुम्हारी सारी ज़रूरतें पूरी कर दूँगी. उमा मौसी के साथ ठीक से पेश आना, वो मेरी रिश्तेदार भी हैं, और अगर कुछ उपर नीचे हो गया,तो रिश्तेदारों में मूँह दिखाने लायक नही रहेंगे. लेकिन तुम्हारी उमर ही ऐसी है, कि भूल होते हुए देर नही लगती. थोड़ा ध्यान रखना, बेटा. वैसे मैं उमा को भी समझा दूँगी.”
मम्मी पापा सुबह मेरे उठने से पहले ही शिमला के लिए निकल गये थे. जब मैं उठ कर नीचे आया, तो मौसी किचन में कुछ बना रही थी.
“मौसी..मुझे बाथरूम जाना है” मैं बोला.
“ओह..हां आओ बेटा.” मौसी ने स्वाभाविक सा जवाब दिया.
जब हम बाथरूम में पहुँचे तो मैं वहाँ पर खड़ा हो गया. उमा मौसी एक पल को थोड़ा सहमी, और फिर हिम्मत कर के आगे बढ़ी. उमा मौसी ने मेरे पीछे आकर मेरे शॉर्ट्स को नीचे खींच दिया, और ऐसा लगा मानो वो मेरी तरफ देख ही ना रही हो. वो मेरे सूसू करने का इंतेजार करने लगी और जब मैने सूसू कर लिया, तो उन्होने मेरे शॉर्ट्स को फिर से उपर खींच दिया.
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